जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया क्या है? - jarmanee ke ekeekaran kee prakriya kya hai?

Solution : जर्मनी के एकीकरण हेतू विलियम-I ने हमेशा प्रयास किया। उसने इस कार्य के लिए बिस्मार्क को जर्मनी का चांसलर नियुक्त किया। वह सदा बिस्मार्क को समर्थन प्रदान किया। उसने कुटनितिता से एकीकरण के सारी बाधाओं 7 को दूर किया।

उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया?

मध्यवर्ग के लिए 1848 उदारवाद की क्रांति का अर्थ था व्यक्ति के लिए आज़ादी और सभी के लिए सामान कानून। उस समय यूरोप के अनेक देशों में कई किसान- मज़दूर बेरोजगारी, भुखमरी के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे। तभी उदारवादियों द्वारा भी एक क्रांति हो रही थी। 1848 उदारवादियों में क्रांति का अर्थ राष्ट्रीय एकीकरण के लिए क्रांति माना जाता हैl उन्होंने 1848 की क्रांति में राष्ट्रीय राज्य की मांग को आगे बढ़ाया। वह राष्ट्रीय राज्य, संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता, संगठन बनाने की आज़ादी आदि सिद्धांतों पर आधारित था। उदारवादियों की 1848 की क्रांति के निम्नलिखित विचारों को बढ़ावा दिया-
(i) राजनैतिक विचार- राजनैतिक रुप से उदारवाद एक ऐसी सरकार पर ज़ोर देता था जो सहमति से बनी हो। फ्रांसीसी क्रांति के होने के बाद उदारवाद निरंकुश शासन के विरुद्ध था। उन्होंने पादरी वर्ग के विशेषाधिकार की समाप्ति पर बल दिया। उदारवादियों ने संसद के प्रतिनिधि सरकार का समर्थन किया उनका मानना था कि मत देने का अधिकार केवल उन्ही पुरूषों को नहीं है जिनके पास सम्पति है अपितु महिलाओं को और उन पुरुषों को भी होना चाहिए जिनके पास अधिक सम्पति नहीं है या जो सम्पत्तिविहीन है। उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता, संगठन बनाने जैसे सिद्धांतों का समर्थन किया।
(ii) सामाजिक विचार- उदारवादियों ने नारीवाद के विचार को, महिलाओं के अधिकारों और हितों को तथा स्त्री पुरुष की सामाजिक समानता के विचार को बढ़ावा दिया।
(iii) आर्थिक विचार- आर्थिक क्षेत्र में उदारवादी राज्य द्वारा लगाई गई चीजों तथा पूंजी के आवागमन पर नियंत्रण को खत्म करने के पक्ष में था। 

18वीं शताब्दी में जर्मनी अनेक राज्यों- प्रशिया,बावेरिया, सैकसनी आदि में विभाजित था। इसलिए इसके आर्थिक विकास की गति भी बहुत धीमी थी। राष्ट्रीय चेतना के जाग्रत होने पर जर्मनी के विभिन्न राज्यों केके लिलोगों ने एकीकरण की मांग उठाना आरम्भ कर दी। 1815 ई० में जर्मनी के राज्यों को ऑस्ट्रिया के साथ मिलाकर एक जर्मन महासंघ की स्थापना का प्रयास किया। फ्रैंकफर्ट में एक राष्ट्रीय पार्लियामेण्ट बुलाई गई जिसे संविधान बनाने का कार्य तक सौंपा गया। परन्तु इस पार्लियामेण्ट को ऑस्ट्रिया के विरोध के कारण सफलता प्राप्त न हो सकी।

Table of Contents

  • 1. पहली अवस्था-
  • 2. दूसरी अवस्था-
  • 3. तीसरी अवस्था-
  • 4. चौथी अवस्था –

2. दूसरी अवस्था-

इस क्रान्ति की असफलता के पश्चात् जर्मनी के एकीकरण का कार्य लोकतन्त्र के रूप में न होकर बिस्मार्क द्वारा सैन्य शक्ति एवं कूटनीति के सहारे किया जाने लगा। बिस्मार्क ने अपनी रक्त और लौह की नीति द्वारा इस एकीकरण के कार्य को पूरा किया। सबसे पहले 1864 ई० में बिस्मार्क के नेतृत्व में प्रशिया और डेनमार्क में एक युद्ध हुआ जिसमें प्रशिया की जीत हुई और उसे शेल्सविंग का प्रदेश प्राप्त हुआ।

3. तीसरी अवस्था-

1866 ई० में प्रशिया (या जर्मनी) का ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध हुआ। इस युद्ध में विजय के पश्चात् प्रशिया के साथ अनेक प्रदेश (जैसे हैनोवर, होल्सटीन, लक्समबर्ग, कैसल तथा फ्रैंकफर्ट आदि) आ मिले। जर्मनी से ऑस्ट्रिया का प्रभाव अब हमेशा के लिए समाप्त हो गया और इससे जर्मनी के एकीकरण का कार्य भी सरल हो गया।

4. चौथी अवस्था –

अन्त में 1870 ई० में फ्रांस के साथ जर्मनी का एक भयंकर युद्ध हुआ जिसमें फ्रांस को पराजय का सामना करना पड़ा और उससे आल्सेस और लारेन के महत्त्वपूर्ण प्रदेश छीन लिए गए। इन विजयों से प्रभावित होकर शेष बचे हुए जर्मन प्रदेश (जैसे बवेरिया, बर्टमबर्ग, बेडन और दक्षिणी हैस) भी जर्मन महासंघ में सम्मिलित हो गए और परसिया के शासक बिलियन प्रथम को 1831 ईस्वी में संयुक्त जर्मनी का सम्राट घोषित कर दिया गया।

Solution : 1. जर्मन संघ के उदारवादी मध्य वर्ग 1848 में फ्रैंकफर्ट संसद में मिले। इनका उद्देश्य था, जर्मनी को एक राष्ट्र बनाना। लेकिन उनकी योजना असफल हो गई। 2. इस योजना को राजशाही और फौज की ताकत ने मिलकर दबा दिया। 3. प्रशा के प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क ने जर्मन संघ के एकीकरण के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया। 4. सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा की जीत हुई और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई। 5. जनवरी 1871 में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया

Solution : जर्मनी का एकीकरण जिन-जिन सोपानों में हां उनका विवरण इस प्रकार है -
18वीं शतबी में जर्मनी अनेक राज्यों -प्रशिया , बवेरिया , सैकसनी आदि में बनता हुआ था। इसलिए इसका आर्थिक विकास बहुत धीमा था। राष्ट्रीय चेतना के जाग्रत होने पर जर्मनी के विभिन्न राज्यों के लोगों ने एकीकरण की माँग करना प्रारम्भ कर दिया। 1815 ई. जर्मनी के राज्यों को ऑस्ट्रिया के साथ मिलाकर एक जर्मन महासंघ की स्थापना की कोशिश की गयी। 1848 ई. में इनमें से बहुत से राज्यों में विद्रोह हुए। लोगों ने वहाँ के शासकों को संवैधानिक सुधार करने तथा जर्मनी का एकीकरण करने के लिए विवश किया। इस उद्देश्य के लिए फ्रैंकफर्ट में एक राष्ट्रीय पार्लियमेंट बुलाई गयी। जिसे संविधान-निर्माण का कार्य सौंपा गया। परन्तु इस पार्लियमेंट को ऑस्ट्रिया के विरोध के कारण सफलता नहीं मिली। इसलिए इसके साथ दमनचक्र आरम्भ हो गया और बड़ी संख्या में क्रांतिकारियों को देश छोड़कर भागना पड़ा और अज्ञातवास करना पड़ा।

जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया क्या है?

मध्य यूरोप के स्वतंत्र राज्यों (प्रशा, बवेरिआ, सैक्सोनी आदि) को आपस में मिलाकर १८७१ में एक राष्ट्र-राज्य व जर्मन साम्राज्य का निर्माण किया गया। इसी ऐतिहासिक प्रक्रिया का नाम जर्मनी का एकीकरण है। इसके पहले यह भूभाग (जर्मनी) ३९ राज्यों में बंटा हुआ था।

जर्मनी का एकीकरण कब और कैसे हुआ है?

जुलाई, 1990 में सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव द्वारा नर्म रुख अपनाने के बाद दोनों जर्मन राष्ट्रों के एकीकरण का रास्ता प्रशस्त हो गया. 3 अक्टूबर 1990 को पूर्वी जर्मनी का पश्चिमी जर्मनी में एकीकरण हो गया. (1) जर्मनी का एकीकरण बिस्‍मार्क ने किया. (2) बिस्‍मार्क प्रशा के शासक विलियम प्रथम का प्रधानमंत्री था.

जर्मनी के एकीकरण के क्या कारण थे?

प्रशा (Persia) के नेतृत्व में आर्थिक संघ की स्थापना से राष्ट्रीय एकता की भावना को बल मिला. इससे राजनीतिक एकीकरण को भी प्रोत्साहन मिला. औद्योगिक विकास ने राजनीतिक एकीकरण को ठोस आधार प्रदान किया. जर्मनी का पूँजीपति वर्ग आर्थिक विकास और व्यापार की प्रगति के लिए जर्मनी को एक संगठित राष्ट्र बनाना चाहता था.

जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया में किसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी?

Solution : ओटो वॉन बिस्मार्क: ये प्रसिया के मुख्य मंत्री थे जिन्होंने जर्मनी के एकीकरण की बुनियाद रखी थी

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