भूमि अधिग्रहण पर नियम बदला, अब चार की बजाय दो गुना ही मिलेगा मुआवजाभूमि अधिग्रहण में संशोधन कर दिया गया है। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में ग्रामीण इलाकों में भूमि अधिग्रहण पर चार गुना और शहरी इलाकों में दोगुना मुआवजा देने का प्रावधान था। इसे घटाकर अब दो गुना कर दिया गया है। राजस्व विभाग के अधिकारी अब नए सिरे से आकलन कर किसानों की सूची बनाने में जुट गए हैं। ग्रामीण इलाकों में केंद्रीय परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण बाजार भाव पर ही होगा। । 2015 में सरकार ने इसमें संशोधन किया था, जिसे लेकर राज्यों में संशय था। कुछ राज्यों की मांग पर केंद्र सरकार ने इस बारे में स्पष्टीकरण जारी किया है। इसमें कहा गया है कि भूमि का मुआवजा वही होगा, जो राज्यों ने निर्धारित किया है। हालांकि यह मुआवजा किसी भी हाल में पड़त भूमि के लिए प्रति एकड़ छह लाख, एक फसली सिंचित भूमि के लिए 8 लाख और दो फसली सिंचित भूमि के लिए 10 लाख से कम नहीं होगा। राज्य में चल रही कुछ परियोजनाओं में मुआवजा वितरण को लेकर उलझन की स्थिति बनी थी। छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, पंजाब समेत कुछ राज्यों ने केंद्र सरकार से नेशनल हाइवे के लिए भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा निर्धारण पर मार्गदर्शन मांगा था। केंद्र सरकार ने 8 मई 2017 को एक पत्र भेजकर मामले का समाधान किया है। इसके आधार पर तात्कालीन राजस्व विभाग की प्रमुख सचिव रेणु पिल्लै ने सभी कलेक्टरों को एक परिपत्र जारी किया। जिसमें यह बताया गया कि केंद्रीय ग्रामीण विकास और भू संसाधन मंत्रालय ने कहा है कि अगर भू अधिग्रहण किसी एक राज्य में किया जा रहा है तो भूमि का मुआवजा संबंधित राज्य द्वारा निर्धारित मुआवजे के मुताबिक होगा। अगर किसी परियोजना में एक से ज्यादा राज्यों की भूमि का उपयोग किया जाना है तो मुआवजा केंद्र के हिसाब से तय होगा। राज्यों द्वारा भू अधिग्रहण करने पर मुआवजे में वही गुणांक प्रयुक्त होगा, जो राज्य ने निर्धारित किया है। छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश सरकारों ने पूछा था कि क्या भू अधिग्रहण कानून 2013 के मुताबिक रेल परियोजनाओं और हाइवे परियोजनाओं में मुआवजे का गुणांक दो करना होगा। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने यह स्पष्टीकरण दिया है। प्रदेश में केंद्रीय परियोजनाओं सहित किसी भी परियोजना में भूमि का मुआवजा बाजार भाव के एक के गुणांक से निर्धारित होगा। यानी जो बाजार भाव है वही मुआवजा होगा। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के 26 (2) में इस बात का उल्लेख है कि शहर से दूरी के आधार पर अधिसूचना जारी करना है। देश के अन्य राज्यों के साथ ओडिशा सरकार ने फरवरी 2014 में ही यह अधिसूचना जारी कर चुकी है। इस नियम के तहत शहर से मुआवजा गणना करना है। इसमें शहर से 10 किमी की दूरी पर जमीन अधिग्रहण हो रही है तो एक गुणा, 15 किमी की दूरी पर डेढ़ गुणा और 20 किमी की दूरी है तो 2 गुणा जारी करने का प्रावधान है, लेकिन अब तक छग सरकार इस अधिसूचना को जारी नहीं की है। नए नियम से किसानों को होगा नुकसान रायगढ़ में पुराने 5 और नए 46 प्रकरण धनेली में हरसी हाई लेवल नहर शाखा का निर्माण किया गया था। इस शाखा के लिए जिला प्रशासन ने सन 2013 में भूमि अधिग्रहण किया था, लेकिन किसानों को बाजार मूल्य से कम मुआवजा अदा किया। ग्रामीणों बालकिशन, टिल्लू, पातीराम की 3.15 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इस जमीन का बाजार मूल्य 25 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर था लेकिन प्रशासन ने 20 लाख रुपये का मुआवजा तय कर जमीन का अधिग्रहण कर लिया। नहर का निर्माण भी हो गया। किसानों ने जिला न्यायालय में अधिग्रहण आदेश को चुनौती दी। कोर्ट ने मुआवजा राशि में बदलाव किया। 20 लाख के स्थान पर 30 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा तय किया। कोर्ट ने किसानों के हक में निर्णय देते हुए 30 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा राशि अदा करने का आदेश दिया- इस मामले में किसानों की भूमि को असिचिंत बताया गया था. साथ ही प्रशासन की ओर से कहा गया कि किसानों ने मुआवजा लेते वक्त आपत्ति नहीं ली थी. पर कोर्ट ने किसानों के हक में निर्णय देते हुए 30 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा राशि अदा करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही किसानों को 9 फीसदी ब्याज भी अदा करना होगा। |