माटी वाली बुढ़िया के सामने पुनर्वास में क्या समस्या आ रही थी? - maatee vaalee budhiya ke saamane punarvaas mein kya samasya aa rahee thee?

माटीवाली कहानी का सारांश व प्रश्न उत्तर 

माटीवाली पाठ का सार 

माटीवाली पाठ की साहित्यिक विधा कहानी है। माटीवाली के लेखक विद्यासागर नौटियाल है। विस्थापन की समस्या पर आधारित 'माटी वाली' स्वतंत्र भारत के अनियोजित विकास और उससे प्रभावित आम आदमी की पीड़ा से संबंधित कहानी है। बड़ी-बड़ी योजनाएँ किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए अनिवार्य होती हैं पर उनकी बलि-वेदी पर न जाने कितने निरीह प्राणियों को स्वयं को मिटाना पड़ता है। उनकी पीड़ा को कोई नहीं समझता, कोई नहीं जानना चाहता। 

'माटी वाली' सारे टिहरी शहर में जगह-जगह घूमकर लाल मिट्टी बेचती थी। नगर में कोई भी ऐसा घर नहीं था जहाँ वह लाल मिट्टी बेचने न जाती हो। सारे टिहरीवासी उसे बरसों से जानते-पहचानते थे क्योंकि हर घर में चूल्हों के लिए लाल मिट्टी वही पहुँचाती थी। हर बार खाने पकाने के बाद चूल्हे पर इस मिट्टी को पोता जाता था। उस सारे क्षेत्र में रेतीली मिट्टी पाई जाती थी, उससे चूल्हों पर लिपाई नहीं की जा सकती थी। लोग इस मिट्टी को अपने घरों की गोवरी-लिपाई में भी प्रयुक्त करते थे शहर के सेमल का तप्पड़ मोहल्ले की ओर बने आखिरी खोली में पहुँचकर मिट्टी वाली हरिजन बुढ़िया अपने सिर पर रखे मिट्टी से भरे कनस्तर को नीचे उतारा। कनस्तर पर कोई ढक्कन नहीं था। ढक्कन को वह काटकर उतार देती थी क्योंकि वह मिट्टी भरने और फिर खाली करने में रुकावट बनता था।

घर की मालकिन ने मिट्टी वाली से मिट्टी का कनस्तर कच्चे आँगन के एक कोने में उड़ेलने के लिए कहा। उसने मिट्टी वाली को खाने के लिए दो रोटियाँ दीं। उसने एक रोटी को अपने सिर पर रखे डिल्ले को खोलकर उसके कपड़े में लपेट लिया और दूसरी को घर की मालकिन के द्वारा दी गई पीतल के गिलास में चाय के साथ निगल लिया। चाय के साथ रोटी खाते हुए उसने कहा कि चाय तो बहुत अच्छा साग है तो मालकिन ने कहा कि भूख तो अपने आप में एक साग होती है। सामान्य बातचीत में घर की मालकिन ने उसे बताया कि चाहे बाकी लोगों ने अपने घर की पीतल और काँसे के बर्तन बेचकर स्टील और चीनी मिट्टी के बर्तन खरीद लिए थे, पर वह अपने पूर्वजों की मेहनत से खरीदे बर्तनों को नहीं बेचेंगी। उसे पुरानी चीज़ों के प्रति मोह था पर अब वह सोच-सोचकर परेशान थी कि अब जब टिहरी बाँध के कारण यह जगह उसे छोड़कर जाना पड़ेगा तो वह क्या करेगी। 

मिट्टी वाली वहाँ से दूसरे घर में गई जहाँ उसे अगले दिन मिट्टी लाने का आदेश मिला। वहाँ से उसे दो रोटियाँ भी मिलीं जिन्हें उसने अपने कपड़े के दूसरे छोर में बाँध लिया। लोग नहीं जानते थे कि उसने रोटियाँ अपने साथ ले जाने के लिए क्यों वाँधी थीं। घर में उसका बुड्ढा पति था। वह रोटी का इंतजार कर रहा होगा आज तो उसे खाने के लिए तीन रोटियाँ मिल जाएँगी जिन्हें देख वह प्रसन्न हो जाएगा। उसका गाँव टिहरी शहर से दूर था। तो चलने पर भी एक घंटा तो लग ही जाता है। वह हर रोज अपने घर से माटाखान में मिट्टी खोदने जाती। फिर वहाँ से उसे सिर पर ढोकर दूर-दूर बेचने जाती। उसके पास अपना कोई झोंपड़ी या जमीन का टुकड़ा नहीं था। वह तो ठाकुर की जमीन पर झोंपड़ी बनाकर रहती थी जिसके बदले उसे कई काम बेगार करने पड़ते थे।

माटी वाली ने रास्ते में एक पाव प्याज खरीदे ताकि वह अपने बुड्ढे को रोटियों के साथ तले हुए प्याज दे सके। उसका बुड्ढा बहुत कमजोर हो चुका था। अब तो वह डेढ़ से अधिक रोटी खा ही नहीं सकता था। वह अपनी झोंपडी में पहुँची। रोज की तरह आज उसका बुड्ढा आहट सुनकर चौंका नहीं। माटी वाली ने घबराकर उसे छू कर देखा। वह तो सदा के लिए जा चुका था। अब उसे किसी रोटी की आवश्यकता नहीं थी।

टिहरी बाँध के पुनर्वास के साहब ने उसे बता दिया था कि जब वहाँ पानी भर जाएगा तो उसके पास रहने के लिए कोई स्थान नहीं होगा। उसे रहने-खाने के लिए स्वयं कहीं प्रबंध करना होगा। टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया। शहर में पानी भरने लगा। सारे शहर में आपाधापी मच गई। लोग वहाँ से भागने लगे सबसे पहले पानी में श्मशान डूब गए। माटी वाली अपनी झोंपड़ी के बाहर हर आने-जाने वाले से यही कहती रही-"गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।"

माटीवाली पाठ का प्रश्न उत्तर 

1. 'शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं।' आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते 'माटी वाली' को सब पहचानते थे?

उत्तर - चूँकि माटी वाली ही एकमात्र ऐसी महिला थी जो खाना बनाने के चूल्हों को पोतने और त्यौहारों पर लेपन आदि करने की विशिष्ट लाल मिट्टी पहुँचाती थी, और यह मिट्टी सभी की अनिवार्य आवश्यकता थी, इसलिए माटी वाली तथा उसके कंटर को सब पहचानते थे।

2. माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?

उत्तर - माटी वाली एक निम्न स्तरीय जीवन व्यतीत करने वाली गरीब श्रमिक महिला थी। उसे अपने गुजारे की चीजें जुटाने के लिए माटी बेचनी पड़ती थी। अत: गरीबी और श्रमशीलता के बीच उसे अपने भाग्य के विषय में सोचने का अवसर नहीं था।

3. भूख मीठी कि भोजन मीठा' से क्या अभिप्राय है? 

उत्तर- इसका अभिप्राय यह है कि भोजन तभी मीठा लगता है, जब भूख लगी हो। बिना भूख के उत्तम भोजन भी नीरस तथा भूख लगी होने पर रूखा-सूखा भोजन भी स्वादिष्ट लगता है।

4. 'पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।-मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर- विरासत के रूप में मिली वस्तुएँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं, इनका संरक्षण करके हम अपने अतीत और संस्कृति को संरक्षित कर सकते हैं। अतीत का संरक्षण वस्तुतः अपने व्यक्तित्व जन्य गौरव का संरक्षण है।

5. माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है? 

उत्तर- माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी निर्धनता, अभावग्रस्तता और असहायता को प्रकट करता है। उसका पति बहुत कमजोर और बुड्ढा था। अशक्त होने के कारण वह काम नहीं कर सकता था इसीलिए माटी वाली को जी-तोड़ शारीरिक मेहनत करनी पड़ती थी, फिर भी वह पेट भर रोटी नहीं कमा पाती थी।

6. आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर - माटी वाली का हृदय अपने बूढ़े पति के प्रति करूणा और रागात्मक अनुभूति से भरा था। चूँकि रोटियाँ उसे मिल गई थीं, इसलिए केवल एक ही वस्तु की व्यवस्था करनी थी। अतः माटी वाली ने बूढ़े को केवल कोरी रोटियाँ न देने का निश्चय किया।

7. 'गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए।' इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- गरीब आदमी के पास रहने और सिर छिपाने के लिए अपना कोई सहारा नहीं होता। कुछ भी तो नहीं होता उसके पास, जिसे वह अपना कह सके। श्मशान ही एक ऐसी जगह है जहाँ मरने के बाद उसे जगह अवश्य मिलती है-चाहे अपने वहाँ छोड़ आएँ या पराए। ऐसा नहीं होता कि गरीब की लाश सदा के लिए वहीं पड़ी रहे जहाँ वह मरा हो। माटी वाली का बुड्ढा मरा और उसे श्मशान में जगह मिली, चाहे माटी वाली के पास पैसे नहीं थे अब जब टिहरी में पानी भरने लगा तो सबसे पहले पानी में श्मशान डूबा। माटी वाली को लगा कि अब तो उसे वहाँ भी स्थान नहीं मिल पाएगा। इसीलिए उसने अपने हृदय की व्यथा को प्रकट करते हुए कहा कि- 'गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।'

8. 'विस्थापन की समस्या' पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर- विस्थापन है-अपना घर और स्थान छोड़ना। दो-चार दिन के लिए नहीं बल्कि हमेशा के लिए। यह बहुत दुखदायी स्थिति है जिससे कोई भी व्यक्ति अपने जीवन काल में नहीं गुज़रना चाहता। अपने घर से सभी को लगाव होता है, चाहे वह टूटा-फूटा और दूसरों की दृष्टि में बेकार ही क्यों न हो। वह उसे सिर छिपाने की जगह देता है। जब-जब कोई राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक या प्राकृतिक विपदा आती है तब-तब विस्थापन की समस्या लोगों के सामने सिर उठा कर खड़ी हो जाती है। बाढ़, तूफान, भूकंप आदि की स्थितियों में लोगों को अपने घर से विस्थापित होना पड़ता है, पर सदा के लिए नहीं बल्कि कुछ देर के लिए। इन स्थितियों में आर्थिक नुकसान होता है पर व्यक्ति फिर सामान्य स्थिति हो जाने पर वापिस लौट आता है। अपना टूटा-फूटा और उजड़ा आशियाना फिर से तैयार कर लेता है, पर राजनीतिक कारणों से कभी-कभी स्थायी रूप से विस्थापन हो जाता है। जब हमारे देश का बँटवारा अंग्रेज़ सरकार ने कर दिया था तब लाखों परिवारों को अपना बसा-बसाया घर छोड़ रातों-रात दूसरी जगह जाना पड़ा था। तब आसमान ही सिर पर छत का काम करता है। सन 1972 में जब बांग्लादेश बना था तब भी लाखों लोग विस्थापित होकर भारत आ गए थे। राजनीतिक अशांति के कारण लोग अपना घर छोड़ अन्यत्र विस्थापित होने के लिए विक्स होते हैं। विस्थापन की स्थिति मनुष्य को मानसिक रूप से तोड़ देती है। 

व्यक्ति जहाँ कहीं भी बसने के लिए जाता है उसे वहाँ की परिस्थितियों में स्वयं को ढालना पड़ता है, नये सिरे से स्थापित होना पड़ता है। किसी पौधे को उखाड़कर दूसरी जगह लगाया जाए तो वह भी कई दिनों तक मुझाया रहता है। उसकी पुरानी पत्तियाँ पीली होकर झड़ जाती हैं और फिर धीरे-धीरे नई पत्तियाँ निकलनी शुरू होती हैं। बाहर से घर के भीतर आ जाने वाले किसी कीड़े-मकोड़े को भी जगह ढूँढने में परेशानी होती है। मनुष्य तो अति संवेदनशील प्राणी है इसलिए विस्थापन की स्थिति में उसका विचलित हो जाना सहज-स्वाभाविक है। टिहरी नगर के डूब जाने से लोग विस्थापित हुए हैं। चाहे सरकार ने उनके पुनर्वस का प्रबंध किया है, उनकी हुई क्षति की पूर्ति की है पर वे लोग इस विस्थापन को कभी नहीं भूल पाएँगे। 

माटीवाली बुढ़िया के सामने पुनर्वास में क्या समस्या आ रही थी?

Answer: माटी वाली के सामने सबसे बड़ी और अहम समस्या यह थी कि वह अपना तथा बुड्डे का पेट कैसे भरेगी? और अगर उसे गाँव छोड़कर जाना पड़ा तो फिर गुजारा कैसे करेगी। ... वहाँ : से उजड़ने के बाद उसका क्या होगा—यह समस्या उसे ऐसा पागल बनाए हुए थी कि उसके पास अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं था।

माटी वाली कहानी की प्रमुख समस्या क्या है?

उत्तर=माटी वाली कहानी की समस्या इस प्रकार है कि वह टोकरी लेकर दूसरों के घर में काम करने जाती थी उसे जो पैसा मिलता था उस पैसे से वो खाना खाती थी। ना रहने के लिए घर था। यह माटी वाली की समस्या है।

माटी वाली कौन थी उसकी समस्या का समाधान कैसे होना चाहिए था?

माटी वाली अत्यंत गरीब बूढ़ी हरिजन महिला थी। टिहरी शहर में घर-घर माटी पहुँचाने के अलावा उसकी आजीविका का कोई दूसरा साधन न थाउसके पास खेती के लिए न कोई ज़मीन थी और न रहने के लिए। वह ठाकुर की जमीन पर झोंपड़ी बनाकर रहती थी जिसके लिए उसे बेगार करना पड़ता था

माटी वाली के चरित्र की कौन सी विशेषताएँ आप को प्रभावित करती हैं लिखिए?

माटी वाली का स्वभाव अत्यंत विनम्र था। वह सभी की प्रिय थी। सभी उसके कार्य-व्यवहार से खुश रहते थे। इस प्रकार माटी वाली की परिश्रमशीलता, मृदुभाषिता, पति-परायणता तथा व्यवहारकुशलता मुझे प्रभावित करती है।