सोन नदी भारत के मध्य भाग में बहने वाली एक नदी है। इसे सोनभद्र शिला के नाम से भी जाना जाता है। यमुना के बाद यह गंगा नदी की दक्षिणी उपनदियों में सबसे बड़ी है। यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर ज़िले में अमरकंटक के पास उत्पन्न होती है, जो विंध्याचल पहाड़ियों में नर्मदा नदी के स्रोतस्थल से पूर्व में स्थित है। यह उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्यों से गुज़रकर बिहार के पटना ज़िले में गंगा नदी में विलय हो जाती है।[1][2][3][4] परिचय[संपादित करें]यह म.प्र. की एक प्रमुख नदी है। इस नदी का नाम सोन पड़ा क्योंकि इस नदी के बालू (रेत) पीले रंग के हैँ जो सोने कि तरह चमकते हैँ। इस नदी के रेत भवन निर्माण आदी के लिए बहुत उपयोगी हैं यह रेत पूरे बिहार शहडोल, रीवा में भवन निर्माण के लिए उपयोग में लाया जाता है तथा यह रेत उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में अवि राठौड़ द्वारा भी निर्यात किया जाता है। सोन नदी का उल्लेख रामायण आदि पुराणो में आता है । गंगा नदी की सहायक नदियों में सोन का प्रमुख स्थान है। इसका पुराना नाम संभवत: 'सोहन' था जो पीछे बिगड़कर सोन बन गया। यह नदी मध्यप्रदेश के अमरकंटक नामक पहाड़ से निकलकर 350 मील का चक्कर काटती हुई पटना से पश्चिम गंगा में मिलती है। इस नदी का पानी मीठा, निर्मल और स्वास्थ्यवर्धक होता है। इसके तटों पर अनेक प्राकृतिक दृश्य बड़े मनोरम हैं। अनेक फारसी, उर्दू और हिंदी कवियों ने नदी और नदी के जल का वर्णन किया है। इस नदी में डिहरी-आन-सोन पर बाँध बाँधकर 296 मील लंबी नहर निकाली गई है जिसके जल से शाहाबाद, गया और पटना जिलों के लगभग सात लाख एकड़ भूमि की सिंचाई होती है। यह बाँध 1874 ई. में तैयार हो गया था। इस नदी पर ही एक लंबा पुल, लगभग 3 मील लंबा, डिहरी-ऑन-सोन पर बना हुआ है। दूसरा पुल पटना और आरा के बीच कोइलवर नामक स्थान पर है। कोइलवर पुल रेल-सह-सड़क पुल है। ऊपर रेलगाड़ियाँ और नीचे बस, मोटर और बैलगाड़ियाँ आदि चलती हैं। इसी नदी पर एक तीसरा पुल भी ग्रैंड ट्रंक रोड पर बनाया गया है। 1965 ई. में यह पुल तैयार हो गया था।[5] ऐसे यह नदी शांत रहती है। इसका तल अपेक्षया छिछला है और पानी कम ही रहता है पर बरसात में इसका रूप विकराल हो जाता है, पानी मटियाले रंग का, लहरें भयंकर और झाग से भरी हो जाती हैं। तब इसकी धारा तीव्र गति और बड़े जोर शोर से बहती है। सोन जल विवाद[संपादित करें]देखें मुख्य लेख सोन जल विवादसोन नदी के बँटवारे को लेकर इसके संबंधित राज्यों में लंबे समय से विवाद रहा है। सरयु राय द्वारा दायर जनहित याचिका पर पटना उच्च न्यायालय ने सोन नदी के विवाद के समाधान के लिए केंद्र सरकार को सितंबर २०११ में न्यायाधिकरण गठित करने का आदेश दिया। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
सोन नदी गंगा में कहाँ मिलती है?यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर ज़िले में अमरकंटक के पास उत्पन्न होती है, जो विंध्याचल पहाड़ियों में नर्मदा नदी के स्रोतस्थल से पूर्व में स्थित है। यह उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्यों से गुज़रकर बिहार के पटना ज़िले में गंगा नदी में विलय हो जाती है।
सोन नदी का दूसरा नाम क्या है?सोन नदी का उदगम मैकाल पर्वत के अमरकण्टक नामक पठारी भाग से है। इसे सोनभद्र के नाम से पुकारा जाता है। सोन नदी का एक अन्य नाम हिरण्यवाह भी है। यह नदी झारखण्ड के उत्तरी-पश्चिमी छोर पर सीमा का निर्माण करती है।
सोन नदी का पुराना नाम क्या है?सोन नदी को स्वर्ण नदी के नाम से भी जाना जाता है। सोन नदी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में बहती है। सोन नदी बिहार राज्य में बहती हुई पटना जिले के दीनापुर में गंगा नदी से मिल जाती है। गंगा नदी से सोन नदी का संगम हो जाता है और यहां पर सोन नदी की यात्रा खत्म हो जाती है।
सोन नदी के किनारे कौन सा शहर है?डेहरी सोन नदी पर स्थित प्रमुख शहर है। सोन घाटी भौगोलिक दृष्टि से दक्षिण पश्चिम में नर्मदा नदी की लगभग निरंतरता है। यह बड़े पैमाने पर वनाच्छादित है और बहुत कम आबादी है। यह घाटी कैमूर रेंज से उत्तर में और छोटा नागपुर पठार से दक्षिण की ओर जाती है।
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