छत्तीसगढ़ में कहां और कैसे जनजातियों द्वारा झूम की खेती की जाती है? - chhatteesagadh mein kahaan aur kaise janajaatiyon dvaara jhoom kee khetee kee jaatee hai?

छत्तीसगढ़ में कहां और कैसे जनजातियों द्वारा झूम की खेती की जाती है? - chhatteesagadh mein kahaan aur kaise janajaatiyon dvaara jhoom kee khetee kee jaatee hai?

फिनलैण्ड में झूम खेती के लिये वन जलाया जा रहा है।(१८९३ में )

झूम कृषि (slash-and-burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। कुछ वर्षों तक (प्रायः दो या तीन वर्ष तक) जब तक मिट्टी में उर्वरता विद्यमान रहती है इस भूमि पर खेती की जाती है। इसके पश्चात् इस भूमि को छोड़ दिया जाता है जिस पर पुनः पेड़-पौधें उग आते हैं। अब अन्यत्र जंगली भूमि को साफ करके कृषि के लिए नई भूमि प्राप्त की जाती है और उस पर भी कुछ ही वर्ष तक खेती की जाती है। इस प्रकार यह एक स्थानानंतरणशील कृषि (shifting cultivation) है जिसमें थोड़े-थोड़े समय के अंतर पर खेत बदलते रहते हैं। भारत की पूर्वोत्तर पहाड़ियों में आदिम जातियों द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की कृषि को झूम कृषि कहते हैं। इस प्रकार की स्थानांतरणशील कृषि को श्रीलंका में चेना, हिन्देसिया में लदांग और रोडेशिया में मिल्पा कहते हैं।अक्सर यह दावा किया जाता रहा है कि झूम के कारण क्षेत्र के बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान हुआ है।[1]

यह खेती मुख्यतः उष्णकटिबंधीय वन प्रदेशों में की जाती है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. झूम खेती (इण्डिया वातर पोर्टल)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • झूम खेती से निजात पाने में अरूणाचल प्रदेश बढ़ रहा सफलता की ओर (बिजनेस स्टैण्डर्ड)

छत्तीसगढ़ में झूम खेती कहां और कैसे की जाती है?

झूम खेती -खेती के सबसे पुराने तरीकों में से एक है झूम खेती (slash and burn farming). जंगलों को काटकर, जलाकर क्‍यारियां बनाई जाती हैं और फसल बोई जाती है. इसके बाद दूसरे स्‍थान पर इसी तरह खेती की जाती है. यह खेती पहाड़ों विशेषकर मेघालय, अरूणाचलप्रदेश जैसे पूर्वोत्‍तरी राज्‍यों में होती है.

झूम की खेती कौन सी जनजाति करती है?

झूम कृषि के तहत पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है| इसके बाद साफ की गई भूमि की पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं। फसल पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर होती है और उत्पादन बहुत कम हो पाता है।

छत्तीसगढ़ में झूम कृषि को क्या कहते हैं?

स्थानांतरण कृषि या झूम कृषि (slash and burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं

भारत में झूम खेती कहाँ की जाती है?

यह मुख्य रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में प्रचलित है, जिसमें असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड आदि शामिल हैं। खेती के इस तरीके को "झूम खेती" के नाम से भी जाना जाता है। इसे कर्तन- दहन कृषि भी कहा जाता है।