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भारत को तेल आपूर्ति करने वाले दस बड़े देशों में रूस कहां है
29 मार्च 2022 इमेज स्रोत, Getty Images इमेज कैप्शन, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल के बढ़ते दाम भारत सरकार के लिए चिंता का विषय है पश्चिमी देशों के लगाए कड़े प्रतिबंधों के बाद रूस को अपने तेल निर्यात के लिए नए बाज़ारों की तलाश है और भारत अपने आयात को बढ़ाने के लिए रियायती दरों पर मिल रहे तेल का फ़ायदा उठा रहा है. अमेरिका ने कहा कि ये तेल आयात प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं करता लेकिन "रूस का समर्थन करने का मतलब है हमले का साथ देना, जिसके बेशक भयावह परिणाम होंगे." भारत को कहां से मिलता है तेल?तेल खपत में अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है. भारत अपनी ज़रूरत का 80 फ़ीसदी तेल आयात करता है. साल 2021 में, भारत ने रूस से 1 करोड़ 20 लाख बैरल तेल आयात किया था, जो कि उसके कुल आयात का महज़ 2 फ़ीसदी था. बीते साल भारत ने सबसे ज़्यादा तेल मध्य पूर्व से लिया. अमेरिका और नाइजीरिया भी भारत को तेल निर्यात करने वाले शीर्ष देशों में शामिल थे. जनवरी और फ़रवरी महीने में भारत ने रूस से बिलकुल भी तेल आयात नहीं किया. लेकिन कमॉडिटीज़ रिसर्च ग्रुप केपलर के आंकड़ों के मुताबिक़, मार्च और अप्रैल माह के कॉन्ट्रैक्ट अभी से ही 60 लाख बैरल तक पहुंच गए हैं. भारत सरकार का कहना है कि अगर वो रूस से और तेल ख़रीद ले तो भी ये उसके दुनियाभर से किए गए आयातित तेल में एक बूंद के समान होगा. भारत को क्या डील मिल रही है?यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के यूरल क्रूड ऑयल के अब गिने-चुने ख़रीदार रह गए हैं और इसकी कीमत भी घट गई है. केपलर के साथ काम करने वाले एक विश्लेषक मैट स्मिथ कहते हैं, "हम ये नहीं जानते कि भारत वास्तव में कितनी कीमत चुका रहा है लेकिन, ब्रेंट क्रूड की तुलना में बीते सप्ताह यूरल करीब 30 डॉलर प्रति बैरल सस्ता मिल रहा था." आमतौर पर ये दोनों क्रूड ऑयल एक जैसी कीमतों पर बिकते हैं. लेकिन यूरल की कीमत में लगातार गिरावट की वजह से मार्च में एक समय ऐसा आया जब दोनों तेलों के दाम का फ़ासला अब तक के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया. उन्होंने कहा, "इसलिए भारत और चीन संभवतः बड़ी छूट पर ये तेल रूस से खरीदेंगे."
इमेज स्रोत, Getty Images इमेज कैप्शन, भारत अपनी ज़रूरत का 80 फ़ीसदी तेल आयात करता है आर्थिक प्रतिबंधों का क्या असर हो रहा है?रूस के बैंकों पर प्रतिबंध की वजह से भारत की बड़ी रिफ़ाइनिंग कंपनियां इस रियायती दर को भुनाने में चुनौतियों का सामना कर रही हैं. कारोबार में ये समस्या दोनों पक्षों (रूस और भारत) को हो रही है. वित्तीय विश्लेषक ब्लूमबर्ग के अनुमान के अनुसार रूस को निर्यात करने वाली भारतीय इकाइयों का फिलहाल 50 करोड़ डॉलर का भुगतान अटका हुआ है. इस समस्या के समाधान के लिए भारत एक विकल्प पर विचार कर रहा है. इसके तहत स्थानीय मुद्रा में लेन-देन की व्यवस्था होगी, यानी भारतीय निर्यातकों को डॉलर या यूरो की बजाय रूस से रूबल में भुगतान मिलेगा.
वीडियो कैप्शन, यूक्रेन में रूस के कमज़ोर पड़ने की वजह तेल ख़रीदने के लिए भारत के पास और कौन से विकल्प?फ़ाइनेंशियल मार्केट डेटा उपलब्ध करवाने वाली कंपनी रेफ़िनिटिव के विशेषज्ञों के अनुसार फ़रवरी महीने से भारत का अमेरिका से तेल आयात तेज़ी से बढ़ा है. हालांकि, बाज़ार के विशेषज्ञ कहते हैं कि आने वाले समय में यही स्थिति नहीं रहेगी क्योंकि यूक्रेन पर हमले के बाद रूस से आयात रोकने की वजह से अमेरिका को अब अपने तेल की ज़्यादा ज़रूरत होगी. ऐसे भी सुझाव दिए जा रहे हैं कि ईरान के साथ वस्तु विनिमय प्रणाली (बार्टर मकैनिज़म) के तहत व्यापार शुरू किया जा सकता है. भारतीय तेल रिफ़ाइनरी कंपनिया व्यवस्था का इस्तेमाल ईरान से तेल खरीदने के लिए कर सकती हैं. ये व्यवस्था तीन साल पहले रोक दी गई थी, जब अमेरिका ने ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिए थे. लेकिन इस व्यवस्था के बहाल होने की संभावना तब तक नहीं है जब तक ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय उससे बातचीत के बाद किसी बड़े समझौते तक नहीं पहुंचता.
कच्चा तेल रिज़र्व भंडार से निकालने पर भारत को क्या हासिल होगा?
27 नवंबर 2021 अपडेटेड 28 नवंबर 2021 इमेज स्रोत, ANI भारत सरकार ने पेट्रोलियम ईंधन की बढ़ती क़ीमतों पर काबू पाने के लिए अपने रणनीतिक रिज़र्व भंडार से कच्चा तेल निकालने का फ़ैसला लिया है. भारत पहली बार ऐसा कर रहा है. भारत पेट्रोलियम ईंधन का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि भारत 3.8 करोड़ बैरल के अपने रणनीतिक रिज़र्व भंडार से 50 लाख बैरल कच्चा तेल निकालने जा रहा है.
भारत ने यह फ़ैसला अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया से विचार विमर्श के बाद उठाया है. पेट्रोलियम ईंधन की क़ीमत पर अंकुश लगाने के लिए ये देश तेल उत्पादक देशों पर ज़्यादा उत्पादन के लिए दबाव बना रहे हैं. हालांकि अमेरिका अब तक ओपेक देशों को पेट्रोलियम उत्पादन बढ़ाने के लिए तैयार नहीं कर सका है. ऐसी स्थिति में रणनीतिक भंडार से कच्चा तेल निकालना भारत के लिए कितना कारगर होगा, इसको लेकर भारतीय मीडिया ने अनिश्चितता जताई है. इमेज स्रोत, British Petroleum handout अमेरिका और अन्य देशों के साथ तालमेलभारतीय अधिकारियों ने कहा है कि वे रणनीतिक भंडार से पचास लाख बैरल कच्चा तेल निकालने की योजना बना रहे हैं. यह देश भर में एक दिन में होने वाले पेट्रोलियम ईंधन की खपत जितना भंडार है. यह भंडार हिंदुस्तान पेट्रोलियम और मैंगलोर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) को मिलेगा, क्योंकि विशाखापत्तनम, मैंगलुरु और पादुर स्थित रणनीतिक रिज़र्व भंडार से सीधे भूमिगत पाइपलाइन के ज़रिए ये रिफ़ाइनरी से जुड़े हैं. भारतीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, "दुनिया भर के प्रमुख उपभोक्ताओं, अमेरिका, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से विमर्श करने के बाद ही कच्चा तेल निकाला जा रहा है." ऐसा क्यों किया जा रहा है?तेल की बढ़ती क़ीमत के बीच हाल ही में अधिकारियों ने पेट्रोल-डीज़ल पर टैक्स में कटौती की है, जिसकी वजह से भारत को 60 हज़ार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है. भारतीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "भारत का स्पष्ट तौर पर मानना है कि पेट्रोलियम ईंधन की क़ीमत का निर्धारण उचित ढंग से, ज़िम्मेदारी के साथ बाज़ार की ताक़तें करें. मांग की तुलना में तेल उत्पादक देश कम आपूर्ति कर रहे हैं, इसको लेकर भारत ने लगातार चिंता जताई है. इससे तेल की क़ीमतें बढ़ेंगी और नकारात्मक असर देखने को मिलेगा." पेट्रोलियम तेल की बढ़ती क़ीमत से भारत को आयात के लिए कहीं ज़्यादा पैसों का भुगतान करना होगा. इससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और व्यापार घाटा बढ़ सकता है. अख़बार द टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि तेल की क़ीमतों में वृद्धि से भारत में मुद्रास्फीति बढ़ रही है और इस कारण कोविड-19 महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने में परेशानी होगी.
द इंडियन एक्सप्रेस से नाम ना ज़ाहिर करने की शर्त पर एक भारतीय अधिकारी ने कहा, "रूस और सऊदी अरब के प्रयासों के कारण वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी हैं. अमेरिका ने रिज़र्व भंडार से तेल निकालने की घोषणा की है, तो हम इस क़दम से सहयोग कर रहे हैं ताकि कच्चे तेल की कीमतें नियंत्रण में रहें." द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्टील और बुनियादी कच्चे माल की क़ीमतों को क़ाबू में करने के लिए इसी तरह के क़दम उठाए जा सकते हैं. सांकेतिक है भारत का फ़ैसलाभारतीय मीडिया में सरकार के इस फ़ैसले को पेट्रोलियम क़ीमतों पर नियंत्रण के बदले एक सांकेतिक क़दम के रूप में भी देखा जा रहा है. इस फ़ैसले से तेल की क़ीमतों के कम होने की उम्मीद संबंधित अधिकारियों को भी नहीं है. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में एक भारतीय अधिकारी के हवाले से कहा गया, "हम मामूली मात्रा में कच्चा तेल रिज़र्व से निकाल रहे हैं. लेकिन उसका सांकेतिक महत्व बड़ा है. सभी बड़े उपभोक्ता देश यह ज़ाहिर कर रहे हैं कि ओपेक देशों से गुहार लगाने के अलावा भी वे अपने हितों की रक्षा के लिए क़दम उठा सकते हैं."
हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह क़दम उल्टा पड़ सकता है और वैश्विक ऊर्जा बाज़ार पर नियंत्रण की लड़ाई शुरू हो सकती है. द इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, "विश्लेषकों को उम्मीद है कि जब दिसंबर की शुरुआत में ओपेक देश मासिक समीक्षा बैठक के लिए मिलेंगे तो अपने उपभोक्ताओं की इस चुनौती का जवाब देंगे. ओपेक देशों के अधिकारियों ने कथित तौर पर चेतावनी दी है कि रणनीतिक भंडार से अतिरिक्त आपूर्ति को देखते हुए उत्पादन बढ़ाने की योजना को रद्द किया जा सकता है." (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.) भारत में कच्चा तेल कहाँ से आता है?भारत कच्चे तेल का आयात मुख्य रूप से इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया और अमेरिका से करता है।
भारत के पास कच्चा तेल कितना है?मौजूदा समय में क्रूड ऑयल की कीमत 120 डाॅलर के आस-पास है यानी भारत को रूस 90 डाॅलर से कम की कीमत पर तेल बेच रहा है। रूस और यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) की वजह से कच्चे तेल की कीमतों लगातार उछाल देखने को मिल रही है। जिसकी वजह से एक बैरेल क्रूड ऑयल की कीमत 120 डाॅलर को क्राॅस कर गई है।
क्या भारत में तेल के कुएं हैं?Detailed Solution. सही उत्तर असम है। भारत में, तेल के कुएं असम में पाए जाते हैं। असम में डिग्बोई एक तेल का शहर है जिसे 18वीं शताब्दी की शुरुआत में पता लगाया जा सका जब पहली बार यहां तेल की खोज की गई थी।
भारत रूस से कितना तेल आयात करता है?समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, रूस की ओर से रियायती दरों पर तेल लेने वाले भारतीय रिफ़ाइनरी ने मई महीने में ही 2.5 करोड़ बैरल तेल आयात किया है, जो कि कुल आयात का 16 फ़ीसदी है.
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