कम्प्यूटर सहायता अधिगम , कम्प्यूटर सहायता अनुदेशन Show
कम्प्यूटर सहायक अधिगम ( C.A.L. - Computer Assisted Learning ) : कम्प्यूटर सहायक अधिगम ( सी.ए.एल. ) ई . लर्निंग का भाग है । कम्प्यूटर सहायक अधिगम का इतिहास पुराना है । यह तकनीक सम्पूर्ण विश्व में विभिन्न परिप्रेक्ष्य में प्राथमिक विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक उपयोग में आ रही है । सर्वप्रथम 1950 से 1960 के मध्य अमेरिका में कम्प्यूटर सहायक अधिगम प्रारम्भ हुआ था । वर्तमान समय में कम्प्यूटर मानव गतिविधियों के अधिकतर क्षेत्रों में , विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगी है । समस्त शिक्षा तंत्र में कम्प्यूटर के उपयोग द्वारा परिर्वतन आ रहा है , जैसे -शिक्षण विधाओं में , अधिगमकर्ता की भागीदारी में , शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में , मूल्यांकन में , अनुसंधान क्रिया में आदि । कम्प्यूटर सहायक अधिगम की प्रक्रिया में यह एक सक्रिय साझेदार की भूमिका में होता हैं , जिससे अधिगम अधिक प्रभावी हो जाता है । यह एक व्यक्तिगत शिक्षण विधा है । कम्प्यूटर सहायता अधिगम , कम्प्यूटर द्वारा सिखाए जाने वाली विषयवस्तु या समाधानों के लिए प्रयुक्त होता है । शिक्षा में जब कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है तो उसे हम कम्प्यूटर सहायक शिक्षण अथवा कम्प्यूटर सहायक अधिगम कहते हैं । इसके माध्यम शिक्षण , व्याख्या तथा परीक्षण सम्बन्धी कार्य किया जा सकता है । कम्प्यूटर सहायक अधिगम की प्रकृति अंतःक्रियात्मक होती है । यह अधिगमकर्ता की आवश्यकतानुसार व्यक्तिगत अधिगम अनुभव कराने सक्षम है । अतः यह वर्तमान समय में शिक्षा में निम्न कारणों से महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक है- विद्यार्थी के अधिगम में सहायक : पारम्परिक शिक्षण विधियों की तुलना में कम्प्यूटर सहायक अधिगम में विद्यार्थी का अधिगम अधिक प्रभावी एवं सरल होता है , क्योंकि इसमें विद्यार्थी स्वयं सक्रिय रहता है और उसकी दृश्य श्रव्य इन्द्रियाँ सक्रिय रहती है ।
कम्प्यूटर सहायक अधिगम के लिए मूलभूत आवश्यकताएँ कम्प्यूटर सहायक अधिगम में उत्तम अधिगम करवाने के लिए निम्नलिखित मूलभूत आवश्यकताएँ होती है-
कम्प्यूटर सहायक अधिगम के उपयोग कम्प्यूटर सहायक अधिगम शिक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित तरीकों से उपयोगी है-
कम्प्यूटर सहायता अनुदेशन ( C.A.I. - Computer Assisted Instruction ) प्रेसीज ( Pressy's ) ने सर्वप्रथम 1925 में एक बहुविकल्पीय मशीन तथा पंच बोर्ड उपकरण का निर्माण किया, जिसने वर्तमान में नेटवर्क आधारित ट्यूटोरियल्स के लिए आधार का कार्य किया । प्रेसीज की बहुविकल्पी मशीन की प्रक्रिया में उपयोगकर्ता के लिए सर्वप्रथम अनुदेशन थे , जिसमें उपयोगकर्ता का परीक्षण होता , फिर एक उत्तर के लिए उपयोगकर्ता प्रतीक्षा करता एवं उत्तर देने पर उसे तुरंत पृष्ठपोषण की प्राप्ति होती थी । इस सम्पून प्रयास का डेटा रिकॉर्ड किया जाता था । 1950 में क्राउडर ( Crowder ) ने अमेरिकी वायुसेना के लिए एक प्रक्रिया का निर्माण किया , जिसके अंतर्गत कम्प्यूटर सहायता अनुदेशन कार्यक्रम में कुछ विषयवस्तु टेक्स्ट ( Text ) के का में थी , इसे उपयोगकर्ता परीक्षण करता था । उपयोगकर्ता को कुछ पृष्ठपोषण प्राप्त होता , जिसमें यदि यह गलत उत्तर देता तो उसे संशोधन के निर्देश प्राप्त होते . और यदि वह सही उत्तर देता तो वह प्राप्त अनुक्रिया के अनुसार नवीन सूचना पर जाता था । क्राउडर का यह शाखयीकरण प्रेसीज की बहुविकल्पीय मशीन का उन्नत रूप था । कालांतर में इसका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में भी किया गया एवं धीरे - धीरे कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन का उन्नत रूप प्राप्त हुआ । कम्प्यूटर असिस्टेड इन्स्ट्रक्शन को संक्षेप में ( C.A.I. ) कहते हैं । कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन एक विद्यार्थी - शिक्षक , कम्प्यूटर नियंत्रित डिस्ले तथा अनुक्रिया एवं आउट पुट डिवाइस के मध्य शैक्षिक निष्कर्ष को प्राप्त करने हेतु को गयी अंतःक्रिया है । यहाँ कम्प्यूटर एक अनुदेशक को सहायता करता है अर्थात यह शिक्षण अथवा अधिगम दोनों में सहायता करता है । अतः शिक्षण विधा के निर्देशन में जब कम्प्यूटर सहायक होता है , तो उसे कम्प्यूटर सहायक निर्देशन कहते हैं । यह एक स्वतः अधिगम की तकनीक है , जिससे प्रायः ऑफलाइन अथवा ऑन - लाइन रूप से विद्यार्थी के साथ अभिक्रमित अनुदेशनात्मक सामग्री के मध्य अंतःक्रिया होती है । कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन में पाठ / पाठ्य / टेक्स्ट ग्राफिक ध्यान तथा विडियो को अधिगम प्रक्रिया बढ़ाने हेतु सम्मिलित किया जाता है । कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन का प्रयोग शिक्षा में निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जा सकता है
कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन के प्रकार कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन के उद्देश्यों को निम्नलिखित प्रकारों से प्राप्त किया जा सकता है-
कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन के उपयोग : कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन के इन सभी प्रकारों का उपयोग करते हुए कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन से निम्नलिखित कार्यों का सम्पादन किया जा सकता है -
उपरोक्त कार्यों के साथ कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन का शिक्षा में निम्नलिखित अन्य उपयोग है- 1. शिक्षण तथा निर्देशन में - यह व्यक्तिगत अनुदेशन का उच्च उपकरण है । प्रत्येक विद्यार्थी शिक्षक है । अलग - अलग प्रकार के प्रारम्भिक व्यवहार होते हैं । वे सभी एक ही विषयवस्तु को विभिन्न अनुदेशन सामग्री से अध्ययन कर सकते हैं । अतः विद्यार्थी के प्रारम्भिक व्यवहारों के अनुसार कम्प्यूटर निर्णय करता है , कि उसे कौनसी अनुदेशन सामग्री प्रदान की जाए । 2. शोध कार्यों के दत्त प्रसंस्करण में - शोध परिकल्पनाओं की पुष्टि तथा शोध के परिणामों की प्राप्ति हेतु आंकड़ो के विश्लेषण में कम्प्यूटर का उपयोग शोध संस्थान , कॉलेज एवं विश्वविद्यालय करते हैं । इस कार्य हेतु कम्प्यूटर आर्थिक रूप से उचित व तीव्र गति युक्त एवं सही गणना करने वाला उपकरण है । इससे बड़े से बड़े डेटा ( आंकड़ो ) का विश्लेषण आसानी से किया जा सकता है । 3. परीक्षा पद्धति में - शिक्षा की प्रक्रिया में शिक्षण तथा परीक्षा दो मुख्य भाग होते हैं । कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन दोनों कार्य में उपयोगी होता है । कम्प्यूटर के माध्यम से सम्पूर्ण मूल्यांकन पद्धति का तीव्र गति से एकदम सही ढंग से पूर्ण कर सकते है । 4. शैक्षिक निर्देशन एवं परामर्श में - कम्प्यूटर निर्देशन एवं परामर्श में भी महत्त्वपूर्ण भमिका का निर्वाह करता है । कम्प्यूटर के द्वारा विद्यार्थियों के निदानात्मक शिक्षण के पश्चात् ज्ञात कमजोरियों के अनुरूप उपचारात्मक अनुदेशन दिए जाते हैं । साथ ही विद्यार्थी शिक्षक को व्यावसायिक निर्देशन भी दिया जा सकता है । कंप्यूटर सहायक अधिगम से आप क्या समझते हैं?संगणक सहायक अधिगम एक ऐसी प्रणाली है जिसमें शिक्षार्थी/ विद्यार्थी संगणक का प्रयोग करके अंतःक्रिया करता है। और इस अंतःक्रिया से वह ज्ञान/सूचना प्राप्त करता है। यह ई-लर्निंग का हिस्सा है जो व्यक्तिगत शिक्षण प्रक्रिया को अधिक प्रभावित करता है। यह कम समय में अधिक से अधिक सूचनाओं को शिक्षार्थी/विद्यार्थी को उपलब्ध कराता है।
कंप्यूटर सहायक अनुदेशन से आप क्या समझते हैं परिभाषा दीजिए एवं इसके माध्यमों का वर्णन कीजिए?कंप्यूटर एक इलैक्ट्रॉनिक मशीन है, जो निर्धारित आँकड़ों ( Input) पर दिए गए निर्देशों की शृंखला (Program ) के अनुसार विशेषीकृत प्रक्रिया (Process) करके अपेक्षित सूचना या परिणाम (Output) प्रस्तुत करती है।
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में कंप्यूटर की क्या भूमिका है?(1) कम्प्यूटर में विद्यार्थियों से सम्बन्धित जानकारी रखी जा सकती है। (2) किसी भी पूर्व अर्जित ज्ञान का अभ्यास करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा सकता है। (3) इसके द्वारा विद्यार्थियों की प्रगति व विकास की जानकारी प्राप्त होती है। (4) कम्प्यूटर से जो कुछ भी पूछा जाता है उसका वह तुरन्त जवाब देता है।
कक्षा में कंप्यूटर सहायक अधिगम के लाभ तथा सीमा क्या है?इसके अलावा, कम्प्यूटर सहायक अनुदेशन में विद्यार्थियों की प्रगति के अनुसार आगे सीखने के प्रोग्राम में आवश्यक परिवर्तन भी निहित रहता है | Page 6 ड्रिल एण्ड प्रेक्टिस : इसके अंतर्गत विद्यार्थी को शिक्षण - कौशलों पर निरंतर अभ्यास के अवसर प्रदान किए जाते हैं, जिससे उसके पूर्व के शिक्षण - कौशल पर स्वामित्व हो जाए ।
|