NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5 मिठाईवाला (भगवतीप्रसाद वाजपेयी) are part of NCERT Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant
Chapter 5 मिठाईवाला (भगवतीप्रसाद वाजपेयी) पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास (पृष्ठ 30-31) कहानी से प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. कहानी से आगे प्रश्न 1. प्रश्न 2. उनको बनाने-सजाने में विभिन्न पाक कला विशेषज्ञों का हाथ होता है। उन चेहरों के बारे में हम यही कह सकते हैं कि उनके चेहरे पर परिश्रम झलकता है और वे हर कार्य में निपुण दिखाई पड़ते हैं। जैसे-समोसे बनाने वाला समोसे बनाने में, सांभर-डोसा बनाने वाला सांभर-डोसा बनाने में, इडली बनाने वाला इडली बनाने में, आइसक्रीम बनाने वाला आइसक्रीम बनाने में आदि। प्रश्न 3. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. भाषा की बात प्रश्न 1. प्रश्न 2.
उत्तर-
प्रश्न 3. कुछ करने को प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. We hope the NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter Vasant Chapter 5 मिठाईवाला (भगवतीप्रसाद वाजपेयी) help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter Vasant Chapter 5 मिठाईवाला (भगवतीप्रसाद वाजपेयी), drop a comment below and we will get back to you at the earliest. मिठाई वाले के परिवार के साथ क्या हुआ था?दुर्घटनावश किसी दिन उनकी पत्नी और उनके दोनों बच्चों की मृत्यु हो गई। पत्नी और बच्चों के न होने के कारण व्यापारी को अपना अस्तित्व और अपनी सम्पत्ति व्यर्थ लग रही थी। अतः इसी कारण मिठाईवाले ने अपने दुःख को भुलाने के लिए दूसरे बच्चों की खुशी में अपनी खुशी को ढूढ़ने की चेष्टा की। इसमें उसे काफी हद तक सफलता भी मिली।
मुरली वाले की उम्र क्या थी?Answer: मुरलीवाले का हुलिया-वह गोरा, पतला युवक था। वह 30-32 वर्ष का व्यक्ति था। वह बीकानेरी साफ़ा बाँधता था।
मुरली वाले के पास कुल कितनी मुरलिया थी?दो मुरलियाँ लेकर विजय बाबू फिर मकान के भीतर पहुँच गए। मुरलीवाला देर तक उन बच्चों के झुंड में मुरलियाँ बेचता रहा! उसके पास कई रंग की मुरलियाँ थीं। बच्चे जो रंग पसंद करते, मुरलीवाला उसी रंग की मुरली निकाल देता।
मिठाई वाले के दुख का क्या कारण था?मिठाईवाले के बच्चों की असमय मृत्यु हो गई थी। वह अपने बच्चों की झलक इन गली के बच्चों में देखता था। जब बच्चे अपनी मधुर आवाज़ में उससे अलग-अलग चीजें माँगते तो ऐसे लगता जैसे वह अपने बच्चों की फरमाइशें पूरी कर रहा हो। वह कई महीनों बाद आता था क्योंकि उसे पैसों का कोई लालच न था।
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