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गुरु द्रोणाचार्य – महाभारतद्रोणाचार्य भरद्वाज मुनिके पुत्र थे| ये संसारके श्रेष्ठ धनुर्धर थे| महाराज द्रुपद इनके बचपनके मित्र थे| भरद्वाज मुनिके आश्रममें द्रुपद भी द्रोणके साथ ही विद्याध्ययन करते थे|
त्यागमूर्ति महाराज उशीनर – महाभारतमहाराज उशीनर त्याग और शरणागतवत्सलताके अनुपम आदर्श थे| उनके राज्यमें प्रजा अत्यन्त सुखी तथा धन-धान्यसे सम्पन्न थी| सभी लोग धर्माचरणमें रत थे|
दानवीर कर्ण – महाभारतकोमार्यावस्थामें कुन्तीको महर्षि दुर्वासाकी सेवाके फलस्वरूप देवताओंके आवाहनका विलक्षण मन्त्र प्राप्त हुआ| मन्त्रशक्तिके परीक्षणके लिये कुन्तीने भगवान् सूर्यका आवाहन किया और कौमार्यावस्थामें ही कुन्तीके द्वारा एक दिव्य बालककी उत्पत्ति हुई|
दुर्योधन – महाभारतकलिके अंशावतार दुर्योधन धृतराष्ट्रके ज्येष्ठ पुत्र थे| ये राज्यलोभी, महत्त्वाकाङ्क्षी तथा अपने शुभचिन्तकोंको भी शत्रुकी दृष्टिसे देखनेवाले और बचपनसे पाण्डवोंके कट्टर शत्रु थे|
धर्मराज युधिष्ठिर – महाभारतमहाराज युधिष्ठिर धैर्य, क्षमा, सत्यवादिता आदि दिव्य गुणोंके केन्द्र थे| धर्मके अंशसे उत्पन्न होनेके कारण ये धर्मके गूढ़ तत्त्वोंके व्यावहारिक व्याख्याता तथा भगवान् श्रीकृष्णके अनन्य भक्त थे|
धृतराष्ट्र – महाभारतमहाभारत धृतराष्ट्र जन्मान्ध थे| वे भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य तथा विदुरकी सलाहसे राज्यका संचालन करते थे| उन्हें कर्तव्याकर्तव्यका ज्ञान था, किंतु पुत्रमोहके कारण बहुधा उनका विवेक अन्धा हो जाता था और वे बाध्य होकर दुर्योधनके अन्यायपूर्ण आचरणका समर्थन करने लगते थे|
पतिव्रता गान्धारी – महाभारतसंसारकी पतिव्रता देवियोंमें गान्धारीका विशेष स्थान है| ये गन्धर्वराज सुबलकी पुत्री और शकुनिकी बहन थीं| इन्होंने कौमार्यावस्थामें भगवान् शंकरकी आराधना करके उनसे सौ पुत्रोंका वरदान प्राप्त किया था|
भगवान् वेदव्यास – महाभारतभगवान् वेदव्यास एक अलौकिक शक्तिसम्पन्न महापुरुष थे| इनके पिताका नाम महर्षि पराशर और माताका नाम सत्यवती था| इनका जन्म एक द्वीपके अन्दर हुआ था और वर्ण श्याम था, अत: इनका एक नाम कृष्णद्वैपायन भी है|
भगवान् श्रीकृष्ण – महाभारतमहाभारत धर्म, अर्थ, काम और मोक्षको प्रदान करनेवाला कल्पवृक्ष है| यह विविध कथारूपी रत्नोंका तथा अज्ञानके अन्धकारको विनष्ट करनेवाला सूर्य है| इस ग्रन्थके मुख्य विषय तथा इस महायुद्धके महानायक भगवान् श्रीकृष्ण हैं|
महाबली भीम – महाभारतमहाभारतके अद्वितीय योद्धा महाबली भीमकी बल और पौरुषमें तुलना करनेवाला उस समय कोई नहीं था| इनका जन्म वायुदेवके अंशसे हुआ था| इनके जन्मके समय यह आकाशवाणी हुई थी कि यह कुमार बलवानोंमें सर्वश्रेष्ठ होगा|
महारानी कुन्ती – महाभारतहमारे यहाँ शास्त्रोंमें अहल्या, मन्दोदरी, तारा, कुन्ती और द्रौपदी – ये पाँचों देवियाँ नित्य कन्याएँ कही गयी हैं| इनका नित्य स्मरण करनेसे मनुष्य पापमुक्त हो जाता है| महारानी कुन्ती वसुदेवजीकी बहन और भगवान् श्रीकृष्णकी बुआ थीं|
महारानी द्रौपदी – महाभारतमहारानी द्रौपदीकी उत्पत्ति यज्ञकुण्डसे हुई थी| ये महराज द्रुपदकी अयोनिजा कन्या थीं| इनका शरीर कृष्णवर्णके कमलके जैसा कोमल और सुन्दर था, अत: इन्हें ‘कृष्णा’ भी कहा जाता था| इनका रूप और लावण्य अनुपम एवं अद्वितीय था|
महावीर अभिमन्यु – महाभारतअर्जुन एवं सुभद्राका पुत्र अभिमन्यु महाभारत महाकाव्यका अद्भुत पात्र है| भगवान् श्रीकृष्णका यह भानजा अर्जुनके समान ही श्रेष्ठ धनुर्धर था| यह वीर्यमें युधिष्ठिरके समान, आचारमें श्रीकृष्णके समान, भयंकर कर्म करनेवालोंमें भीमके समान, विद्या-पराक्रममें अर्जुनके समान तथा विनयमें नकुल और सहदेवके समान था| अभिमन्युका विवाह महाराज विराटकी पुत्री उत्तराके साथ हुआ था|
वीरवर अर्जुन – महाभारतइन्द्रके अंशसे उत्पन्न महावीर अर्जुन वीरता, स्फूर्ति, तेज एवं शस्त्र-संचालनमें अप्रतिम थे| पृथ्वीका भार हरण करने तथा अत्याचारियोंको दण्ड देनेके लिये साक्षात् भगवान् नर-नारायणने ही श्रीकृष्ण और अर्जुनके रूपमें अवतार लिया था| यद्यपि समस्त पाण्डव श्रीकृष्णके भक्त थे, किंतु अर्जुन तो भगवान् श्यामसुन्दरके अभिन्न सखा तथा उनके प्राण ही थे|
श्रीभीष्मपितामह – महाभारतमहात्मा भीष्म आदर्श पितृभक्त, आदर्श सत्यप्रतिज्ञ, शास्त्रोंके महान् ज्ञाता तथा परम भगवद्भक्त थे| इनके पिता भारतवर्षके चक्रवर्ती सम्राट् महाराज शान्तनु तथा माता भगवती गङ्ग थीं|
सञ्जय – महाभारतसञ्जयका जन्म सूत जातिमें हुआ था| ये बड़े ही बुद्धिमान, नीतिज्ञ, स्वामिभक्त तथा धर्मज्ञ थे| इसीलिये धृतराष्ट्र इनपर अत्यन्त विश्वास करते थे| ये धृतराष्ट्रके मन्त्री भी थे और उनको सदैव हितकर सलाह दिया करते थे|
सती उत्तरा – महाभारतजब महाराज विराटने यह सुना कि उनके पुत्र उत्तरने समस्त कौरव-पक्षके योद्धाओंको पराजित करके अपनी गायोंको लौटा लिया है, तब वे आनन्दातिरेकमें अपने पुत्रकी प्रशंसा करने लगे| महाभारत के मुख्य पात्र आपके अनुसार कौन हैं?रानी सत्यवती, वेद व्यास, भीष्म पितामह, पाण्डव, कौरव, द्रौपदी, सभी महाभारत गाथा के मुख्य पात्र रहे। इन सभी के भीतर कुछ गुण और अवगुण थे। धृतराष्ट्र के पुत्रों को महाभारत गाथा में 'खलनायक' बताया गया है कितु उनमें भी कुछ गुण अवश्य ही थे, लेकिन नीच बुद्धि के कारण वे सभी लुप्त हो गए।
महाभारत कथा में आप का सबसे प्रिय पात्र कौन है और क्यों?महाभारत में कृष्ण ही सबसे पसंदीदा पात्र है। क्युकी वो कृष्ण है। वैसे तो महाभारत के सभी पात्र महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे सभी मानव के कोई न कोई पहलू हैं और हर पहलू एक दूसरे पहलू से जुड़ा हुआ है और अगर हम किसी एक पहलू को छोड़ देते हैं तो फिर हम जिन्दगी के महाभारत को समझने में असमर्थ हो जाते हैं।
महाभारत में कुल कितने पात्र हैं?युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे, जिनके नाम थे- धृतराष्ट्र, दुर्योधन, दुशासन, कर्ण, शकुनि, भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, कृतवर्मा, श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी एवं विदुर।
महाभारत में कौन से पात्र दृष्टिहीन थे?धृतराष्ट्र: महाराज विचित्रवीर्य की पहली पत्नी अंबिका के पुत्र थे। वे विदुर से छोटे तथा पाण्डु के बड़े भाई थे। धृतराष्ट्र जन्म से ही नेत्रहीन थे।
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