क्रिया विशेषण वह शब्द होते हैं जो हमें क्रिया की विशेषता बताते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है, उन शब्दों को हम क्रिया विशेषण कहते हैं। इस ब्लॉग में क्रिया विशेषण की परिभाषा, क्रिया विशेषण के भेद के बारे में संपूर्ण जानकारी दी जाएगी। चलिए पढ़ते हैं क्रिया विशेषण (adverb in Hindi) के बारे में विस्तार से। Show
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शब्द के प्रकारक्रिया विशेषण के बारे में जानने से पहले शब्दों के प्रकार पता होने चाहिए, जो नीचे दिए हैं:
क्रिया विशेषण की परिभाषावह शब्द जो हमें क्रिया की विशेषता के बारे में बताते हैं, वे शब्द क्रिया विशेषण कहलाते हैं। क्रिया विशेषण उदाहरणक्रिया विशेषण के उदाहरण कुछ इस प्रकार हैं:
FAQsबार बार कौन सा क्रिया विशेषण है? जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने का समय बतलाते हैं, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। परसों, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार। कभी ना कभी मैं कौन सा क्रिया विशेषण है? यौगिक क्रियाविशेषण :- जो दूसरे शब्दों में प्रत्यय या पद आदि लगाने से बनते हैं उन्हें यौगिक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे : – कभी -कभी , खाते, पीते आजन्म आदि। इधर उधर कौन सा क्रिया विशेषण है? जो अविकारी शब्द किसी क्रिया की दिशा का बोध कराते हैं, उन्हें दिशावाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे- दायें-बायें, इधर-उधर, किधर, एक ओर, चारों तरफ़ आदि। अतः इधर-उधर में दिशा वाचक क्रिया विशेषण है। क्रिया के मुख्य भेद कितने हैं? क्रिया के भेद – क्रिया के कितने प्रकार होते हैं? किसी काम के करने या होने को क्रिया कहते हैं । क्रिया दो प्रकार की होती है -अकर्मक और सकरमक। जैसे खाना – वाना । इसमे खाना सकरमक और वाना अकर्मक क्रिया कहलाएगी । कालवाचक क्रिया विशेषण क्या है? कालवाचक क्रिया विशेषण वह शब्द होते हैं जो हमें क्रिया के होने वाले समय से परिचित करवाते हैं। आशा करते हैं कि इस ब्लॉग से आपको kriya visheshan (Adverb in Hindi) के बारे में पता चल गया होगा। अगर आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं तो हमारे Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800 572 000 पर कॉल कर आज ही 30 मिनट का फ्री सैशन बुक करें। प्रिय पाठक! Allhindi के इस नये लेख में आपका स्वागत हैं। आज की इस लेख में आप संबंधबोधक किसे कहते हैं, इसकी परिभाषा, भेद तथा उदाहरण के बारे में आप सभी को विस्तार से बताया जायेगा। इस लेख के मुख्य शीर्षक 1 संबंधबोधक किसे कहते हैं 2 संबंधबोधक के उदाहरण: 3 संबंधबोधक के प्रकार 4 संबंधबोधक और क्रियाविशेषण में अंतर 4.1 इससे सम्बंधित लेख: 5 इस लेख के बारे में: संबंधबोधक किसे कहते हैंसंबंधबोधक की परिभाषा: ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर उनका वाक्य में आए अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से संबंध का बोध कराते हैं, संबंधबोधक कहा जाता है। जैसे: के आगे, के पीछे, बीच में, के बाद, के नीचे, के ऊपर, के सहारे आदि। संबंधबोधक के उदाहरण:
संबंधबोधक शब्दों का प्रयोग हमेशा, के, से, की आदि शब्दों के साथ होता है, अन्यथा ये शब्द विशेषण या क्रियाविशेषण का रूप ले लेते हैं। संबंधबोधक अव्यय के प्रकार: संबंधबोधक अव्यय मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।
संबंद्ध: संबद्ध संबंधबोधक अव्यय संज्ञाओं की विभक्तियों के पीछे लगाए जाते हैं। उदाहरण: धन के बिना, स्नान से पहले, जाने के बाद, नर की तरह आदि। संबंधबोधक के प्रकारसंबंधबोधक के प्रकार (Kinds of Preposition): हिंदी में मुख्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले संबंधबोधक शब्द प्रायः दस प्रकार के होते हैं:
संबंधबोधक और क्रियाविशेषण में अंतरसंबंधबोधक और क्रियाविशेषण में अंतर: जो शब्द क्रिया को विशेषता बताते हैं कि क्रिया कम कहाँ कैसे तथा कितनी हो रही है, उन्हें क्रियाविशेषण कहा जाता है जबकि जो शब्द वाक्य में आए संज्ञा/सर्वनाम शब्दों का एकदूसरे से संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहा जाता हैं। क्रियाविशेषण तथा संबंधबोधक दोनों अविकारी (अव्यय) शब्द है। अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका प्रयोग क्रियाविशेषण और संबंधबोधक दोनों प्रकार से किया जाता है। उदाहरण: नीचे, ऊपर, सामने, बाहर, भीतर, यहाँ आदि। इससे सम्बंधित लेख: संधि की परिभाषा, भेद और उदाहरण संबंधबोधक से जुड़े कुछ सवाल और जवाब: प्रश्न: संबंधबोधक किसे कहते हैं? उत्तर: ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर उनका वाक्य में आए अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से संबंध का बोध कराते हैं, संबंधबोधक कहा जाता है। जैसे: के आगे, के पीछे, बीच में, के बाद, के नीचे, के ऊपर, के सहारे आदि। प्रश्न: संबंधबोधक और क्रियाविशेषण में क्या अंतर हैं? उत्तर: जो शब्द क्रिया को विशेषता बताते हैं कि क्रिया कम कहाँ कैसे तथा कितनी हो रही है, उन्हें क्रियाविशेषण कहा जाता है जबकि जो शब्द वाक्य में आए संज्ञा/सर्वनाम शब्दों का एकदूसरे से संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहा जाता हैं। क्रियाविशेषण तथा संबंधबोधक दोनों अविकारी (अव्यय) शब्द है। अनेक शब्द ऐसे हैं जिनका प्रयोग क्रियाविशेषण और संबंधबोधक दोनों प्रकार से किया जाता है। इस लेख के बारे में:यदि आपको यह पोस्ट संबंधबोधक किसे कहते हैं अच्छा लगा तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ भेजकर हमारा मनोबल बढ़ा सकते है। यदि आपको इस लेख में कोई भी परिभाषा को समझने में दिक्कत होती है या आपको नहीं समझ मे आते है। तो आप नीचे Comment में अपनी confusion लिख सकते है। मै जल्द से जल्द आपके सवालों का जवाब दूंगा। धन्यवाद! इस पूरे पोस्ट को पढ़ने के लिए और अपना कीमती समय देने के लिए आप सभी का धन्यवाद! आपका दिन शुभ हो! क्रियाविशेषण और सम्बन्धबोधक में क्या अंतर है?परिभाषा- संबंधबोधक ऐसे शब्द है जो संज्ञा या सर्वनाम के बाद आते हैं, और उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ बताते हैं उसे संबंधबोधक कहते हैं । 2. जब इन शब्दों का प्रयोग क्रिया के साथ किया जाता है तब ये क्रियाविशेषण बन जाते हैं।
समुच्चयबोधक और संबंधबोधक में क्या अंतर है?Answer. Answer: दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने वाले संयोजक शब्द को समुच्चय बोधक कहते हैं। जो शब्द संंज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ बताते हैं उन्हें संबंधबोधक कहते हैं।
विशेषण एवं क्रिया विशेषण में क्या अंतर है?विशेषण - ये वह शब्द होते हैं जो संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताते है। ख) वह व्यक्ति काला हैं - इसमे 'काला' व्यक्ति की विशेषता बता रहा है कि व्यक्ति का रंग काला हैं। क्रिया विशेषण- ये वह शब्द होते हैं जो क्रिया की विशेषता बताते हैं। उदाहरण - वह धीरे धीरे चलता हैं - इसमे 'धीरे-धीरे' चलने की विशेषता बताता हैं।
संबंधबोधक के कितने भेद होते हैं?व्युत्पत्ति के आधार पर संबंधबोधक अव्यय के भेद
व्युत्पत्ति के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय दो प्रकार के होते हैं। मूल संबंधबोधक अव्यय – वे संबंधबोधक अव्यय जिनमें किसी अन्य शब्द का योग नहीं होता है उन्हें मूल संबंधबोधक अव्यय कहते हैं. हिंदी में मूल संबंधबोधक अव्यय बहुत कम हैं. जैसे: बिना, पर्यंत, नाईं, पूर्वक इत्यादि।
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