Rajasthan Board RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Important Questions and Answers. Show RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्यवस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. अति लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9.
प्रश्न 10.
प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 19. प्रश्न 20.
प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23.
प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. किस रोमन शासक का शासनकाल 'शांति' के लिए याद किया जाता है ? प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. रोम के सन्दर्भ में नगर क्या था ? प्रश्न 33. प्रश्न 34. प्रश्न 35. प्रश्न 36. प्रश्न 37. प्रश्न 38. प्रश्न 39. प्रश्न 40. प्रश्न 41. प्रश्न 42. प्रश्न 43. प्रश्न 44. प्रश्न 45. प्रश्न 46. प्रश्न 47. एम्फोरा क्या थे ? प्रश्न 48. प्रश्न 49. प्रश्न 50. प्रश्न
51.
प्रश्न 53. प्रश्न 54.
प्रश्न 55. प्रश्न 56. प्रश्न 57. प्रश्न 58. प्रश्न
59. प्रश्न 60. प्रश्न 61. प्रश्न 62. प्रश्न 63. प्रश्न 64. प्रश्न 65. प्रश्न
66. प्रश्न 67. प्रश्न 68.
प्रश्न 69. प्रश्न 70. प्रश्न 71.
प्रश्न 72. प्रश्न 73. प्रश्न 74. प्रश्न 75. प्रश्न 76. प्रश्न 77. प्रश्न 78.
प्रश्न 79. प्रश्न 80. प्रश्न 81. प्रश्न 82. प्रश्न 83.
प्रश्न 84.
प्रश्न 85. प्रश्न 86. प्रश्न 87. लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA1) प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न
10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22.
प्रश्न 23.
प्रश्न 24. प्रश्न 25. लघूत्तरीय प्रश्न (SA2) प्रश्न 1.
(i) पाठ्य सामग्री-पाठ्य सामग्री के अन्तर्गत समकालीन लोगों द्वारा लिखा गया उस काल का इतिहास, पत्र,प्रवचन, कानून व व्याख्यान आदि सम्मिलित हैं। समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखे गये इतिहास को वर्ष वृत्तान्त कहा जाता । था क्योंकि यह प्रतिवर्ष लिखे जाते थे। (ii) प्रलेख-प्रलेख को दस्तावेज भी कहा जाता है। प्रलेखों में मुख्य रूप से उत्कीर्ण अभिलेख, पैपाइरस के पत्तों पर लिखे गये संविदा पत्र, लेख, संवाद पत्र व राजकीय दस्तावेज आदि सम्मिलित थे। उत्कीर्ण अभिलेख प्रायः पत्थर की शिलाओं पर खोदे जाते थे इसलिए वे नष्ट नहीं हुए। ये बहुत बड़ी मात्रा में यूनानी व लातिनी भाषा में लिखे हुए पाये गये। (iii) भौतिक अवशेष-भौतिक अवशेषों में अनेक प्रकार की वस्तुएँ सम्मिलित हैं। इनमें इमारतें, स्मारक, मिट्टी के बर्तन, सिक्के, पच्चीकारी का सामान व हवाई छायांकन से प्राप्त चित्र आदि सम्मिलित हैं। इन वस्तुओं को पुरातत्वविदों ने खुदाई तथा क्षेत्र सर्वेक्षण द्वारा खोजा है। प्रश्न
2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न
5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16.
प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न
19.
प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25.
प्रश्न
26.
प्रश्न 27. 533 ई. में सम्राट जस्टीनियन ने अफ्रीका को वैंडलों के नियन्त्रण से मुक्त करवा लिया। उसने इटली को भी मुक्त कराकर उस पर पुनः अधिकार कर लिया। इस घटनाक्रम से रोमन साम्राज्य को बहुत अधिक क्षति पहुँची और राज्य छिन्न-भिन्न हो गया। इससे लोंबार्डों के आक्रमणों के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया। सातवीं शताब्दी के आरम्भिक दशकों में रोम व ईरान के मध्य पुनः युद्ध छिड़ गया। ईरान के ससानी शासकों ने मिस्र सहित समस्त पूर्वी प्रान्तों पर आक्रमण कर दिया जो रोमन साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हुआ। तत्पश्चात् 642 ई. में पूर्वी रोमन और ससानी राज्यों के एक बड़े भाग पर अरबों ने अधिकार कर लिया। इस तरह रोमन साम्राज्य का पूर्ण रूप से पतन हो गया। दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1.
1. सम्राट-सम्राट वास्तव में साम्राज्यवादी शासन की सबसे महत्वपूर्ण तथा वास्तविक कड़ी होता था। रोमन साम्राज्य भी इसका अपवाद नहीं था। सम्राट एकछत्र शासक और सत्ता का वास्तविक स्रोत था। साम्राज्य की समस्त शक्तियाँ उसके हाथों में केन्द्रित थीं। सम्राट को 'प्रमुख नागरिक' कहा जाता था। ऐसा सैनेट के महत्व को बनाए रखने और उसे सम्मान प्रदान करने के लिए किया गया था। सम्राट यह प्रदर्शित करना चाहता था कि वह निरंकुश शासक नहीं है। 2. सैनेट या अभिजात वर्ग-रोम साम्राज्य में सैनेट वह निकाय था जिसने उन दिनों में जब रोम में रिपब्लिक अर्थात् गणतंत्र था, सत्ता पर नियंत्रण कर रखा था। यह एक ऐसी संस्था थी जिसमें कुलीन एवं अभिजात वर्गों अर्थात् धनी परिवारों का प्रतिनिधित्व होता था। बाद में इटली में जमींदारों को भी इसमें शामिल कर लिया गया था। वास्तव में सैनेट में धनवान परिवारों के एक छोटे से समूह का बोलबाला रहता था। व्यावहारिक तौर पर रोम में अभिजात वर्ग की सरकार का शासन था जिसे सैनेट नामक संस्था चलाती थी। सैनेट की सदस्यता जीवन भर चलती थी और उसके लिए जन्म की अपेक्षा धन और पद-प्रतिष्ठा को अधिक महत्व दिया जाता था। सम्राटों का मूल्यांकन इस बात से किया जाता था कि वे सैनेट के प्रति किस तरह का व्यवहार करते थे। जो सम्राट सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करते थे और उन्हें संदेह की दृष्टि से देखते थे, वे सबसे बुरे सम्राट माने जाते थे। 3. सेना-रोमन साम्राज्य में सेना एक बड़ा एकल संगठित निकाय थी। चौथी शताब्दी तक रोमन सेना में 6 लाख सैनिक थे। सम्राट और सैनेट के बाद साम्राज्यिक शासन का तीसरा 'खिलाड़ी' सेना नामक संस्था थी। रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था और न्यूनतम 25 वर्ष तक सेना में सेवा करनी पड़ती थी। वेतनभोगी सेना का होना निश्चित रूप से रोमन साम्राज्य की अपनी एक खास विशेषता थी। सेना के पास निश्चित रूप से सम्राटों का भाग्य निर्धारित करने की शक्ति थी अर्थात् अलग-अलग सम्राटों की सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि वे सेना पर कितना नियंत्रण रख पाते हैं और जब सेनाएँ विभाजित हो जाती थीं तो इसका परिणाम सामान्यतः गृहयुद्ध होता था। सैनिक अच्छे वेतन और सेवा शर्तों के लिए निरन्तर आन्दोलन करते रहते थे। कभी-कभी ये आन्दोलन सैनिक विद्रोहों का रूप धारण कर लेते थे। सैनेट सेना से घृणा करती थी और उससे भयभीत रहती थी, क्योंकि सेना हिंसा का स्रोत थी। प्रश्न 2. (2) विवाह-रोमन समाज में विवाह करने का प्रचलन था। विवाह प्रायः परिवारों द्वारा ही तय किये जाते थे। पुरुष प्रायः 28 से 32 ई. की आयु में विवाह करते थे जबकि लड़कियों का विवाह 16 से 23 वर्ष की आयु में किया जाता था। इसलिए पति और पत्नी के बीच आयु का अंतराल बना रहता था। प्रथम शताब्दी
ई. पू. तक विवाह का स्वरूप ऐसा होता था कि पत्नी अपने पति को अपनी सम्पत्ति हस्तांतरित नहीं करती थी। हालांकि दहेज में मिली संपत्ति पति के पास चली जाती थी। (3) पुरुष प्रधान परिवार-रोमन समाज में परिवार पुरुष प्रधान होते थे। परिवार में पुरुषों को ही महत्व प्रदान किया जाता था, पुरुषों का ही बोलबाला था। परिवारों में महिलाओं की स्थिति कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी। महिलाओं पर उनके पति प्रायः हावी रहते थे और उनके साथ कठोर बर्ताव करते थे। प्रसिद्ध कैथोलिक बिशप ऑगस्टीन ने लिखा है कि उनकी माता की उनके पिता द्वारा नियमित रूप से पिटाई की जाती थी। जिस नगर में वे पले-बड़े वहाँ की अधिकांश पत्नियाँ इसी तरह की पिटाई से अपने शरीर पर लगी खरोंचें दिखाती रहती थीं। (4) पिता का अपने बच्चों पर कठोर कानूनी नियंत्रण-रोमन समाज में पिता का अपने बच्चों पर कठोर कानूनी नियंत्रण होता था। अवांछित बच्चों के मामले में पिता को उन्हें जीवित रखने अथवा मार डालने तक का कानूनी अधिकार प्राप्त था। साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि कभी-कभी पिता अपने बच्चों को मारने के लिए उन्हें ठण्ड में छोड़ देते थे। (5) साक्षरता की स्थिति-कामचलाऊ साक्षरता की दरें रोमन साम्राज्य के विभिन्न भागों में अलग-अलग थीं। उदाहरणस्वरूप रोम के पोम्पेई नगर में साक्षरता का स्तर न्यून था। दूसरी ओर, मिस्र से प्राप्त दस्तावेजों से ज्ञात होता है कि वहाँ साक्षरता की दर काफी कम थी। यहाँ भी साक्षरता निश्चित रूप से कुछ वर्गों के लोगों जैसे सैनिकों, सैनिक अधिकारियों और सम्पदा प्रबंधकों आदि में अपेक्षाकृत अधिक थी।। प्रश्न 3. (2) व्यापार में प्रतिस्पर्धा-रोमन साम्राज्य के भिन्न-भिन्न प्रदेशों के जमींदार तथा उत्पादक अलग-अलग वस्तुओं का बाजार हथियाने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करते रहते थे। परिणामस्वरूप जैतून के तेल के व्यापार पर प्रभुत्व भी बदलता रहा। स्पेन में जैतून का तेल निकालने का उद्योग 140-160 ई. के दौरान अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन दिनों स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से विशेष कंटेनरों में ले जाया जाता था, जिन्हें ड्रेसल-20 कहा गया। (3) उर्वर क्षेत्र-रोमन साम्राज्य के अन्तर्गत ऐसे बहुत से क्षेत्र आते थे जो अपनी असाधारण उर्वरता के लिए प्रसिद्ध थे। इनमें इटली के कैम्पेनिया तथा सिसली और मिस्र के फय्यूम, गैलिली, बाइजैकियम; फ्रांस के दक्षिणी गॉल तथा दक्षिणी स्पेन के बेटिका के प्रदेश सम्मिलित थे। ये प्रदेश साम्राज्य के घनी आबादी वाले सबसे धनी प्रदेशों में से एक थे। (4) खनिज उत्पादकता का उच्च स्तर-रोमन साम्राज्य में खनिज उत्पादकता का स्तर बहुत उच्च था। बड़े भारी औद्योगिक पैमाने पर खानों से खनिज निकाले जाते थे। स्पेन से सोने व चाँदी की प्राप्ति होती थी। खनिज उत्पादकता का स्तर इतना ऊँचा था कि 19वीं शताब्दी तक अर्थात् लगभग 1700 वर्ष पश्चात् भी ऐसे उत्पादन का स्तर देखने को नहीं मिलता। (5) जल शक्ति का प्रयोग- भूमध्य सागरीय क्षेत्र में जल शक्ति का अनेक प्रकार से प्रयोग होता था। इस काल में जल शक्ति से अनेक कारखाने चलाये जाते थे। स्पेन में सोने व चाँदी की खानों में जल शक्ति से खुदाई की जाती थी। (6) सुगठित वाणिज्यिक एवं बैंकिंग व्यवस्था-रोमन साम्राज्य में सुगठित वाणिज्यिक एवं बैंकिंग व्यवस्था का प्रचलन था। (7) धन का व्यापक रूप से प्रयोग-रोमन साम्राज्य में धन का व्यापक रूप से प्रयोग होता था। परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य में सोने के सिक्के प्रचलन में रहे थे। प्रश्न 4. रोम की अर्थव्यवस्था में दासों की भूमिका-रोम की अर्थव्यवस्था में अधिकांश श्रम दासों द्वारा ही किया जाता था। जब प्रथम शताब्दी में रोमन साम्राज्य में शान्ति स्थापित हो गई तो लड़ाई-झगड़े कम हो गये जिससे दासों की आपूर्ति में कमी आने लगी। परिणामस्वरूप दास-श्रम का प्रयोग करने वालों को दास प्रजनन अथवा वेतनभोगी मजदूरों जैसे विकल्पों का सहारा लेना पड़ा। वेतनभोगी मजदूर दासों से सस्ते पड़ते थे। क्योंकि उन्हें आसानी से छोड़ा और रखा जा सकता था। इसके विपरीत दास-श्रमिकों को पूरे वर्ष रखना पड़ता था और सम्पूर्ण वर्ष उन्हें भोजन देना पड़ता था तथा उनके अन्य खर्च उठाने पड़ते थे, फलस्वरूप दास श्रमिकों को रखने की लागत बढ़ जाती थी। इसलिए बाद की अवधि में कृषि क्षेत्र में अधिक संख्या में दास मजदूर नहीं रहे। अब इन दासों और मुक्त हुए दासों को व्यापार-प्रबन्धक के रूप में नियुक्त किया जाने लगा। मालिक प्रायः इन्हें अपनी ओर से व्यापार चलाने के लिए पूँजी देते थे और कभी-कभी अपना पूरा कारोबार उन्हें सौंप देते थे। प्रश्न 5. (ii) इतिहासकार वरिष्ठ प्लिनी के विचार-वरिष्ठ प्लिनी ने प्रकृति विज्ञान नामक पुस्तक की रचना की, जिसमें उन्होंने दास समूह के प्रयोग की आलोचना करते हुए यह कहा था कि यह उत्पादन आयोजित करने का सबसे बुरा तरीका है क्योंकि इस प्रकार अलग-अलग समूहों में काम करने वाले दासों को सामान्यतया पैरों में जंजीर डालकर एक-साथ रखा जाता था। रोमन साम्राज्य के कुछ कारखानों ने तो इससे भी अधिक कड़े नियन्त्रण लागू कर रखे थे। वरिष्ठ प्लिनी ने सिकंदरिया की फ्रैंकिन्सेंस (सुगंधित राल) की फैक्ट्रियों के हालात का वर्णन किया है, कि जहाँ उनके अनुसार कितना ही कड़ा निरीक्षण रखो, पर्याप्त प्रतीत नहीं होता था। सुगंधित राल. के कारखानों में कामगारों के एप्रेनों पर एक सील लगा दी जाती थी। उन्हें अपने सिर पर एक गहरी जाली वाला मास्क या नेट भी पहनना पड़ता था। उन्हें फैक्ट्री से बाहर जाने के लिए अपने सभी कपड़े उतारने पड़ते थे। सम्भवतः यह बात अधिकांश फैक्ट्रियों और कारखानों पर लागू होती थी। 398 ई. के एक कानून में कहा गया कि कामगारों को दागा जाता था ताकि यदि वे भागने और छिपने का प्रयत्न करें तो उन्हें पहचाना जा सके। कई निजी उद्यमी कामगारों के साथ ऋण-संविदा के रूप में अनुबंध कर लेते थे ताकि यह दावा कर सकें कि उनके कर्मचारी उनके ऋणी हैं। इस प्रकार वे कामगारों पर कठोर नियंत्रण रखते थे। (iii) ऑगस्टीन के विचार-ऑगस्टीन एक कृषि विषयक लेखक थे। हाल ही में खोजे गये ऑगस्टीन के पत्रों से हमें यह जानकारी मिलती है कि कभी-कभी माता-पिता अपने बच्चों को 25 वर्ष के लिए बेचकर बँधुआ मजदूर बना देते थे। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अधिक ऋणग्रस्तता फैली हुई थी। प्रश्न 6.
1. सैनेटर-तीसरी शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में सैनेट की सदस्य संख्या लगभग 1000 थी। कुल सैनेटरों में लगभग आधे सैनेटर अभी भी इतालवी परिवारों के थे। सैनेटर धनिक परिवारों अर्थात् अभिजात वर्ग के लोग होते थे। 2. अश्वारोही-यह परम्परागत रूप से दूसरा सबसे अधिक शक्तिशाली और धनवान समूह था। मूल रूप से ये ऐसे परिवार थे जिनकी सम्पत्ति उन्हें घुड़सेना में भर्ती होने की औपचारिक योग्यता प्रदान करती थी, इसीलिए इन्हें इक्वाइट्स कहा जाता था। सैनेटरों की तरह अधिकतर नाइट जमींदार होते थे लेकिन सैनेटरों के विपरीत उनमें से कई लोग जहाजों के मालिक, व्यापारी और साहूकार (बैंकर) भी होते थे यानि वे व्यापारिक क्रियाकलापों में संलग्न रहते थे। । 3. जनता का सम्माननीय वर्ग-जनता के सम्माननीय वर्ग का सम्बन्ध महान घरानों से था। 4. फूहड़ निम्नतर वर्ग-इस वर्ग को कमीनकारू या प्लेब्स सोर्डिडा भी कहा जाता है। इस वर्ग के लोग सर्कस, थियेटर व तमाशा आदि देखना पसन्द करते थे। 5. दास-रोम साम्राज्य में दासों को अधिक महत्व प्रदान नहीं किया जाता था। इनका शोषण किया जाता था। परवर्ती
काल में रोमन साम्राज्य की प्रमुख सामाजिक श्रेणियाँ- 6. अभिजात वर्ग-परवर्ती काल में सैनेटर और अश्वारोही वर्ग एकीकृत होकर एक विस्तृत अभिजात वर्ग बन चुके थे। इन दो वर्गों के कुल परिवारों में से कम-से-कम आधे परिवार अफ्रीका अथवा पूर्वी मूल के थे। यह अभिजात वर्ग बहुत अधिक सम्पन्न था लेकिन विशुद्ध सैनिक संभ्रान्त वर्ग की तुलना में कम शक्तिशाली थे। 7. मध्यम वर्ग-इस वर्ग के अन्तर्गत सेना व नौकरशाही से जुड़े हुए सामान्य लोग आते थे। इसके अतिरिक्त इस वर्ग में अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध सौदागर तथा किसान भी सम्मिलित थे। मध्यम वर्ग के परिवारों का जीवन निर्वाह सरकारी सेवा तथा राज्य पर निर्भरता द्वारा होता था। 8. निम्नतर वर्ग-रोमन साम्राज्य में निम्नतर वर्ग का एक विशाल समूह था। इसे सामूहिक रूप से ह्यूमिलिओरिस कहा जाता था। निम्नतर वर्ग या ह्यूमिलिओरिस में ग्रामीण श्रमिक शामिल थे। इनमें से बहुत से श्रमिक बड़ी जागीरों में स्थायी रूप से काम करते थे। औद्योगिक और खनन प्रतिष्ठानों के मजदूर तथा प्रवासी कामगार, जौ, अनाज, जैतून की फसलों की कटाई तथा भवन निर्माण उद्योग के लिए कार्य करते थे तथा स्व-नियोजित शिल्पकार थे। इसके अतिरिक्त हजारों दास समस्त पश्चिमी साम्राज्य में पाये जाते थे। प्रश्न 7.
(2) प्रशासनिक परिवर्तन-विभिन्न रोमन सम्राटों ने इस साम्राज्य के प्रशासनिक ढाँचे में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। ये परिवर्तन सम्राट डायोक्लीशियन (284-305 ई.) के समय से प्रारम्भ हुए एवं उसके बाद के काल तक जारी रहे। ये परिवर्तन निम्नलिखित थे-
(ब) कॉन्स्टैनटाइन कालीन परिवर्तन-रोमन सम्राट कॉन्स्टैनटाइन ने अपने शासन काल के दौरान अपनी शासन प्रणाली में निम्नलिखित परिवर्तन किए
(3) आर्थिक परिवर्तन-परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य में निम्नलिखित धार्मिक परिवर्तन हुए
प्रश्न 8. (ii) रोमन साम्राज्य का एक अन्य महत्वपूर्ण धर्म, यहूदी धर्म था परन्तु यह भी एकाश्म अर्थात् विविधताहीन नहीं था। इसका आशय यह था कि परवर्ती पुराकाल के यहूदी धर्म में अनेक विविधताएँ मौजूद थीं। अत: चौथी एवं पाँचवीं शताब्दी में साम्राज्य का ईसाईकरण एक क्रमिक एवं जटिल प्रक्रिया के रूप में हुआ था। (iii) बहुदेववाद विशेष रूप से पश्चिमी प्रान्तों में आसानी से लुप्त नहीं हुआ था। यद्यपि ईसाई धर्म प्रचारक वहाँ प्रचलित बहुदेववादी मत-मतांतरों एवं धार्मिक रीति-रिवाजों का निरन्तर विरोध करते रहे एवं ईसाई जनसाधारण की तुलना में बहुदेववाद की आलोचना करते रहे। (iv) चौथी शताब्दी में भिन्न-भिन्न धार्मिक समुदायों के मध्य की सीमाएँ कठोर एवं गहरी नहीं थीं जितनी कि बाद में धार्मिक शक्तिशाली बिशपों (धर्माचार्यों) की कट्टरता के कारण हो गई थीं। इन धर्माचार्यों (विशपों) ने अपने अनुयायियों को कट्टरतम एवं कठोरता से धार्मिक विश्वासों एवं रीति-रिवाजों के पालन करने की बात पर बल दिया। मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर प्रश्न 1.
उत्तर: प्रश्न 2.
उत्तर:
प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. कुस्तुनतुनिया किसकी राजधानी है?कोन्स्तान्तीनोपोलिस, बोस्पोरुस जलसन्धि और मारमरा सागर के संगम पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो रोमन, बाइज़ेंटाइन, और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी थी।
रोम के पूर्वी साम्राज्य की राजधानी का क्या नाम था?बाईज़न्टाइन साम्राज्य (या 'पूर्वी रोमन साम्राज्य') मध्य युग के दौरान रोमन साम्राज्य को दिया गया नाम था। इसकी राजधानी क़ुस्तुंतुनिया (कॉन्स्टैन्टिनोप्ल) थी, जोकि वर्तमान में तुर्की में स्थित है, और अब इसे इस्तांबुल के नाम से जाना जाता है।
बाइजेंटाइन साम्राज्य की राजधानी क्या थी?क़ुस्तुंतुनियाबाइज़ेंटाइन साम्राज्य / राजधानीnull
कुस्तुनतुनिया नगर की स्थापना कब हुई?330 ईस्वीक़ुस्तुंतुनिया / स्थापना की तारीखnull
|