बेहोश करने वाले डॉक्टर को क्या बोलते हैं? - behosh karane vaale doktar ko kya bolate hain?

World Anaesthesia Day 2019. सर्जरी दिल की हो या फिर दिमाग की। छोटी हो या बड़ी। इन डॉक्टरों के बिना ऑपरेशन संभव नहीं है। आइए जानिए कुछ रोचक जानकारी।

जमशेदपुर, अम‍ित त‍िवारी।  World Anaesthesia Day 2019 सर्जरी दिल की हो या फिर दिमाग की। छोटी हो या बड़ी। इन डॉक्टरों के बिना संभव नहीं है। जी हां, हम बात कर रहे एनेस्थेसिया डॉक्टरों की। जिन्हें बेहोशी वाला डॉक्टर भी कहा जाता है। इनकी जरूरत हर तरह की सर्जरी में पड़ती है।

इनके हाथ में ही मरीज की जान अटकी होती है। बेहोशी की दवा थोड़ा भी कम या ज्यादा होने पर मरीज की मौत तक हो सकती है। ये डॉक्टर पर्दे के पीछे बड़ी भूमिका निभाते हैं, जिस तरह किसी फिल्म में लेखक व डायरेक्टर की होती है। शहर में कई बेहतर एनेस्थेसिया के डॉक्टर मौजूद है, जो गंभीर मरीजों की सफल सर्जरी कर उनको दूसरी जिंदगी देने का काम किया है। उन्होंने कई ऐसे मरीजों की जान बचायी है, जिसकी आस परिजनों ने छोड़ दी थी। उन मरीजों की दूसरे अस्पतालों ने सर्जरी से इंकार कर दिया था।

बेहोश करने वाली नली में था ट्यूमर, दूसरी नली बनाकर बचा ली जान

बेहोश करने वाले डॉक्टर को क्या बोलते हैं? - behosh karane vaale doktar ko kya bolate hain?

आदित्यपुर के सालडीह बस्ती निवासी कविता गोराई (39) की सांस के नली में बड़ा सा ट्यूमर था। जिसका ऑपरेशन करने को कोई डॉक्टर तैयार नहीं था। कविता के परिजनों ने जब उसका कारण पूछा तो उन्हें बताया गया कि उनके ऑपरेशन के लिए एक बेहतर एनेस्थेसिया डॉक्टरों की टीम चाहिए। जो उन्हें असानी से बेहोश कर सकें। कारण, कि जिस सांस की नली से मरीज को बेहोश किया जाता है, उसी में एक बड़ा सा ट्यूमर था। तब एनेस्थेसिया के डॉक्टरों ने अलग से एक नली बनायी और मरीज को बेहोश किया। तब जाकर मरीज का ट्यूमर निकाला गया और उसकी जान बच सकी।

नहीं पता था एनेस्थेसिया का मतलब, अब हमारे लिए भगवान

बेहोश करने वाले डॉक्टर को क्या बोलते हैं? - behosh karane vaale doktar ko kya bolate hain?

हल्दीपोखर निवासी गुरुपदो मोदक (54) कहते है कि उनकी जान बचाने में एनेस्थेसिया डॉक्टरों की अहम भूमिका है। ऑपरेशन से पूर्व उन्हें एनेस्थेसिया डॉक्टरों का मतलब नहीं पाता था, लेकिन जब से उनकी जान बची तब से उनकी भूमिका से अवगत हुए। गुरुपदों के दोनों लंग्स के बीच में ट्यूमर था। सर्जरी के लिए उन्हें बेहोश काफी मुश्किल थी, लेकिन डॉक्टरों ने रिक्स लिया। कोलकाता से ट्यूब मंगाया गया और उसके एक तरफ के लंग्स को पचकाया गया, तब जाकर मरीज की सफल सर्जरी संभव हो सकी। मरीज इलाज के लिए कोलकाता, भुवनेश्वर व मेदनीपुर का भी चक्कर लगा चुका था।

एनेस्थेसिया डॉक्टर हो जाते तैयार तो नहीं बेचनी पड़ती जमीन

बेहोश करने वाले डॉक्टर को क्या बोलते हैं? - behosh karane vaale doktar ko kya bolate hain?

पश्चिम बंगाल के तितेलागोड़ा निवासी विनोद माझी के खाने वाली नली में ट्यूमर था। उनकी स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी थी कि परिजनों ने जीने की आस ही छोड़ दी थी। पश्चिम बंगाल के एक सरकारी अस्पताल में उन्हें इलाज को ले जाया गया तो डॉक्टरों ने कहा कि सर्जरी करनी पडेंगी। यहां पर एक ही बेहोशी के डॉक्टर है। इसके लिए उसे दूसरे दिन बुलाया गया। उस दिन जब मरीज पहुंचा तो बेहोशी वाले डॉक्टर देखा, लेकिन वह एनेस्थेसिया देने को तैयार नहीं हुए। कहा बड़ा ऑपरेशन है इसलिए दूसरे अस्पताल जाना पड़ेगा। इसके बाद मरीज जमशेदपुर के एक अस्पताल में आया। यहां पर इलाज में करीब डेढ़ लाख रुपये से अधिक खर्च बताया गया जिसके लिए उसे जमीन बेचनी पड़ी।

क्यों मनाता जाता एनेस्थेसिया दिवस?

16 अक्टूबर 1846 को अमेरिका के डॉ. डब्लू टीजी मॉर्गन ने एनेस्थेसिया में पहली बार ईथर एनेस्थेसिया का सफल प्रयोग कर दुनिया को दिखाया। एनेस्थेसिया के जगत में ये एक ऐसा प्रयोग था, जिससे पूरा चिकित्सा जगत अचंभित हो गया। इस दिन ईथर के प्रयोग से पहली बार दर्द रहित सर्जरी का रास्ता दुनिया भर के वैज्ञानिकों के सामने खुला।

एनेस्थेटिस्ट के बिना चिकित्सा जगत अधूरा

बेहोश करने वाले डॉक्टर को क्या बोलते हैं? - behosh karane vaale doktar ko kya bolate hain?

एनेस्थेटिस्ट के बिना चिकित्सा जगत अधूरा है। ऑपरेशन के दौरान बेहोशी और देखभाल से लेकर दर्द प्रबंधन, पेनलेस लेबर इन सबसे इसी के लिए मरीज को आराम मिल सकता है। इमरजेंसी और ट्रामा तक में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। नई तकनीकी के आने से चिकित्सा जगत मरीजों की जान बचाने में ज्यादा सक्षम हुआ है।

-डॉ. उमेश प्रसाद, एनेस्थेसिया रोग विशेषज्ञ ब्रहमानंद अस्पताल।

Written and reviewed by

Bachelor of Ayurveda, Medicine and Surgery (BAMS)

Ayurvedic Doctor, Lakhimpur Kheri  •  13years experience

बेहोश करने वाले डॉक्टर को क्या बोलते हैं? - behosh karane vaale doktar ko kya bolate hain?

एनेस्थीसिया शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्द “an” अर्थात “बिना” और “aethesis” अर्थात “संवेदना” से बना है. इस प्रकार शब्द से ही इसका अर्थ स्पष्ट है “संवेदना के बिना”. एनेस्थीसिया या निश्चेतना चिकित्सा विज्ञान का वह महत्वपूर्ण शाखा है जिसमें किसी भी प्रकार के सर्जरी या ऑपरेशन में मरीज को दर्द के अनुभव के बिना ऑपरेशन सफलता पूर्वक किया जाता है. इस प्रक्रिया में मरीज होश में रहकर ऑपरेशन देख भी सकता है पर उसे दर्द या कष्ट का अनुभव नहीं होता है. इसके बिना जटिल ऑपरेशन संभव नहीं होते हैं. एनेस्थीसिया के प्रक्रिया को करने वाले चिकित्सक को एनेस्थीसियोलॉजिस्ट या एनेस्थेटिस्ट तथा इसमें प्रयोग किए जाने वाले दवाओं को एनेस्थेटिक दवा कहते हैं. आइए इस लेख के माध्यम से हम एनेस्थीसिया के प्रकार और कुछ अन्य तथ्यों पर नजर डालें.

एनेस्थीसिया के प्रकार


1. लोकल एनेस्थीसिया: लोकल एनेस्थीसिया में सर्जरी करने वाले हिस्से के पास के उत्तकों को इंजेक्शन के माध्यम से सुन्न किया जाता है. जिसमें मरीज उस हिस्से में हो रहे ऑपरेशन को देख तो सकते हैं पर वहाँ के उत्तक सुन्न होने के वजह से उसे दर्द का अनुभव नहीं हो पाता है और इस प्रकार ऑपरेशन सफलता पूर्वक कर लिया जाता है. समान्यतः कटे स्थानों पर टांका लगाना व अन्य छोटे-मोटे ऑपरेशन इसके अंतर्गत आते हैं.

2. लोकल एनेस्थीसिया: लोकल एनेस्थीसिया में शरीर के किसी प्रमुख नसों के बंडलों के चारों तरफ के एक हिस्से को सुन्न किया जाता है. क्षेत्रीय एनेस्थीसिया के मदद से हाथ, पैर, पेट इत्यादि क्षेत्र के ऑपरेशन को किया जाता है. जिसमें मरीज होश में तो रहता है पर उसे दर्द का अनुभव नहीं होता है. इसमें एनेस्थेटिक दवाओं का असर 12-18 घंटे तक रहता है जिस कारण ऑपरेशन के बाद भी उस स्थान पर दर्द का अनुभव नहीं होता है. पर दवाओं का असर समाप्त होने पर दर्द वापस आ सकता है तब ऐसी स्थिति में दर्द दूर करने के लिए अन्य वैकल्पिक उपाय या दवा का प्रयोग किया जाता है. जब तक दवाओं का प्रभाव रहता है तब तक उस स्थान पर सुन्नता या झनझनाहट भी महसूस हो सकता है या उस अंग को हिलाना या उठाना भी असंभव हो सकता है या ऐसे करने में दिक्कत हो सकता है.

3. सामान्य या सर्वदैहिक एनेस्थीसिया: इस प्रकार के एनेस्थीसिया में मरीज को बेहोश कर दिया जाता है. आमतौर पर इसके लिए मरीज के मांसपेशी में इंजेक्शन के माध्यम से एनेस्थेटिक दवा दिया जाता है. जिससे मरीज बेहोश हो जाता है. फिर सावधानी पूर्वक शल्य प्रक्रिया पूरी की जाती है. मरीज को किसी भी प्रकार का दर्द का अनुभव नहीं होता है तथा होश आने पर मरीज को शल्य प्रक्रिया का कोई बात याद भी नहीं रहता है. इस एनेस्थीसिया में मरीज को बेहोश होते ही मुँह पर मास्क लगाकर ऑक्सीजन दिया जाता है. साथ ही बेहोशी बनाए रखने के लिए मुँह में एंडोट्रेकियल ट्यूब डालकर ऑक्सीजन के साथ कुछ अन्य गैसें भी दी जाती हैं. ऑपरेशन यानि शल्य प्रक्रिया समाप्त होने के बाद मरीज को कुछ दवाएँ देकर होश में लाया जाता है.

ऑपरेशन से पहले मरीज के प्री-एनेस्थेटिक जाँच
किसी भी प्रकार के सर्जरी या ऑपरेशन में एनेस्थेटिक दवा का प्रयोग करने से पहले मरीज के प्री-एनेस्थेटिक जाँच कर यह जान लिया जाता है कि मरीज का शरीर या अंग विशेष एनेस्थीसिया के प्रभाव व ऑपरेशन के सहन कर पाएगा या नहीं. यदि मरीज इसके लिए फिट नहीं पाया जाता है तो एनेस्थीसियोलॉजिस्ट पहले मरीज को फिट होने के लिए इसका उपचार कराने का निर्देश देते हैं ताकि बेहोश होने पर फिर बिना किसी दिक्कत के उसे दुबारा होश में लाया जा सके. एनेस्थीसिया के प्रभाव व ऑपरेशन के सहन के लिए फिट होने पर ही मरीज का ऑपरेशन किया जाता है. इसके बावजूद पूरे शल्य प्रक्रिया के दौरान मरीज के बेहोशी बनाए रखने के लिए एनेस्थीसियोलॉजिस्ट हमेशा मरीज पर नजर रखे रहते हैं व बेहोशी के अवस्था को नियंत्रित किए रहते हैं. एनेस्थीसियोलॉजिस्ट पर ही सारा शल्य क्रिया निर्भर रहता है जिस कारण ये ही सम्पूर्ण शल्य क्रिया के सूत्रधार होते हैं.

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बेहोशी के डॉक्टर को क्या कहते हैं?

जी हां, हम बात कर रहे एनेस्थेसिया डॉक्टरों की। जिन्हें बेहोशी वाला डॉक्टर भी कहा जाता है। इनकी जरूरत हर तरह की सर्जरी में पड़ती है।

एनएसथीसिया को हिंदी में क्या कहते हैं?

एनेस्थीसिया का शाब्दिक अर्थ होता है- बेहोशी या शारीरिक अचेतना. एनेस्थीसिया क्या है? मरीज की सर्जरी या फिर कोई ऐसी मेडिकल प्रक्रिया जिसमें टांके लगाने की जरूरत हो उसमें मरीज को दर्द या तकलीफ कम महसूस हो इसके लिए कुछ दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है और इसे ही एनेस्थीसिया कहते हैं.

बेहोश करने वाला इंजेक्शन का क्या नाम है?

केटमिन 100एमजी इंजेक्शन (Ketmin 100Mg Injection) एक ऐसी दवा है जिसका उपयोग मुख्य रूप से एक संवेदनाहारी दवा के रूप में किया जाता है।

बेहोशी का टेस्ट कैसे करते हैं?

बेहोशी की जांच का सामान्य तरीका है इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (ईसीजी)। खून में शुगर का स्तर और ब्लड काउंट की भी निगरानी की जा सकती है। नतीजों के आधार पर समस्या की गंभीरता का आकलन करने के लिए और व्यापक कार्डियक आकलन की आवश्यकता हो सकती है। जीवनशैली में बदलाव और दवाओं से भी इसका इलाज किया जाता है।