जन गण मन अधिनायक जय है का अर्थ - jan gan man adhinaayak jay hai ka arth

जनगणमन आधिनायक जय हे भारतभाग्यविधाता!

जन गण मन के उस अधिनायक की जय हो, जो भारत के भाग्यविधाता हैं!  

पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग

विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छलजलधितरंग

उनका नाम सुनते ही पंजाब सिन्ध गुजरात और मराठा, द्राविड़ उत्कल व बंगाल

एवं विन्ध्या हिमाचल व यमुना और गंगा पर बसे लोगों के हृदयों में मचलती मनमोहक तरंगें भर उठती हैं

तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशीष मागें

गाहे तव जयगाथा

सब तेरे पवित्र नाम पर जाग उठते हैं, सब तेरे पवित्र आशीर्वाद पाने की अभिलाषा रखते हैं

और सब तेरे ही जयगाथाओं का गान करते हैं

जनगणमंगलदायक जय हे भारतभाग्यविधाता!

जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।।

जनगण के मंगल दायक की जय हो, हे भारत के भाग्यविधाता

विजय हो विजय हो विजय हो, तेरी सदा सर्वदा विजय हो

राष्ट्र गान का मतलब क्या है?

राष्ट्रीय गान एक पवित्र देशभक्ति गीत है जिसे आधिकारिक तौर पर देश द्वारा राष्ट्रीय पहचान की अभिव्यक्ति के रूप में माना जाता है। भारत का राष्ट्रीय गान, “जन गण मन” नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था।

राष्ट्रगान 52 सेकंड में ही क्यों गाया जाता है?

क्योंकि ऐसे समय में राष्ट्रगान की पहली और अंतिम पंक्तियों को ही गाया जाता है।

भारत भाग्य विधाता का मतलब क्या है?

उन्होंने बताया कि भारत भाग्य विधाता के दो मतलब हो सकते हैं-देश की जनता या सर्वशक्तिमान ईश्वर. चाहे उसे भगवान कहें या देव. टैगोर के कहे का अर्थ था कि वे किसी अंग्रेज शासक को भारत का भाग्य विधाता नहीं कह रहे बल्कि ये शब्द ईश्वर या देश की जनता के लिए हैं.

हमारे देश का राष्ट्रीय गान क्या है?

भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' कवि और नाटककार रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। भारत के राष्ट्रगान की पंक्तियाँ रवींद्रनाथ टैगोर के गीत 'भारतो भाग्य बिधाता' से ली गई हैं। मूल बांग्ला में लिखा गया था और पूरे गीत में 5 छंद हैं। पाठ पहली बार 1905 में तत्वबोधिनी पत्रिका के एक अंक में प्रकाशित हुआ था।