क टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही? - ka topee ne iffan se daadee badalane kee baat kyon kahee?

क टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही? - ka topee ne iffan se daadee badalane kee baat kyon kahee?

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क टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही? - ka topee ne iffan se daadee badalane kee baat kyon kahee?

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टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?

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इफ़्फ़न की दादी टोपी को बहुत प्यार करती थीं। उनकी मीठी-मीठी बोली उसे तिल के लडू या शक्करगुड जैसी लगती थी। टोपी की माँ भी ऐसा ही बोलती थीं परन्तु उसकी दादी उसे बोलने नहीं देती थी। उधर इफ़्फ़न के दादा जी व अम्मी को उनकी बोली पंसद नहीं थी। अत: इफ़्फ़न की दादी और टोपी की माँ दोनों एक स्वर की महिलाएँ थीं। यही सोचकर टोपी ने दादी बदलने की बात की।

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टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?

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इफ़्फ़न की दादी टोपी को बहुत प्यार करती थीं। उनकी मीठी-मीठी बोली उसे तिल के लडू या शक्कर गुड जैसी लगती थी। टोपी की माँ भी ऐसा ही बोलती थीं परन्तु उसकी दादी उसे बोलने नहीं देती थी। उधर इफ़्फ़न के दादा जी व अम्मी को उनकी बोली पंसद नहीं थी। अत: इफ़्फ़न की दादी और टोपी की माँ दोनों एक स्वर की महिलाएँ थीं। यही सोचकर टोपी ने दादी बदलने की बात की।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 B)

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टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही? 


टोपी की दादी का स्वभाव सख्त और अनुशासन प्रिय था। वे हमेशा टोपी को डाँटती और फटकारती रहती थी उसके विपरीत इफ़्फ़न की दादी असीम प्यार से भरी थी। उनकी मीठी-मीठी बोली उसे तिल के लडू या शक्कर गुड जैसी लगती थी। वे कभी बच्चों को डाँटती नहीं थी उसे बड़े प्यार से अपने पास बैठकर बातें करती थी इसलिए टोपी ने दादी के इसी स्नेहपूर्ण स्वभाव के कारण इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही। 

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दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?


दस अक्तूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में एक विशेष महत्त्व रखता है क्योंकि उस दिन टोपी के मित्र इफ़्फ़न के पिता का तबादला हो गया था, उसका मित्र उसे छोड़कर मुरादाबाद चला गया था।  अपने प्रिय दोस्त के चले जाने से वह बहुत दुखी हुआ और इसी दिन उसने कसम खाई थी कि वह तबादला होने वाले मित्र के साथ दोस्ती नहीं करेगा। इसी दिन से टोपी अकेला भी हो गया था और बाद में वह किसी से दोस्ती भी नहीं कर पाया।  

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इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?


दादी का विवाह मौलवी परिवार में हुआ था जहाँ गाना बजाना पसंद नहीं किया जाता था। इसलिए इफ़्फ़न की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी नहीं कर पाई।

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इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?


इफ़्फ़न की दादी जमींदारों के परिवार से आई थी इसलिए वहाँ पर किसी भी चीज की कोई कमी न थी परन्तु उनका विवाह मौलवी के साथ कर देने के कारण उन्हें पाबंदी में रहना पड़ता था। वह वहाँ दूध, घी, दही खाती थी। लखनऊ आकर वह इसके लिए तरस गई थी। इसलिए उन्हें पीहर जाना अच्छा लगता था।

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'अम्मी' शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?


'अम्मी' शब्द को सुनते ही सबकी नज़रें टोपी पर पड़ गई। क्योंकि यह उर्दू का शब्द था और टोपी हिंदू था। इस शब्द को सुनकर जैसे परम्पराओं और संस्कृति की दीवारें डोलने लगीं। घर में सभी हौरान थे। माँ ने डाँटा, दादी गरजी और टोपी की जमकर पिटाई हुई।

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इफ़्फ़न टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?


इफ़्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग मजहब के होते हुए भी एक दूसरे से प्रेमरूपी अटूट बंधन में बंधे हुए थे। एक दूसरे के बिना अधूरे थे परन्तु दोनों की आत्मा में प्यार की प्यास थी। इफ़्फ़न तो अपने मन की बात दादी को या टोपी को कह कर हल्का कर लेता था परन्तु टोपी के लिए इफ़्फ़न और उसकी दादी के अलावा कोई नहीं था। अत इफ़्फ़न वास्तव में टोपी की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

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टोपी ने फन से दादी बदलने की बात क्यों कही?

टोपी की माँ भी ऐसा ही बोलती थीं परन्तु उसकी दादी उसे बोलने नहीं देती थी। उधर इफ़्फ़न के दादा जी व अम्मी को उनकी बोली पंसद नहीं थी। अत: इफ़्फ़न की दादी और टोपी की माँ दोनों एक स्वर की महिलाएँ थीं। यही सोचकर टोपी ने दादी बदलने की बात की।

टोपी ने इफ्फन की दादी से अपनी दादी बदलने की बात क्यों कही होगी इससे बाल मन की किस विशेषता का पता चलता है?

उत्तर:- टोपी की दादी का स्वभाव सख्त और अनुशासन प्रिय था। वे हमेशा टोपी को डाँटती और फटकारती रहती थी उसके विपरीत इफ़्फ़न की दादी असीम प्यार से भरी थी। वे कभी बच्चों को डाँटती नहीं थी उसे बड़े प्यार से अपने पास बैठकर बातें करती थी इसलिए टोपी ने दादी के इसी स्नेहपूर्ण स्वभाव के कारण इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही

2 इफ़्फ़न की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थी?

इफ़्फ़न की दादी जमींदारों के परिवार से आई थी इसलिए वहाँ पर किसी भी चीज की कोई कमी न थी परन्तु उनका विवाह मौलवी के साथ कर देने के कारण उन्हें पाबंदी में रहना पड़ता था। वह वहाँ दूध, घी, दही खाती थी। लखनऊ आकर वह इसके लिए तरस गई थी। इसलिए उन्हें पीहर जाना अच्छा लगता था।

इफ़्फ़न को अपनी दादी से सबसे अधिक प्रेम क्यों था था?

इफ़्फ़न की दादी उसे बहुत प्यार करती थीं, हर तरह से उसकी सहायता करती थीं। उसके अब्बू अम्मी उसे डाँटते थे, उसकी बाजी और नुज़हत भी उसको परेशान करती थीं। दादी उसको रात में अनार परी, बहराम डाकू, अमीर हमज़ा, गुलब काबली, हातिमताई जैसी अनेकों कहानियाँ सुनाती थीं। इसी कारण वह अपनी दादी से प्यार करता था