ऑस्ट्रेलिया जाने में कितना समय लगता है? - ostreliya jaane mein kitana samay lagata hai?

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स्टडी वीजा : युवाओं को खींच रही ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड की खूबसूरती

अम्बाला सिटी। अम्बाला के युवाओं को ऑस्ट्रेलिया खूब भा रहा है। न्यूजीलैंड की खूबसूरती भी उन्हें अपनी ओर खींच रही है। स्टडी वीजा पर विदेश जाने वाले 75 फीसदी युवाओं की यह दोनों देश पहली पंसद हैं। हर साल स्टडी के लिए विदेश जाने वाले युवाओं की संख्या बढ़ रही है। करीब 1700-1800 युवा सालाना फ्लाइट पकड़ रहे हैं।

विदेश जाने वालों में युवतियों के साथ दंपती भी शामिल हैं। कनाडा व यूके जाने वाले युवाओं की संख्या में काफी कमी आई है। आर्थिक हालात इसके मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। इसी वजह से इमीग्रेशन एक्सपर्ट भी युवाओं को इन देशों में जाने की सलाह नहीं दे रहे हैं। इस शिक्षा सत्र में कुछ और यूरोपियन देश भी स्टडी वीजा के जरिए भारतीय युवाओं के लिए अपने दरवाजे खोलने जा रहे हैं।

महंगी शिक्षा पर काम की सुविधा भी

ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में दूसरे यूरोपियन देशों के मुकाबले शिक्षा बेहद महंगी है। पर काम के ज्यादा अवसर होने की वजह से युवा दोनों देशों को तवज्जो दे रहे हैं। इन देशों में पढ़ाई के साथ काम करने की भी बेहतर सुविधा है। औसतन इन देशों में एक कोर्स पर 25 से 30 लाख रुपए का खर्च आता है। मगर पढ़ाई के साथ काम की सुविधा से यह खर्च वहन हो जाता है। हालांकि हर कोर्स की फीस का भुगतान किस्तों में होता है। इससे छात्रों को भी सुविधा रहती है। दूसरे यूरोपियन देशों के मुकाबले ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में स्टडी के साथ जॉब मिलने की ज्यादा संभावनाएं हैं। इसी वजह से एक्सपर्ट भी इन देशों में युवाओं को जाने की सलाह देते हैं।

इन कोर्सेज की ज्यादा डिमांड

ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में स्टडी के लिए जा रहे अम्बाला के छात्र सबसे ज्यादा कंप्यूटर व आईटी से जुड़े कोर्सेज को तवज्जो दे रहे हैं। हालांकि खर्च दूसरे कोर्सेज जितना ही है। इनके साथ अकाउंटिंग, बिजनेस मैनेजमेंट, होटल मैनेजमेंट तथा युवतियां बीएससी नर्सिंग कई अन्य कोर्सेज में रुचि दिखा रही हैं। दूसरों के मुकाबले इन कोर्सेस की फीस कम बताई जा रही है। विदेश में करने के बाद इन कोर्सेस को करने वाले छात्रों के लिए देश में भी बेहतर जॉब मिलने की सुविधा है।

परमानेंट रेजीडेंट होने के ज्यादा चांस

स्टडी पूरी करने के बाद ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड में परमानेंट रेजीडेंट (पीआर) होने के बेहतर चांस हैं। इन देशों की यूनिवर्सिटीज व कॉलेज की ओर से दिए जा रहे ऑफर लेटर्स में इस बात के संकेत हैं। दूसरे यूरोपियन देशों में पीआर की सुविधा नहीं है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया में भी अब पीआर को थोड़ा पेचीदा कर दिया गया है। कनाडा व यूके में पीआर की सुविधा बेहद कठिन है। उनकी शर्तों को किसी भी छात्र के लिए पूरा करना आसान नहीं है। साथ ही इन देशों में बेहतर जॉब का भी अकाल है। इस कारण छात्र अपनी पढ़ाई का खर्च वहन नहीं कर पाते। पिछले शिक्षा सत्र में तो यूके जाने वाले छात्रों की संख्या में रिकॉर्ड 90 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। बिगड़े आर्थिक हालात की वजह से इमीग्रेशन कंसलटेंट भी यूके से तौबा कर रहे हैं।

न्यूजीलैंड का वीजा आसान

न्यूजीलैंड का स्टडी वीजा हासिल करना सबसे आसान है। इसके लिए आईलेट्स में साढ़े पांच बैंड के साथ एक से छह महीने पुराने फंड दिखाने पड़ते हैं। कुछ कोर्सेस के लिए तो आईलेट्स करने की भी जरूरत नहीं है। फंड 7 से 8 लाख रुपए हो सकता है। न्यूजीलैंड में कोर्स फीस का भुगतान वीजा के बाद होता है। ऑस्ट्रेलिया का स्टडी वीजा हासिल करने लिए आइलेट्स में 5 से साढ़े पांच बैंड की जरूरत होती है। यहां वीजा से पहले फीस का भुगतान करना पड़ता है। 18 से 21 लाख रुपए तक के फंड भी बैंक खाते में दिखाने पड़ते हैं। हालांकि कुछ मामलों में फंड दिखाने की भी जरूरत नहीं है। कनाडा में गारंटिड इन्वेस्टमेंट स्कीम के तहत वीजा अप्लाई होता है। इसके लिए फीस व लिविंग कोस्ट का अग्रिम भुगतान किया जाता है।

इसमें कोई शक नहीं कि हर साल स्टडी वीजा पर विदेश जाने वाले युवाओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। विदेशी यूनिवर्सिटीज व कॉलेज भी भारतीय युवाओं को आकर्षित करने के लिए शिक्षा के साथ जॉब के बेहतर अवसर दे रहे हैं। कई कारणों की वजह से ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड के स्टडी वीजा को युवा तवज्जो दे रहे हैं। करीब 2 सालों से यूके का वीजा अप्लाई करने वालों की संख्या न के बराबर रह गई है।
संजीव कुमार, स्टडी वीजा कंसलटेंट

ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने ऐलान किया है कि भारत से ऑस्ट्रेलिया आने पर न सिर्फ 66 हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का जुर्माना लगेगा बल्कि पांच साल तक की सजा भी हो सकती है. सरकार ने यह फैसला शनिवार को तब लिया, जब दो लोग भारत से फ्लाइट बैन के बावजूद दोहा होते हुए ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए. इसके बाद देश के बायो सिक्यॉरिटी ऐक्ट में बदलाव करके देश के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हंट ने जुर्माने और सजा का ऐलान किया, जो सोमवार से लागू हो गया है.

माना जा रहा है कि ऐसा पहली बार है जब ऑस्ट्रेलिया ने इस तरह का प्रतिबंध लगाया है. हालांकि देश के मानवाधिकार आयोग समेत बहुत सी संस्थाओं और नेताओं ने इस आदेश को अमानवीय बताते हुए इसका विरोध किया है.

मानवाधिकारों का सवाल

मानवाधिकार आयोग ने एक बयान जारी कर कहा है इन असाधारण नई पाबंदियों को लेकर वह चिंतित है. मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था द ह्यूमनिज्म प्रोजेक्ट ने इस आदेश को फौरन वापस लेने की मांग की है.

ऑस्ट्रेलिया जाने में कितना समय लगता है? - ostreliya jaane mein kitana samay lagata hai?
भारत से आने वाली फ्लाइटों पर ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने रोक लगा रखी हैतस्वीर: Brenton Edwards/AFP/Getty Images

संस्था के हारून कासिम ने डॉयेचे वेले से बातचीत में कहा, "बेशक ऑस्ट्रेलिया को हमारी सुरक्षा को लेकर तमाम प्रयास करने चाहिए लेकिन अपने नागरिकों की देखभाल भी सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है. बिना कोई अन्य योजना बनाए सिर्फ प्रतिबंध लगा देना और अपने ही देश लौटने पर लोगों को सजा देने का ऐलान न सिर्फ गैरजिम्मेदाराना है बल्कि मानवाधिकारों के बारे में भी गंभीर सवाल उठाता है.”

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के नौ हजार से ज्यादा लोग भारत में फंसे हैं और लौटना चाहते हैं. हालांकि सरकार ने कहा है कि वह लोगों को भारत से लाने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन मौजूदा प्रतिबंध को स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह पर लिया गया फैसला बताती है. विदेश मंत्री मरीस पेन ने कहा, "क्वॉरन्टीन में रह रहे लोगों में जितने कोरोना वायरस संक्रमित लोग मिले हैं उनमें से 57 प्रतिशत भारत से आए थे. यह स्थिति देश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव बहुत ज्यादा बढ़ा रही थी.”

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भेदभाव?

ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र मुदित व्यास स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह पर ही सवाल उठाते हैं. वह कहते हैं कि किन अधिकारियों ने किन आंकड़ों के आधार पर यह सलाह दी है, उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए. व्यास कहते हैं, "यह सलाह देने के लिए कौन से जन-सांख्यिकीय आंकड़े इस्तेमाल किए गए हैं? भारत से लौटने वाले भारतीयों में संक्रमित लोगों का अनुपात क्या उतना ही है, जितना कि अमेरिका या यूरोप से आने वाले लोगों के बीच तब था जब वहां महामारी अपने चरम पर थी?”

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को ज्यादा क्वॉरन्टीन सुविधाएं बनाने का प्रबंध करना चाहिए ताकि लोग सुरक्षित अपने घर लौट सकें और समुदाय को भी नुकसान न हो. मेलबर्न स्थित सामाजिक कार्यकर्ता सालेहा सिंह कहती हैं कि वह इस फैसले से हतप्रभ हैं. डॉयेचे वेले से बातचीत में उन्होंने कहा, "यह बिना सोचे समझे लिया गया फैसला है, जो मौजूदा सरकार की पहचान बन गए हैं. अपनी क्वॉरन्टीन व्यवस्था को सुधारने के बजाय सरकार ने लोगों को ही सजा देने का फैसला किया. जब अमेरिका और यूरोप में महामारी अपने चरम पर थी, तब तो ऐसा फैसला नहीं लिया गया.”

ऑस्ट्रेलिया ने भारत से आने वाली सारी उड़ानों को भी 15 मई तक रद्द कर रखा है. कई महीनों से ऐसी व्यवस्था लागू है कि विदेश से आने वालों को दो हफ्ते तक सरकार द्वारा चुने गए किसी होटल में क्वॉरन्टीन में रहना होता है और उसका खर्चा खुद वहन करना होता है जो दो बच्चों वाले एक परिवार के लिए पांच हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर यानी करीब तीन लाख भारतीय रुपयों तक हो सकता है.

ऑस्ट्रेलिया में वर्कर की सैलरी कितनी है?

ऑस्ट्रेलिया में मजदूरी कितनी है ऑस्ट्रेलिया में 1 July 2022 के अनुसार अगर आप ऑस्ट्रेलिया में पार्ट टाइम जॉब करते है, तो आपको एक घंटे की मजदूरी $21.38 Australian Dollar है। अगर आप एक सफ्ताह में 38 घंटे काम करते है, तो आपको $812.44 Australian डॉलर की मजदूरी मिलती है।

इंडिया से ऑस्ट्रेलिया जाने में कितना घंटा लगता है?

ऑस्ट्रेलिया का वीजा AUD 1,720 (INR 91,875) में बनता है। इंडिया से ऑस्ट्रेलिया जाने में कितना समय लगता है? इंडिया से ऑस्ट्रेलिया जाने में 12 घंटे 25 मिनट लगते हैं।

ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए क्या क्या डॉक्यूमेंट चाहिए?

ऑस्ट्रेलिया के वीज़ा के लिए आवेदन करने के लिए दस्तावेज़, यहां एक नज़र डालें।.
मूल पासपोर्ट और पुराने पासपोर्ट, यदि कोई हो।.
आपका पासपोर्ट वीजा जमा करने की तारीख से कम से कम छह महीने के लिए वैध होना चाहिए।.
पहले, अंतिम पृष्ठों की प्रतिलिपि अन्य सभी दस्तावेजों के साथ जमा की जाती है। ... .
कन्फर्म रिटर्न एयर टिकट.

ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता कैसे मिल सकती है?

नए नियमों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में कम से कम चार साल रहने वाले ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे। हां, इस अवधि में वे 12 महीने से ज्यादा देश से बाहर न रहे हों। अब तक केवल 12 महीने ऑस्ट्रेलिया में रहने के बाद भी आवेदन किए जा सकते थे।