मध्य पाषाण काल में किसकी खोज हुई थी? - madhy paashaan kaal mein kisakee khoj huee thee?

यह काल पुरापाषाण व नवपाषाण काल के मध्य का संक्रमण का काल है ।इस काल तक हिमयुग पूरी तरह से समाप्त हो चुका था तथा जलवायु गर्म तथा आद्र हो चुकी थी । जिसका प्रभाव पशु-पक्षी तथा मानव समूह पर पङा।

बङे पाषाण उपकरणों के साथ-2 लघु पाषाण उपकरण का प्रचलन भी मिलता है । ये उपकरण 1-8 से.मी. लंबे , विभिन्न आकार वाले – जैसे त्रिकोण , नवाचंद्राकार , अर्द्धचंद्राकार , ब्लेड आदि मिलते हैं।

मध्य पाषाण काल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी मनुष्य को पशुपालक बनाना । इस काल में आखेट के क्षेत्र में भी परिष्कार हुआ, वह तीक्ष्ण तथा परिष्कृत औजारों का प्रयोग करने लगा । प्रक्षेपास्र तकनीकि प्रणाली का विकास ( छोटे पक्षियों को मारने वाले छोटे उपकरण ) इसी काल में हुआ। तीर – कमान का विकास भी इसी काल में हुआ । बङे पशुओं के साथ-साथ छोटे पशु – पक्षियों एवं मछलियों के शिकार में विकास संभव हुआ।

मध्य पाषाण कालीन स्थल

राजस्थान , दक्षिणी उत्तरप्रदेश , मध्य भारत , पूर्वी भारत , दक्षिण भारत में कृष्णा नदी के दक्षिण क्षेत्र अर्थात राजस्थान से मेघालय तक व उत्तरप्रदेश से लेकर सुदूर दक्षिण तक प्राप्त हुए हैं ।

                निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि मध्य पाषाण काल एक सांस्कृतिक संक्रमण काल था, जबकि मानव पुरापाषाणिक जीवन शैली को पूरी तरह सक छोड़ नहीं पाया था और न ही एक व्यवस्थित जीवन शैली को अपना पाया था। इस काल काल को प्राचीन पाषाण काल का उत्तरार्द्ध भी कहा जाता है। इस युग का मनुष्य आखेट के साथ-साथ पशुपालन को भी अपनाने लगा था। समकालिक मनुष्य मानव सभ्यता का प्रारत्भिक चरण पार कर चुका था और अब वह नयी तकनीक की सहायता से अपेक्षाकृत सुगम जीवन व्यतीत करने के प्रयास में था। इन प्रयासों से उसके सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक जीवन में कुछ परिवर्तन भी आया। फिर भी उनका यह जीवन निम्न स्तर का ही रहा।                                       

       मध्यपाषाण काल (Mesolithic Age) या Middle Stone Age--

मध्य पाषाण काल के विषय में जानकारी सर्वप्रथम 1967 में सी एल कार्लाइल ने की जब उन्होंने लघु पाषाण उपकरण खोज निकाले ,ये लघु पाषाण उपकरण आधे इंच से पौन इंच तक थे, या कह सकते हो एक से आठ सेंटीमीटर के औजार थे।
भारत मे मानव अस्थिपंजर मध्यपाषाण काल से ही मिलने प्रारम्भ हुए, भारत मे मध्य पाषाण कालीन पुरास्थल राजस्थान,गुजरात , बिहार ,मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र,आंध्रप्रदेश, कर्नाटक ,आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु,केरल,उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों में मध्यपाषाण कालीन लघु पाषाण कालीन वस्तुएं उत्खनन में प्राप्त हुईं हैं,यदि सबसे मुख्य स्थलों की बात करें तो  इनमे से एक बागोर है जो राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित है यहां 1968-1970 के बीच वी एन मिश्रा ने उत्खनन करवाया,यहां से मानव कंकाल मिला है, 

  आगे मध्य प्रदेश  आतें है तो यहां तो यहां होशंगाबाद जिले में अवस्थित  आदमगढ़ शैलाश्रय से 25 हजार 

 लघु पाषाण उपकरण प्राप्त हुए। 

  इसी प्रकार रायसेन जिले में स्थित भीमबेटका के शैलाश्रय और गुफाओं से मध्यपाषाण कालीन उपकरण प्राप्त हुए ।

     उत्तर प्रदेश का विंध्य तथा ऊपरी मध्य गंगा घाटी का क्षेत्र मध्यपाषाण कालीन  उपकरण  बहुतायत में मिलें हैं, इनमे विंध्यक्षेत्र के मिर्जापुर में मोरहाना पहाड़ ,लेखहिया, मिर्जापुर से प्राप्त लघु पाषाण उपकरण में एक विकासक्रम देखने को मिलता है उपकरण बड़े से छोटे होते जाते हैं, लेखहिया से  तो सत्रह नरकंकाल मिले। इनके अधिकांश के सिर पश्चिम की तरफ़ हैं।

इलाहाबाद में मुख्य मध्य पाषाण क़ालीन स्थल  चोपानीमांडो है   यहां के लघु पाषाण  उपकरणों की आयु 17 हजार से 7 हजार ईसा पूर्व निर्धारित किया है ,यहां से कुछ हाँथ से बने मिट्टी के उपकरण प्राप्त हुए हैं ,प्रतापगढ़ जिले में स्थित सरायनहर राय, महादहा,दमदमा, आदि  मिलें हैं, यहां से अस्थि एवं सींघ से निर्मित उपकरण भी मिलें हैं,14 शवाधान मीले हैं जिनके सिर पश्चिम और पैर उत्तर की तरफ़ मिले हैं 8 गर्त चूल्हे भी मिले हैं,चूल्हों से पशुओं की आधी जली हड्डियां भी मिलतीं हैं, महदहा से सिल लोढ़ा के टुकड़े मिलते है शायद इनमे कुछ अनाज के दाने पीसे जाते होंगे, यहां से प्राप्त एक समाधि में स्त्री पुरुष को एक साथ दफनाया गया है,इसी तरह दमदमा( उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के पट्टी तहसील में अवस्थित स्थल ) यहां से 41 मानव शवाधान कुछ गर्त चूल्हे प्रकाश में आये हैं,विभिन्न पशुओं भेंड़ ,बकरी गाय,बैल, भैंस ,हांथी, गेंडा ,चीता ,बारहसिंघा,सुअर आदि जानवरों की हड्डियां मिलतीं हैं

मध्य पाषाण काल में किसकी खोज हुई थी? - madhy paashaan kaal mein kisakee khoj huee thee?
भीमबेटका गुफा में चित्र आकृतियां


मध्यपाषाण काल पुरा पाषाण काल और नव पाषाण काल और नव पाषाण काल के मध्य का अंतराल है, इस युग में हुए परिवर्तनों के कारण ही नव पाषाण काल मे हुए सामाजिक आर्थिक परिवर्तन हुए, लगभग 8000 साल पहले हिम् युग समाप्त हुआ जिसके कारण बर्फ की मोटी मोटी चादरें पिघली और उनकी जगह खुले घास के मैदान बने ,वातावरण में सर्दी कम हुई ,जिससे कम सर्दी में  खुद को जीवित रखने वाले  जीवों का उद्भव हुआ ,जैसे हिमयुग के समय सर्दी से बचाव के लिए बड़े बालों और विशाल आकार के जीव जन्में ,जैसे बड़े बाल वाले जानवरों मैमथ रेनडियर की जगह छोटी घास पर आश्रित रहने वाले छोटे हांथी,खरगोश,बकरी,हिरण का जन्म हुआ। अब छोटे जानवरों के शिकार के लिए छोटे हथियारों की जरूरत पड़ी,अतः मानव ने लघु पाषाण  उपकरण(microlith )बनाना प्रारम्भ कर दिया   जो क्वार्टजाइट पत्थर की जगह  जैस्पर ,एगेट, चर्ट,फ्लिंट,  चाल्सडेनी  पत्थरों  के  बने होते थे जैसे पत्थरों से बने होते थे, छोटे होते हुए भी नए हथियार शिकार करने में  ज्यादा कारगर सिद्ध हुए, इन  छोटे हथियारों को लकड़ी या हड्डी के हत्थों में फिट किया गया ,इन हथियारों में प्रमुख एक धार फलक (Backed Blade), बेधनी(Points), अर्ध चन्द्राकर(Lunate) तथा समलंब(Trapeze) आदि थे, इस समय धनुष बाण की तकनीक भी विकसित हुई, कुछ मध्यपाषाण कालीन स्थल निम्न लिखित है---वीरभान पुर (पश्चिम बंगाल), लंघनाज(गुजरात),आदम गढ़ (मध्यप्रदेश),बागोर ( राजस्थान),मोरहना पहाड़, सराय नाहर राय,  महादाहा( प्रताप गढ़,उत्तरप्रदेश) आदि।

मध्य पाषाण काल में किसका आविष्कार हुआ?

मध्य पाषाण काल के प्रमुख औजार फलक, पॉइंट, खुरचन, उत्कीर्णक, चंद्राकार, त्रिभुजाकार, वेधनी जैसे कई सूक्ष्म पाषाण उपकरण थे। मध्यपाषाण काल (अंग्रेजी Mesolithic) मनुष्य के विकास का वह अध्याय है जो पुरापाषाण काल और नवपाषाण काल मे मध्य मे आता है। इतिहासकार इस काल को १२,००० साल पूर्व से लेकर १०,००० साल पूर्व तक मानते है।

मध्य पाषाण काल का दूसरा नाम क्या है?

मध्यपाषाण काल (Mesolithic Era) 12000 साल से लेकर 10000 साल पूर्व तक। इस युग को माइक्रोलिथ (Microlith) अथवा लधुपाषाण युग भी कहा जाता हैंं।

मध्यपाषाण काल में मनुष्य किसकी पूजा करता था?

मध्यपाषाण युग में लोग मुख्य रूप से पशुपालक थे. मनुष्यों ने इन पशुओं को चारा खिलाकर पालतू बनाया. इस प्रकार मध्यपाषाण काल में मनुष्य पशुपालक बना. इस युग में मनुष्य खेती के साथ-साथ मछली पकड़ना, शहद जमा करना, शिकार करना आदि कार्य करता था.

मध्य पाषाण काल के लोग क्या करते थे?

इस समय लोग जंगली पशुओं के शिकार के साथ पशुपालन भी करते थे। चीतल, साँभर, बारहसिंगा, शाही, खरगोश आदि प्रमुख जंगली जानवर हैं। पालतू पशुओं में गाय, बैल, बकरी, कुत्ता आदि प्रमुख हैं। मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भीमबैठका नामक पुरास्थल मध्य पाषाणकाल के अवशेषों की दृष्टि से विशेष उल्लेखनीय है।