जैसा की आप सभी जानते हैं झारखंड की पृष्ठभूमि प्रकृति से जुड़ी हुई है, उसी तरह वहाँ के सारे व्रत त्योहार भी प्रकृति से ही जुड़े हुए हैं। चाहे वो जानवर हो या पेड़ पौधे, खेत खलिहान सबकी पूजा के लिए वहाँ अलग अलग त्योहार ऋतुयों के हिसाब से मनाए जाते हैं और वहाँ के मनपसंद पेय हड़िया का सेवन करते हैं। Show चलिए हम आपको लिए चलते हैं झारखंड की उसी प्राकृतिक भूमि में जहाँ आप एक बार, नीचे विस्तरित किए गये त्योहारों में ज़रूर जाएँ और रोमांच भरे इन त्योहारों का मज़ा लें। सरहुल के पर्व में पूजा जाने वाला साल का पेड़ सरहुल पर्व: टूसू/ मकर पर्व: कर्मा पूजा करते लोग कर्मा पर्व: सेंदरा पर्व: आदिवासी नृत्य करते आदिवासी जनजाति लोग भगता पर्व: बँदना पर्व: मागे पोरोब का जश्न मनाते लोग मागे पोरोब: इन अनसुने त्योहारों को मनाने आप एक बार ज़रूर झारखंड की यात्रा करें और वहाँ की संस्कृति और परंपरा के साथ साथ वहाँ की रोचक आदिवासी जनजातियों को भी और करीब से जानें। कृपया अपने सुझाव एवं टिप्पणियाँ नीचे व्यक्त करें। झारखंड में कौन सा त्यौहार मनाया जाता है?हालाकि झारखंड के मुख्य आकर्षण आदिवासी त्योहारों के उत्सव में होता है। यहाँ की सबसे प्रमुख, उल्लास के साथ मनाए जाने वाली त्योहारो में से एक है सरहुल।. 1 सरहुल. 3 जावा. 4 टुशु. 5 हल पुन्हिया. 6 भगता परब. 7 बन्दना. 8 जानी-शिकार. झारखंड में कौन सा त्यौहार चार दिन तक मनाया जाता है?झारखंड में सरहुल बड़े जोशो-खरोश के साथ मनाया जाता है। चार दिनों तक इसका जश्न चलता रहता है। अलग-अलग जनजातियाँ इसे अलग-अलग समय में मनाती हैं।
आदिवासियों का सबसे बड़ा त्यौहार कौन सा है?सरहुल पर्व / Sarhul Festival :
यह आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व है । यह पर्व कृषि कार्य शुरू करने से पहले मनाया जाता है। सरहुल पर्व चैत्र शुक्ल की तृतीया को मनाया जाता है।
आदिवासियों का प्रमुख त्यौहार कौन सा है?सरहुल आदिवासियों का प्रमुख पर्व है। पतझड़ के बाद, जब पेड़ पौधे हरे-हरे होने लगते हैं, फूल वाले पौधों की डालियों पर कलियां निकलने लगती हैं। यानी जब पूरी धरती रंग-बिरंगी होकर उल्लास से नाच उठती है, तब त्यौहार मनाया जाना शुरू होता है और कई दिनों तक चलता है। चैत की तृतीया से शुरू होकर यह पर्व महीने भर चलता है।
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