मुंह की खा जाते हैं क्या है? - munh kee kha jaate hain kya hai?

मुँह की खाना मुहावरे का क्या अर्थ है?

(A) हार जाना
(B) ​गिर पड़ना
(C) भोजन खा लेना
(D) भाग जाना

Question Asked : UP SSSC आशुलिपिक सामान्य चयन परीक्षा 2008

मुँह की खाना मुहावरे का अर्थ है– नीचा दिखाना, बेइज्जत होना। वाक्य प्रयोग : कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। मुहावरा उन वाक्य अथवा वाक्यांश को कहते हैं, जो अपने शब्दों का सामान्य अर्थ न प्रकट कर, कुछ विलक्षण ही अर्थ जताते हैं। जैसे-खाने के बारें में सुनते ही उसके पेट में चूहे कूदने लगे। मुहावरा शब्द मूलत: अरबी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है-अभ्यास करना। हिन्दी के कुछ विद्धान मुहावरा शब्द को 'वाग्धारा' अथवा ''रोजमर्रा' भी कहते हैं। किन्तु प्रचलित भाषा में 'मुहावरा' ही है।....अगला सवाल पढ़े

Tags : मुहावरे सामान्य हिन्दी प्रश्नोत्तरी

Useful for : UPSC, State PSC, SSC, Railway, NTSE, TET, BEd, Sub-inspector Exams

Latest Questions

मुंह की खा जाते हैं क्या है? - munh kee kha jaate hain kya hai?

जानिए की मुंह में खाना जाने से लेकर बाहर आने तक हमारे शरीर में उसके साथ क्या क्या होता है?

जानिए की मुंह में खाना जाने से लेकर बाहर आने तक हमारे शरीर में उसके साथ क्या क्या होता है?

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 11, 2019, 13:15 IST

    अपनी पसंद के खाने पीने की चीज़ें देखकर हमेशा हमारी जीभ लपलपाती रहती है. पेट भरा होने पर भी मन ललचाता रहता है और हम सामने रखा खाना तुरंत खा लेते हैं. हमारे मुंह में जो खाना हम डालते हैं वह हमारे भूख आखिर मिटाता कैसे है? मुंह में एक कौर डालते ही उसके साथ क्या क्या होता है?

    हमारा पाचन तंत्र बड़े गज़ब तरीके से डिज़ाइन  हुआ तंत्र है जो खाने को पोषक तत्वों में बदलने में माहिर है. हमारा शरीर इन्ही पोषक तत्वों से एनर्जी लेकर अपना काम करता है.
    जानिए की मुंह में खाना जाने से लेकर बाहर आने तक हमारे शरीर में उसके साथ क्या क्या होता है?

    मुंह
    हमारा मुंह हमारे पाचन तंत्र का भी मुंह है. यह कहना भी गलत नहीं होगा की खाना पचाने की पहली कड़ी यहीं से शुरू हो जाती है. जैसे ही आप रोटी, चावल या किसी भी भोजन का एक कौर तोड़ते हैं हमारे दांत इसे छोटे टुकड़ों में बांट कर पचाने के लिए आसान करते हैं. हमारे मुंह में मौजूद लार खाने को नरम बनती है और उसे तोड़ने की प्रक्रिया को आसान करती है.

    गला
    चबाए गए खाने के लिए अगला कदम हमारा गला होता है. खाने के बारीक टुकड़े गले के ज़रिये एसोफेगस में जाते हैं. एसोफेगस वह नहीं है जिसके ज़रिये खाना पेट तक पहुंचता है.

    एसोफेगस
    इसे स्वालो ट्यूब भी कहते हैं क्योंकि यह बिलकुल किसी पाइप जैसा होता है जिसके एक तरफ नल लगा हुआ है. आप उस नल को अपना मुंह समझ सकते हैं. एसोफेगस सिकुड़कर और फैलकर एक प्रक्रिया के ज़रिये खाने को पेट तक पहुंचती है. इस प्रक्रिया को पेरिस्टॉसिस कहते हैं.

    पेट से जुड़ने से ठीक पहले एक हाई प्रेशर वाल्व होता है जिसे स्पिन्क्टर कहते हैं. यह वाल्व बिलकुल किसी मशीन में लगे वाल्व जैसा होता है. यह पेट तक खाना पहुँचाने में तोह मदद करता ही है बल्कि यह भी ध्यान रखता है की खाना वापस ना आ जाए.

    पेट
    बहुत बार कहा जाता है कि इतना मत खाओ कि पेट फट जाए. यह पेट फट जाने वाला मुहावरा बिलकुल ठीक है क्योकि पेट मोटी दीवारों वाला थैली नुमा ऑर्गन है जिसमें खाना जाता है. यह हमारे शरीर का मिक्सर ग्राइंडर भी है. एसिड और ऐंज़ाइम छोड़कर यह खाने को छोटा करता है पेस्ट बनाकर छोटी आंत में भेज देता है. जब खाना पेट को छोड़ता है तब वह पानी या पतला पेस्ट बन चूका होता है. अभी तक इस पेस्ट से हमारा पेट तो भर चुका होता है लेकिन हमारे शरीर को पोषक तत्व नहीं मिले होते.

    मुंह की खा जाते हैं क्या है? - munh kee kha jaate hain kya hai?

    छोटी आंत

    हमारे शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं जब खाना छोटी आंत में पहुंच जाता है. छोटी आंत तीन अलग भागों से बनी होती है. डुडेनम, जेजुनम और ईलम. 20 फ़ीट लम्बी यह अंत हमारे शरीर में कुंडली बनाने बैठे किसी सांप सी होती हैं. छोटी आंत लिवर और पैंक्रियास की मदद से खाने को और बारीक करके पचाती है.

    छोटी आंत में  बाइल नाम का तत्व हमारे खाने से एक्स्ट्रा फैट निकाल बहार करता है और खून से कचरा भी अलग कर देता है. डुडेनम अभी भी कहानी को बारीक करने का काम करता रहता है और जेजुनम और ईलम  से उसमें मौजूद पोषक तत्व खून के ज़रिये  शरीर को मिलते हैं.

    पेट और छोटी आंत अकेले ही खाना नहीं पचा पाते हैं. उनकी मदद करते हैं ये तीन छोटे लेकिन बेहद ज़रूरी ऑर्गन -

    पैंक्रियास - यह छोटी आंत मैं कुछ एंजाइम छोड़ता है. यह एंजाइम खाने से प्रोटीन, फैट और कार्बोहायड्रेट खींचकर शरीर को देने में मदद करते हैं.

    लीवर- लीवर के बहुत सारे काम हैं लेकिन दो सबसे बड़े और ज़रूरी काम जो यह शरीर के लिए करता है वह हैं - बाइल छोड़ना और उस खून को साफ़ करना जो सब पोषक तत्व लेने के बाद छोटी आंत से निकलता है.

    गॉलब्लैडर- यह ऑर्गन लिवर के ठीक नीचे लगा एक छोटा सा टैंक है जो बाइल इकठ्ठा करता है. बाइल लिवर में बनता है और उसके बाद अगर उसे इकठ्ठा करने की ज़रूरत पड़े तो सिस्टिक डक्ट के ज़रिये गारब्लैडर तक पहुंच जाता है. खाना खाने वक़्त, गॉलब्लेडर सिकुड़ता है और छोटी आंत में बाइल पहुंचता रहता है.

    एक बार जब पोषक तत्व खाने से निकाल लिए जाते हैं तो बाकी बचा हुआ तरल और ठोस छोटी आंत से बड़ी आंत में पहुंच जाता है.

    मुंह की खा जाते हैं क्या है? - munh kee kha jaate hain kya hai?

    बड़ी आंत
    बड़ी आंत को कोलोन भी कहा जाता है. यह 5 - 6 फ़ीट लम्बी  आंत सीसम को रेक्टम से जोड़ती है. यह चार कोलोन से मिलकर बनती है. सीसम कोलोन, लेफ्ट कोलोन, राइट कोलोन और एस कोलोन जिसे उसकी S शेप की वजह से एस कोलोन कहते हैं.

    सिकुड़ते- बढ़ते हुए बड़ी आंत छोटी आंत से छोड़े गए कचरे को पहले पानी के रूप में और फिर ठोस रूप में अलग करती है. इसके बाद यह पूरा ठोस एस कोलोन में जमा होता है जब तक कि दिन में एक या दो बार यह खली न हो जाए.  आम तौर पर खाने को कोलोन तक पहुंचने में 36  घंटे लगते हैं.  जो कुछ बैक्टीरिया या कचरा बचता है वह  जब बड़ी आंत भर जाती है तब वह यह सब रेक्टम में शिफ्ट कर देती है. रेक्टम में इस ठोस कचरे को बाहर निकालने का काम होता है.

    रेक्टम
    रेक्टम एक आठ इंच लंबा चैम्बर होता है कोलन को ऐनस के साथ जोड़ता है. यह रेक्टम का काम होता है कि वह सारा कचरा कोलोन से लेकर  ऐनस तक पहुंचाए. रेक्टम में जमा कचरा या स्टूल तब तक वहां रहता है जब तक गैस या और स्टूल रेक्टम तक न आए. जैसे ही और स्टूल आता है, रेक्टम ऐनस के ज़रिये खाली हो जाता है. यह सब हमारा  दिमाग तय करता है.

    ऐनस
    ऐनस पूरे पाचन तंत्र और उसकी मशीन का आखिरी हिस्सा होता है. यहां दो तरह की मांसपेशियां होती हैं जो पूरे स्टूल को बाहर करती हैं.undefined

    ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

    Tags: Eat healthy, Food diet, Health tips

    FIRST PUBLISHED : July 11, 2019, 13:13 IST

    मुंह की खाने का मुहावरा क्या होगा?

    मुँह की खाना मुहावरे का अर्थ है

    मुंह ताकना का अर्थ क्या है?

    विशेषज्ञ (EXPERT) वाक्य में प्रयोग - उसका ज़वाब सुनकर तो हम उसका मुँह ताकते रह गए ।

    खाक छानना मुहावरे का अर्थ क्या है?

    स्पष्टीकरण: 'खाक छानना' मुहावरे का उचित अर्थ 'भटकना' है।

    पौ बारह का क्या अर्थ है?

    'पौ बारह होना' मुहावरे का अर्थ है खूब लाभ प्राप्त करना, अत: उचित विकल्प 3 है, अन्य विकल्प असंगत है। 'पौ बारह होना' का अर्थ बहुत अधिक लाभ प्राप्त करना होता है।