कुम्भ लग्न का स्वामी कौन है? - kumbh lagn ka svaamee kaun hai?

कुंभ लग्न में धन स्थिति

कुम्भ लग्न का स्वामी कौन है? - kumbh lagn ka svaamee kaun hai?

कुंभ लग्न स्थिर लग्न है। इसका स्वामी शनि है। इसकी एक राशि द्वादश भाव में मकर राशि है। कुंभ लग्न में धन की स्थिति जानने हेतु हमें एकादश भाव यानी लाभ भाव, आय भाव को जानना होगा, वहीं द्वितीय भाव धन की बचत का भी होता है। इससे बैंक बैलेंस या धन की बचत के बारे में जाना जाता है। कुंभ लग्न में एकादश व द्वितीय भाव का स्वामी अकेला गुरु होता। गुरु धर्म, न्याय, पृथक्करण का कारक ग्रह है।

गुरु की स्थिति यदि षष्ठ भाव में उच्च की होगी तो वह जातक शत्रु से भी धन लाभ पाने वाला होगा। उसे अपने मामा-नाना के यहाँ से भी लाभजनक स्थिति रहेगी। ऐसा जातक पशुधन से भी लाभ पाता है एवं यहाँ पर स्थिति गुरु की पंचम दृष्टि दशम भाव पर वृश्चिक राशि पर पड़ती है। यदि मंगल की स्थिति द्वादश भाव में हो तो उच्च का होने से जातक अपने पराक्रम के बल पर व्यापार से तथा विदेश से धन लाभ पाने वाला होता है एवं ऐसा जातक पराक्रमी मित्रों से भी लाभ पाता है।

गुरु यदि सप्तम भाव में सिंह राशि का हो तो ऐसा जातक अपनी पत्नी से धनलाभ पाता है एवं दैनिक व्यवसाय जैसे किराना, वस्त्र आदि से लाभ पाने वाला होता है, ऐसे जातक की पत्नी सर्विस में भी हो सकती है। गुरु की नवम मित्र दृष्टि पराक्रम तृतीय भाव पर पड़ने से ऐसे जातक को भाइयों, मित्रों व साझेदारी के व्यापार से भी लाभ मिलता है। ऐसा जातक संचार माध्यम से भी लाभ पाने वाला होता है।

गुरु की नवम मित्र दृष्टि पराक्रम तृतीय भाव पर पड़ने से ऐसे जातक को भाइयों, मित्रों व साझेदारी के व्यापार से भी लाभ मिलता है। ऐसा जातक संचार माध्यम से भी लाभ पाने वाला होता है। गुरु की पंचम भाव में स्थिति होने से पंचम दृष्टि नवम भाव पर पड़ेगी। यदि नवम भाव का स्वामी शुक्र जहाँ होगा, उस राशि से संबंधित व्यवसाय में भी धनलाभ पाने वाला हो सकता है। गुरु-शुक्र की युति उस जातक को बैंककर्मी, चिकित्सक भी बना सकती है। ऐसा जातक स्त्रियों से संबंधित वस्त्रों के व्यवसाय में धनलाभ दिलाता है।

गुरु की बुध के साथ युति उसे विद्या, लेखन, व्यापार में सेल्समैनशिप से भी धनलाभ दिलाती है। पंचम में गुरु पुत्रों से भी धनलाभ दिलाती है। ऐसे जातकों के पुत्र भाग्यशाली, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ भी होते हैं। आय का साधन मनोरंजन से भी हो सकता है। गुरु जहाँ सप्तम दृष्टि आय भाव पर डालता है व आयेश का विद्याभाव में होना ही बताता है कि ऐसा जातक व्यापारी या शिक्षक भी हो सकता है। गुरु की नवम दृष्टि लग्न पर शत्रु दृष्टि पड़ने से उस जातक को थोड़ी कठिनाइयों के बाद ही सफलता दिलाती है।

गुरु का तृतीय भाव में होना, उस जातक को अत्यंत पराक्रम के बल पर व संचार माध्यम से धनलाभ दिलाता है। ऐसा जातक दूरसंचार या दूरदर्शन में भी सर्विस करने वाला होता है या पत्रवाहक भी हो सकता है। गुरु की पंचम दृष्टि पत्नी को धर्मपरायण बनाने के साथ पत्नी के नाम से किए गए व्यापार में भी सफलता दिलाती है। ऐसा जातक स्टेशनरी, किराना, कपड़ों के व्यवसाय से भी लाभान्वित होता है। ऐसे जातक के शत्रु नहीं होते। गुरु यदि दशम भाव में हो तो ऐसा जातक राजनीति में भी सफल होता है। यदि मंगल साथ हुआ तो ऐसा जातक बड़े उद्योगों का मालिक भी हो सकता है। ऐसा जातक टेक्सटाइल मिल डालकर भी लाभ पाने वाला होता है।

- पं. अशोक पंवार 'मयंक'

यदि गुरु के साथ चंद्र हो और उसकी स्थिति सप्तम भाव में हो तो ऐसे जातक की स्त्री उच्च पदों पर पहुँचने वाली राजनीतिज्ञ, प्रोफेसर भी होती है। यह जातक अपनी पत्नी के बल पर धनी होता है। गुरु की अष्टम भाव में युति आय को कुटुंब पर खर्च करवाती है। गुरु यदि द्वितीय भाव में हो और कुंडली स्त्री की हो तो वह स्त्री अखंड सौभाग्यवती होती है एवं कुटुंब की प्यारी तथा धनी होती है। गुरु की अनुकूल स्थिति द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम भाव व दशम भाव में अनुकूल होगी।




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वैदिक ज्योतिष तथा ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 लग्न है और उन लग्नों में ग्यारहवां लग्न है “कुंभ लग्न” (Kumbh Lagna)। कुंभ लग्न के स्वामी “शनि देव” हैं। इस लेख में हमने कुंभ लग्न से जुड़ी सभी जरूरी बातों को शामिल किया है, जैसे की : कुंभ लग्न का व्यक्तित्व, कुंभ लग्न के लोगों का शारीरिक गठन तथा स्वास्थ्य, कुंभ लग्न के जातकों का प्रेम सम्बन्ध। इसके साथ ही हम जानेंगे, कुंभ  लग्न के लोगों के शुभ ग्रह तथा अशुभ ग्रह, शुभ रंग तथा शुभ रत्न क्या है? तो, चलिए जान लेते है, कुंभ लग्न से जुड़ें इन जरुरी बातों को :

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुंभ लग्न : (Vedic Jyotish Shastra Me Kumbh Lagna)

इस लग्न के जातकों पर शनि ग्रह (Shani Grah) का प्रभाव रहता है। कुंभ लग्न का प्रतीक जल से भरा हुआ एक घड़ा है। शनि ग्रह के प्रभाव के कारण इस लग्न के जातक मकर लग्न के जातकों की तरह ही किसी के साथ भी अन्याय नहीं होने देते। ये अपने लिए तो आवाज उठाते ही है औरो के लिए भी डट कर खड़े होते है। इनकी सबसे बड़ी खासियत है की ये किसी भी परिवेश में ढ़ल जाते है।

कुंभ – “वायु तत्व” की लग्न है। इस लग्न के जातक विचारक या दार्शनिक होते है। यदि कुंभ लग्न के जातक का जन्म धनिष्ठा नक्षत्र में हुआ हो तो जातक अपने अंदर ही हर दुःख सकता है पर किसी को भी इसकी खबर होने नहीं देता। ये बड़े से बड़ा जोखिम उठाने में भी नहीं हिचकिचाते।

कुल मिलाकर, कुंभ लग्न के जातक आधुनिक विचारों वाले और शांति फ़ैलाने वाले होते है। जन्म कुंडली में यदि शनि शुभ स्थान पर विराजित हो तो ये एक शांत और सुखद जीवन जीते है खासतौर से इनका बुढ़ापा, युवा काल से ज्यादा सुखद होता है।

कुंभ लग्न के जातक का व्यक्तित्व : (Kumbh Lagna Ke Jatak Ka Vyaktitva)

कुंभ लग्न के जातक बुद्धिमान, निष्पक्ष और शांतिप्रिय होते है। साथ ही साथ ये कल्पनाशील, महत्वकांक्षी और भावुक भी होते है। ये अपने नजरिये और आदर्शों पर ही जीवन जीते है, किसी और की सलाह ये तभी मानते है जब ये पूरी तरह से उसकी जांच पड़ताल पूरी कर लेते है। 

इस लग्न के जातक सच्चे और मानवतावादी व्यक्तित्व वाले होते है। इन्हें जीवन में बहुत अनगिनत विपदाओं का सामना करना पड़ता है लेकिन कठिन से कठिन परिस्थिति से भी ये आसानी से बहार निकल जाते है। इस लग्न के जातक अपने मन में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं रखते। साहित्य और कला में इनकी अधिक रुचि होती है ।

यदि जन्म कुंडली में शनि ग्रह अपनी उच्च राशि या शुभ स्थानों में हो तो जातक धन वैभव, भौतिक सुख साधनों को प्राप्त कर आनंद पूर्वक जीवन व्यतीत करता है। कुंभ लग्न के जातकों में और भी कई गुण होते है, जो इस प्रकार है :

  1. इस लग्न के जातक यात्रा के बेहद शौकीन होते है।
  2. ये ज्ञान अथवा बौद्धिक शौक के तरफ आकर्षित होते है जैसे की : पढ़ाई, लिखाई, किसी विषय पर चर्चा इत्यादि। 
  3. इस लग्न के जातक किसी भी कार्य को करने के लिए दिल और दिमाग दोनों का उपयोग करते है।
  4. कुंभ लग्न वाले तमोगुणी होते है अर्थात इन्हें गुस्सा कम ही आता है पर अगर आता है तो ये क्षमा कभी नहीं करते।
  5. इनके मन में धर्म को लेकर श्रद्धा तो होती है पर ये किसी भी धार्मिक कार्य में हिस्सा कम ही लेते है।
  6. ये एकांतप्रिय और कुछ हद तक स्वार्थी भी होते है।

कुंभ लग्न के जातक की शारीरिक विशेषता : (Kumbh Lagna –  Sharirik Visheshta)

शारीरिक दृष्टिकोण से कुंभ लग्न के जातक का चेहरा दर्शनीय होता है। ये मध्यम कद और गेहुँवा रंग के होते है। इनका पेट बाहर की तरफ निकला होता है। इनके पैर मजबूत और सुडौल होते है। इनके कूल्हे और कंधे चौड़े होते है। इनके बाल सुलझे और मुलायम होते है और इनकी आँखे काफी चमकदार भी होते है ।

कुंभ लग्न के जातक की मानसिक विशेषता : (Kumbh Lagna – Mansik Visheshta)

मानसिक दृष्टिकोण से इस लग्न के जातक बेचैन और सतर्क होते है। ये किसी भी चीज या परिस्थिति को गंभीरता से लेते है और उसे पूरा करना में जल्दीबाजी भी कर बैठते है जिसके कारण कभी कभी अच्छे अवसर से भी इन्हें हाथ धोना पड़ जाता है। इनकी स्मरण शक्ति बहुत तेज होती है। ये लोगों के सामने खुद को व्यक्त करना पसंद करते है। ये पुरानी सोच से बाहर निकलकर आधुनिकता के पक्षधर होते है ।

कुंभ लग्न : प्रेम और संबंध : (Kumbh Lagna – Prem Sambandh)

कुंभ लग्न वाले प्रेम और संबंधों के मामले में साथ निभाने वाले होते है। ऐसे जातक सुंदरता के पुजारी होते है और अपने साथी में सुंदरता, ज्ञान, प्रेम, वफ़ादारी और उदारता की तलाश करते है। ये हर रिश्ता दिल से निभाते है पर अगर इन्हें अपने साथी या रिश्तेदार की एक भी गलती नजर आयी तो ये पीछे भी हट जाते है। ये ऐसे जीवनसाथी की तलाश करते है जिनमें आत्मविश्वास मौजूद हो। कुंभ लग्न के जातक शनि ग्रह के प्रभाव के कारण अपने पिता से प्रेम करने वाले और अपने परिवार वालों का ख्याल रखने वाले होते है।  

कुंभ लग्न वालों का स्वास्थ्य : (Kumbh Lagna Walo Ka Swasthya)

कुंभ लग्न की जन्म कुंडली में यदि शनि ग्रह की स्थिति सही न हो या शनि ग्रह अस्त हो तो जातक को पैरों, घुटनों और हड्डियों से जुड़ी स्वास्थ्य समस्या होती है। इस लग्न के जातक मिर्गी और मष्तिष्क की पीड़ा से परेशान रहते है। शनि देव की कृपा से कुंभ लग्न के लोग अधिक आयु तो प्राप्त करते है पर तंत्रिका तंत्र से जुड़ी विकारों से भी ग्रस्त हो जाते है। 

कुंभ लग्न राशि वालों के लिए शुभ ग्रह : (Kumbh Lagna – Shubh Grah)

कुंभ लग्न के लिए “शुक्र” लाभकारी होता है। इसके अलावा लग्नेश शनि अति शुभ फलदायी होता है। इस लग्न कुंडली में सूर्य और बुध तटस्थ होते है ।

कुंभ लग्न राशि वालों के लिए अशुभ ग्रह : (Kumbh Lagna – Ashubh Grah)

कुंभ लग्न के लिए बृहस्पति और बुध अशुभ ग्रहों की गिनती में आते है। इनके अलावा इस लग्न कुंडली में चन्द्रमा भी बुरा फल देता है।

कुंभ लग्न वालों के लिए शुभ रंग : (Kumbh Lagna –  Shubh Rang)

कुंभ लग्न वालों के लिए ब्लैक, नेवी ब्लू और रॉयल ब्लू सबसे शुभ होता है।

कुंभ लग्न वालों के लिए भाग्यशाली रत्न : (Kumbh Lagna – Bhagyashali Ratna)

कुंभ लग्न वालों के लिए रत्नों में नीली नीलम और  हीरा बहुत ही शुभ फलदायी तथा भाग्यशाली साबित होते है।