छात्रों के लिए 10वीं क्लास सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, इसलिए NCERT अपने सिलेबस में उन टॉपिक को ज़रूर कवर करती हैं जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होती हैं। हिंदी के इस ब्लॉग में हम कक्षा 10 के “Lakhnavi Andaaz Class 10 की कहानी के लेखक परिचय और NCERT की पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर के बारे में जानेंगे। तो चलिए जानते हैं ” Lakhnavi Andaaz Class 10 के बारे में विस्तार से। Show ये भी पढ़ें :CBSE कक्षा 10 हिंदी सिलेबस
लेखक यशपाल का जीवन परिचयलखनवी अंदाज कहानी के लेखक मशहूर रचनाकार यशपाल साहब हैं। यशपाल साहब का जन्म सन 1903 में पंजाब के फिरोजपुर छावनी में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा कांगड़ा में हुई। उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से BA किया था। यहीं पढ़ाई के दौरान ही उनका परिचय भारत के वीर शहीद भगत सिंह और सुखदेव से भी हुआ था। पढ़ाई के बाद बाद वो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान वो कई बार जेल भी गए। उनकी मृत्यु 1976 में हुई। यशपाल साहब की रचनाएंयशपाल की रचनाओं में आम आदमी के सरोकारों की उपस्थिति साफ दिखती है। वो यथार्थवादी शैली के विशिष्ट रचनाकार थे। सामाजिक विषमता, राजनीतिक पाखंड और रूढ़िवादियों के खिलाफ उनकी रचनाएं मुखर हैं।
पाठ सारांशLakhnavi Andaaz Class 10 का पाठ सारांश नीचे दिया गया है-
जरूर पढ़ें : बड़े भाई साहब कक्षा 10 कठिन शब्दLakhnavi Andaaz Class 10 के लिए कठिन शब्द इस प्रकार हैं:
लखनवी अंदाज़ कक्षा 10 PDFLakhnavi Andaaz Class 10 पाठ को अब आप PDF की मदद से भी समझ सकते हैं। लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? उत्तर- भीड़ से बचकर यात्रा करने के उद्देश्य से जब लेखक सेकंड क्लास के डिब्बे में चढ़ा तो देखा उसमें एक नवाब साहब पहले से बैठे थे। लेखक को देखकर बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं? उत्तर-लेखक का मानना है कि बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है अर्थात विचार, घटना और पात्र के बिना कहानी नहीं लिखी जा सकती है। मैं लेखक के इन विचारों से पूर्णतया सहमत हूँ। वास्तव में कहानी किसी घटना विशेष का वर्णन ही तो है। इसका कारण क्या था, कब घटी, परिणाम क्या रहा तथा इस घटना से कौन-कौन प्रभावित हुए आदि का वर्णन ही कह्मनी है। अतः किसी कहानी के लिए विचार, घटना और पात्र बहुत ही आवश्यक हैं। आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे? उत्तर- मैं इस निबंध को दूसरा नाम देना चाहूँगा–’रस्सी जल गई पर ऐंठन न गई’ या नवाबी दिखावा। इसका कारण यह कि नवाब साहब की नवाबी तो कब की छिन चुकी थी पर उनमें अभी नवाबों वाली ठसक और दिखावे की प्रवृत्ति थी। नवाब साहब ने बहुत ही यत्ने से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंततः सँधकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है? उत्तर- नवाब साहब ने यत्नपूर्वक खीरा काटकर नमक-मिर्च छिड़का और सँधकर खिड़की से बाहर फेंक दिया। उनका ऐसा करना उनकी नवाबी ठसक दिखाता है। वे लोगों के कार्य व्यवहार से हटकर अलग कार्य करके अपनी नवाबी दिखाने की कोशिश करते हैं। उनका ऐसा करना उनके अमीर स्वभाव और नवाबीपन दिखाने की प्रकृति या स्वभाव को इंगित करता है। (क) नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए। (ख) किन-किन चीज़ों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं? उत्तर- (क) नवाब साहब पैसेंजर ट्रेन के सेकंड क्लास के डिब्बों में आराम से बैठे थे। उनके सामने साफ़ तौलिए पर दो चिकने खीरे रखे थे। नवाब साहब ने सीट के नीचे से लोटा निकाला और खिड़की से बाहर खीरों को धोया। उन्होंने खीरों के सिरे काटे, गोदकर उनका झाग निकाला और खीरे छीलकर फाँकें बनाईं। उन पर नमक-मिर्च का चूर्ण बुरका। जब फाँकें पनियाने लगीं तो उन्होंने एक फाँक उठाई, मुँह तक ले गए सँघा और खिड़की से बाहर फेंक दिया। ऐसा करते हुए उन्होंने सभी फाँकें फेंककर डकारें लीं। (ख) छात्र अपनी रुचि के अनुसार स्वयं लिखें। खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौक के बारे में पढ़ा-सुना होगा। किसी एक के बारे में लिखिए। उत्तर- नवाबों की सनक और शौक यह रही है कि वे अपनी वस्तु, हैसियत आदि को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते और बताते थे। वे बात-बात में दिखावा करते थे। एक बार लखनऊ के ही नवाब जो प्रात:काल किसी पार्क में भ्रमण करने के शौकीन थे, प्रतिदिन पार्क में आया करते थे। एक दिन एक साधारण सा दिखने वाला आदमी वहीं भ्रमण करने आ गया। उसने नवाब साहब को सलाम ठोंका और पूछा, “नवाब साहब! क्या खा रहे हैं?” नवाब साहब ने गर्व से उत्तर दिया-बादाम’, नवाब साहब ने जेब में हाथ डालकर अभी निकाला ही था कि उनका पैर मुड़ा और वे गिर गए। उनके हाथ से खाने का सामान बिखर गया। उस व्यक्ति ने देखा कि खाने के बिखरे सामान में एक भी बादाम न था सारी मूंगफलियाँ थीं। अब नवाब साहब का चेहरा देखने लायक था। ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक यशपाल ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा? उत्तर- लेखक यशपाल ने यात्रा
करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा, क्योंकि क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए। उत्तर-हाँ, सनक का सकारात्मक रूप भी होता है। प्रसिद्ध व्यक्तियों, वैज्ञानिकों की सफलता के पीछे उनकी सनक ही होती है। वे अपनी सनक के कारण ही अपना लक्ष्य पाए बिना नहीं रुकते हैं। बिहार के दशरथ माँझी ने अपनी सनक के कारण ही पहाड़ काटकर ऐसा रास्ता बना दिया जिससे वजीरगंज अस्पताल की दूरी सिमटकर एक चौथाई रह गई। अपनी सनक के कारण वे ‘भारतीय माउंटेन मैन’ के नाम से जाने जाते हैं। लेखक के डिब्बे में आने पर नवाब ने कैसा व्यवहार किया? उत्तर- लेखक जब डिब्बे में आया तो उसका आना नवाब साहब को अच्छा न लगा। उन्होंने लेखक से मिलने और बात करने का उत्साह न दिखाया। पहले तो नवाब साहब खिड़की से बाहर कुछ देर तक देखते रहे और फिर डिब्बे की स्थिति पर निगाहें दौडाने लगे। उनका यह उपेक्षित व्यवहार लेखक को अच्छा न लगा। खीरे को खाने योग्य बनाने के लिए नवाब साहब ने क्या-क्या किया और उन्हें किस तरह सजाकर रखा? पठित पाठ के आधार पर लिखिए। उत्तर- नवाब साहब ने खीरे को खाने योग्य बनाने के लिए पहले उसे अच्छी तरह धोया फिर तौलिए से पोछा। अब उन्होंने चाकू निकालकर खीरों के सिरे काटे और गोदकर झाग निकाला। फिर उन्होंने खीरों को छीला और फाँकों में काटकर करीने से सजाया। खीरे की फाँकें खिड़की से फेंकने के बाद नवाब साहब ने गुलाबी आँखों से लेखक की ओर क्यों देखा? उत्तर- खीरे की फाँकें एक-एककर उठाकर सँधने के बाद नवाब साहब खिड़की से बाहर फेंकते गए। उन्होंने डकार ली और लेखक की ओर गुलाबी आँखों से इसलिए देखा क्योंकि उन्होंने लेखक को दिखा दिया था नवाब खीरे को कैसे खाते हैं। अपनी नवाबी का प्रदर्शन करने के लिए उन्होंने खीरा खाने के बजाय फेंक दिया था। नवाब साहब ने खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़का जिसे देखकर लेखक ललचाया पर उसने खीरे खाने का प्रस्ताव अस्वीकृत क्यों कर दिया? उत्तर- नवाब साहब ने करीने से सजी खीरे की फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़ककर लेखक से खाने के लिए आग्रह किया तो लेखक ने साफ़ मना कर दिया। जबकि लेखक खीरे खाना चाहता था। इसका कारण यह था लेखक पहली बार नवाब साहब को खीरा खाने के लिए मना कर चुका था। नवाब साहब द्वारा लेखक से बातचीत की उत्सुकता न दिखाने पर लेखक ने क्या किया? उत्तर- नवाब साहब ने लेखक से बातचीत की उत्सुकता उस समय नहीं दिखायी जब वह डिब्बे में आया। लेखक ने इस उपेक्षा का बदला उपेक्षा से दिया। उसने भी नवाब साहब से बातचीत की उत्सुकता नहीं दिखाई और नवाब साहब की ओर से आँखें फेर लिया। यह लेखक के स्वाभिमान का प्रश्न था, जिसे वह बनाए रखना चाहता था। बिना खीरा खाए नवाब साहब को डकार लेते देखकर लेकर क्या सोचने पर विवश हो गया? उत्तर- लेखक ने देखा कि नवाब साहब ने खीरों की फाँकों का रसास्वादन किया उन्हें मुँह के करीब ले जाकर सूंघा और बाहर फेंक दिया। इसके बाद नवाब साहब को डकार लेता देखकर लेखक यह सोचने पर विवश हो गया कि क्या इस तरह सँघने मात्र से पेट भर सकता है। सेकंड क्लास के डिब्बे में लेखक के अचानक आ जाने से नवाब साहब के एकांत चिंतन में विघ्न पड़ गया? उनके चिंतन के बारे में लेखक ने क्या अनुमान लगाया? उत्तर- सेकंड क्लास के जिस डिब्बे में नवाब साहब अब तक अकेले बैठे थे वहाँ अचानक लेखक के आ जाने से उनके एकांत चिंतन में विघ्न पड़ गया। उसके बारे में लेखक ने यह अनुमान लगाया कि ये भी शायद किसी कहानी के लिए नई सूझ में होंगे या खीरे जैसी साधारण वस्तु खाने के संकोच में पड़ गए होंगे। नवाब साहब के व्यवहार में अचानक कौन-सा बदलाव आया और क्यों? उत्तर- सेकंड क्लास के डिब्बे में जैसे ही लेखक चढ़ा, सामने एक सफ़ेदपोश सज्जन को बैठे पाया। लेखक का यूँ आना उन्हें अच्छा न लगा और वे खिड़की से बाहर देखने लगे पर अचानक ही उनके व्यवहार में बदलाव आ गया। उन्होंने लेखक से खीरा खाने के लिए कहा। ऐसा करके वे अपनी शराफ़त का नमूना प्रस्तुत करना चाहते थे। लेखक ने ऐसा क्या देखा कि उसके ज्ञान चक्षु खुल गए? उत्तर- लेखक ने देखा कि नवाब साहब खीरे की नमक-मिर्च लगी फाँकों को खाने के स्थान पर सँघकर खिड़की के बाहर फेंकते गए। बाद में उन्होंने डकार लेकर अपनी तृप्ति और संतुष्टि दर्शाने का प्रयास किया। यही देखकर लेखक के ज्ञान-चक्षु खुल गए कि इसी तरह बिना घटनाक्रम, पात्र और विचारों के कहानी भी लिखी जा सकती है। ‘लखनवी अंदाज़’ शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए। उत्तर- ‘लखनवी अंदाज़’ शीर्षक के मूल में व्यंग्य निहित है। इस कहानी में वर्णित स्थान लखनऊ के आसपास का प्रतीत होता है। इसके अलावा नवाब साहब की शान, दिखावा, रईसी का प्रदर्शन, नवाबी ठसक, नज़ाकत आदि सभी लखनऊ के उन नवाबों जैसी है, जिनकी नवाबी कब की छिन चुकी है पर उनके कार्य व्यवहार में अब भी इसकी झलक मिलती है। पाठ को पूरी तरह अपने में समेटे हुए यह शीर्षक ‘लखनवी अंदाज़’ पूर्णतया सार्थक एवं उपयुक्त है। लखनवी अंदाज’ पाठ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए? उत्तर- ‘लखनवी अंदाज’ नामक पाठ के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहता है कि हमें अपना व्यावहारिक दृष्टिकोण विस्तृत करते हुए दिखावेपन से दूर रहना चाहिए। हमें वर्तमान के कठोर यथार्थ का सामना करना चाहिए तथा काल्पनिकता को छोड़कर वास्तविकता को अपनाना चाहिए जो हमारे व्यवहार और आचरण में भी दिखना चाहिए। Source: EDUMANTRAMCQsलखनवी अंदाज़’ शीर्षक पाठ के लेखक का क्या नाम है? A. यशपाल उत्तर= a लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट किस लिए खरीदा था? A. भीड़ से बचने के लिए उत्तर= C ‘सफेदपोश’ का अर्थ है? A. सफ़ेद कपड़े उत्तर= D सफेदपोश सज्जन ने तौलिए पर कौन-सी वस्तु रखी हुई थी? A. आम उत्तर= C ‘आँखें चुराना’ मुहावरे का अर्थ है? A. आँखों की चोरी करना उत्तर C लेखक की दृष्टि में ‘खीरा’ किस वर्ग का प्रतीक है? A. मामूली लोगों के वर्ग का उत्तर= A लेखक ने खीरा खाने से क्यों इंकार कर दिया था? A. भूख नहीं थी उत्तर= B नवाब साहब ने खीरे की तैयारी के बाद उसका क्या किया? (a) खा गए उत्तर= b लेखक कनखियों से किसकी ओर देख रहे थे? (a) खिड़की की तरफ उत्तर= d ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत किसकी थी? (a) नवाब साहब की उत्तर= c अकेले सफ़र का वक्त काटने के लिए नवाब साहब ने क्या खरीदा था? (a) अखबार उत्तर= c लेखक ने नवाब साहब से खीरा न खाने का कारण क्या बताया? (a) उन्हें खीरा पसंद नहीं है उत्तर= c नवाब साहब ने खीरों को खिड़की से बाहर क्यों फेंक दिया? (a) अमीरी दिखाने के लिए उत्तर= a नवाब साहब ने खीरों की फाँक का क्या किया? (a) खिड़की से बाहर फेंक दिया उत्तर= a नवाब साहब का सहसा क्या करना लेखक को अच्छा नहीं लगा? (a) बात करना उत्तर= c लखनऊ स्टेशन पर कौन खीरे के इस्तेमाल का तरीका जानते हैं? (a) नवाब साहब उत्तर= c वार्तालाप की शुरुआत किसने की? (a) लेखक ने उत्तर= b FAQsलखनवी अंदाज कहानी का उद्देश्य क्या है? ‘लखनवी अंदाज’ नामक पाठ के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहता है कि हमें अपना व्यावहारिक दृष्टिकोण विस्तृत करते हुए दिखावेपन से दूर रहना चाहिए। हमें वर्तमान के कठोर यथार्थ का सामना करना चाहिए तथा काल्पनिकता को छोड़कर वास्तविकता को अपनाना चाहिए जो हमारे व्यवहार और आचरण में भी दिखना चाहिए। लखनवी अंदाज पाठ में क्या व्यंग्य है? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ में नवाब साहब के माध्यम से लेखक ने समाज के उस सामंती वर्ग पर व्यंग्य किया है, जो वास्तविकता से दूर एक बनावटी जीवन-शैली का आदी है। लखनवी अंदाज पाठ के रचयिता कौन हैं? लखनवी अंदाज पाठ के रचयिता मशहूर रचनाकार यशपाल हैं। आशा है कि इस ब्लॉग से आपको Lakhnavi Andaaz Class 10 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो आज ही हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स को 1800572000 पर कॉल करें और 30 मिनट का फ्री सेशन बुक करें। नवाब साहब ने आम आदमियों की तरह हीरा क्यों नहीं खाया?Answer: नवाब साहब को झूठी शान दिखाने की आदत रही होगी। वे खीरे को गरीबों का फल मानते होंगे और इसलिए किसी के सामने खीरे को खाने से बचना चाहते होंगे। वह यह भी दिखाना चाहते होंगे कि नफासत के मामले में उनका कोई सानी नहीं है।
लेखक ने खीरा क्यों नहीं खाया?Expert-Verified Answer. ➲ 'लखनवी अंदाज' पाठ में लेखक ने खीरा खाने से इसलिये मना कर दिया था क्योंकि लेखक के साथ नवाब साहब ने इससे पहले रूख व्यवहार किया था। नवाब द्वारा खीरा खाने के पूछने पर लेखक को नवाब द्वारा किया रूखा व्यवहार याद आ गया और लेखक को अपने आत्मसम्मान की परवाह हुई। इसीलिये लेखक ने खीरा खाने से मना कर दिया।
नवाब साहब ने खीरा बिना खाए खिड़की से बाहर क्यों फेंक दिया?Answer. नवाब साहब ने खीरे की फांकों को खिड़की से बाहर फेंक दिया क्योंकि वह अपने सहयात्री को अपनी नवाबी का उदाहरण दिखाना चाहते थे तथा खुद को एक शाही नवाब दिख लाना चाहते थे।
नवाब साहब ने अपने तरीके से खीरा खाने के बाद क्या किया और क्यों?नवाब साहब ने अपने तरीके से खीरा खाने के बाद क्या किया और क्यों? उत्तरः नवाब साहब अपने तरीके से खीरा खाने के बाद लेट गए। उन्होंने जोर से डकार ली मानो वे तृप्त हो गए हों। वे खीरा खाने की तैयारी तथा प्रयोग से अपने आप को थका हुए दिखाने के लिए आराम फरमाने का दिखावा एवं चेष्टा करने लगे थे।
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