झेन परंपरा से लेखक का क्या अर्थ है? - jhen parampara se lekhak ka kya arth hai?

जो लोग आदर्श बनते हैं और व्यवहार के समय उन्हीं आर्दशों को तोड़ मरोड़ कर अवसर का लाभ उठाते हैं, उन्हें प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट कहते हैं।

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Question 3:

पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?

Answer:

शुद्ध आदर्श का अर्थ है जिसमें लाभ हानि सोचने की गुजांइश नहीं होती है।

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Question 4:

लेखक ने जापानियों के दिमाग में 'स्पीड' का इंजन लगने की बात क्यों कही है?

Answer:

जापानी लोग उन्नति की होड़ में सबसे आगे हैं। इसलिए लेखक ने जापानियों के दिमाग में 'स्पीड' का इंजन लगने की बात कही है।

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Question 5:

जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?

Answer:

जापानी में चाय पीने की विधि, जिसे टी सेरेमनी कहा गया है, चा-नो-यू कहते हैं।

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Question 6:

जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?

Answer:

जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, वहाँ की सजावट पारम्परिक होती है। वहाँ अत्यन्त शांति और गरीमा के साथ चाय पिलाई जाती है। शांति उस स्थान की मुख्य विशेषता है।

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Question 1:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−

शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?

Answer:

शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नहीं की जा सकती। ताँबा मिलाने से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शुद्धता समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार व्यवहारिकता में शुद्ध आदर्श समाप्त हो जाते हैं। सही भाग में व्यवहारिकता को मिलाया जाता है तो ठीक रहता है।

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Question 2:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−

चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं?

Answer:

चाजीन द्वारा अतिथियों का उठकर स्वागत करना, आराम से अँगीठी सुलगाना, चायदानी रखना, चाय के बर्तन लाना, तौलिए से पोछ कर चाय डालना आदि सभी क्रियाएँ गरिमापूर्ण, अच्छे व सहज ढंग से कीं।

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Question 3:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−

'टी-सेरेमनी' में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?

Answer:

भाग-दौड़ की ज़िदंगी से दूर भूत-भविष्य की चिंता छोड़कर शांतिमय वातावरण में कुछ समय बिताना इस जगह का उद्देश्य होता है। इसलिए इसमें केवल तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता था।

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Question 4:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−

चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?

Answer:

चाय पीने के बाद लेखक ने महसूस किया कि उसका दिमाग सुन्न होता जा रहा है, उसकी सोचने की शक्ति धीरे-धीरे मंद हो रही है। इससे सन्नाटे की आवाज भी सुनाई देने लगी। उसे लगा कि भूत-भविष्य दोनों का चिंतन न करके वर्तमान में जी रहा हो। उसे बहुत सुख मिलने लगा।

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Question 1:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−

गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए?

Answer:

गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। उनका नेतृत्व ही था, जो विभिन्न धर्मों और संप्रदायों में बाँटा भारत एक हो गया और लोग आज़ादी पाने के लिए तत्पर हो गए। उन्होंने जब भी नेतृत्व किया, वे सफल रहे। उनके नेतृत्व के तले सभी धर्मों के लोगों ने अपना भरपूर सहयोग दिया। ऐसे अनेक उदाहरण हमारे सामने विद्यमान हैं, जब उन्होंने अपने सफल नेतृत्व का उदाहरण दिया है। दांडी मार्च ऐसा ही एक आंदोलन है। इसकी सफलता को भुलाया नहीं जा सकता है। भारत छोड़ो आन्दोलन, सत्याग्रह तथा असहयोग आन्दोलन उनके अद्भुत नेतृत्व को दर्शाते हैं। अपनी इसी क्षमता के बल पर उन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलकर पूर्ण स्वराज की स्थापना की।

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Question 2:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−

आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रांसगिकता स्पष्ट कीजिए।

Answer:

ईमानदारी, सत्य, अहिंसा, परोपकार, परहित, कावरता, सहिष्णुता आदि ऐसे शाश्वत मूल्य हैं जिनकी प्रांसगिकता आज भी है। इनकी आज भी उतनी ही ज़रूरत है जितनी पहले थी। आज के समाज को सत्य अहिंसा की अत्यन्त आवश्यक है। इन्हीं मूल्यों पर संसार नैतिक आचरण करता है। यदि हम आज भी परोपकार, जीवदया, ईमानदारी के मार्ग पर चलें तो समाज को विघटन से बचाया जा सकता है।

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Question 3:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−

अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब−

(1) शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ हो।

(2) शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।

Answer:

शुद्ध आदर्श अपनाने से हम पर लोगों का विश्वास बढ़ता है, हम सम्मान पा सकते हैं।

(1) छात्र स्वयं अपनी घटना दिए गए तरीके से लिख सकते हैं −

मेरे जीवन में एक बार ऐसी घटना हुई थी, जिसने मुझे बहुत दुखी किया था। मैंने मास्टर जी से ऐसे लड़के की शिकायत कर दी थी, जो स्कूल में चोरियाँ किया करता था। मास्टर जी तो प्रसन्न हुए परन्तु लड़के ने छुट्टी के बाद अपने साथियों के साथ मिलकर मेरी हड्डियाँ तोड़ दी। मुझे प्लास्टर तो बंधा ही, घरवालों के जो पैसे खर्च हुए अलग, साथ ही एक महीने छुट्टी ले कर घर पर रहना पड़ा। मुझे शुद्ध आदर्श अपनाने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।

(2) व्यवहार में व्यवहारिकता लाना ज़रूरी है। एक महीने बाद जब स्कूल पहुँचा, तो पिछला काम पाने के लिए स्कूल के सबसे अच्छे छात्र को खुश करने के लिए उसकी तारीफ़ की, उसको सराहा और कक्षा कार्य मांगा तो उसने तुरंत मदद कर दी।

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Question 4:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−

'शुद्ध सोने में ताबे की मिलावट या ताँबें में सोना', गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

गाँधीजी व्यवहारिकता की कीमत जानते थे। इसीलिए वे अपना विलक्षण आदर्श चला सके। लेकिन अपने आदर्शों को व्यावहारिकता के स्वर पर उतरने नहीं देते थे। वे सोने में तांबा नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे। इसलिए उनके आदर्श कालजयी हुए।

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Question 5:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−

'गिरगिट' कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश 'गिन्नी का सोना' का संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि 'आदर्शवादिता' और 'व्यवहारिकता' इनमें से जीवन में किसका महत्व है?

Answer:

'गिरगिट' कहानी में स्वार्थी इंस्पेक्टर पल-पल बदलता है। वह अवसर के अनुसार अपना व्यवहार बदल लेता है। 'गिन्नी का सोना' कहानी में इस बात पर बल दिया गया है कि आदर्श शुद्ध सोने के समान हैं। इसमें व्यवाहिरकता का ताँबा मिलाकर उपयोगी बनाया जा सकता है। केवल व्यवहारवादी लोग गुणवान लोगों को भी पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। यदि समाज का हर व्यक्ति आदर्शों को छोड़कर आगे बढ़ें तो समाज विनाश की ओर जा सकता है। समाज की उन्नति सही मायने में वहीं मानी जा सकती है जहाँ नैतिकता का विकास, जीवन के मूल्यों का विकास हो।

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Question 6:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−

लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?

Answer:

लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के कारण बताएँ हैं कि मनुष्य चलता नहीं दौड़ता है, बोलता नहीं बकता है, एक महीने का काम एक दिन में करना चाहता है, दिमाग हज़ार गुना अधिक गति से दौड़ता है। अत: तनाव बढ़ जाता है। मानसिक रोगों का प्रमुख कारण प्रतिस्पर्धा के कारण दिमाग का अनियंत्रित गति से कार्य करना है।

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Question 7:

निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−

लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

लेखक के अनुसार सत्य वर्तमान है। उसी में जीना चाहिए। हम अक्सर या तो गुजरे हुए दिनों की बातों में उलझे रहते हैं या भविष्य के सपने देखते हैं। इस तरह भूत या भविष्य काल में जीते हैं। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। वर्तमान ही सत्य है उसी में जीना चाहिए।

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Question 1:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए −

समाज के पास अगर शाश्वत मुल्यों जैसा कुछ है तो वह आर्दशवादी लोगों का ही दिया हुआ है।

Answer:

आदर्शवादी लोग समाज को आदर्श रूप में रखने वाली राह बताते हैं। व्यवहारिक आदर्शवाद वास्तव में व्यवहारिकता ही है। उसमें आदर्शवाद कहीं नहीं होता है।

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Question 2:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए −

जब व्यवहारिकता का बखान होने लगता है तब 'प्रेक्टिकल आइडियालिस्टों' के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यवहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है?

Answer:

व्यावहारिक आदर्शवाद वास्तव में व्यवहारिकता ही है। वह केवल हानि-लाभ तथा अवसरवादिता का ही दूसरा नाम है।

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Question 3:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए −

हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।

Answer:

जीवन की भाग-दौड़, व्यस्तता तथा आगे निकलने की होड़ ने लोगों का चैन छीन लिया है। हर व्यक्ति अपने जीवन में अधिक पाने की होड़ में भाग रहा है। इससे तनाव व निराशा बढ़ रही है।

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Question 4:

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए −

सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।

Answer:

चाय परोसने वाले ने बहुत ही सलीके से काम किया। झुककर प्रणाम करना, बरतन पौंछना, चाय डालना सभी धीरज और सुंदरता से किए मानो कोई कलाकार बड़े ही सुर में गीत गा रहा हो।

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Question 1:

नीचे दिए गए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग किजिए −

व्यावहारिकता, आदर्श, सूझबूझ, विलक्षण, शाश्वत

Answer:

(क) व्यावहारिकता − दादाजी की व्यावहारिकता सीखने योग्य है।

(ख) आदर्श − आज के युग में गाँधी जैसे आदर्शवादिता की ज़रूरत है।

(ग) सूझबूझ − उसकी सूझबूझ ने आज मेरी जान बचाई।

(घ) विलक्षण − महेश की अपने विषय में विलक्षण प्रतिभा है।

(ङ) शाश्वत − सत्य, अहिंसा मानव जीवन के शाश्वत नियम हैं।

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Question 2:

'लाभ-हानि का विग्रह इस प्रकार होगा − लाभ और हानि

यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए −

(क)

माता-पिता

=

...................

(ख)

पाप-पुण्य

=

...................

(ग)

सुख-दुख

=

...................

(घ)

रात-दिन

=

...................

(ङ)

अन्न-जल

=

...................

(च)

घर-बाहर

=

...................

(छ)

देश-विदेश

=

...................

Answer:

(क)

माता-पिता

=

माता और पिता

(ख)

पाप-पुण्य

=

पाप और पुण्य

(ग)

सुख-दुख

=

सुख और दुख

(घ)

रात-दिन

=

रात और दिन

(ङ)

अन्न-जल

=

अन्न और जल

(च)

घर-बाहर

=

घर और बाहर

(छ)

देश-विदेश

=

देश और विदेश

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Question 3:

नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए −

(क)

सफल

=

.................

(ख)

विलक्षण

=

.................

(ग)

व्यावहारिक

=

.................

(घ)

सजग

=

.................

(ङ)

आर्दशवादी

=

.................

(च)

शुद्ध

=

.................

Answer:

(क)

सफल

=

सफलता

(ख)

विलक्षण

=

विलक्षणता

(ग)

व्यावहारिक

=

व्यावहारिकता

(घ)

सजग

=

सजगता

(ङ)

आर्दशवादी

=

आर्दशवादिता

(च)

शुद्ध

=

शुद्धता

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Question 4:

नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए −

शुद्ध सोना अलग है।

बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।

ऊपर दिए गए वाक्यों में 'सोना' का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में 'सोना' का अर्थ है धातु 'स्वर्ण'। दुसरे वाक्य में 'सोना' का अर्थ है 'सोना' नामक क्रिया। अलग-अलग संदर्भों में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए −

झेन परंपरा की देन क्या है और इसका क्या महत्व है इसका उल्लेख क्यों किया गया है?

'झेन की देन' पाठ हमें अत्यधिक व्यस्त जीवनशैली और उसके दुष्परिणामों से अवगत कराता है। पाठ में जापानियों की व्यस्त दिनचर्या से उत्पन्न मनोरोग की चर्चा करते हुए वहाँ की 'टी-सेरेमनी' के माध्यम से मानसिक तनाव से मुक्त होने का संकेत करते हुए यह संदेश दिया है कि अधिक तनाव मनुष्य को पागल बना देता है।

झेन की देन पाठ में लेखक क्या समझाना चाहता है?

Expert-Verified Answer. 'झेन की देन' पाठ के माध्यम से लेखक 'रविंद्र केलेकर' एक संदेश देना चाहता है। लेखक यह कहना चाहता है कि वर्तमान ही एक मात्र सत्य होता है। भूत व भविष्य दोनों एक भ्रम के समान हैं, क्योंकि भूत वो है, जो बीत गया है, भविष्य तो अभी आया ही नहीं है, इसलिए इन दोनों काल पर हमारा कोई वश नहीं।

लेखक रवींद्र केलेकर ने झेन की देन किसे कहा है और क्यों?

उत्तर – लेखक रवींद्र केलेकर ने स्पर्श के पाठ 'झेन की देन' में वर्तमान को ही सत्य माना है। भूत, भविष्य और वर्तमान में वर्तमान को सत्य माना गया है क्योंकि भूत बीत चुका है तथा भविष्य किसी ने देखा नहीं. अर्थात मनुष्य वर्तमान में ही जीता है तथा वही सत्य है।

लेखक के अनुसार जापानियों को झेन परंपरा की कौन देन मिली है?

Solution : जापान के शांत वातावरण में चाय पीते समय लेखक के दिमाग से भूत और भविष्य दोनों लुप्त हो गए थे। वह वर्तमान में जी रहा था जो अनंत काल जितना विस्तृत था। उसे इस बात का अनुभव हुआ कि जापानियों को झेन परम्परा की यह बड़ी देन मिली है।