मानवों में प्रजनन हेतु जननांग होते हैं, जो स्त्रियों और पुरुषों में भिन्न होते हैं। पुरूष के जनन अंगों को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहला बाहरी भाग जैसे लिंग और अंडकोश तथा भीतरी भाग एपीडिडायमिस, टाकटिस नालिका, सैमिनाल वेसाइकल इजैक्यूलेटरी नलिका, गदूद और मूत्र नलिका आदि। Show
पुरूष अपने शिश्न या लिंग के द्वारा शुक्राणु को स्त्री के योनि में डालता है। लिंग की लम्बाई 7.5 सेटीमीटर से लेकर 10 सेंटीमीटर तथा इसकी चौड़ाई 2.5 सेंटीमीटर होती है। पुरूश के लिगं के मध्य में एक नलिका होती है। इस नली को मूत्र नलिका कहते है जो इसमें से होती हुई मूत्राशय की थैली तक जाती है। इसी नलिका द्वारा मूत्र और वीर्य की निकासी होती है। पुरूषों के लिंग में तीन मांसपेशियां होती है। दाहिनी व बांई कोरपस कैवरनोसम तथा बीच में कोरपस स्पैनजीऔसम। इन मांसपेशियों में रक्त की नलिकांए होती है। पुरूष लिंग की कठोरता के समय इन मांसपेशियों से अधिक रक्त का संचार होता है व इसके कारण लिंग की लम्बाई 10-15 सेमी और चौड़ाई 3.5 सेमी के लगभग हो जाती है। लिंग की सुपारी की त्वचा आसानी से ऊपर-नीचे खिसक सकती है तथा कठोरता के समय लिंग को चौड़ाई में बढ़ने के लिए स्थान भी देती है। लिंग के अगले भाग को ग्लैस कहते है जो काफी संचेतना पूर्ण होता है। अंडकोष पुरूष के नीचे एक थैली होती है। इसे स्क्रौटम कहा जाता है। इस थैली की त्वचा ढीली होती है। जो गर्मियों में अधिक बढ़कर लटक जाती है तथा सर्दियों में सिकुड़कर छोटी होती है। इसके अंदर अंडकोष होते है इनका मुख्य कार्य शुक्राणु और पुरूष उत्तेजित द्रव को बनाना होता है। वे पुरूष जो आग के सामने कार्य करते है, अधिक गर्म पानी से नहाते है। यह कच्छा को अधिक कसकर बांधते है। उनके अंडकोष से शुक्राणु कम मात्रा में या नहीं बन पाते है। अंडकोश की लंबाई 3.5 सेमी और चौड़ाई 2.5 सेमी होती है। इसमें रक्त का संचार बहुत अधिक होता है। दोनों तरफ के अंडकोष एक नलिका के द्वारा जुड़े होते है। जिसको वास डिफेरेन्स कहते है तथा दूसरी तरफ ये अन्य ग्रंथि से जुड़े रहते है। जिनको सेमिनाल वेसाईकल कहते है। प्रोस्टेट ग्रन्थि मूत्राशय व पुरूष लिंग के नीचे होता है तथा सेमिनाइकल वैसाइड भी प्रोस्टेट से लगा रहता है। संभोग के समय सेमिनाल वैसाइकल से द्रव निकलता है। यह द्रव छार होता है जिसमें शुक्राणु काफी समय तक जीवित रहते है। पुरूष उत्तेजना के समय लिंग से एक चिकना द्रव निकलता है जिसे प्रोस्टेटिक द्रव कहते है। जिसमें कभी-कभी शुक्राणु भी देखे गये हैं। इसी कारण परिवार नियोजन का वह तरीका सफल नहीं जिसमें वीर्य निकलने से पहले ही लिंग को योनि से बाहर निकाल लिया जाता है। पुरूष के एक शुक्राणु की लम्बाई 1/25 मिलीमीटर होती है। इसके तीन भाग होते है सिर, गर्दन और पूंछ। शुक्राणु लगभग अंडाकार होता है। गर्दन लम्बी जो सिर और पूंछ को जोड़ती है। पूंछ पतली और मुलायम होती है। इसी से शुक्राणु गतिशील होता है जिससे शुक्राणु 10 सेकेंड में 1 मिलीमीटर की दूरी तक जा सकता है। शुक्राणुओं का निर्माण अंडकोष में होता है तथा ये सेमीनल वैसाईकल में रहते है। शुक्राणु दो से तीन महीने तक जीवित रह सकते है। यह अंडकोष में बनकर पहले छोटी-छोटी नलिकाओं द्वारा ईपीडिडायमीस में इकट्ठे होते है और वहां से वास डिफेरेन्स द्वारा सेमीनल वैसाइकल में जाते है। संभोग के समय मांसपेशियोनं के सिकुड़ने के कारण यह सेमिनल द्रव के साथ मूत्र नलिका में निकलते है। यह द्रव लगभग 3-5 सी.सी. होता है और प्रत्येक सी.सी.में 50 से 200 मिलियन शुक्राणु होते है। मानव में जनन तंत्र – यह दो प्रकार के होते है नर जनन तंत्र एवं मादा जनन तंत्र आज हम इसके बारे में देखेगे की नर जनन तंत्र में कोनसे अंग होते है और मादा जनन तंत्र में कोनसे आज उन अंगो के बारे में थोडा विस्तार से जानेंगे ताकि आपको आसानी से समज आ सके की मानव में जनन तंत्र किस प्रकार से होते है और उनका क्या नाम होता है और किस तरह से कार्य करते है। नर जनन तंत्रनर में पाए जाने वाले प्रमुख जनन अंग निम्न प्रकार हैं।
तरंग गति किसे कहते है ? और उसके प्रकार यांत्रिक तरंगे और ध्वनि तरंगे General Science In Hindi मादा जनन तंत्रमादा के मूत्र मार्ग एवं जनन मार्ग में कोई संबंध नहीं होता है मादा में पाए जाने वाले प्रमुख जनन अंग निम्न प्रकार के हैं ।
साथियों यह कुछ जानकारी थी मानव में जनन तंत्र नर जनन तंत्र एवं मादा जनन तंत्र के बारे में अगर कुछ बताना बाकि रह गया है तो आप निचे कमेन्ट करे हम उस टॉपिक को अवश्य जोड़ेगे नर जनन तंत्र का नाम क्या है?Solution : नर जनन तन्त्र एक जोड़ी वृषण (Testes) प्राथमिक जननांग तथा वृषण कोष (Scrotal sac), अधिवृषण (Epididymis), शुक्रवाहिनियाँ (Vas deferens), शिश्न (Penis) व प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostat gland) एवं काउपर ग्रन्थि (Cowper. s gland) सहायक जननांग होते हैं।
पुरुष में नर जनन अंग कौन सा होता है?पुरुष प्रजनन अंग और उसके कार्यपुरुष जननेन्द्रियों तंत्र में बाहरी और आंतरिक में कई अंग होते हैं। इनमें से दो दिखाई देते हैं _ वृषण, शुक्राशय थैली और शिश्न (लिंग)। ये अंग वाहिका नली (शुक्रवाहिका नली) से जुड़े होते हैं। तंत्र के पौरूष ग्रंथी और मुत्रनली अंग शरीर के अन्दर होते हैं।
नर जनन तंत्र कितने प्रकार के होते हैं?✻ नर जनन तंत्र के सम्पूर्ण भागों का अध्ययन. नर जनन तंत्र के सम्पूर्ण भाग :- :- मनुष्य में नर जनन तंत्र निम्न भागों से मिलकर बना होता है :- ... . वृषण :- ... . अधिवृषण :- ... . शुक्र वाहिनी :- ... . शुक्राशय :- ... . यूरिथ्रा ( मूत्र जनन मार्ग ) :- ... . शिश्न :- ... . सहायक ग्रंथियां :-. |