Posted by Kumar Lalu , Posted 1197 days ago Show
जातिप्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण बनी हुई हैजातिप्रथा मनुष्य को जीवनभर एक ही पेशे में बाँध कर रखती है भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारन वह भूखों मर जाए | आधुनिक युग में उद्योग -धंधों की प्रिक्रिया तथा तकनीक में निरंतर विकास और अकस्मात परिवर्तन होने के कारण मनुष्य को पेशा बदलने की आवश्यकता पर सकती है |किन्तु ,भारतीय हिन्दू धर्म की जाती प्रथा व्यक्ति को पारंगत होने के वावजूद ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है जो उसका पैतृक पेशा न हो | इस प्रकार पेशा परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारन बानी हुई है | Upvote(0) Downvote Comment View(3392) जाति प्रथा में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है?अम्बेदकर के अनुसार जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है ?
जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का प्रमुख कारण है कैसे?इसका अभिप्राय है कि श्रम शक्ति में रोजगार युक्त तथा बेरोजगार व्यक्ति दोनों सम्मिलित होते हैं। जनसंख्या का वह घटक, जो श्रम शक्ति का भाग नहीं है, गैर - श्रम शक्ति है। इसमें वे सभी व्यक्ति सम्मिलित हैं, जो कार्य नहीं कर रहे है और न ही कार्य की तलाश में हैं और न ही कार्य के लिए उपलब्ध हैं।
जाति प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी और भुखमरी का कारण कैसे बनती जा रही है स्पष्ट कीजिए?उत्तर: जातिप्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी व भुखमरी का भी एक कारण बनती रही है क्योंकि यहाँ जाति प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती बल्कि मनुष्य को जीवन भर के लिए एक पेशे में बाँध भी देती है। उसे पेशा बदलने की अनुमति नहीं होती। भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए।
भारत में जाति प्रथा का मुख्य कारण क्या है?इसके भारतीय जाति प्रथा अपनी तरह की विचित्र और रोचक संस्था है। धर्म की सीमा से बाहर हिन्दुओं व कुछ अपनापन है, उसकी अनोखी अभिव्यक्ति यह जाति-प्रथा है। वास्तव में यह संस्था हिन्दू जीवन को दूसरों से पृथक् कर देती है क्योंकि सैकड़ों भारतीय और विदेशी विद्वानों का ध्यान इस संस्था की ओर आकर्षित हुआ है।
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