रायगढ़। कैंसर नाम सुनते ही लोगों में खौफ बन जाता है। शरीर के विभिन्न हिस्सों में कैंसर हो सकता है। कई बार यह जानलेवा हो जाता है। अगर सही समय पर कैंसर की पहचान कर समय पर उसका उपचार शुरू कर दिया जाए, तो कैंसर ठीक हो जाता है। सही समय पर जांच अौर उपचार नहीं होने के कारण यह लाइलाज हो जाता है। जिले में कैंसर के मरीजों का अलग से कोई आंकड़ा नहीं है। Show अब कैंसर से डरें नहीं, जानें और बचाव करें। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही आम आदमी के होश उड़ जाते हैं। रोगी को मौत सामने दिखाई देती है। वह जिंदा रहने की उम्मीद ही छोड़ देता है। रोगी के साथ-साथ पूरा परिवार भीषण मानसिक परेशानी संत्रास से गुजरता है। लोगों को लगता है कि इसका कोई इलाज नहीं है। पर ऐसा नहीं है। अगर सही समय पर कैंसर की पहचान हो जाए और समय पर मरीज का इलाज शुरू हो जाए, तो वह ठीक हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि लोग कैंसर को जानें, उसे समझें और उसके लक्षणों को पहचान कर चिकित्सक से संपर्क करें। तंबाकू, शराब जैसी चीजों से दूर रहकर माउथ कैंसर, लीवर कैंसर से बचा जा सकता है। चिकित्सकों का मानना है कि कैंसर को लाइलाज मानने के पीछे एक बड़ा कारण -शेष|पेज14 यह है कि कैंसर के मरीज लगभग आखिरी स्टेज में कैंसर के डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। तब तक संक्रमण पूरे शरीर में फैल चुका होता है और मरीज की प्रतिरोधक शक्ति भी कमजोर पड़ जाती है। यही कारण है कि कैंसर से होने वाली मौतों की दर बहुत अधिक होती है और लोग इसे लाइलाज मानने लगते हैं। अगर सही समय पर इसकी पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो कैंसर सिर्फ काबू में सकता है, बल्कि कई मामलों में पूरी तरह ठीक भी हो सकता है। इन लक्षणों को लें गंभीरता से कैंसर के सही लक्षणों की पहचान तो डॉक्टर ही कर सकता है। पर लगातार वजन घटना, बुखार का बना रहना, भूख में लगातार कमी, गले में खराश, थूक में खून आना, किसी घाव का लगातार बना रहना या सामान्य संक्रमण से बार-बार पीडि़त होना, ऐसे लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए। ऐसे लक्षण आने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। स्तन कैंसर की जांच के लिए महिलाओं को घर पर ही अपने स्तन की बारीकी से जांच करनी चाहिए। स्तन में गांठ या किसी स्थान पर लगातार कड़ापन लगातार बना रहे, तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। क्या होता है कैंसर सामान्य भाषा में कैंसर दरअसल शरीर की कोशिकाओं की अचानक वृद्धि होना है। जब शरीर के किसी अंग की कोशिकाओं में असामान्य रूप से बढऩे लगती हैं और इसके प्रभाव से अंग खराब होने लगते हैं, तो इसे कैंसर कहा जाता है। कैंसर शरीर में किसी भी स्थान पर हो सकता है। पर कुछ प्रकार के कैंसर के केस अधिक आते हैं। जैसे दुनिया भर में महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे ज्यादा आम है। इसी तरह माउथ कैंसर, बोन कैंसर लीवर कैंसर के मरीज भी काफी संख्या में हैं। बिना चोट के हड्डी का टूटना, कम समय में अचानक सूजन तेज दर्द होने जैसे लक्षणों को गंभीरता से लें। यह बोन कैंसर का लक्षण हो सकता है। तत्काल डॉक्टर से जांच कराएं। जल्द डाइग्रोसिस होने से इसका उपचार हो सकता है। डॉ. अनुरंजन टोप्पो, अस्थि रोग विशेषज्ञ उनका कहना है कैंसर कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं। सबसे जरूरी है इसकी जल्द पहचान। समय पर डाइग्नोसिस होने से कैंसर का इलाज संभव है। वर्तमान में कई आधुनिक पद्धति और दवाइयां इसके लिए उपलब्ध हैं। डॉ. एनसी नंदे, सिविल सर्जन माउथ कैंसर सहित कई कैंसर की सही समय पर पहचान और इलाज होने से वह ठीक हो सकता है। डॉ. कांति प्रधान, दंत रोग विशेषज्ञ जीतना है बीमारी से तंबाकू खाने वाले, धूम्रपान करने वाले, जंक फूड अधिक खाने वाले और शारीरिक व्यायाम से दूर रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा अनियमित दिनचर्या, असंतुलित खानपान और लगातार तनाव भी कैंसर का कारण बन सकते हैं। कैंसर से बचाव के लिए तीस मिनट का लगातार व्यायाम कैंसर को दूर रखने में मददगार है। इसके अलावा हरी सब्जियां, फल भी शरीर को स्वस्थ रखकर कैंसर का खतरा घटा सकते हैं। धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करें। साथ ही डिब्बाबंद और जंक फूड से बचना चाहिए। इनमें पाए जाने वाले कई रसायन शरीर में कैंसर उत्पन्न कर सकते हैं।आज शहरी जिंदगी की व्यस्तता के कारण लोग अपने खानपान दिनचर्या पर ध्यान नहीं दे पाते हैं और नशे की लत की ओर बढ़ जाते हैं। इसी तरह ग्रामीण जिंदगी में भी तंबाकू,बीड़ी सिगरेट जैसे पदार्थों का सेवन लोगों के जीवन को प्रभावित कर रही है। जिसके कारण अब कैंसर के बड़ी संख्या में मरीज प्रतिवर्ष सामने आने लगे हैं।जिले में भी एक अनुमान के मुताबिक ५० से ६० कैंसर के मरीज प्रतिवर्ष सामने रहे हैं और सही समय में उपचार और जानकारी नहीं होने के कारण असमय मौत के शिकार हो रहे हैं और जिस परिवार में ऐसे मरीज निकल रहे हैं उस परिवार की बड़ी दयनीय स्थिति हो जा रही है।डाक्टरों का मानना है कि सही समय में सही उपचार होने से कैंसर के मरीज ठीक हो सकता है। क्या कैंसर का इलाज कैंसर से भी बदतर है?
कैंसर को बहुत से लोगों ने बहुत भयावह बना दिया गया है, खासकर फिल्मशो के दौरान सरकार द्वारा अनिवार्य रूप से दिखाए जाने वाले विज्ञापनों का इसमें अहम रोल है। इसका मतलब ये नहीं है कि ये एक खतरनाक बीमारी नहीं है, लेकिन उस समय से, जब उन विज्ञापनो का निर्माण नहीं हुआ है, तब से आज तक उपचार के तकनीक में बहुत विकास हो चूका है। इस दृष्टि से वे विज्ञापन सही तस्वीर नहीं दिखाते। कैंसर के इलाज से संबंधित नए तकनीकों ने न केवल इलाज की सफलता दर को बढ़ाया है बल्कि चिकित्सा सत्रों के दौरान और बाद में व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। क्या बदल गया? अगर मैं गलत नहीं हूँ तो आप अभी भी यही सोचते होंगे कि के होंगे कि कैंसर के उपचार के तीन हीं तरीकें है। जैसे –
ऐसा बहुत कुछ है जो तब से किया जा रहा है और आज एक हद तक अकल्पनीय है। केमो आईडी – यह थेरेपी इस तथ्य पर आधारित है कि हर रोगी अलग है इसलिए उनका कैंसर भी। उनके ट्यूमर के टिश्यू का एक छोटा सा नमूना परीक्षण के लिए लिया जाता है और इनके विकास परीक्षण किया जाता है आगे इन्हीं को स्टेम सेल के लिए भी उपयोग करते हैं। इसके बाद केमो ड्रग्स बढियाँ रिजल्ट सुनिश्चित करने के लिए इसका टिश्यू पर परीक्षण करते हैं। फिर यही दवा रोगी को दिया जाता है। थेरेपी का सबसे अच्छा बात है –
रेडिएशन थेरेपी में परिवर्तन – पहले यह माना जाता था कि रेडिएशन थेरेपी कैंसर टिश्यू के साथ साथ नार्मल टिश्यू को भी प्रभावित करती है। तकनीकी प्रगति ने इस परिदृश्य को बदल दिया है जिसे ‘पिन पॉइंट प्रीसिश़न’ कहते हैं। यह तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि क्षति केवल कैंसर वाले हिस्से तक ही सीमित रहे। मरीज को स्थिर सांचे में रखा जाता है, जबकि लीनियर ऐक्सेलरैटर जैसे उपकरण से रोगियों के कैंसर वाले टिश्यू पर एक्स-रे के माध्यम से पॉइंटेड रेडिएशन देते हैं।
अब न केवल उपचार के हिस्से को नया रूप दिया गया है बल्कि कैंसर प्रबंधन के सभी पहलुओं में नए प्रतिमान जोड़े गए हैं। पीईटी पर आधारित पहचान की प्रक्रियाएं जो एक हीं इमेज में शरीर के सारे कैंसर सेल्स को दिखा सकती हैं। इसमें एक कलम के आकर के उपकरण का उपयोग करते हैं जो सभी कैंसर सेल्स को पूरे शरीर में रोशन करती हैं जिससे कैंसर सेल्स और नॉर्मल टिश्यू के बीच अंतर पता चल जाता है। मेरा मानना है अब बदले परिदृश्य में विज्ञापनों के उन भयानक छवियों के जगह लिखित निर्देश दिखाने चाहिए और कीमोथेरेपी लेते हुए मुस्कुराते हुए चेहरे दिखाए जाने चाहिए। डॉ. रणदीप सिंह, डायरेक्टर और सीनियर कंसलटेंट – मेडिकल ऑन्कोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम You may also likeक्या कैंसर को जड़ से खत्म किया जा सकता है?जवाब : संभवत: यह कैंसर ही है। लेकिन यह इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकता है। यानी जड़ से खत्म हो सकता है।
कौन सा कैंसर ठीक हो सकता है?कैंसर सर्वाइवर हैं ये सिलेब्स
कैंसर के कुछ मामले ऐसे होते हैं जो 5 साल के भीतर दोबारा उभरते हैं जबकि कुछ को दोबारा आने में एक दशक से अधिक का समय लग जाता है।
कैंसर का सफल इलाज क्या है?अदरक में एंटी−ऑक्सीडेंटस के साथ-साथ ऐसे एंटी-टॉक्सीन गुण होते हैं जो कैंसर की कोशिकाओं को बाधित करने का काम करते हैं । अदरक प्रोस्टेट कैंसर, लंग कैंसर, ब्रैस्ट कैंसर, स्किन कैंसर और पेट के कैंसर में मददगार है। अदरक कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से होने वाली परेशानी को बहुत कम कर देता है ।
कैंसर का सबसे अच्छा इलाज कहाँ होता है?शीर्ष अस्पताल. फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव. इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली. कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल, मुंबई. फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली. अपोलो अस्पताल, क्रीम रोड, चेन्नई. |