जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नयनन्हि अब जाइ - jinh paayanh ke paadukanhi bharatu rahe man lai te pad aaju bilokihun inh nayananhi ab jai

जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि

जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नयनन्हि अब जाइ - jinh paayanh ke paadukanhi bharatu rahe man lai te pad aaju bilokihun inh nayananhi ab jai

कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, दोहा, छंद और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड सुन्दरकाण्ड

दोहा

जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ।
ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नयनन्हि अब जाइ॥42॥

भावार्थ

जिन चरणों की पादुकाओं में भरतजी ने अपना मन लगा रखा है, अहा! आज मैं उन्हीं चरणों को अभी जाकर इन नेत्रों से देखूँगा॥42॥

जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नयनन्हि अब जाइ - jinh paayanh ke paadukanhi bharatu rahe man lai te pad aaju bilokihun inh nayananhi ab jai

जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि

जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नयनन्हि अब जाइ - jinh paayanh ke paadukanhi bharatu rahe man lai te pad aaju bilokihun inh nayananhi ab jai


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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