किसे जरूरत Show यूरिन टैक्ट इंफेक्शन, निमोनिया, मेनिनजाइटिस, टीबी आदि रोगों में इस टैस्ट को करवाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा जिन्हें यूरिन न रोक पाने, यूरिन करते समय जलन होने, पेट के निचले हिस्से में दर्द, गले का इंफेक्शन, प्रोस्टेट व किडनी से जुड़ी समस्या वाले मरीज, गर्भवती महिलाएं, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों में रोग के सही कारण को जानने के लिए यह टैस्ट करवाया जाता हैं। सैंपल के समय सावधानी इस टैस्ट के लिए सैंपल देते समय और उससे पहले सावधानी बरतना जरूरी होता है। जैसे यूरिन टैस्ट के लिए मिड टर्म सैंपल देना होता है। थोड़ा यूरिन टॉयलेट में जाने के बाद का यूरिन स्टेरीलाइज्ड कंटेनर में रखें। शीशी को अच्छे से बंद करें। महिलाएं माहवारी की जानकारी डॉक्टर को टैस्ट से पहले जरूर दें। यूरिन के अलावा ब्लड, स्टूल और लार के सैंपल के जरिए भी यह टैस्ट किया जाता है । २४ घंटे से हफ्तेभर में आती रिपोर्ट
इसके बाद बैक्टीरिया पर एंटीमाइक्रोबियल परीक्षण होता है जिसमें पता चला है कि कौनसी एंटीबायोटिक्स उसे मार सकती है । रिपोर्ट में दवा और उसके डोज की जानकारी मिलती है जिसके आधार पर डॉक्टर लक्षण व मरीज की अवस्थानुसार दवा देते हैं । हमारा स्वास्थ्य हमारे लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है अगर हम स्वस्थ ही नहीं रहेंगे तो हम खुश नहीं रहेंगे। जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है और खानों में मिलावट हो रहा है और फास्ट फूड का चलन जितनी तेजी से बढ़ रहा है इससे लोगों के सेहत में बहुत ज्यादा असर पड़ रहा है हम लोगों को आए दिन नए-नए बीमारियों का सामना करना पड़ता है। पर सबसे अच्छी बात यह है कि आज हमारा मेडिकल sector बहुत ही तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज हमारे पास कई ऐसे टेस्ट है जिसके जरिए हम बहुत सारी बीमारियों का पता लगा लेते। दोस्तों जब भी हम डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर हमें blood test और urine test कराने बोलते हैं क्योंकि test से ही डॉक्टर हमारी बीमारियों का पता लगाते हैं। यूरिन टेस्ट कई सारी बीमारियों का पता लगाने में बहुत ही सक्षम होता है इसीलिए डॉक्टर यूरीन टेस्ट को भी ज्यादा prefer करते हैं। दोस्तों urine test कई तरह के होते हैं।urine test के अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करके अलग-अलग बीमारियों का पता लगाया जाता है। आज मैं आपको इस आर्टिकल में यूरिन टेस्ट के एक बहुत ही प्रचलित टेस्ट के बारे में विस्तार से बताऊंगा। दोस्तों आज हम urine culture test से जुड़ी सारी जानकारी को जानेंगे इस आर्टिकल में आपको इस टेस्ट से जुड़ी निम्नलिखित जानकारियों को विस्तार से बताऊंगा।
यूरिन कल्चर टेस्ट क्या होता है?Urine culture test kya Hota hai – अगर आप भी यूरिन कल्चर टेस्ट के बारे में जानना चाहते हैं हमारे इस पोस्ट को पूरा ध्यान से पढ़िएगा। दोस्तों यूरिन कल्चर टेस्ट एक यूरिन टेस्ट है जिसका इस्तेमाल हम लोग यूरिन में इंफेक्शन का पता लगाने के लिए करते हैं। Urine culture test के द्वारा द्वारा यह पता लगाया जाता है कि आपके पेशाब में किसी तरह की परेशानी तो नहीं है यह आपके पेशाब करने के रास्ते में किसी तरह का इंफेक्शन जैसे कि fungus,microrgnism,virus का पता लगाता है। यूरिन कल्चर टेस्ट का मुख्य उद्देश्य है कि urine में पाए जाने वाले exact infection का पता लगाता है। infection type का पता लग जाने के बाद डॉक्टर डॉ आपके लिए सही एंटीबॉडी की दवाई लिखता है ताकि आपका अच्छे से इलाज हो सके। इस टेस्ट में आपके पेशाब को पैथोलॉजी में रखा जाता है और उसके बाद आपके urine में पाए जाने वाले microorganism को examine करते हैं और इन्फेक्शन का पता लगाते हैं। यूरिन कल्चर टेस्ट क्यों किया जाता है?Urine culture test kyu kiya jata hai – दोस्तों अब एक सवाल आपके मन में होगा कि यूरिन कल्चर टेस्ट क्यों किया जाता है? urine culture test टेस्ट को तब किया जाता है जब आप के पेशाब में किसी तरह का इंफेक्शन होता है यह आपके पेशाब में जलन होता है। अगर आपको पेशाब करने में दर्द हो रहा है या जलन हो रहा है आपके पेशाब में किसी तरह का इन्फेक्शन जरूर है। अगर आप के पेशाब में जलन हो रही है और किसी तरह की परेशानी हो रही है। तो आपका urine टेस्ट कराया जाता है और अगर आप के यूरिन टेस्ट में plus cell ज्यादा आता है तब आपका यूरिन कल्चर टेस्ट कराया जाता है। अगर मरीज किसी भी तरह का एंटीबायोटिक दवाई आ रहा है और उसे आराम नहीं मिल रहा है और कई तरीके परेशानी हो रही है तब भी यूरिन कल्चर टेस्ट को कराया जाता है। अगर आपको बहुत अधिक ठंड लग रहा है और आप की दवाइयां काम नहीं कर रही हैं तब हो सकता क्या आप के पेशाब में इंफेक्शन हो और उसे इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए यूरिन कल्चर टेस्ट को किया जाता है। यूरिन कल्चर टेस्ट कैसे करें?Urine culture test kaise kare – दोस्तों अब हम यूरिन कल्चर टेस्ट कैसे करें इसके बारे में विस्तार से जानेंगे। दोस्तों culture को आसान भाषा में समझे तो इसका मतलब होता है कि किसी भी microorganism को grow करना और उसके बारे में पता करना। इस टेस्ट को करने के लिए पैथोलॉजी में सबसे पहले आपके यूरीन सैंपल को एक साफ कंटेनर में 3ml यूरिन देना होता है। आप घर के कंटेनर में यूरिन सैंपल को नहीं जमा कर सकते हैं। यूरीन सैंपल को जमा करने का भी दो तरीका है पहला तरीका midstream clean catch Temple और दूसरा तरीका catheter डालकर यूरीन सैंपल को कलेक्ट करना। शुरुआत के 2-4 drop और अंतिम के ड्रॉप को छोड़कर बीच के यूरिन को कलेक्ट किया जाता है। आप कोई भी एंटीबायोटिक खाने के बाद urine sample को ना दें। इस टेस्ट को करने के लिए आपको विभिन्न प्रकार के उपकरणों की जरूरत होती है जैसे कि
इन उपकरणों का इस्तेमाल करके यूरिन कल्चर टेस्ट को किया जाता है। यूरिन को कलेक्ट करने के बाद आपको इसे 24 या 48 घंटे के लिए पैथोलॉजी में रखा जाता है और urine को examine किया जाता है अगर microorganism का growth पाया जाता है। तो फिर आपका यूरिन microorganism से infected है। अगर आपके urine में bacterial growth पाया जाता है तो फिर gramm scanning की जाती है। Gramm scanning के द्वारा बैक्टीरिया का nature का पता लगाया जाता है। bacteria का nature पता लगने के बाद उसे drug sensitive plate में लगाया जाता है। इसके बाद उस सैंपल को कल्चर प्लेट में रखा जाता है। कल्चर प्लेट में सैंपल रखने के बाद फिर से से 48 घंटे के लिए रखा जाता है और फिर उसके बाद उस सैंपल को examine किया जाता है। सबसे आखिरी चरण में आपके ड्रग का टेस्ट किया जाता है अगर वह ड्रग आपके बैक्टीरिया के लिए सेंसिटिव होती है तो वह उस sample plate के आसपास की सारी बैक्टीरिया को खत्म कर देती है। इस चरण में अलग-अलग दवाइयों और ड्रग्स का इस्तेमाल करके देखा जाता है जिस ड्रेस में ज्यादा बैक्टीरिया का खात्मा होता उसी का इस्तेमाल आपके यूरिन इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए किया जाता है। Conclusion दोस्तों आज का आर्टिकल बहुत ही महत्वपूर्ण है इस आर्टिकल में हमने यूरिन कल्चर टेस्ट के बारे में जानना है। दोस्तों हम सबको स्वास्थ्य संबंधित जानकारी को जानना चाहिए। इस आर्टिकल में हमने यूरिन कल्चर टेस्ट के महत्वपूर्ण जानकारियों का विस्तार से जाना है जैसे कि मुझे उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़कर आपको यूरिन कल्चर टेस्ट के बारे में अच्छी जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आता है तो हमारा आर्टिकल को शेयर जरूर करें। धन्यवाद कल्चर टेस्ट क्यों किया जाता है?ये है ब्लड कल्चर जांच : किसी भी लैब में कल्चर टेस्ट को इसलिए लगाया जाता है कि इससे बैक्टीरिया, फंगल या फिर वायरस को पहचाना जा सके। इस टेस्ट से शरीर के भीतर बढ़ने वाले इंफेक्शन को पहचाना जा सकता है। इस टेस्ट में किसी भी वायरस, बैक्टीरिया की ग्रोथ कराकर उसकी ताकत को मापा जाता है।
ब्लड कल्चर की रिपोर्ट कितने दिन में आती है?ब्लड सैंपल लेने के बाद अधिकांश कल्चर में बैक्टीरिया 2 से 3 दिन में नजर आने लगते हैं. लेकिन कुछ बैक्टीरिया 10 या उससे अधिक दिन भी ले लेते हैं. फंगस के मामले में 30 दिन तक लग जाते हैं.
ब्लड इंफेक्शन के लिए कौन सा टेस्ट होता है?लिहाजा डोनर के ब्लड देने के बाद ब्लड बैंक में जमा खून के सैंपल लेकर उनका नैट टेस्ट किया जाएगा। इस टेस्ट में एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी तीन वायरसों का टेस्ट होगा। ये टेस्ट करने के बाद ही ब्लड बैंक में खून रखा जाएगा। इस टेस्ट में ब्लड के अंदर मौजूद किसी भी इन्फेक्शन का पता लगाया जा सकेगा।
स्टूल कल्चर टेस्ट से क्या पता चलता है?अक्सर जब आप बीमारी की स्थिति में डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपका स्टूल (Stool Test) कराता है, क्योंकि अक्सर इस टेस्ट से आपके हेल्थ की बात पता लगती है. वैसे सच बात ये है कि अक्सर आपका मल ये बता देता है कि आपके स्वास्थ्य किस हाल में है. मोटे तौर पर इसे खुद भी जाना जा सकता है.
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