खुशबू रचते हैं हाथ कविता में कवि ने किस सच को प्रकट किया है तथा कैसे? - khushaboo rachate hain haath kavita mein kavi ne kis sach ko prakat kiya hai tatha kaise?

‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में निहित विडंबना को प्रकट कीजिए।


खुशबू रचने वाले हाथ आर्थिक अभावों में गंदी गलियों में रहते हैं जहाँ छोटी-छोटी गालियाँ, नालों व कूड़े के ढेर हैं। अगरबत्तियाँ बनाने वाले नगरों, कस्बों और बस्तियों से दूर गंदे स्थानों पर रहकर तरह-तरह की सुगंधों से युक्त अगरबत्तियाँ बनाते हैं। स्वयं ऐसे बदबूदार वातावरण में रहकर दूसरे लोगों को खुशबूदार अगरबत्तियाँ प्रदान करते हैं। अपने आप को इन गरीब मजदूरों से दूर रख सभ्य समाज के लोग जब अगरबत्तियाँ जलाते हैं, परमात्मा को प्रसन्न करने की कामना करते हैं या अपने वातवरण को सुगंधित बनाने के लिए इनका उपयोग करते हैं तो कभी नहीं सोचते कि इन्हें बनाने वाले कौन हैं? कैसे हैं? किस हालत में रहते हैं।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?


‘बसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से अभिप्राय है- ‘एक लंबा अंतराल’ जिस प्रकार दोनों ऋतुओं के बीच एक लंबा समय बीतने से परिस्थितियों में काफी परिवर्तन आ जाता है। जैसे कवि ने कभी बसंत की बहार देखी थी तो आज उसे पतझड़ का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए कवि को पुराने निशान ढूँढने पड़ते हैं क्योंकि काल और परिस्थितियों में परिवर्तन आता है।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
कवि ने इस कविता में 'समय की कमी' की ओर क्यों इशारा किया है?


कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी’ की ओर इसलिए इशारा किया है क्योंकि इस परिवर्तनशील संसार में हर व्यक्ति अपने-अपने ढंग से अपने-अपने कार्य में व्यस्त है। परिस्थितियों में बड़ी तीव्रता से बदलाव आ रहा है। मनुष्य पहले से अधिक गतिशील हो गया है। सबके पास समय का अभाव है। इसलिए मन में केवल एक उम्मीद बची है कि शायद कोई जाना-पहचाना व्यक्ति उसे पहचानकर पुकार ले।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है?


कवि अपने निर्धारित घर से एक घर पीछे या आगे इसलिए चल देता है क्योंकि अब पुराने इलाके का रूप परिवर्तित हो चुका है। वहाँ पर नई-नई ऊँची इमारतें बन चुकी हैं। उसने कई निशानियाँ बना रखी थी परन्तु निशानियाँ न मिलने के कारण, नव-निर्माण हो जाने के कारण कवि को दिशा भ्रम हो जाता है। वह स्मृति के आधार पर पुराने निशानों को खोजता ही रह जाता है।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?


कवि नए बसते इलाकों में रास्ता इसलिए भूल जाता है क्योंकि ययुहाँनित नया निर्माण होता रहता है। नित नई घटनाएँ घटती रहती हैं। यहाँ प्रतिदिन पुरानी इमारतें टूटती हैं। नए-नए मकान बन जाते हैं। अपने निर्धारित स्थान पर जाने के लिए जो निशानियाँ बनाई गई होती हैं, वे जल्दी ही मिट जाती हैं। इसलिए कवि को दिशा भ्रम हो जाता है।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?


कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है-
1. पीपल का पेड़
2. खंडहर बना मकान
3. ज़मीन का खाली टुकड़ा
4. दो मकानों के बाद, ररंगीन-लोहे के फाटक वाला एक मंजिला मकान आदि।

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खुशबू रचते हैं हाथ कविता में कवि ने किस सच को प्रकट किया है और कैसे?

नये इलाके में - अरुण कमल 'खुशबू रचते हैं हाथ' में निहित विडंबना को प्रकट कीजिए। खुशबू रचने वाले हाथ आर्थिक अभावों में गंदी गलियों में रहते हैं जहाँ छोटी-छोटी गालियाँ, नालों व कूड़े के ढेर हैं। अगरबत्तियाँ बनाने वाले नगरों, कस्बों और बस्तियों से दूर गंदे स्थानों पर रहकर तरह-तरह की सुगंधों से युक्त अगरबत्तियाँ बनाते हैं

खुशबू रचते हाथ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?

(ग) कवि ने 'खुशबू रचते हैं हाथ' कहकर श्रमिकों के श्रम का जयगान किया है। कवि कहना चाहता है कि मजदूरों के हाथ ही अगरबत्तियों का निर्माण करते हैं तथा सारी दुनिया को सुगंध से महमह कर देते हैं। (घ) जिस बस्ती में, जिस गली-मुहल्ले में अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का वातावरण बहुत गंदगी भरा होता है।

खुशबू रचते हैं हाथ कविता में कवि ने किस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहा है और क्यों?

'खुशबू रचते हैं हाथ' कविता में बाल श्रम और श्रमिक जीवन की समस्या को उभारते हुए समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। अगरबत्तियों और धूप (खुशबूदार पदार्थ) से मंदिरों और घरों को महकाने वाले लोग बदबूदार जगहों पर रहने के लिए विवश हैं

खुशबू रचते हैं हाथ कविता का भाव क्या है?

इस पाठ की दूसरी कविता 'खुशबू रचते हैं हाथ' में कवि ने सामाजिक विषमताओं को बेनकाब किया है। इस कविता में कवि ने गरीबों के जीवन पर प्रकाश डाला है। कवि कहता है कि अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर व्यक्ति करता है। इस कविता में कवि ने उन खुशबूदार अगरबत्ती बनाने वालों के बारे में बताया है जो खुशबू से कोसों दूर है।