अनुसूचित क्षेत्र का विवरण (अधिसूचना 19 मई 2018 के अनुसार ) Show (जनगणना 2011 के अनुसार) राज्य के दक्षिण पूर्ण में स्थित 8 जिलों की 31 तहसीलों को मिलाकर अनुसूचित क्षेत्र निर्मित किया गया है जिसमें जनजातियों का सघन आवास है। 2011 की जनगणनानुसार इस क्षेत्र की जनसंखया 64.64 लाख है जिसमें जनजाति जनसंखया 45.52 लाख है। जो इस क्षेत्र की जनसंखया का 70.42 प्रतिशत हैं। अनुसूचित क्षेत्र में सम्मिलित 8 जिलों में बांसवाडा, डूंगरपुर व प्रतापगढ सम्पूर्ण जिले, उदयपुर की 8 पूर्ण तहसीलें एवं तहसील गिर्वा के 252, तहसील वल्लभनगर के 22 व तहसील मावली के 4 गांव, सिरोही जिले की आबूरोड तहसील एवं तहसील पिंडवाड़ा के 51 गांव, राजसमन्द जिले की नाथद्वारा तहसील के 15 व तहसील कुम्भलगढ़ के 16 गांव, चित्तौडगढ़ जिले की बड़ीसादड़ी तहसील के 51 गांव, तथा पाली जिले की बाली तहसील के 33 गांव सम्मिलित है। इस क्षेत्र में आवासित जनजातियों में भील, मीणा, गरासिया व डामोर प्रमुख है।
राजस्थान में अनुसूचित क्षेत्र कौन कौन से हैं?राजस्थान राज्य में अनुसूचित क्षेत्रों में सम्पूर्ण रूप से बांसवाड़ा, डुंगरपुर और प्रतापगढ़ जिले, नौ सम्पूर्ण तहसीलें, एक सम्पूर्ण ब्लॉक तथा उदयपुर, राजसमंद, चितौडगढ़, पाली और सिरोही ज़िलों के 727 गांवों को कवर करने वाली 46 ग्राम पंचायतें शामिल की जाएंगी।
राजस्थान में गैर अनुसूचित क्षेत्र में कौन कौन से जिले आते हैं?- उदयपुर (जिलें में कुल 13 तहसील) 8 पूर्ण तहसील क्रमश:- कोटडा, झाडोल, लसाडिया, सलुम्बर, सराडा, ऋषभदेव, खेरवाडा, सेमारी व 2 आंशिक तहसील गिर्वा (123 गांव ) एवं गोगुन्दा ( 52 गांव ) अनुसूचित क्षेत्र में एवं शेष वल्लभनगर, मावली, बडगांव तहसील गैर - अनुसूचित क्षेत्र में है।
अनुसूचित जनजाति में कौन आता है?संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियाँ वे आदिवासी या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासियों और आदिवासी समुदायों का भाग या उनके समूह हैं जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा इस प्रकार घोषित किया गया है। अनुसूचित जनजातियाँ देश भर में, मुख्यतया वनों और पहाड़ी इलाकों में फैली हुई हैं।
अनुसूची 5 में कौन कौन से राज्य आते हैं?पांचवीं अनुसूची के भी कई इलाक़े हैं जहां स्वायत्त शासन लागू है. मसलन आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के आदिवासी बहुल इलाक़े. ये संविधान की पांचवीं अनुसूची में आते हैं. जिन-जिन राज्यों में पांचवीं अनुसूची लागू है वहां के राज्यपालों को संविधान ने कई शक्तियां दीं हैं.
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