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सबसे पहले हिन्दी टाइप वर्डस्टार (वर्जन III प्लस) जैसे एक शब्द संसाधक ‘अक्षर’ में आया। फिर विंडोज़ आया और पेजमेकर व वेंचुरा का समय आया। इस सारी यात्रा में कम्प्यूटर केवल प्रिटिंग की दुनिया की सहायता भर कर रहा था। यूनिकोड के आगमन एवं प्रसार के पश्चात हिन्दी कम्प्यूटिंग प्रिंटिंग तक सीमित न रहकर संगणन के विभिन्न पहलुओं तक पहुँच गयी। अब भाषायी संगणन के सभी क्षेत्रों में हिन्दी अपनी पहुँच बना रही है। हिन्दी कम्प्यूटिंग को वर्तमान स्थिति तक पहुँचाने में सरकार, अनेक संस्थाओं, समूहों एवं प्रोग्रामरों-डैवलपरों का योगदान रहा। हिन्दी कम्प्यूटिंग के प्रमुख पड़ाव[संपादित करें]
हिन्दी कम्प्यूटिंग आरम्भिक उन्नायक[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
कंप्यूटर में हिंदी भाषा के विकास का इतिहास क्या है?सबसे पहले हिन्दी टाइप वर्डस्टार (वर्जन III प्लस) जैसे एक शब्द संसाधक 'अक्षर' में आया। फिर विंडोज़ आया और पेजमेकर व वेंचुरा का समय आया। इस सारी यात्रा में कम्प्यूटर केवल प्रिटिंग की दुनिया की सहायता भर कर रहा था।
हिंदी भाषा के विकास में कंप्यूटर का योगदान क्या है?हिन्दी को कम्प्यूटर से जोड़ने का सबसे पहला प्रयास राजभाषा विभाग, गृह मन्त्रालय द्वारा किया गया। जब उसने हिन्दी में काम करने के लिए 'शब्दिका' नामक सॉफ्टवेयर तैयार करवाया। इसके कुछ समय बाद 'अनुस्मारक' नामक सॉफ्टवेयर ईजाद किया गया इसकी विशेषता यह थी कि इसमें अन्य भारतीय भाषाओं के साथ अन्तरण की सुविधा उपलब्ध थी।
कंप्यूटर पर हिंदी का आगमन कैसे हुआ समझाइए?1965 के आसपास हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि को लेकर कंप्यूटर पर काम शुरू हुआ और 1970 के बाद आशानुरूप सफलता मिलने लगी थी। ईसीआईएल हैदराबाद की एक कंपनी ने 1977 में हिन्दी में “फोर्ट्रान” नामक कंप्यूटर भाषा में एक प्रोग्राम चलाया, जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि कंप्यूटर पर हिन्दी सबसे पहले 1977 में दिखाई दी थी।
कम्प्यूटर का इतिहास क्या है?1833-71 ई.: ब्रिटिश गणितज्ञ और वैज्ञानिक चार्ल्स बैबेज ने जैकार्ड पंच-कार्ड प्रणाली का प्रयोग करते हुए 'एनालिटिकल इंजन' का निर्माण किया। इसे वर्तमान कम्प्यूटरों का अग्रदूत माना जा सकता है। बैबेज की सोच अपने काल के काफी आगे की थी और उनके आविष्कार को अधिक महत्व नहीं दिया गया।
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