मनुष्य के जीवन में क्या करना चाहिए? - manushy ke jeevan mein kya karana chaahie?

जीवन क्या है? मनुष्यों को अपने जीवन में क्या करना चाहिए?...


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आपने पूछा है जीवन क्या है मनुष्य को अपने जीवन में क्या करना चाहिए जीवन अनंत पुण्य का प्रतिफल है जीवन परमात्मा की विलक्षण कृपा है जीवन हमारे पूर्व में किए गए सत्य कर्मों का पुण्य प्रतिफल है जीवन शाश्वत समय है जीवन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कि शरीर की विभिन्न अवस्थाएं परिवर्तित होती रहती हैं प्रारंभ में शैशवावस्था फिर बाल्यावस्था फिर किशोरावस्था फिर युवावस्था इसके उपरांत प्रौढ़ावस्था उपरांत अंतिम अवस्था को वृद्धावस्था कहते हैं इन क्रमानुसार अवस्थाओं में चलने वाली प्रक्रिया ही मनुष्य का जीवन है मनुष्य को अपने जीवन में चाहिए कि वह इस जीवन को प्राप्त करके सत्कर्म करें श्रेष्ठतम कर्म करें समाज के लिए राष्ट्र के लिए सदैव समर्पित रहे मेरा मानना यह है कि जीवन प्राप्त करके व्यक्ति को सतत रूप से समाज के प्रति चिंतन करके सेवा के लिए समर्पित रहना चाहिए जीवन का उद्देश्य समाज के लिए राष्ट्र के लिए कुछ प्रदान करके अपनी आत्मा चेतना का जागरण करना भी आवश्यक होता है जीवन काल में व्यक्ति को आत्म साक्षात्कार के लिए तत्पर होना चाहिए व्यक्ति अपने आप को पहचाने कि मैं कौन हूं मेरा उद्देश्य क्या है और मुझे अपना जीवन कैसे आपन करना चाहिए इन समस्त प्रक्रियाओं में संलग्न में रहकर मनुष्य अपने जीवन को जी सकता है मनुष्य का जीवन समस्त प्राणियों से बहुत अलग है मनुष्य एक बौद्धिक प्राणी है मनुष्य एक विवेक 1 प्राणी है और मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तो मनुष्य की प्रवृत्ति है कि वह समाज में रहता है और समाज में रहकर अपनी बुद्धि के माध्यम से अपनी प्रकृति प्रदत्त विवेक के माध्यम से अपने जीवन को उत्कृष्टता बनाने का प्रयत्न निरंतर करता रहता है इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह अपने जीवन काल में ऐसे कार्य करें कि जीवन समाप्त होने के उपरांत यश रूप में वह लोगों के हृदय में जीवित रहे जब हम यशरूप में श्रेष्ठतम कार्य से लोगों के हृदय में जीवन के बाद भी जीवित रहेंगे तो लोग हमें सदैव याद करेंगे और हमारे जीवन की सार्थकता सिद्ध हो जाएगी अपने जीवन काल में मनुष्य को चाहिए कि नैतिकता से युक्त जितने भी कार्य हैं उनको करता रहे अनैतिकता अशिष्ट था व्यभिचार अन्य मानव विरोधी कार्यों से स्वयं को दूर रखें निरंतर सत्कर्म सदाचार में जीवन समन्वय के भाव सहयोग की भावना दया करुणा और समस्त प्राणियों से स्नेह का भाव उसके हृदय में विद्यमान होना चाहिए तभी उसका जीवन सार्थक है मानव का जीवन बड़ी कठिनाई से उसे प्राप्त होता है और जीवन एक संघर्ष भी है जिसके जीवन में संघर्ष नहीं उसका जीवन लिस्ट प्राण है गति जीवन का मुख्य आधार है यदि आपके जीवन में गति है तो आपकी मर्जी भी श्रेष्ठ होगी और आपकी प्रगति भी होती होगी आपकी उन्नति भी होगी और आपकी अंतिम गति भी श्रेष्ठ होगी इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि जीवन में निरंतरता बनाए रखें प्रवाह बनाए रखें जिस प्रकार नदी का जल निरंतर बहता रहता है उसी प्रकार जीवन में निरंतर प्रवाह मान होना चाहिए स्थाई जीवन का कोई अस्तित्व नहीं कोई औचित्य नहीं ऐसे जीवन से जीवन में गतिशीलता निरंतरता सेवा भाव दया करुणा के भाव मानव के प्रति स्नेह की भावना अपनों से बड़ों का सम्मान अपने माता-पिता गुरु का सम्मान और अपन से जो छोटे हैं उनको निरंतर स्नेह का भाव होना चाहिए यही जीवन है और पुण्य और परोपकार के भाव जीवन में अवश्य अनिवार्य रूप से होना चाहिए जीवन के विषय में हम लोग महापुरुषों का चिंतन देखें हमारे मनीषियों का चिंतन देखें हमारी परंपराओं का चिंतन देखें और हमारी विलक्षण भारतीय परंपरा जो समस्त संसार के देशों से अलग है वह जीवन के लिए अलग दृष्टिकोण प्रदान करती है एक नवीन जीवन दर्शन संसार को हम लोग दे सकते हैं इस दिशा में हम लोग कार्य करें कि आधुनिक वैज्ञानिक युग में समय का सदुपयोग ही जीवन है क्योंकि जीवन भी समय है तो दर अंतर समय का सदुपयोग करके हम अपने कार्यों को पूर्ण कर सकते हैं उत्तर बहुत विस्तृत हो गया है क्योंकि बात जब जीवन की आती है तो यह बहुत बेहद विस्तृत विषय है लेकिन जो मेरे सामान्य से विचार हैं मैं आपके लिए प्रेषित कर रहा हूं बहुत-बहुत धन्यवाद

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मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण क्या है?

विक्रमगिरी महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन में सबसे बड़ा महत्व वाणी का है। वाणी बहुत बड़ा आधार है। मधुर वाणी के माध्यम से संबंध स्थापित किए जा सकते हैं, वहीं इसी वाणी के कुप्रभाव से संबंध टूट जाते हैं। जहां वाणी कटु वचन में जहर का काम करती है, वहीं मधुर वचन में यह अमृत समान बन जाती है, इसलिए वाणी को वीणा बनाने का काम करे।

मानव जीवन में क्या करना चाहिए?

उन्होंने कहा कि संसार में आकर मानव को अच्छे कर्म करने चाहिए। कोई आदमी का बुरा भी करे तो उसका सम्मान करना उस आदमी का कर्तव्य होना चाहिए। तभी उस परम प्रभु परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है। उन्होंने कहा कि रामायण आदमी को जीना सिखाती है तो भागवत मरना सिखाती है।

मनुष्य को कैसे रहना चाहिए?

सब कुछ सुंदर और अच्छा होना चाहिए तभी सामने वाला आपसे कैसे बात करें, ये आप तय कर सकते हैं। लोग आपको जैसा देखते हैं, आपके बारे में वैसा ही सोचते हैं। अपने घर में साफ-सफाई रखें। अपने घर को साफ करने की आदत बना लीजिए खुशी और आनंदपूर्वक, क्योंकि आपके घर की सफाई आपके शरीर का प्रतिबिम्ब है।

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