हिंदी न्यूज़ धर्मयहां से संजीवनी बूटी लाए थे पवनपुत्र, गांव वाले आज भी हैं नाराज Show
यहां से संजीवनी बूटी लाए थे पवनपुत्र, गांव वाले आज भी हैं नाराजदेवभूमि उत्तराखंड में एक गांव ऐसा भी है जहां के लोग पवनपुत्र हनुमान जी से आज तक नाराज हैं। यह गांव है द्रोणागिरि। इस गांव में हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती है और न ही लाल पताका फहराई जाती है।...Arpanलाइव हिन्दुस्तान टीम,मेरठFri, 19 Oct 2018 06:25 AM देवभूमि उत्तराखंड में एक गांव ऐसा भी है जहां के लोग पवनपुत्र हनुमान जी से आज तक नाराज हैं। यह गांव है द्रोणागिरि। इस गांव में हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती है और न ही लाल पताका फहराई जाती है। चमोली क्षेत्र में आने वाले द्रोणागिरि गांव के लोगों में मान्यता है कि जब लक्ष्मण जी को शक्ति लगी तब हनुमान जी जिस पर्वत को संजीवनी बूटी के लिए उठाकर ले गए, वह यहीं स्थित था। द्रोणागिरि के लोग इस पर्वत की पूजा करते थे। ग्रामीणों के मुताबिक जिस वक्त हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने आए, तब पहाड़ देवता ध्यान मुद्रा में थे। हनुमान जी ने पहाड़ देवता से इसके लिए अनुमति भी नहीं ली और न ही उनकी साधना पूरी होने का इंतजार किया। इसलिए यहां के लोग हनुमान जी द्वारा इस पर्वत उठा ले जाने से नाराज हो गए। कहा जाता है कि जब हनुमान जी यहां पहुंचे तो गांव में उन्हें एक वृद्धा दिखाई दी। उन्होंने पूछा कि संजीवनी बूटी किस पर्वत पर होगी। वृद्धा ने द्रोणागिरि पर्वत की तरफ इशारा कर दिया। हनुमान जी पर्वत पर गए लेकिन संजीवनी बूटी की पहचान नहीं कर पाए और पर्वत के काफी बड़े हिस्से को तोड़कर ले गए। बताते हैं कि इसका पता लगने पर गांव वासियों ने वृद्धा का सामाजिक बहिष्कार कर दिया और आज भी इस गांव के लोग अपने आराध्य पर्वत की विशेष पूजा पर महिलाओं के हाथ का दिया नहीं खाते हैं। इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओंपर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत कियागया है। Ramayan: मेघनाथ जिसे इंद्रजीत भी कहा जाता है. उसके पास कई मायवी शक्तियां थी जिसे उसने अपने तप के बल पर हासिल किया था. राम-रावण के युद्ध में जब वह रणभूमि में उतरा तो उसने भगवान राम की सेना हजारों सैनिकों को मार दिया. लक्ष्मण उसे रोकने के लिए आए तो उसने लक्ष्मण जी पर शक्ति अस्त्र से प्रहार किया. जिससे वह मूर्छित होकर गिर पड़े. दूरदशर्न पर पुन: प्रसारित की जा रही है रामायण में लक्ष्मण और मेघनाथ युद्ध की खूब चर्चा हो रही है. मेघनाथ रावण का पुत्र था और बहुत शक्तिशाली था. उसने जब लक्ष्मण को शक्ति अस्त्र से मूर्छित कर दिया तो राम की सेना में शोक की लहर फैल गई. स्वयं प्रभु श्रीराम दुखी हो गए. लक्ष्मण को स्वस्थ्य करने के कई प्रयास किए गए लेकिन वे सभी असफल साबित हुए. तब वैद्य सुषेण ने इसका उपाय बताया और कहा कि लक्ष्मण को तभी ठीक किया जा सकता है जब इन्हें संजीवनी बूटी का सेवन कराया जाए. सुषेण लंकापति रावण के राजवैद्य थे. जिन्हें हनुमान लंका से भवन सहित उठा लाए थे. सुषेण वैद्य ने बताया कि हिमालय के मंदार पर्वत पर संजीवनी बूटी है. अगर ये संजीवनी बूटी मिल जाए तो लक्मण जी को होश में लाया जा सकता है. बूटी लाने के लिए हनुमान जी ने भगवान राम से तुरंत ही आज्ञा ली. सुषेण ने हनुमान जी को बूटी का रंग-रूप और पहचान सभी के बारे में जानकारी दे दी. हनुमान जी उड़ कर मंदार पर्वत पहुंचे. लेकिन वहां एक ही तरह की लाखों जड़ी-बूटियाँ देख कर भ्रमित हो गए.उन्हें जब कुछ समझ में नहीं आया तो वे समूचा पर्वत ही उखाड़ कर ले आए. समय सीमा के भीतर हनुमान संजीवनी बूटी को ले आए. इसके बाद सुषेण वैद्य ने बूटी से दवा तैयार कर लक्ष्मण को दी जिससे वह तुरंत ही स्वस्थ्य हो गए और पहले से भी अधिक शक्ति का अनुभव करने लगे. इसके बाद वे मेघनाथ से पुन: युद्ध के लिए तैयार हो गए. Ramayan: कुंभकर्ण भूत और भविष्य का था ज्ञाता, जानिए युद्ध में जाने से पहले रावण को क्यों लगाई थी फटकार ये है लक्ष्मण को 'जिंदा' करने वाली उस रहस्यमयी संजीवनी बूटी का सच..!रामायण की कथा कहती है कि 'मूर्छित' लक्ष्मण को जीवित करने के लिए हिमालय की कंदराओं से हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए थे. त्रेतायुग की यह कहानी आज सुनने में अविश्वसनीय सी लगती है. ऐसे में संजीवनी बूटी का सच क्या था? इसकी रहस्यमयी खुराक आखिर कैसे एक इंसान को जीवित कर देती थी? आइए जानते हैं. (Image Source: File Photo and still).
1/ 15 रामायण की कथा कहती है कि 'मूर्छित' लक्ष्मण को जीवित करने के लिए हिमालय की कंदराओं से हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए थे. त्रेतायुग की यह कहानी आज सुनने में अविश्वसनीय सी लगती है. ऐसे में संजीवनी बूटी का सच क्या था? इसकी रहस्यमयी खुराक आखिर कैसे एक इंसान को जीवित कर देती थी? आइए जानते हैं.. 2/ 15 लक्ष्मण के मूर्छित होने पर विभीषण के कहने पर लंका से वैद्य सुषेण को बुलाया गया. सुषेण ने आते ही कहा कि लक्ष्मण को अगर कोई चीज बचा सकती है ते वो हैं चार बूटियां-मृतसंजीवनी, विशालयाकरणी, सुवर्णकरणी और संधानी बूटियां. ये सभी बूटियां सिर्फ हिमालय पर मिल सकती थीं. 3/ 15 हनुमान आकाशमार्ग से चलकर हिमालय पर्वत पहुंचे. सुषेण ने संजीवनी को चमकीली आभा और विचित्र गंध वाली बूटी बताया था. पहाड़ पर ऐसी कई बूटियां थीं. पहचान न पाने के कारण हनुमानजी पर्वत का एक हिस्सा ही तोड़कर उठा ले गए थे. 4/ 15 पहाड़ लेकर युद्धक्षेत्र पहुंचे हनुमान ने पहाड़ वहीं रख दिया. वैद्य ने संजीवनी बूटी को पहचाना और लक्ष्मण का उपचार किया. लक्ष्मण ठीक हो गए और राम ने रावण को युद्ध में पराजित कर दिया. हनुमान का लाया वो पहाड़ वहीं रखा रहा. 5/ 15 उस पहाड़ को आज सारी दुनिया रूमास्सला पर्वत के नाम से जानती है. श्रीलंका की खूबसूरत जगहों में से एक उनावटाना बीच इसी पर्वत के पास है. उनावटाना का मतलब ही है आसमान से गिरा. 6/ 15 श्रीलंका के दक्षिण समुद्री किनारे पर कई ऐसी जगहें हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वहां हनुमान के लाए पहाड़ के टुकड़े गिरे थे. इनमें रूमास्सला हिल सबसे अहम है. खास बात ये कि जहां-जहां ये टुकड़े गिरे, वहां-वहां की जलवायु और मिट्टी बदल गई. 7/ 15 जहां तक बात जड़ी बूटियों की है, प्रकृति के गर्भ में ऐसी कई बूटियां हैं जो कौमार्य बढ़ाने से लेकर स्वास्थ्यवर्धन में लाभदायक हैं. संजीवनी बूटी भी इसी तरह की वनस्पति है जिसका उपयोग चिकित्सा कार्य के लिए किया जाता है. 8/ 15 इसका वैज्ञानिक नाम सेलाजिनेला ब्राहपटेर्सिस है और इसकी उत्पत्ति लगभग तीस अरब वर्ष पहले कार्बोनिफेरस युग से मानी जाती हैं. लखनऊ स्थित वनस्पति अनुसंधान संस्थान में संजीवनी बूटी के जीन की पहचान पर कार्य कर रहे पांच वनस्पति वैज्ञानिको में से एक डॉ. पी.एन. खरे के अनुसार संजीवनी का संबंध पौधों के टेरीडोफिया समूह से है, जो पृथ्वी पर पैदा होने वाले संवहनी पौधे थे. 9/ 15 उन्होंने बताया कि नमी नहीं मिलने पर संजीवनी मुरझाकर पपड़ी जैसी हो जाती है, लेकिन इसके बावजूद यह जीवित रहती है और बाद में थोड़ी सी ही नमी मिलने पर यह फिर खिल जाती है. यह पत्थरों तथा शुष्क सतह पर भी उग सकती है. इसके इसी गुण के कारण वैज्ञानिक इस बात की गहराई से जांच कर रहे है कि आखिर संजीवनी में ऐसा कौन सा जीन पाया जाता है जो इसे अन्य पौधों से अलग और विशेष दर्जा प्रदान करता है.
10/ 15 हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी असली पहचान भी काफी कठिन है क्योंकि जंगलों में इसके समान ही अनेक ऐसे पौधे और वनस्पतियां उगती है जिनसे आसानी से धोखा खाया जा सकता है. मगर कहा जाता है कि चार इंच के आकार वाली संजीवनी लंबाई में बढ़ने के बजाए सतह पर फैलती है. 11/ 15 संजीवनी बूटी हार्ट स्ट्रोक, अनियमित मासिक धर्म, डिलिवरी के समय, जॉन्डिस में लाभदायक है. 12/ 15 रामायण की कथा में लक्ष्मण को मेघनाथ का बाण लगने के बाद 'मूर्छित' बताया गया है. संभव है कि संजीवनी बूटी ने लक्ष्मण को इसी पीड़ा से मुक्त किया हो. जानकार मानते हैं कि आजकल 1-2 साल में चीजें तेजी से बदल जाती हैं. त्रेतायुग को बीते सदियां हो गईं, ऐसे में निश्चित ही संजीवनी बूटी में अंतर आया होगा. और हो सकता है आज वह अपने हल्के रूप में हमारे बीच है. 13/ 15 इन जगहों पर मिलने वाले पेड़-पौधे श्रीलंका के बाकी इलाकों में मिलने वाले पेड़-पौधों से काफी अलग हैं. रूमास्सला के बाद जो जगह सबसे अहम है वो है रीतिगाला. हनुमान जब संजीवनी का पहाड़ उठाकर श्रीलंका पहुंचे, तो उसका एक टुकड़ा रीतिगाला में गिरा. 14/ 15 रीतिगाला की खासियत है कि आज भी जो जड़ी-बूटियां उगती हैं, वो आसपास के इलाके से बिल्कुल अलग हैं. दूसरी जगह है हाकागाला. श्रीलंका के नुवारा एलिया शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर हाकागाला गार्डन में हनुमान के लाए पहाड़ का दूसरा बडा़ हिस्सा गिरा. 15/ 15 इस जगह की भी मिट्टी और पेड़ पौधे अपने आसपास के इलाके से बिल्कुल अलग हैं. पूरे श्रीलंका में जगह-जगह रामायण की निशानियां बिखरी पड़ी हैं. हर जगह की अपनी कहानी है, अपना प्रसंग है. First published: January 30, 2018, 18:43 IST लक्ष्मण का उपचार किसने किया संजीवनी बूटी कौन लाए?जब रावण के पुत्र मेघनाद के साथ हुए भीषण युद्ध में लक्ष्मण घायल होकर मूर्छित हो गये, तब सुषेण ने ही लक्ष्मण की चिकित्सा की थी। उसके यह कहने पर कि मात्र संजीवनी बूटी के प्रयोग से ही लक्ष्मण के प्राण बचाये जा सकते हैं, राम भक्त हनुमान ने वह बूटी लाकर दी और लक्ष्मण के प्राण बचाये जा सके।
संजीवनी बूटी कौन लेकर आया था?हनुमान जी जिस पर्वत को उठाकर ले आए थे, वो आज भी चर्चित है। श्रीलंका में इस पर्वत को रूमास्सला पर्वत के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि आज भी इस पर्वत पर संजीवनी बूटी पाई जाती है। इसी के साथ श्री लंका में दक्षिणी समुद्री किनारे पर कई स्थानों पर हनुमान जी द्वारा लाए गए पहाड़ के टुकड़े पड़े हैं।
लक्ष्मण की चिकित्सा के लिए कौन सी बूटी मंगवाई गई थी?रामायण की कथा कहती है कि 'मूर्छित' लक्ष्मण को जीवित करने के लिए हिमालय की कंदराओं से हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए थे.
लक्ष्मण का सफल इलाज करने वाले वैध का क्या नाम था?सुषेण वैद्य रामायण के अनुसार लंका में वैद्य थे। उन्होंने इंद्रजीत द्वारा लक्ष्मण को मूर्छित कर देने पर उनकी चिकित्सा की थी।
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