Short Note Show खीरे की फाँकें खिड़की से फेंकने के बाद नवाब साहब ने गुलाबी आँखों से लेखक की ओर क्यों देखा? Advertisement Remove all ads Solutionखीरे की फाँकें एक-एककर उठाकर सँधने के बाद नवाब साहब खिड़की से बाहर फेंकते गए। उन्होंने डकार ली और लेखक की ओर गुलाबी आँखों से इसलिए देखा क्योंकि उन्होंने लेखक को दिखा दिया था नवाब खीरे को कैसे खाते हैं। अपनी नवाबी का प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने खीरा खाने के बजाय फेंक दिया था। Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? Advertisement Remove all ads Chapter 12: यशपाल - लखनवी अंदाज़ - अतिरिक्त प्रश्न Q 5Q 4Q 6 APPEARS INNCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2 Chapter 12 यशपाल - लखनवी अंदाज़ Advertisement Remove all ads नवाब साहब ने गुलाबी आँखों से लेखक की और गर्व से क्यों देखा?खीरे की फाँकें एक-एककर उठाकर सँधने के बाद नवाब साहब खिड़की से बाहर फेंकते गए। उन्होंने डकार ली और लेखक की ओर गुलाबी आँखों से इसलिए देखा क्योंकि उन्होंने लेखक को दिखा दिया था नवाब खीरे को कैसे खाते हैं। अपनी नवाबी का प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने खीरा खाने के बजाय फेंक दिया था।
लेखक नवाब साहब को किस नजरिये से देख रहा था और क्यों?जब लेखक दूसरे दर्जे के डिब्बे में चढ़े, उन्होंने एक सज्जन अथवा नवाब साहब को देखा जो सफेद कपड़े पहने थे और आलथी पालथी मारकर बैठे थे। सज्जन ने लेखक को देखकर कोई उत्सुकता नहीं दिखाई और न ही सहयात्री के प्रति सामान्य व्यहवारिकता निर्वाह करी। इसलिए लेखक को महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं।
लेखक नवाब साहब की ओर कैसे देख रहे थे?लेखक नवाब साहब की ओर कैसे देख रहे थे ? Answer: (a) कनखियों से।
नवाब साहब को लेखक के सामने झिझक क्यों महसूस हो रही थी?नवाब साहब को लेखक के सामने झिझक हो रही थी। नवाब साहब को देख कर ऐसा लगता था कि उनको एकांत में बैठना था और लेखक के आने से खलल पड़ गया। लेखक से बात करने के लिए, नवाब साहब कोई उत्साह प्रकट नहीं कर रहे थे। अपनी झूठी शान बनाने के लिए नवाब साहब मौन रह रहे थे।
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