कितना सुंदर देश हमारा,प्राणों से प्यारा। इस पर सब कुरबान करें हम,आ जाओ यारा।। इस मिट्टी की खुशबू को हम, मिलकर फैलायें, बने चमन ये दुनिया सारी,महके जग सारा। बहे हृदय में प्रेम सदा ही,नदियों के जैसा, गंगा यमुना सतलज रावी, की निर्मल धारा। घर-घर में हो दूध मलाई,द्वार रहे गैया, फोड़ रहा हो मटकी घर में,आँखों का तारा। रानी लक्ष्मी सी बिटिया के,हाथ तिरंगा हो, भारत माता की जै जै का,लगता हो नारा।। © राकेश कुमार,डालटनगंज,झारखण्ड हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है। आपकी रचनात्मकता को अमर उजाला काव्य देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए यहां क्लिक करें।
इस मिट्टी की खुशबू को हम, मिलकर फैलायें, बने चमन ये दुनिया सारी,महके जग सारा।
बहे हृदय में प्रेम सदा ही,नदियों के जैसा, गंगा यमुना सतलज रावी, की निर्मल धारा।
घर-घर में हो दूध मलाई,द्वार रहे गैया, फोड़ रहा हो मटकी घर में,आँखों का तारा।
रानी लक्ष्मी सी बिटिया के,हाथ तिरंगा हो, भारत माता की जै जै का,लगता हो नारा।।
© राकेश कुमार,डालटनगंज,झारखण्ड
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2 years ago