1893 में एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर गए थे गांधी जी दक्षिण अफ्रीका
महात्मा गांधी को दादा अब्दुल्ला ने दक्षिण अफ्रीका में वकालत करने का प्रस्ताव दिया, जिसके बाद वे 1893 में एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर दक्षिण अफ्रीका चले गए। दक्षिण अफ्रीका में इनको भारतीय होने के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ा। 7 जून, 1893 को ही महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा का पहली बार इस्तेमाल किया था। वह उन दिनों दक्षिण अफ्रीका के नटाल प्रांत में रहते थे। किसी काम से दक्षिण अफ्रीका में वह एक ट्रेन के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में सफर कर रहे थे। उनके पास वैध टिकट भी था, लेकिन काला होने के कारण कंपार्टमेंट से निकाल दिया गया। वास्तव में अन्याय के खिलाफ खड़े होने की यही हिम्मत तो सविनय अवज्ञा थी।
दक्षिण अफ्रीका में इसके अलावा भी उन्होंने कई अन्य कठिनाइयों का सामना किया। अफ्रीका में कई होटलों को उनके लिए वर्जित कर दिया गया। इसी तरह ही बहुत सी घटनाओं में से एक यह भी थी जिसमें अदालत के न्यायाधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने का आदेश दिया था जिसे उन्होंने नहीं माना।
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महात्मा गांधी के 10 दक्षिण अफ्रीका में किये गए कार्य (10 things done by Mahatma Gandhi in South Africa)
- दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने अफ्रीकी और भारतीयों के प्रति नस्लीय भेदभाव के खिलाफ 1894 में अहिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू किया, इस आंदोलन में हजारों लोग उनके साथ मिलकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
- वह दक्षिण अफ्रीका में सेवा करने और साथी भारतीय को इकट्ठा करने के लिए 1896 में थोड़े समय के लिए भारत आए। उन्होंने 800 भारतीयों को इकट्ठा किया, लेकिन एक विडंबनापूर्ण भीड़ द्वारा उनका स्वागत किया गया और गांधी हमले में घायल हो गए।
- उन्होंने 1899 में बोअर युद्ध के प्रकोप के दौरान अंग्रेजों के लिए भारतीय एम्बुलेंस कोर का आयोजन किया। ताकि ब्रिटिश मानवता को समझ सकें लेकिन भारतीयों पर जातीय भेदभाव और अत्याचार जारी रहे।
- उन्होंने डरबन के पास फीनिक्स फार्म की स्थापना की, जहाँ गांधी ने अपने कैडर को शांतिपूर्ण संयम या अहिंसक सत्याग्रह के लिए प्रशिक्षित किया। इस फार्म को सत्याग्रह का जन्मस्थान माना जाता है।
- उन्होंने एक और फार्म को स्थापित किया, जिसे टॉलस्टॉय फार्म कहा जाता थाए जिसे उस स्थान के रूप में माना जाता है, जहाँ सत्याग्रह को विरोध के हथियार के रूप में ढाला गया था।
- महात्मा गांधी का पहला अहिंसात्मक सत्याग्रह अभियान सितंबर 1906 में स्थानीय भारतीयों के खिलाफ गठित ट्रांसवाल एशियाटिक अध्यादेश के विरोध में आयोजित किया गया था। उसके बाद, उन्होंने जून 1907 में काले अधिनियम के खिलाफ सत्याग्रह भी किया।
- उन्हें 1908 में अहिंसक आंदोलन के आयोजन के लिए जेल की सजा सुनाई गई थीए लेकिन जनरल स्मट्स के साथ मुलाकात के बाद जो एक ब्रिटिश राष्ट्रमंडल राजनेता थे, को रिहा कर दिया गया।
- उन्हें 1909 में वोल्क्सहर्स्ट और प्रिटोरिया में तीन महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी। रिहा होने के बाद, वह वहां भारतीय समुदाय की सहायता लेने के लिए लंदन गए लेकिन उनका प्रयास व्यर्थ गया।
- गांधी जी ने 1913 में गैर-ईसाई विवाहों के ओवरराइड के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- उन्होंने ट्रांसवाल में एक और सत्याग्रह आंदोलन का आयोजन किया था, जिसमें भारतीय नाबालिग पीड़ित थे। उन्होंने ट्रांसवाल सीमा के पार लगभग 2,000 भारतीयों का नेतृत्व किया।
आश्रम में गांधी कई ऐसे काम भी करते थे जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं। जिस ज़माने में वे बैरिस्टरी से हज़ारों रुपये कमाते थे, उस समय भी वे प्रतिदिन सुबह अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसा करते थे। चक्की चलाने में कस्तूरबा और उनके लड़के भी हाथ बँटाते थे। इस प्रकार घर में रोटी बनाने के लिए महीन या मोटा आटा वे खुद पीस लेते थे। साबरमती आश्रम में भी गांधी ने पिसाई का काम जारी रखा। वह चक्की को ठीक करने में भी कभी-कभी घंटों मेहनत करते थे।
Question 1.
इस गद्यांश में किस व्यवसाय का उल्लेख हुआ है?
(a) इंजीनियरिंग का
(b) डॉक्टरी का
(c) बैरिस्टरी का
(d) अन्य
Answer: (c) बैरिस्टरी का
Question 2.
बैरिस्टर रहते हुए भी गांधी जी कौन-सा काम किया करते थे?
(a) आश्रम का काम
(b) सफ़ाई का काम
(c) बरतन धोने का काम
(d) आटा पीसने का काम
Answer: (d) आटा पीसने का काम
Question 3.
चक्की चलाने में गांधी जी का हाथ कौन बँटाता था?
(a) कस्तूरबा गांधी
(b) लड़के
(c) दोनों
(d) इनमें कोई नहीं
Answer: (c) दोनों
(2)
कुछ वर्षों तक गांधी ने आश्रम के भंडार का काम सँभालने में मदद दी। सवेरे की प्रार्थना के बाद वे रसोईघर में जाकर सब्जियाँ छीलते थे। रसोईघर या भंडारे में अगर वे कहीं गंदगी या मकड़ी का जाला देख पाते थे तो अपने साथियों को आड़े हाथों लेते। उन्हें सब्जी, फल और अनाज के पौष्टिक गुणों का ज्ञान था। एक बार एक आश्रमवासी ने बिना धोए आलू काट दिए। गांधी ने उसे समझाया कि आलू और नींबू को बिना धोए नहीं काटना चाहिए।
Question 1.
गांधी जी रसोईघर में जाकर क्या करते थे?
(a) सब्ज़ियाँ बनाते थे।
(b) सब्जियाँ काटते थे।
(c) सब्जियाँ खाते थे।
(d) सब्जियाँ छीलते थे।
Answer: (d) सब्जियाँ छीलते थे।
Question 2.
गांधी जी अपने साथियों को किस बात पर आड़े हाथों लेते थे?
(a) गांधी जी का कहना न मानने पर
(b) काम न करने पर
(c) रसोईघर की सफ़ाई न करने पर
(d) देर तक सोने पर
Answer: (c) रसोईघर की सफ़ाई न करने पर
Question 3.
गांधी जी को किसके पौष्टिक गुणों का ज्ञान था?
(a) फलों के
(b) सब्जियों के
(c) अनाजों के
(d) उपर्युक्त सभी
Answer: (d) उपर्युक्त सभी
(3)
शरीर से जब तक बिलकुल लाचारी न हो तब तक गांधी को यह बात बिलकुल पसंद नहीं थी कि महात्मा या बूढ़े होने के कारण उनको अपने हिस्से का दैनिक शारीरिक श्रम न करना पड़े। उनमें हर प्रकार का काम करने की अद्भुत क्षमता और शक्ति थी। वह थकान का नाम भी नहीं जानते थे। दक्षिण अफ्रीका में बोअर-युद्ध के दौरान उन्होंने घायलों को स्ट्रेचर पर लादकर एक-एक दिन में पच्चीस-पच्चीस मील तक ढोया था। वह मीलों पैदल चल सकते थे। दक्षिण अफ्रीका में जब वे टॉलस्टॉय बाड़ी में रहते थे, तब पास के शहर में कोई काम होने पर दिन में अकसर बयालीस मील तक पैदल चलते थे। इसके लिए वे घर में बना कुछ नाश्ता साथ लेकर सुबह दो बजे ही निकल पढ़ते थे, शहर में खरीददारी करते और शाम होते-होते वापस फार्म पर लौट आते थे। उनके अन्य साथी भी उनके इस उदाहरण का खुशी-खुशी अनुकरण करते थे।
Question 1.
गांधी जी कब अपने हिस्से का कार्य नहीं करते थे?
(a) जब उनसे कोई मिलने आता था।
(b) जब उनके पास नौकर होता था।
(c) जब वे शरीर से बिलकुल लाचार होते थे।
(d) जब उन्हें कोई मिलने आता था।
Answer: (c) जब वे शरीर से बिलकुल लाचार होते थे।
Question 2.
बोअर-युद्ध के समय गांधी ने क्या किया?
(a) रोगियों को भोजन दिया
(b) रसोई घर का काम संभाला
(c) अनाथों की देखभाल की
(d) घायलों को स्ट्रेचर पर ढोया
Answer: (d) घायलों को स्ट्रेचर पर ढोया
Question 3.
गांधी जी कहाँ दिन में अकसर बयालीस मील चलते थे?
(a) टॉलस्टॉय बाड़ी में रहते हुए
(b) केप टाउन में रहते हुए
(c) डरबन में रहते हुए
(d) लुसाका में रहते हुए
Answer: (a) टॉलस्टॉय बाड़ी में रहते हुए
(4)
गांधी अपने से बड़ों का बड़ा आदर करते थे। दक्षिण अफ्रीका में गोखले गांधी के साथ ठहरे हुए थे। उस समय गांधी ने उनके दुपट्टे पर इस्त्री की। वह उनका बिस्तर ठीक करते थे, उनको भोजन परोसते थे और उसके पैर दबाने को भी तैयार रहते थे। गोखले बहुत मना करते थे, लेकिन गांधी नहीं मानते थे। महात्मा कहलाने से बहुत पहले एक बार दक्षिण अफ्रीका से भारत आने पर गांधी कांग्रेस के अधिवेशन में गए। वहाँ उन्होंने गंदे पाखाने साफ़ किए और बाद में उन्होंने एक बड़े कांग्रेसी नेता से पूछा, “मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?” नेता ने कहा, “मेरे पास बहुत से पत्र इकट्ठे हो गए हैं जिनका जवाब देना है? मेरे पास कोई कारकुन नहीं है जिसे यह काम दूं।”
Question 1.
गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में किसके साथ ठहरे हुए थे?
(a) नेहरू जी के साथ
(b) गोखले के साथ
(c) बाल गंगाधर तिलक के साथ
(d) विपिन चंद्र पाल के साथ
Answer: (b) गोखले के साथ
Question 2.
गांधी जी ने गोखले जी के लिए क्या-क्या किया?
(a) कपड़े इस्त्री किया
(b) बिस्तर ठीक किया
(c) भोजन परोस कर दिया
(d) उपर्युक्त सभी
Answer: (d) उपर्युक्त सभी
(5)
जब कभी आश्रम में किसी सहायक को रखने की आवश्यकता होती थी, तब गांधी किसी हरिजन को रखने का आग्रह करते थे। उनका कहना था, “नौकरों को हमें वेतन भोगी, मज़दूर नहीं, अपने भाई के समान मानना चाहिए। इससे कुछ कठिनाई हो सकती है, कुछ चोरियाँ हो सकती हैं, फिर भी हमारी कोशिश सर्वथा निष्फल नहीं जाएगी।”