ओदंतपुरी विश्वविद्यालय के संस्थापक कौन है? - odantapuree vishvavidyaalay ke sansthaapak kaun hai?

ओदन्तपुर प्राचीन काल का प्रमुख ऐतिहासिक स्थान। इसके पर्याय 'उदंतपुर' अथवा 'उदंडपुर' भी हैं। यह बिहार में नालन्दा से १० किमी की दूरी पर स्थित है। पालनरेश गोपाल]] ने यहीं एक अत्यंत भव्य विहार का निर्माण कराया था।

तिब्बती परंपरा के अनुसार इस ओदंतीपुरी विहार की रचना या तो गोपाल ने अथवा देवपाल ने करवाई। धर्मपाल के ओदंतपुरी विहार की रचना की कथा देवपाल द्वारा बनवाए विहार की कथा से मिलती जुलती है। बिहार के राजशाही जिले में पहाड़पुर की खुदाई में जिस विहार का संकेत मिलता है (मेम्वायर्स ऑव दि आर्के. सर्वे ऑव इंडिया, नं. ५५) वह संभवत: यही ओदंतपुर विहार है। इस स्थान तथा समीपवर्ती गाँव का नाम ओमपुर है। बल्लालसेन ने अपने युग के सर्वाधिक धनी श्रेष्ठी बल्लभानंद से ओदंतपुर (उदंतपुर) नरेश को पराजित कर सकने के लिए एक करोड़ रुपए लिए थे। (बल्लालचरित, अध्याय २)।

ओदन्तपुरी विश्‍वविद्यालय / उदंतपुरी विश्‍वविद्यालय / उदंडपुरी विश्‍वविद्यालय भी नालंदा और विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय की तरह विख्‍यात था, परन्तु उदन्तपुरी विश्‍वविद्यालय का उत्‍खनन कार्य नहीं होने के कारण यह आज भी धरती के गर्भ में दबा है, जिसके कारण बहुत ही कम लोग इस विश्‍वविद्यालय के इतिहास से परिचित हैं। अरब लेखकों ने इसकी चर्चा 'अदबंद' के नाम से की है, वहीं 'लामा तारानाथ' ने इस 'उदंतपुरी महाविहार' को 'ओडयंतपुरी महाविद्यालय' कहा है। ऐसा कहा जाता है कि नालन्दा विश्‍वविद्यालय जब अपने पतन की ओर अग्रसर हो रहा था, उसी समय इस विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना की गई थी। इसकी स्‍थापना प्रथम पाल नरेश गोपाल ने सातवीं शताब्‍दी में की थी। ख़िलजी का आक्रमण तिब्‍बती पांडुलिपियों से ऐसा ज्ञात होता है कि इस महाविहार के संचालन का भार 'भिक्षुसंघ' के हाथ में था, किसी राजा के हाथ नहीं। सम्भवतः उदंतपुरी महाविहार की स्‍थापना में नालंदा महाविहार और विक्रमशिला महाविहार के बौद्ध संघों का मतैक्‍य नहीं था।संभवतया इस उदंतपुरी की ख्‍याति नालंदा और विक्रमशिला की अपेक्षा कुछ अधिक बढ़ गई थी। तभी तो मुहम्‍मद बिन बख़्तियार ख़िलजी का ध्‍यान इस महाविहार की ओर हुआ और उसने सर्वप्रथम इसी को अपने आक्रमण का पहला निशाना बनाया। ख़िलजी 1197 ई. में सर्वप्रथम इसी की ओर आकृष्‍ट हुआ और अपन आक्रमण का पहला निशाना बनाया। उसने इस विश्‍वविद्यालय को चारों ओर से घेर लिया, जिससे भिक्षुगण काफ़ी क्षुब्‍ध हुए और कोई उपाय न देखकर वे स्‍वयं ही संघर्ष के लिए आगे आ गए, जिसमें अधिकांश तो मौत के घाट उतार दिए गए, तो कुछ भिक्षु बंगाल तथा उड़ीसा की ओर भाग गएऔर अंत में इस विहार में आग लगवा दी। इस तरह विद्या का यह मंदिर सदा-सदा के लिए समाप्‍त हो गया।

ओदंतपुरी विश्वविद्यालय के संस्थापक कौन थे?

इसकी स्‍थापना प्रथम पाल नरेश गोपाल ने सातवीं शताब्‍दी में की थी।

उदंतपुरी को बिहार क्यों कहा गया है?

ओदंतपुरी वर्तमान बिहार का प्राचीन नाम है। बिहार में स्थित ओदंतपुरी को 'उदंतपुरी' या 'उद्दंडपुर' भी कहते हैं। इसकी प्रसिद्धि का कारण था, यहाँ का बौद्ध विहार और तत्संबद्ध महाविद्यालय। आठवीं सदी के मध्य में बंगाल और बिहार में पाल वंश के संस्थापक गोपाल (730-740 ई.)

विक्रमशिला बिहार का संस्थापक कौन था?

इस विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने आठवीं सदी के अंतिम वर्षों या नौवीं सदी की शुरुआत में की थी. करीब चार सदियों तक वजूद में रहने के बाद तेरहवीं सदी की शुरुआत में यह नष्ट हो गया था. एक मान्यता यह है कि महाविहार के संस्थापक राजा धर्मपाल को मिली उपाधि 'विक्रमशील' के कारण संभवतः इसका नाम विक्रमशिला पड़ा.

विक्रमशिला विश्वविद्यालय में किसकी प्रतिमा मिली?

विक्रमशिला के बारे में सबसे पहले राहुल सांस्कृत्यायन ने सुल्तानगंज के क़रीब होने का अंदेशा प्रकट किया था। उसका मुख्य कारण था कि अंग्रेजों के जमाने में सुल्तानगंज के निकट एक गांव में बुद्ध की प्रतिमा मिली थी।