सकर्मक और अकर्मक क्रिया क्या होती है? - sakarmak aur akarmak kriya kya hotee hai?

आज इस पोस्ट पर हम सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया के बारे में सारी जानकारी देंगे जिसको पढ़ने के बाद आप आसानी से सकर्मक और अकर्मक क्रिया में अंतर पहचान पाएंगे इस पोस्ट में आपको बताएंगे की–

1. सकर्मक क्रिया की परिभाषा
2. अकर्मक क्रिया की परिभाषा
3. सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया में अंतर
4. सकर्मक क्रिया के उदाहरण
5. अकर्मक क्रिया के उदाहरण
6. सकर्मक क्रिया को कैसे पहचाने
7. अकर्मक क्रिया को कैसे पहचाने

सकर्मक क्रिया की परिभाषा :-

सकर्मक क्रिया उस प्रकार की क्रिया होती है जिसमें कर्ता द्वारा किया गया कार्य किसी अन्य चीज को प्रभावित करता है, तो वहां पर सकर्मक क्रिया होती है।

या दूसरे शब्दों में जब किसी वाक्य में कर्ता, क्रिया और कर्म तीनों उपस्थित हों, तो वहां सकर्मक क्रिया होती है।

जैसे “राहुल ने केला खाया।”
इस वाक्य में राहुल कर्ता है, खाया क्रिया है, और केला यहां पर कर्म है। लेकिन यह कौन सी क्रिया है सकर्मक या अकर्मक ? क्योंकि इस वाक्य में कर्ता क्रिया और कर्म तीनो उपस्थित हैं तो यहाँ सकर्मक क्रिया है।

चलिए एक उदाहरण और देखते हैं –
श्याम ने मेज की सफाई की। इसको दूसरी तरीके से समझते हैं। इस वाक्य में श्याम जो कि एक ‘कर्ता’ है और ‘सफाई’ क्रिया कर रहा है, लेकिन इसका प्रभाव मेज पर पड़ रहा है इसलिए यहाँ सकर्मक क्रिया होगी।

अकर्मक क्रिया की परिभाषा :-

अकर्मक क्रिया वहां पर होती है जहां कर्ता द्वारा किया गया कार्य किसी अन्य चीज को प्रभावित नहीं करता है।
दूसरे शब्दों में जैसे नाम से ही पता चल रहा है ‘अकर्मक’ मतलब कर्म उपस्थित नहीं है। जब किसी वाक्य में कर्ता हो और क्रिया भी हो लेकिन कर्म ना हो तो वहां पर अकर्मक क्रिया होती है। जैसे–

उसैन बोल्ट दौड़ता है। इस वाक्य में उसैन बोल्ट कर्ता का काम कर रहा है और दौड़ना क्रिया है लेकिन इसका प्रभाव और किसी चीज पर नहीं पड़ रहा है इसलिए यहां पर अकर्मक क्रिया है।

सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया में अंतर :-

सकर्मक क्रिया अकर्मक क्रिया
1. इसमें कर्ता, क्रिया और कर्म तीनों उपस्थित होते हैं। 1. इसमें कर्ता और क्रिया तो होते हैं, लेकिन कर्म नहीं होता।
2. इसमें कर्ता द्वारा किए गए कार्य से कोई दूसरी चीज प्रभावित होती है 2. इसमें कर्ता द्वारा किए गए कार्य से किसी और चीज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
3. जैसे– नरेंद्र खाता है। 3. जैसे– नरेंद्र खाना खाता है।

सकर्मक क्रिया के उदाहरण :-

● राम खाना खाता है।

● सचिन फुटबॉल मैच खेलता है।

● बच्चे ने खिलौने तोड़ दिए।

● वह सायकिल से स्कूल जाता है।

● वह सड़क पर बहुत तेज दौड़ता है।

अकर्मक क्रिया के उदाहरण :-

● वह बहुत तेज दौड़ता है।

● वह दिन भर गाता रहता है।

● रमेश पढ़ता है।

● आकाश दिन भर खेलता रहता है।

● अखिलेश चिल्लाता है।

● माया सारा दिन सोती रहती है।

सकर्मक क्रिया को कैसे पहचाने :-

राम खाना खाता है – इस वाक्य में कर्ता ‘राम’ क्रिया ‘खाता’ है जिसका प्रभाव ‘खाना’ पे पड़ रहा है। इसलिए यहाँ सकर्मक क्रिया है।

सचिन फुटबॉल मैच खेलता है – यहाँ पर भी ‘सचिन’ कर्ता द्वारा की गई क्रिया ‘खेलना’ है, जिसका प्रभाव ‘फुटबॉल मैच’ में पड़ रहा है इसलिए यहाँ सकर्मक क्रिया होगी।

बच्चे ने खिलौने तोड़ दिए – यहाँ पर बच्चे द्वारा तोड़ने का प्रभाव ‘खिलौने’ पर पड़ रहा है इसलिए यहाँ सकर्मक क्रिया होगी।

अकर्मक क्रिया को कैसे पहचाने :-

वह बहुत तेज दौड़ता है – यहाँ पर कर्ता द्वारा दौड़ने का प्रभाव किसी अन्य चीज पर नही पड़ रहा है, अर्थात यहाँ कर्म की अनुपस्थिति है। अतः यहाँ अकर्मक क्रिया होगी।

माया सारा दिन सोती रहती है – यहाँ कर्ता ‘मायाा’ के द्वारा ‘दिनभर सोने की क्रिया’ करने का प्रभाव किसी अन्य पर नहीं पड़ रहा है, अतः यहाँ कर्म की अनुपस्थिति है। इसलिए इस वाक्य में अकर्मक क्रिया होगी।

रमेश पढ़ता है – यहां पर रमेश द्वारा ‘पड़ने’ की क्रिया से किसी अन्य चीज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है अतः यहाँ अकर्मक क्रिया होगी।

उम्मीद है अब आपको सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया के बारे में सारी जानकारी हो गई होगी, और अब आप आसानी से सकर्मक और अकर्मक क्रिया में अंतर पहचान पाएंगे। यह और बहुत सारे सरकारी एग्जाम के लिए महत्वपूर्ण होता है।

जाने क्रिया की परिभाषा और भेद उदाहरण सहित

इस पेज पर हम सकर्मक क्रिया की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए।

पिछले पेज पर हमने संज्ञा की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े।

चलिए आज हम सकर्मक क्रिया की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण की समस्त जानकारी पढ़ते और समझते हैं।

सकर्मक क्रिया क्या हैं

सकर्मक का मतलब कर्म के साथ होता है। अर्थात जिस क्रिया का प्रभाव कर्ता पर न पढ़कर कर्म पर पड़ता है तो उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। 

जैसे :-

  • वह एक पत्र लिखता है।

उपर्युक्त वाक्य में लिखना एक सकर्मक क्रिया है क्योंकि यहां आप पत्र कर्म है और लिखना क्रिया है। क्रिया लिखता है का फल कर्म पत्र पर पड़ा है। प्रश्न करने पर वह क्या लिखता है तब उत्तर मिलेगा वह एक पत्र लिखता है अतः लिखना एक सकर्मक क्रिया होगी।

इसी प्रकार

  • मैं खुशी से हँसता हूँ।
  • नीता खाना खा रही है।
  • बच्चे जोरों से रो रहे हैं।
  • श्याम फिल्म देख रहा है।
  • राम आम खाता है।
  • तुम एक किताब पढ़ते हो।

सकर्मक क्रिया के प्रकार

सकर्मक क्रिया के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं।

  • एककर्मक क्रिया
  • द्विकर्मक क्रिया
  • अपूर्ण क्रिया

1. एककर्मक क्रिया

जिस क्रिया के केवल एक कर्म के संपूर्ण होने अर्थात पूरा होने का पता चलता है उसे पूर्ण एककर्मक क्रिया अथवा एककर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे :-

  • वह घर जाता है।
  • वह नाच रहा है।
  • बंदर केला खा रहे हैं।
  • कुत्ते भौंक रहे हैं।

2. द्विकर्मक क्रिया

द्विकर्मक का मतलब दो कर्म वाला होता है। अर्थात जिस क्रिया के साथ दो कर्मों के पूरे होने का पता चलता है उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। इसमें पहला कर्म प्राणीवाचक होता है और दूसरा कर्म निर्जीव होता है।

जैसे :-

  • राधा ने गरीबों को खाना खिलाया।
  • संतो ने सोहन को आशीर्वाद दिया।
  • श्याम अपने पिता के साथ बाजार जा रहा है।
  • पीयूष अपनी बहन के साथ सेब खा रहा है।

3. अपूर्ण क्रिया

जब क्रिया के होते हुए अकर्मक और सकर्मक क्रिया स्पष्ट अर्थ न दें वहाँ पर अपूर्ण क्रिया होती है। इनके अर्थों को पूरा करने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उसे पूरक कहते है।

जैसे :-

  • महात्मा गाँधी थे।

महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता थे। इसमें राष्ट्रपिता लिखने से स्पष्टता आ गई है।

  • तुम हो – तुम बुद्धिमान हो।
  • मैं अगले वर्ष बन जाउँगा – मैं अगले वर्ष अध्यापक बन जाउँगा।

अपूर्ण क्रिया के प्रकार

अपूर्ण क्रिया के दो प्रकार होते हैं।

  • अपूर्ण अकर्मक क्रिया
  • अपूर्ण सकर्मक क्रिया

1. अपूर्ण अकर्मक क्रिया :- कभी कभी कुछ अकर्मक क्रिया को पूरा करने के लिए उनके साथ संज्ञा और विशेषण को पूरक की जगह पर लगाना पड़ता हैं उसे अपूर्ण अकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे :- वह बीमार रहा।

2. अपूर्ण सकर्मक क्रिया :- कभी कभी कुछ सकर्मक क्रियाओं में भी संज्ञा और विशेषण को पूरक की जगह पर लगाना पड़ता हैं उसे अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं।

जैसे :- आपने उसे महान बनाया है।

सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया में अंतर

सकर्मक क्रिया अकर्मक क्रिया
सकर्मक क्रिया में कर्ता, क्रिया और कर्म तीनों उपस्थित होते हैं। अकर्मक क्रिया में कर्ता और क्रिया तो होते हैं, लेकिन कर्म नहीं होता।
सकर्मक क्रिया में कर्ता द्वारा किए गए कार्य का प्रभाव दूसरी चीजों पर पड़ता है। अकर्मक क्रिया में कर्ता द्वारा किए गए कार्य से किसी और चीज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
सीता घर जाती है, बच्चे गणित पढ़ते हैं इत्यादि सकर्मक क्रिया के उदाहरण है बच्चे रोते हैं, सीता हंसती है इत्यादि अकर्मक क्रिया के उदाहरण है।

सकर्मक क्रिया के प्रश्न उत्तर

1. नीचे दिए गए वाक्यों में बताएं कि क्रिया कौन है और वह किस प्रकार की क्रिया है?

(क). पक्षी उड़ते हैं।

उत्तर :- इसमें उड़ना क्रिया है। जो अकर्मक क्रिया है।

(ख). मैंने एक किताब लिखा।

उत्तर :- यहां लिखना एक क्रिया है। जो सकर्मक क्रिया है।

(ग). वह पानी पीती है।

उत्तर :- यहां पीना एक क्रिया है। जो सकर्मक क्रिया है।

(घ). सूर्य उगता है।

उत्तर :- यहां उगना एक क्रिया है। जो अकर्मक क्रिया है।

(च). रीता रोती है।

उत्तर :- यहां रोना एक क्रिया है। जो अकर्मक क्रिया है।

(छ). वह एक खिलौना खरीदता है।

उत्तर :- यहां खरीदना एक क्रिया है। जो सकर्मक क्रिया है।

(ज). हम आम खाते हैं।

उत्तर :- यहां खाना एक क्रिया है। जो सकर्मक क्रिया है।

(झ). पृथ्वी घूमती है।

उत्तर :- यहां घूमना एक क्रिया है। जो अकर्मक क्रिया है।

(ट). मुकुल किताब पढ़ता है।

उत्तर :- यहां पढ़ना एक क्रिया है। जो सकर्मक क्रिया है।

(ठ). कपिल क्रिकेट खेलता है।

उत्तर :- यहां खेलना एक क्रिया है जो सकर्मक क्रिया है।

जरूर पढ़िए :

  • शब्द
  • वाक्य

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अकर्मक सकर्मक क्रिया की पहचान क्या है?

सकर्मक क्रिया वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे शीला ने सेब खाया। मोहन पानी पी रहा है। अकर्मक क्रिया वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे शीला हँसती है। बच्चा रो रहा है।

अकर्मक क्रिया के उदाहरण क्या है?

अकर्मक क्रिया की परिभाषा (Akarmak Kriya Ki Paribhasha) हिंदी व्याकरण के अनुसार कुछ क्रियाएँ ऐसी होती हैं जो प्रयोग की दृष्टि से सकर्मक एवं अकर्मक दोनों होती हैं। जैसे:- खुजलाना, भरना, लजाना, भूलना, बदलना, ललचाना, घबराना इत्यादि।

अकर्मक क्रिया का अर्थ क्या है?

अकर्मक क्रिया का मतलब होता है कर्म के बिना। जिन क्रियाओं को कर्म की जरूरत नहीं पढ़ती या जो क्रिया प्रश्न पूछने पर कोई उत्तर नहीं देती उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं।