दबाव समूह और आंदोलन:दबाव समूह का निर्माण तब होता है जब समान पेशे, रुचि, महात्वाकांछा या मतों वाले लोग किसी समान लक्ष्य की प्राप्ति के लिये एक मंच पर आते हैं। इस प्रकार के समूह अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिये आंदोलन करते हैं। यह जरूरी नहीं कि हर दबाव समूह जन आंदोलन ही करे। कई दबाव समूह केवल अपने छोटे से समूह में ही काम करते हैं। Show
जन आंदोलन के कुछ उदाहरण हैं: नर्मदा बचाओ आंदोलन, सूचना के अधिकार के लिये आंदोलन, शराबबंदी के लिये आंदोलन, नारी आंदोलन, पर्यावरण आंदोलन। वर्ग विशेष के हित समूह और जन सामान्य के हित समूहवर्ग विशेष के हित समूह: जो दबाव समूह किसी खास वर्ग या समूह के हितों के लिये काम करते हैं उन्हें वर्ग विशेष के समूह कहते हैं। उदाहरण: ट्रेड यूनियन, बिजनेस एसोसियेशन, प्रोफेशनल (वकील, डॉक्टर, शिक्षक, आदि) के एसोसियेशन। ऐसे समूह किसी खास वर्ग की बात करते हैं; जैसे मजदूर, शिक्षक, कामगार, व्यवसायी, उद्योगपति, किसी धर्म के अनुयायी, आदि। ऐसे समूहों का मुख्य उद्देश्य होता है अपने सदस्यों के हितों को बढ़ावा देना और उनके हितों की रक्षा करना। जन सामान्य के हित समूह: जो दबाव समूह सर्व सामान्य जन के हितों की रक्षा करते हैं उन्हें जन सामान्य के हित समूह कहते हैं। ऐसे दबाव समूह का उद्देश्य होता है पूरे समाज के हितों की रक्षा करना। उदाहरण: ट्रेड यूनियन, स्टूडेंट यूनियन, एक्स आर्मीमेन एसोसियेशन, आदि। Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Political Science राजनीति विज्ञान : लोकतांत्रिक राजनीति भाग 2 Chapter 3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes. BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Political Science Solutions Chapter 3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्षBihar Board Class 10 Political Science लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष Text Book Questions and Answersवस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर I. सही विकल्प चुनें। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न
20. प्रश्न
21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. II. (i) मिलान करें- उत्तर- 1. साइकिल 2. लालटेन 3. बंगला 4. तीर। (ii) मिलान करें- उत्तर- 1. य. पी. ए. 2. एनडीए. 3. राष्ट्रीय दल 4. क्षेत्रीय पार्टी। लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. लोकतंत्र में संघर्ष होना आम बात होती है। इन संघर्षों का समाधान जनता व्यापक एकजुटता के माध्यम से करती है। कभी-कभी इस तरह के संघर्षों का समाधान संसद या न्यायपालिका जैसी संस्थाओं द्वारा भी होता है। सरकार को हमेशा जनसंघर्ष का खतरा बना रहता है और सरकार तानाशाह होने एवं मनमाना निर्णय लेने से बचती है। जनसंघर्ष से राजनीतिक संगठनों आदि का विकास होता है। राजनीतिक संगठन लोकतंत्र के लिए प्राण होते हैं। यह राजनीतिक संगठन जन भागीदारी के द्वारा समस्याओं को सुलझाने में सहायक होते हैं। वास्तव में उपर्युक्त कथन का अध्ययन करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र जनसंघर्ष से ही मजबूत होता है। प्रश्न 2. जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने इंदिरा गाँधी के इस्तीफे के लिए प्रभाव डालना शुरू किया। दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल जन प्रदर्शन कर जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी से इस्तीफे की मांग करते हुए राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह की घोषणा की। उन्होंने अपने आह्वान में सेना और पुलिस तथा सरकारी कर्मचारी को भी सरकार का आदेश नहीं मानने के लिए निवेदन किया। इंदिरा गांधी ने इस आंदोलन को अपने विरुद्ध एक षड्यंत्र मानते हुए 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा करते हुए जयप्रकाश नारायण सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को जेल में डाल दिया। आपातकाल के बाद 1977 की लोकसभा चुनाव के जनता पार्टी ने कांग्रेस से सत्ता छीन ली और मोरारजी देसाई जनता पार्टी के सरकार में प्रधान मंत्री बने। वास्तव में बिहार का ‘छात्र आंदोलन’ कालांतर में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन का स्वरूप ले चुका था। जिसकी परिणति 1977 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गाँधी की हार और जनता पार्टी की जीत से हुई। अत: हम उपर्युक्त कथनों के आधार पर यह कह सकते हैं कि बिहार से शुरू हुआ ‘छात्र आंदोलन’ का स्वरूप राष्ट्रीय हो गया। प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. राष्ट्रीय विकास के लिए राज्य एवं समाज में एकता स्थापित होना आवश्यक है। इसके लिए राजनीतिक दल एक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में काम करता है। राजनीतिक दलों में विभिन्न जातियों धर्मों, वर्गों एवं लिंगों के सदस्य होते हैं। ये सभी अपने-अपने जाति, धर्म, एवं लिंग का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। राजनीतिक दल ही किसी देश में राजनीतिक स्थायित्व ला सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि राजनीतिक दल सरकार के विरोध की जगह उसकी रचनात्मक आलोचना करें। राष्ट्रीय विकास के लिए यह भी आवश्यक है कि शासन के निर्णयों में सबकी सहमति और सभी लोगों की भागीदारी हो। इस प्रकार के काम को राजनीतिक दल ही करते हैं। राजनीतिक दल संकट के समय रचनात्मक कार्य भी करते हैं, जैसे प्राकृतिक आपदा के दौरान राहत का कार्य आदि। राष्ट्रीय विकास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की नीतियाँ एवं कार्यक्रम तैयार किये जाते हैं। लोकतांत्रिक देशों में इस तरह की नीतियों एवं कार्यक्रम को विधानमण्डल से पास होना आवश्यक होता है। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के सहयोग से विधानमण्डल ऐसे नीतियों एवं कार्यक्रम पास कराने में सहयोग करते हैं। इन्हीं सब बातों के आधार पर हम समझ सकते हैं कि राजनीतिक दल राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः राष्ट्रीय विकास में राजनीतिक दल बहुत ही व्यापक रूप से योगदान करते हैं। प्रश्न 6. 2. लोकतंत्र का निर्माण –लोकतंत्र में जनता की सहमति या समर्थन से ही सत्ता प्राप्त होती है। इसके लिए शासन की नीतियों पर लोकमत प्राप्त करना होता है और इस तरह के लोकमत का निर्माण राजनीतिक दल के द्वारा ही हो सकता है। राजनीतिक दल लोकमत निर्माण करने के लिए जनसभाएँ, रैलियों, समाचार-पत्र, रेडियो, टेलीविजन आदि का सहारा लेते हैं। 3. राजनीतिक प्रशिक्षण राजनीतिक दल मतदाताओं को राजनीतिक प्रशिक्षण देने का भी काम करता है। राजनीतिक दल खासकर चुनावों के समय अपने समर्थकों को राजनैतिक कार्य, जैसे मतदान करना, चुनाव लड़ना, सरकार की नीतियों की आलोचना करना या समर्थन करना आदि बताते हैं। इसके अलावा, सभी राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक एवं शैक्षिक गतिविधियाँ तेज कर उदासीन मतदाताओं को अपने से जोड़ने का भी काम करते हैं जिससे लोगों में राजनीतिक चेतना की जागृति होती है। 4. दलीय कार्य-प्रत्येक राजनीतिक दल कुछ दल-संबंधी कार्य भी करते हैं, जैसे अधिक-से-अधिक मतदाताओं को अपने दल का सदस्य बनाना, अपनी नीतियाँ एवं कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार करना तथा दल के लिए चंदा इक्कट्ठा करना आदि। 5.चुनावों का संचालन-जिस प्रकार लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में राजनीतिक दलों का होना भी आवश्यक है, उसी प्रकार दलीय व्यवस्था में चुनाव का होना भी आवश्यक है। हमें पहले से यह जानकारी प्राप्त है कि सभी राजनीतिक दल अपनी विचार-धाराओं और सिद्धांतों के अनुसार कार्यक्रमों एवं नीतियाँ तय करते हैं। यही कार्य एवं नीतियाँ चुनाव के दौरान जनता के पास रखते हैं जिसे चुनाव घोषणा-पत्र कहते हैं। राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों को खड़ा करने और कई तरीके से उन्हें चुनाव जिताने का प्रयत्न करते हैं। इसीलिए राजनीतिक दल का एक प्रमुख कार्य चुनाव का संचालन है। 6.शासन का संचालन राजनीतिक दल चुनावों में बहुमत प्राप्त करके सरकार का निर्माण करते हैं। जिस राजनीतिक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता है वे विपक्ष में बैठते हैं जिन्हें विपक्षी दल कहा जाता है। जहाँ एक ओर सत्ता पक्ष शासन का संचालन करता है वहीं विपक्षी दल सरकार पर नियंत्रण रखता है और सरकार को गड़बड़ियाँ करने से रोकता है। .7.सरकार एवं जनता के बीच मध्यस्थता का कार्य राजनीतिक दल का एक प्रमुख कार्य जनता और सरकार के बीच मध्यस्थता करना। राजनीतिक दल ही जनता की समस्याओं और आवश्यकताओं को सरकार के सामने रखते हैं और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाते हैं। इस तरह राजनीतिक दल सरकार एवं जनता के बीच पुननिर्माण का कार्य करते हैं। 8. गैर-राजनीतिक कार्य राजनीतिक दल न केवल राजनैतिक कार्य करते हैं बल्कि गैर-राजनैतिक कार्य भी करते हैं, जैसे प्राकृतिक आपदाओं-बाढ़, सुखाड़, भूकम्प आदि के दौरान राहत संबंधी कार्य आदि। अत: उपयुक्त प्रमुख कार्य राजनीतिक दलों के लिए आवश्यक हैं। तभी वे लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में अपनी साख बचा सकते हैं। प्रश्न 7. Bihar Board Class 10 History लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष Additional Important Questions and Answersवस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 7. अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1.
प्रश्न 2. राजा ज्ञानेन्द्र के इस फैसले के खिलाफ नेपाल में लोकतंत्र की वापसी के लिए देश के प्रमुख राजनीतिक दलों ने आपस में समझौता कर सात दलों के गठबंधन की स्थापना कर ली। आगे चलकर माओवादी आंदोलनकारी जो राजशाही के विरुद्ध पहले से सक्रिय थे इस गठबंधन में शामिल हो गए। नेपाल में लोकतंत्र की वहाली के लिए राजनीतिक शक्तियों के एकजुट हो जाने . से जनता के बीच एक नया संदेश गया। जनता खुलकर लोकतंत्र की वापसी के लिए आंदोलन जो 6 अप्रैल 2006 से सात राजनीतिक दलों के गठबंधन द्वारा चलाया गया था के साथ जुड़ गई। इस प्रकार यह आंदोलन जनसंघर्ष में बदल गया। राजशाही के विरुद्ध जनता के आक्रोश के जनसैलाब के आगे सजशाही को झुकना पड़ा। 24 अप्रैल, 2006 के दिन नेपाल नरेश ज्ञानेन्द्र नेnसंसद को बहाल कर सत्ता सात राजनीतिक दलों के गठबंधन को सौंपने की घोषणा कर दी। इस . प्रकार नेपाल में लोकतंत्र की वापसी के साथ जनसंघर्ष का अंत हो गया। प्रश्न 3. धीरे-धीरे तत्कालीन काँग्रेसी सरकार के विरुद्ध लोग संगठित होते गए और संपूर्ण देश में आंदोलन प्रारंभ हो गया। यह आंदोलन जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इस आंदोलन को जनता का अपार समर्थन मिला। इस प्रकार इसने जनसंघर्ष का रूप धारण कर लिया। जनता पार्टी का गठन हुआ। आंदोलन को दबाने का भरसक प्रयास किया गया, परंतु यह जनसंघर्ष दबने की जगह उग्र रूप लेता गया। सरकार को राष्ट्रीय आपात की घोषणा करनी पड़ी। 1977 में देश में आम निर्वाचन हुआ तो जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और केन्द्र में पहली बार मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्व में गैर-काँग्रेसी सरकार का गठन हुआ। प्रश्न 4. दबाव समूहों की भूमिका भी जनसंघर्ष में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। दबाव समूहों द्वारा ही सरकार की नीतियों को प्रभावित किया जाता है और जनता की मांगों को सरकार से मानने के लिए भी दबाव डाला जाता है। विभिन्न पेशे में लगे लोग जैसे वकील शिक्षक, डॉक्टर, अभियंता, सरकारी कर्मचारी अपने-अपने.हितों की रक्षा के लिए जब संघ बनाते हैं तो उसे हित-समूह कहा जाता है। जब ऐसे समूह द्वारा अपने पक्ष में सरकार को निर्णय करने के लिए बाह्य किया जाता है तब हित समूह दबाव समूह के रूप में कार्य करने लगते हैं। आधुनिक युग में राजनीतिक दल विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ हो जाते हैं। अतः राजनीतिक दलों के साथ-साथ अनेक हित-समूहों का भी विकास हो जाता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि जनसंघर्ष में राजनीतिक दलों के साथ-साथ दबाव-समूहों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। Bihar Board Class 10 History लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष Notes
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