कुटज का अर्थ क्या होता है? - kutaj ka arth kya hota hai?

कुटज का अर्थ क्या होता है? - kutaj ka arth kya hota hai?
 

सुंदर फूलों वाला वृक्ष कुटज
संकलित


भारतीय साहित्य संस्कृति और आयुर्विज्ञान से जुड़ा महत्वपूर्ण वृक्ष कुटज भारत के मैदानी भागों से पर्णपाती वनों में ४००० मीटर तक की ऊँचाई पर पाया जाता है। भारत में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत, ओडिशा, असम, बिहार व महाराष्ट्र के पर्णपाती वनों में कुटज बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त इनकी अनेक प्रजातियाँ एशिया व अफ्रीका के उष्ण कटिबंधीय वनों में पाई जाती हैं। यह अपनी विरल टहनियों के कारण बहुत सुंदर तो नहीं दिखता लेकिन कठिन मौसम और कम उर्वर धरती में भी आसानी से जीवित रहने की कला इसे व्यापक उपस्थिति प्रदान करती है। घने शहरी बसाव के कारण शहरों के आसपास और बगीचों में इसकी उपस्थिति दिन पर दिन कम होती जा रही है।

रूपाकार-

कुटज का अर्थ क्या होता है? - kutaj ka arth kya hota hai?
कुटज के पौधे चार फुट से बीस फुट तक ऊँचे तथा छाल आधे इंच तक मोटी होती है। पत्ते चार इंच से दस इंच तक लंबे, शाखा पर आमने-सामने लगते हैं। फूल गुच्छेदार, श्वेत रंग के तथा फलियाँ एक से दो फुट तक लंबी और चौथाई इंच मोटी, दो-दो एक साथ जुड़ी, लाल रंग की होती हैं। इनके भीतर बीज कच्चे रहने पर हरे और पकने पर जौ के रंग के होते हैं। इनकी आकृति भी बहुत कुछ जौ की सी होती है, परंतु ये जौ से लगभग ड्योढ़े बड़े होते हैं। इसके फूल अप्रैल से जुलाई तक फूलते हैं। फूल सफेद और सुंगंधित होते हैं। अगस्त से अक्तूबर के बीच इनमें फल आ जाते हैं। फरवरी से अप्रैल के दिनों इस वृक्ष का पतझड़ हो जाता है।

प्रजातियाँ

कुटज का अर्थ क्या होता है? - kutaj ka arth kya hota hai?
इस पौधे की दो प्रमुख जातियाँ हैं- कृष्ण और श्वेत। दोनो ही प्रजातियों के बीज, पत्ते, छाल और जड़ औषधि के काम आते हैं। कृष्ण कुटज को 'काली कोरैया' और उसके बीज को 'कड़वा इंद्रजौ' कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम होलेरिना एंटीडिसेंट्रिका ( holarrhena antidysenterica) है। काला कुटज या कृष्ण कुटज समस्त भारत में पाया जाता है। इस वृक्ष में मई-जुलाई के महीनों में फूल लगते हैं। दूसरे प्रकार के पौधे का वानस्पतिक नाम 'राइटिया टिंक्टोरिया' (Wrightia tinctoria) है। उसके बीज को हिंदी में 'मीठा इंद्रजौ' कहते हैं। श्वेत पौधे के फूलों में एक प्रकार की सुगंध होती है जो काले पौधे के फूलों में नहीं होती। श्वेत पौधे की छाल लाल रंग लिए बादामी तथा चिकनी होती है। फलियों के अंत में बालों का गुच्छा सा होता है। इसके अतिरिक्त भी कुटज के अनेक प्रकार होते हैं जो एशिया के अनेक देशों तथा अफ्रीका में पाए जाते हैं।

विविध भाषाओं में-

कुटज को विभिन्न नामों से जाना जाता है। संस्कृत में कुटज, गिरिमल्लिका, कालिगा, कालिंगक, इंद्रवृक्ष, शकर, वत्स या वत्सक कहते हैं। हिंदी में कुड़ा, कुड़ैया या कुटज, पंजाबी में कोगर या कोरवा, बंगला में कुरचि या इंद्र जौ, मराठी में कुड़ा, गुजराती में कुड़ो, कुडकरी या दुधालो, तमिल में वेप्पलाइ या कुडपप्पलई, तेलुगु में कोडिेश्चट्टु, कोडिसेपल या गिरिमल्लिका, कन्नड में कोरची या बेप्पाले, मलयालम में कोडकाप्पल या वेनपला, उड़िया में कुरेरी, खेरवा या केरुअन तथा उर्दू में खेरव कहते हैं। अंग्रेजी में इसे कुर्ची, कनेसी ट्री और कॉनेसी बार्क, कंट्री मैलो या हार्ट लीफ, अरबी में तीवाजे हिंद, फ़ारसी में दरख्त जबाने कुंज्शिके तल्ख और लैटिन में एंटिडिसेंटेरिका नाम दिया गया है।

कुटज के औषधीय गुण-

कुटज का अर्थ क्या होता है? - kutaj ka arth kya hota hai?
आयुर्वेदिक ग्रंथों में कुटज के दो भेद पुंकुटज और स्त्रीकुटज कहे गए हैं। दोनो का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है। कुटज कटु और कषाय रस युक्त, तीक्ष्ण, अग्निदीपक और शीतवीर्य है। यह बवासीर, अतिसार, पित्तरक्त, कफ, तृषा, आम और कुष्ठ को दूर करने वाला कहा गया है। इन गुणों के अलावा अन्य आयुर्वेदिक निघण्टुओं के अनुसार कुटज की छाल के गुणों का वर्णन किया है। उनके अनुसार कुटज की छाल कड़वी, चरपरी, उष्णवीर्य, पाचक, ग्राही और कफविकार, कृमि, ज्वर, दाह और पित्ताशं का नाश करने वाली है।

श्याम वर्ण के कुटज को अपेक्षाकृत उष्ण कहा है।

कुटज का अर्थ क्या होता है? - kutaj ka arth kya hota hai?
डॉ. देसाई के मतानुसार सफ़ेद कुटज की छाल कड़वी, दीपन, ग्राही, मियादी बुखार को कम करने वाली, ज्वर नाशक और बलदायक होती है । छाल और बीज में रक्तशोधक और वेदना शामक गुण होते हैं। सेक करने पर बीज के रक्त रोधक गुण में वृद्धि होती है इसलिए खूनी पेचिश रोकने वाली कुटज जैसी दूसरी कोई औषधि उपलब्ध नहीं है।चिकित्सकीय उपयोग के लिये आठ से बारह साल के वृक्ष की छाल को जुलाई से सितंबर तथा सर्दी के मौसम में इकट्ठा किया जाता है। कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएँ जो कुटज से बनती हैं, उनके नाम हैं- कुटजारिष्ट, कुटजावलेह तथा कुटज घनवटी। इसके अतिरिक्त महामंजिष्टादि कषायम, स्तान्यशोधन कषाय, और पटोलादी चूर्णम में भी इसका प्रयोग होता है।

रासायनिक संघटन-

इसकी छाल में कोनेसिन तथा १७ अन्य क्षाराभ होते हैं। कुल क्षाराभ ०.२२-४.२ % होता है। इसके अतिरिक्त गोंद ९.५६, राल ०.२, तथा टेनिन १.१४ % होता है। बीजों में भी ये ही पदार्थ कुछ अल्प प्रमाण में होते हैं। बीजों में एक उग्रगन्धि तैल १९.३० % निकलता है। रासायनिक विश्लेषण से इसकी छाल में कोनेसीन, कुर्चीन और कुर्चिसीन नामक तीन विशिष्ट उपक्षार (ऐल्कलॉएड) पाए गए है, जिनका प्रयोग ऐलोपैथिक उपचार में भी होता है।

आर्थिक महत्व

कुटज का अर्थ क्या होता है? - kutaj ka arth kya hota hai?
इसे सीड पाउडर, छाल पाउडर, कुटज क्वाथ, कुटज प्रपाती वटी और हर्बल आहार पूरक के रूप में निर्यात किया जाता है। कुटज के बीज मुख्य रूप से मधुमेह विरोधी उपाय के रूप में उपयोग किए जाते हैं। हाल के अध्ययनों में इसके बीज में एंटीबायोटिक तत्वों को भी खोज निकाला गया है। इस वृक्ष के बीजों से प्राप्त इथेनॉल अर्क को फेफड़ों, बृहदान्त्र, यकृत, मौखिक, डिम्बग्रंथि, ग्रीवा और तंत्रिका कैंसर सेल लाइनों के खिलाफ फायदेमंद पाया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका कुटज का सबसे बड़ा खरीदार है। इसके बाद कनाडा और सिंगापुर का स्थान आता है। वर्ष २०१४-२०१६ के दौरान भारत ने ३३८२ अमरीकी डालर के लिए कुटज का निर्यात किया। इसमें से अमेरिका ने १६४४ अमरीकी डालर, कैनाडा ने ९६१ अमरीकी डालर और सिंगापुर ने ३६० अमरीकी डालर के कुटज पदार्थों का आयात किया।

संस्कृतिक महत्व-

कुटज का भारत में पारंपरिक और लोक महत्व भी है। भारत के ओडिशा राज्य में, "नबन्ना" के त्योहार के समय लोग इस पौधे की पत्तियों को चावल के साथ चढ़ाते हैं। कुटज की छाल का उपयोग उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और वाराणसी जिलों की लोक जातियों में गैस्ट्रिक समस्याओं के लिए किया जाता है। बिहार के नेतरहाट पठार के असुर और संथाल समुदाय भी कुटक की छाल का उपयोग करते हैं। आंध्र प्रदेश के नल्लामाला जिले की जनजातियाँ त्वचा रोगों के लिए इस पौधे के तने की छाल का उपयोग करती हैं। असम की बोडो जनजाति भी इस पौधे का उपयोग पारंपरिक औषधि के रूप में करती है।

१ जुलाई २०१९

कुटज का क्या अर्थ होता है?

हजारी प्रसाद जी ने कुटज पाठ में इस विषय पर प्रकाश डाला है। उनके अनुसार 'कुट' शब्द के दो अर्थ होते हैं: 'घर' या 'घड़ा'। इस आधार पर 'कुटज' शब्द का अर्थ उन्होंने बताया हैः घड़े से उत्पन्न होने वाला। यह नाम अगस्त्य मुनि का ही दूसरा नाम है।

कुटज किसका पर्यायवाची?

कुटज संज्ञा पु० [सं०] १. कुरैया । कर्ची । इंद्रजौ ।

कुटज के कितने नाम है?

कुटज को आयुर्वेद में करची, कुरची, कोनेस्स ट्री, कुटजा, दूधी, इंद्र जौ और वतसाक के नाम से भी जाना जाता है।

कुटज वृक्ष कैसे होते हैं?

कुटज (वानस्पतिक नाम : Wrightia antidysenterica) एक पादप है। इसके पौधे चार फुट से १० फुट तक ऊँचे तथा छाल आधे इंच तक मोटी होती है। पत्ते चार इंच से आठ इंच तक लंबे, शाखा पर आमने-सामने लगते हैं। फूल गुच्छेदार, श्वेत रंग के तथा फलियाँ एक से दो फुट तक लंबी और चौथाई इंच मोटी, इंच मोटी, दो-दो एक साथ जुड़ी, लाल रंग की होती हैं