नोटिस का मीनिंग बताएं?... Show चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। नोटिस का हिंदी में अर्थ निकाल सकते हैं कि सूचना या चेतावनी यह सब की जानकारी के लिए Romanized Version 1 जवाब Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App! मुख्यपृष्ठनोटिस और नोटिस के नमुनेनोटिस क्या है और नोटिस के महत्व / What Is Notice In Hindi नोटिस क्या है और नोटिस के महत्व / What Is Notice In Hindiपरिचयनोटिस का मतलब आसान भाषा मे समझे तो सुचना देना याने इंटिमेशन देना होता है। अगर हमे कोई कार्य करना हो या फिर किसीको कुछ कार्य करने के लिये या फिर न करने के लिये जो सुचना या इंटिमेशन दिया जाता है उसे नोटिस केहते है। नोटिस के मायने को समझने के बाद नोटिस को केसे सही तरिकेसेे लिखा जाये यह समझना जरुरी है। क्योके बहोतसे लोगोको नोटिस के बारेमे और उसके महत्व के बारेमे कोई खास जानकारी नही होती है। और वे तज्ञ लोगोके सलाहके बगैर खुद ही या फिर किसी अन्य व्यक्ती से जीसे कानून की कोई जानकारी नही होती उस व्यक्ती से नोटिस देते है। परिणामी उन्हे बहोत बडे नुकसान का सामना करना पडता है।
नोटिस और नोटिस के महत्व:-किसीभी कानूनी कारवाई ेके लिये नोटिस का बहोत बडा योगदान है। जैसे के कोई केस / दावा दाखल करना हो या फिर अपिल या किसी के कानूनी अधिकार के लिये नोटिस देना जरुरी होता है। नोटिस यह हर कानूनी कारवाही का पाया ( फाऊंडेशन) होता है। क्योके किसीभी कानूनी कारवाई की शुरूवात नोटिस से ही होती है। ईसलिये सही तरीकेले नोटिस तयार करना यह कानूनी कारवाही का सबसे पहला जरुरी स्टेप होता है। किसीभी विधतज्ञ याने वकिल के द्वारा किसीभी नोटिस मे लिखे गये वस्तुस्थिती को पक्षकार बंधनकारक होता है और उसके कानूनी परिणाम भी होते है। बहोतसे लोगोको नोटिस के बारेमे सही जानकारी ना होनेके कारण वे सही कानूनी तरिका अपनाकर नोटिस नही देते है। उनके नजरमे सिर्फ कोर्ट मे केस या सुट फाईल करने ही महत्व काम होता है और सिर्फ उसी के लिये ही वे वकिलो का सलाह लेना पसंद करते है। लेकिन उनके यही आदतो के कारण ही उनका नुक्सान होता है। सही तरिकेसे नोटिस तैयार करना यह एक जिम्मेदारी का काम होता है। नोटिस मे लिखे जानेवाले विधानोका पक्षकार के हक्क और अधिकार पर कोई बाधा नही आना चाहीये ईस बारेमे पक्षकार को और वकिल को सोचना चाहीये। नोटिस मे लिखे गये सभी जानकारी पर्णतः सत्य होनी चाहिए। और सभी सत्य जानकारी को कानूनी भाषा मे सही तरिकेसे लिखी जानी चाहिए। पती-पत्नी या फिर अन्य पारिवारीक व्याक्तीसे रिश्ता, पर्टनरशिप फर्म के बारेमे, किरायदार और मालक. नौकर और मालक. खेती मे कुळ कानून से रखा गया हो, इन सभि बातोको नोटिस मे लिखा होना चाहीए। नोटिस देनेके लिए पक्षकार से सभी जानकारी और कागजात लेकर बनाया जाना चाहीए। बहोतबार कानूनी कारवाही करनेसे पेहले विरुद्ध पर्टी को नोटिस देना जरुरी होता है।
यदि घर मालक और किरायदार मे किराया ना दिया हो तब दिये जाने वालि नोटिस यह रेंट ॲक्ट सेक्शन 12(2) के तहेद किराया देने या फिर बाकि थकित किराया देनेका लिये दिये जाने वालि नोटिस। और एसे नोटिस ट्रान्सफर ओफ प्रोपर्टी ॲक्ट सेक्शन 106 के तहद एक महिना पेहले देना जरुरी होता है। बेवजह लोगोका पैसा ना खर्चा हो ईसलीये नोटिस दिया जाता है और
ईसितरह नोटिस देनेसे विरुध्द पार्टीके लोगोको उनकि बाजू सामने रखनेकेलिये एक मौका दिया जाता है। बहोतसे कामोमे नोटिस दिये जाते है। जैसे उदाहरणके लिये, प्रोमिसरी नोट के बारेमे दि जानेवाली नोटिस, चेक बोन्स के संबंधमे दिये जानेवाली नोटिस, शासन या सरकार के विरोध मे दिये जानेवाली नोटिस, किरायेदार को दिये जानेवाली नोटिस, एसे बहोतसारे नोटिस है जो कानूनी प्रक्रिया मे ईस्तेमाल किये जाते है। एक ईन्सान को किसी दुसरे ईन्सान से जवाब मांगना हो तो वह नोटिस दे सकता है। यहा ध्यान देने लायक है के अगर एक प्रोपर्टी के दो मालिक हो तब दोनो मालिको को किरायेदार को नोटिस भेजना बंधनकारक है। यदि वे एसा नही करते तो उनका केस रिजेक्ट हो सकता है। ईस्लिये सही व्यक्ती के हातोमे नोटिस देना जरुरी होता है। कई बार नोटिस पर पोस्टमन द्वारा अलग अलग शेरे का ईस्तेमाल किया जाता है तब यह देखना जरुरी है के नोटिस सही व्यक्ती के हातोमे पहुचा है के नही यह देखना भी बहोत जरुरी होता है। कानून के नजर मे कुछ नोटिस केस फाईल करनेसे पेहले दिये जाना जरुरी होता है।
कई तरह के नोटिस हैं। उदाहरण के लिए, कुछ समय के लिए मौखिक नोटिस और लिखित नोटिस जारी किए गए हैं।अदालत यह निष्कर्ष निकाल सकती है कि समय-समय पर नोटिस जारी किए गए हैं। कई बार, सार्वजनिक सूचनाओं के लिए समाचार पत्रों में नोटिस जारी किए जाते हैं। तो कुछ नोटिस कानून के मामले के रूप में जारी किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत, दीवानी न्यायालय द्वारा विभिन्न नोटिस जारी किए जाते हैं। कंपनी अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम या कारखानों अधिनियम, मध्यस्थता अधिनियम आदि के तहत भी नोटिस जारी किए जाते हैं। लेकिन इन नोटिसों का रूप और स्वरूप तय है। और नोटिस प्रक्रिया और कानून के अनुसार जारी किए जाते हैं। जब कोई नोटिस आता है, तो उसका जवाब देना महत्वपूर्ण है। जैसे के नोटिस एक दावे का आधार है, उसीतरह नोटिस का जवाब भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। क्योंकि यदि दावों को आगे और पीछे दायर किया जाता है, तो नोटिस पर आने वाली प्रतिक्रिया सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। क्योंकि यदि दावों को दायर करनेमे आगे और पीछे हो जाता है, तो नोटिस पर आने वाली प्रतिक्रिया सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। चाहे वह नोटिस हो या नोटिस का जवाब, इसमें जो कुछ भी लिखा या दिखाया गया है उसे भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत स्वीकारोक्ति माना जाता है। उदाहरण के लिए टी.पी. अधिनियम यह कहता है कि जब मकान मालिक नोटिस देता है, तो किराए का महीना निश्चित तारीख को शुरू होता है। और जवाब में, अगर कोई एक विशिष्ट तारीख देता है और कहता है कि अधिकार एक महीने की तरह एक निश्चित तारीख पर शुरू होते हैं, तो पार्टी उससे आगे नहीं जा सकती। इसलिए इन सभी बातों पर ध्यान देना और नोटिस या जवाब देना महत्वपूर्ण है। लेकिन कभी-कभी कानून द्वारा आवश्यक नहीं होने पर भी नोटिस देना उचित होता है। नोटिस देने के पीछे का उद्देश्य यह है कि नोटिस में किए गए दावे या दावे के बारे में विरोधी पक्ष का क्या कहना है यह जानना जरूरी होता हैसाथ ही, किसी समय नोटिस देकर पार्टी का इरादा हासिल किया जा सकता है। इसके अलावा, नोटिस का मुख्य उद्देश्य यह है कि, पार्टी कम से कम दावे या दावे से सहमत होगी या दावेसे इनकार कर देती हैं। ऐसी स्थिति में यह दावा करने से पहले कई बार करना आवश्यक है कि, विपरीत पक्ष का क्या कहना है। इसलिए कभी-कभी नोटिस दिया जाता है। यह भी पढे
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नोटिस का हिंदी में क्या मतलब होता है?- 1. सूचना; सूचना-पत्र 2. चेतावनी 3. ध्यान में लाना।
नोटिस बोर्ड को हिंदी में क्या बोलते हैं?संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ - ( 1 ) इन नियमों का नाम राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 है । ये राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे।
शो कॉज नोटिस का मतलब क्या होता है?Show cause notice meaning in Hindi (हिन्दी मे मीनिंग ) is कारण बताओ नोटिस.
सर्कुलर का मतलब क्या होता है?- वृत्ताकार; मंडलाकार; गोलाकार। [सं-पु.] अनेक मनुष्यों को भेजा हुआ पत्र; गश्ती चिट्ठी; परिपत्र।
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