जल में कठोरता के क्या कारण हैं? - jal mein kathorata ke kya kaaran hain?

विषयसूची

  • 1 जल की कठोरता का क्या कारण है स्थाई कठोरता कैसे दूर करेंगे?
  • 2 कठोर जल को मृदु बनाने के लिए क्या किया जाता है?
  • 3 जल की स्थाई कठोरता को दूर करने में किसका उपयोग किया जाता है?
  • 4 क्लार्क विधि द्वारा जल के मृदु करण में कौन सा तत्व प्रयुक्त होता है?
  • 5 जल की कठोरता कितने प्रकार की होती है?
  • 6 जल की स्थाई व अस्थाई कठोरता के क्या कारण है?
  • 7 सोडियम कार्बोनेट का व्यापारिक नाम क्या है?

जल की कठोरता का क्या कारण है स्थाई कठोरता कैसे दूर करेंगे?

इसे सुनेंरोकेंस्थाई कठोरता कैसे दूर करेंगे? जल की कठोरता कैल्सियम एवं मैगनीशियम के घुलित लवण जैसे–कैल्सियम बाईकार्बोनेट, मैगनीशियम बाईकार्बोनेट, कैल्सियम क्लोराइड, मैगनीशियम क्लोराइड, कैल्सियम सल्फेट, मैगनीशियम सल्फेट आदि के कारण होती है। इस प्रकार प्राप्त जल साबुन के साथ झाग देता है। यानी जल की स्थायी कठोरता दूर हो जाती है।

इसे सुनेंरोकेंस्थायी कठोरता जल में क्लोराइड और सल्फेट के रूप में मैग्नीशियम और कैल्शियम के घुलनशील लवणों की उपस्थिति के कारण होती है। उबालने से स्थायी कठोरता दूर नहीं होती है। इस विधि भी जिओलाइट/पेरमुटाईट प्रक्रिया कहा जाता है। इस विधि में रेजिन का उपयोग करके जल की स्थायी कठोरता को दूर किया जाता है।

कठोर जल को मृदु बनाने के लिए क्या किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंसोडियम कार्बोनेट (Na2CO3.

जल की स्थाई कठोरता को दूर करने में किसका प्रयोग किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंधोने के सोडा से जल की स्थाई कठोरता दूर होती है।

जल की स्थाई कठोरता को दूर करने में किसका उपयोग किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंजल की स्थाई कठोरता दूर करने के लिए वाशिंग सोडा (Washing Soda) का उपयोग किया जाता है। वाशिंग सोडा का रासायनिक सूत्र Na2CO3​​​. 10H2O होता है।

क्लार्क विधि द्वारा जल के मृदु करण में कौन सा तत्व प्रयुक्त होता है?

इसे सुनेंरोकेंजल की अस्थायी कठोरता मैग्नीशियम और कैल्शियम हाइड्रोजन कार्बोनेट की उपस्थिति के कारण होती है। जल की अस्थायी कठोरता को क्लार्क विधि द्वारा दूर किया जा सकता है। इस विधि द्वारा कठोर जल में चूने Ca(OH)2 की मात्रा की गणना की जाती है।

सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट का सामान्य नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसोडियम बाईकार्बोनेट एक कार्बनिक यौगिक है। इसे मीठा सोडा या ‘खाने का सोडा’ (बेकिंग सोडा) भी कहते हैं क्योंकि विभिन्न व्यंजनों को बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इसका अणुसूत्र NaHCO3 है। इसका आईयूपीएसी नाम ‘सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट’ है।

जल की कठोरता कितने प्रकार की होती है?

इसे सुनेंरोकेंजल की कठोरता दो प्रकार की होती है- 1. अस्थायी कठोरता (Temporary Hardness) 2. स्थायी कठोरता (Permanent Hardness)।

जल की स्थाई व अस्थाई कठोरता के क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंअस्थायी कठोरता जल में कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के हाइड्रोजन कार्बोनेट की उपस्थिति के कारण होती है। इसे उबालकर दूर किया जा सकता है। स्थायी कठोरता (Permanent hardness)-स्थायी कठोरता जल में विलेयशील कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के क्लोराइड तथा सल्फेट के रूप में घुले रहने के कारण होती है। यह उबालने से दूर नहीं की जा सकती है।

जल में कठोरता कितने प्रकार की होती है?

इसे सुनेंरोकेंजल की कठोरता उसमें घुले लवणों के आधार पर दो प्रकार की होती है : (1) अस्थायी कठोरता, और (2) स्थायी कठोरता।

सोडियम कार्बोनेट का व्यापारिक नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसोडियम कार्बोनेट का व्यापारिक नाम वाशिंग सोडा या सोडा ऐश या कपड़े धोने का सोडा है। निर्जल सोडियम कार्बोनेट का रासायनिक सूत्र Na2CO3 हैं।

अस्थायी कठोरता (Temporary hardness)

अस्थायी कठोरता जल में कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के हाइड्रोजन कार्बोनेट की उपस्थिति के कारण होती है। इसे उबालकर दूर किया जा सकता है। स्थायी कठोरता (Permanent hardness)-स्थायी कठोरता जल में विलेयशील कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के क्लोराइड तथा सल्फेट के रूप में घुले रहने के कारण होती है। यह उबालने से दूर नहीं की जा सकती है।

जल की कठोरता | जल की कठोरता कितने प्रकार की होती है

◆  जल एक यौगिक (Compound) है। इसमें हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का अनुपात भार के अनुपात में 1:8 एवं आयतन के अनुपात में 2:1 होता है।

◆ जल दो प्रकार का होता है- 1. मृदु जल (Soft Water) एवं 2. कठोर जल (Hard Water)।

1. मृदु जल (Soft Water)

जो जल साबुन के साथ आसानी से झाग देता है और पीने में उपयुक्त होता है, उसे मृदु व शुद्ध जल कहते हैं।

2. कठोर जल (Hard Water)

◆ वह जल जिसमें साबुन आसानी से झाग नहीं देता है और पीने में उपयुक्त नहीं होता है, उसे कठोर जल कहते हैं।

◆ जल की कठोरता : जल की कठोरता, जल में कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवणों (बाईकार्बोनेट, सल्फेट, क्लोराइड आदि) के कारण होती है। जल की कठोरता को दूर करने के लिए इसमें सोडियम कार्बोनेट (Na₂CO₃) मिलाया जाता है।

◆ जल की कठोरता दो प्रकार की होती है- 1. अस्थायी कठोरता (Temporary Hardness) 2. स्थायी कठोरता (Permanent Hardness)।

1. अस्थायी कठोरता (Temporary Hardness): जल की अस्थायी कठोरता उसमें कैल्सियम (Ca) और मैग्नीशियम (Mg) के बाईकार्बोनेट के घुले रहने के कारण होती है। जल की अस्थायी कठोरता निम्न विधियों से दूर की जा सकती है-

(i) उबालकर : जल को उबालने पर कैल्सियम और मैग्नीशियम के बाईकार्बोनेट विच्छेदित होकर अघुलनशील कार्बोनेट में परिणत हो जाते हैं, जिन्हें छानकर अलग कर दिया जाता है।

(ii) क्लार्क विधि : जल में चूना- जल मिलाकर भी अस्थायी कठोरता दूर की जाती है। इस विधि को क्लार्क विधि कहा जाता है। कठोर जल में चूना-जल की आवश्यक मात्रा डालने पर, कैल्सियम बाईकार्बोनेट और मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट क्रमशः कैल्सियम कार्बोनेट और मैग्नीशियम बाइकार्बोनेट में परिणत होकर अवक्षेपित हो जाते हैं।

(iii) जल में कॉस्टिक सोडा या अमोनिया हाइड्रोऑक्साइड भी डालकर अस्थायी कठोरता दूर की जाती है।

2. स्थायी कठोरता (Permanent Hardness) : जल की कठोरता यदि जल को उबालने से दूर नहीं होती है, तो उस प्रकार की कठोरता स्थायी कठोरता कहलाती है। जल की स्थयी कठोरता निम्नलिखित विधियों से दूर की जा सकती है-

(i) सोडा विधि : जल की स्थायी कठोरता कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवणों के कारण होती है। इन्हें जल से अलग करने के लिए इसमें सोडियम कार्बोनेट का घोल मिलाया जाता है जिससे कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवण अघुलनशील कार्बोनेट में परिणत हो जाते हैं, जिन्हें छानकर अलग निकाल दिया जाता है।

(ii) साबुन विधि : जल की स्थायी कठोरता साबुन मिलाकर भी दूर की जा सकती है। साबुन उच्च वसा-अम्लों का सोडियम लवण होता है। जल में उपस्थित कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवण साबुन की प्रतिक्रिया से, कैल्सियम और मैग्नीशियम के अघुलनशील लवण के रूप में परिणत हो जाते हैं, जिन्हें छानकर बाहर निकाल दिया जाता है।

(iii) परम्यूटिट विधि : यह जल की स्थायी कठोरता दूर करने की मुख्य विधि है। सोडियम और एल्युमिनियम के मिश्रित सिलिकेट को परम्यूटिट या सोडियम जियोलाइट भी कहा जाता है। कठोर जल को जियोलाइट की तहों से प्रवाहित करने पर जल में उपस्थित कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवण सोडियम लवण के रूप में परिणत हो जाते हैं।

(iv) कैलगन विधि : कैलगन, सोडियम हेक्सामेटा फॉस्फेट का व्यापारिक नाम है। यह जल में उपस्थित कैल्शियम और मैग्नीशियम के लवणों के साथ प्रतिक्रिया करता है और इसके फलस्वरूप ऐसे यौगिक का निर्माण होता है, जो अवक्षेप के रूप में जल से अलग तो नहीं होता, साबुन के साथ प्रतिक्रिया भी नहीं करता है।

(v) स्रवण विधि : इस विधि में जल को उबालकर वाष्प में परिणत किया जाता है, पुनः वाष्प को संघनित कर जल में परिणत कर दिया जाता है। फलस्वरूप अपद्रव्य जल से अलग हो जाता है।

पानी की कठोरता के क्या कारण होते हैं?

पानी की कठोरता: यह कार्बोनेट्स, बाइकार्बोनेट्स, सल्फेट्स, कैल्शियम और मैग्नीशियम के क्लोराइड की उपस्थिति के कारण होता है। कैल्शियम और मैग्नीशियम के कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट पानी में मौजूद होते हैं, फिर यह कार्बोनेट या अस्थायी कठोरता की ओर ले जाती है।

जल की कठोरता का क्या कारण है तथा कठोरता कितने प्रकार की होती है?

जल की कठोरता उसमें घुले लवणों के आधार पर दो प्रकार की होती है (1) अस्थायी कठोरता, और (2) स्थायी कठोरता । - 1. अस्थायी कठोरता : ऐसी कठोरता जो जल में घुले कैल्शियम एवं मैग्नीशियम के बाई - कार्बोनेट लवणों के कारण होती है, अस्थायी कठोरता कहलाती है।

जल की कठोरता का क्या कारण है स्थाई कठोरता कैसे दूर करेंगे?

स्थायी कठोरता जल में क्लोराइड और सल्फेट के रूप में मैग्नीशियम और कैल्शियम के घुलनशील लवणों की उपस्थिति के कारण होती है। उबालने से स्थायी कठोरता दूर नहीं होती है। इस विधि भी जिओलाइट/पेरमुटाईट प्रक्रिया कहा जाता है। इस विधि में रेजिन का उपयोग करके जल की स्थायी कठोरता को दूर किया जाता है।

पानी की हार्डनेस कठोरता कितनी होती है *?

कठोरता की मात्रा के अनुसार अगर इसकी मात्रा 60 से कम होती है तो उसे 'मृदु जल' (सॉफ्ट वाटर) कहा जाता है। 61 से 120 के बीच होने पर थोड़ा कठोर और 121 से 180 के बीच होने पर कठोर और 180 से अधिक होने पर बहुत कठोर कहा जाता है।