कच्चे आइटम्स को सड़ाने के लिए ऑक्सीटॉक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें नौसादर, बेसरमबेल की पत्ती और यूरिया भी मिलाया जाता है. ये चीजें नपुंसकता व नर्वस सिस्टम पर दुष्प्रभाव डाल सकती हैं.
बिहार में जहरीली शराब बन रही मौत का कारण (सांकेतिक तस्वीर)
बिहार में शराबबंदी लागू है, लेकिन पिछले 5 दिनों में गोपालगंज, बेतिया और समस्तीपुर में जहरीली शराब पीने से 41 लोग की जानें जा चुकी हैं. स्पष्ट है कि राज्य में शराब बनाई भी जा रही है और बिक भी रही है. शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.. ये बात तो सभी जानते हैं. लेकिन कई बार यह जानलेवा भी साबित होता है. बिहार में भी इन दिनों ऐसा ही हुआ. इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है.
“जहरीली शराब से मौत” की खबरें बिहार या अन्य राज्यों से पहले भी आती रही हैं. सवाल ये है कि कब और कैसे शराब जहरीली हो जाती है. जिस शराब से लोगों की मौत हुई है, उसे कच्ची शराब या देसी दारू के नाम से जाना जाता है. इसे लोकल स्तर पर भी बनाया जाता है. शराब जहरीली कैसे हो जाती है.. इस बारे में जानने से पहले शराब बनने की प्रक्रिया के बारे में जान लेना चाहिए.
कैसे बनाई जाती है देसी शराब?
देसी या कच्ची शराब बनाने की प्रक्रिया के बारे में जान कर आप हैरान हो जाएंगे. बिहार में उत्पाद विभाग के एक अधिकारी ने हमें बताया कि सामान्यत: देसी शराब बनाने के लिए महुआ के फूल, गन्ने या खजूर के रस, शक्कर, शोरा, जौ, मकई, सड़े हुए अंगूर, आलू, चावल, खराब संतरे वगैरह का इस्तेमाल होता है. स्टार्च वाली इन चीजों में ईस्ट मिलाकर फर्मेंटेशन कराया जाता है.
इन्हें सड़ाने के लिए ऑक्सीटॉक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें नौसादर, बेसरमबेल की पत्ती और यूरिया भी मिलाया जाता है. ये चीजें नपुंसकता व नर्वस सिस्टम पर दुष्प्रभाव डाल सकती हैं. इन्हें मिट्टी में गाड़ने के बाद भट्टी पर चढ़ाया जाता है और निकलने वाली भाप से शराब तैयार होती है. इन्हें और नशीला बनाने के लिए मेथेनॉल भी मिलाया जाता है.
कैसे जहरीली हो जाती है शराब?
देसी दारू या कच्ची शराब को अधिक नशीली बनाने के चक्कर में यह जहरीली हो जाती है. देसी शराब को नशीली बनाने के लिए इसमें जब यूरिया, ऑक्सीटॉक्सिन, बेसरमबेल की पत्ती वगैरह मिलाकर फर्मेंटेशन यानी किणवन कराया जाता है, तब इन रसायनों के मिलने से शराब (एथिल अल्कोहल) की बजाय मेथिल अल्कोहल बन जाता है.
यह मेथिल अल्कोहल ही शराब को जहरीला बनाने का कारण होता है. हर शराब शरीर में जाकर अपने एल्किल ग्रुप के एल्डिहाइड में तब्दील हो जाती है. मेथिल अल्कोहल शरीर में जाकर फार्मेल्डिहाइड या फार्मिक एसिड नामक जहर बन जाता है. यह शराब पीने वालों के दिमाग पर सीधा असर करता है.
क्या होता है मेथिल अल्कोहल?
बीएन मंडल यूनिवर्सिटी में केमेस्ट्री के प्रोफेसर रणविजय सिंह बताते हैं कि मेथेनॉल या मेथिल अल्कोहल ग्रुप का सबसे सरल प्रॉडक्ट है. एंटीफ्रीजर में फ्रीजिंग लेवल कम करने के लिए इसे पानी में मिलाया जाता है. यह एक अच्छा विलायक है, जिसका इस्तेमाल दूसरे पदार्थों का घोल बनाने में किया जाता है. जैसे ईथर, क्लोरोफार्म, पॉलिश, वार्निश, पालिश, दवाओं के घोल, कृत्रिम रंग, पारदर्शी साबुन, इत्र वगैरह. यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है. शरीर में जाने के बाद जब यह जहर बनाने लगता है, तो जानलेवा हो जाता है.
कैसे मौत का कारण बनती है जहरीली शराब?
कच्ची शराब में यूरिया, ऑक्सिटोसिन जैसे केमिकल मिलाने की वजह से जब मेथिल अल्कोहल बन जाता है तो यह इंसानी शरीर के लिए जानलेवा हो जाता है. मेथिल अल्कोहल के शरीर में जाते ही केमिकल रिएक्शन तेज होता है. इससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं. कुछ लोगों में यह प्रक्रिया धीरे होती है, जबकि कुछ लोगों में तेजी से. इस कारण कई मामलों में जल्दी मौत हो जाती है.
शराबबंदी के बावजूद बन रही है शराब, हो रही बिक्री
बिहार में यूं तो शराबबंदी है, लेकिन इसके बावजूद राज्य में शराब बनाई जा रही है और इसकी बिक्री भी हो रही है. पिछले साल NFH-5 यानी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट ने शराबबंदी की पोल खोल कर रख दी थी. इस रिपोर्ट ने खुलासा किया था कि राज्य में 15 फीसदी लोग शराब का सेवन कर रहे हैं. शहरी इलाकों में 14 फीसदी, जबकि गांवों मं 15 फीसदी लोग शराब पी रहे हैं. ड्राई स्टेट होने के बावजूद यहां शराब बन भी रही है और बिक भी रही है. पिछले 5 दिनों में जहरीली शराब से 41 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद राज्य सरकार के आदेश पर प्रशासन जांच और कार्रवाई कर रहा है.
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Gujarat Poisonous Desi liquor News: गुजरात में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई है. इससे पहले भी कई बार जहरीली शराब कई लोगों के मौत का कारण बनी है. ऐसे में जानते हैं कि ये कैसे बनती है और खतरनाक होती है?
जहरीली शराब से मौत (सांकेतिक फोटो)
एक बार फिर जहरीली शराब से होने वाली मौत की घटना चर्चा में है. इस बार ये घटना गुजरात में हुई है. गुजरात के बोटाद जिले में जहरीली शराबपीने से अब तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, 40 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हैं. इससे पहले भी अलग-अलग राज्यों में जहरीली शराब से काफी लोगों की मौत होने की घटनाएं हो चुकी हैं. लेकिन, हमेशा सवाल ये उठते हैं कि आखिर जहरीली शराब होती क्या है? ये कैसे बनाई जाती है और इसमें ऐसा क्या होता है कि इसे पीने से लोगों की मौत हो जाती है.
ऐसे में जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब और आपको बताते हैं कि ये शराब किस तरह से लोगों के मरने का कारण बनती है.
क्या होती है ‘जहरीली शराब’?
ये वो शराब होती है, जो गैर कानूनी तरीके से लोगों तक पहुंचती है. कई लोग इसे देसी शराब भी कहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. देसी शराब बनाने के लिए अलग से लाइसेंस मिलता है और इसे वैध तरीके से बेचा जाता है. मगर जिन शराब को जहरीली शराब का नाम दिया जाता है या जिसे पीने से काफी लोगों की मौत हो जाती है, वो लीगल नहीं होती है. आप इसे कच्ची शराब भी कह सकते हैं, जो कई ग्रामीण इलाकों में छुपकर बनाई और बेची जाती है. ये शराब काफी सस्ती होती है, जिसकी वजह से आर्थिक रूप से कमजोर लोग सेहत का ध्यान रखे बिना ही इसका सेवन करते हैं. इसे हर राज्य में अलग अलग नामों से जाना जाता है.
क्यों खतरनाक होती है ये ‘जहरीली शराब’?
जहरीली शराब या इस कच्ची शराब को बनाने का प्रोसेस काफी खतरनाक होता है और ये प्रोसेस ही लोगों की मौत का कारण बनता है. बता दें कि भारत में कोई भी डिस्ट्रिल प्रोसेस के जरिए एल्कोहॉल नहीं बना सकता है, जबकि नॉन डिस्ट्रिल एल्कोहॉल जैसे बीयर, वाइन आदि को लेकर अलग नियम है. मगर कच्ची शराब निर्माता गलत और गैर कानूनी तरीके से डिस्ट्रिल करते हैं.
दरअसल, डिस्ट्रिल करने का प्रोसेस काफी मुश्किल होता है और इसे एक्सपर्ट ही कर सकते हैं, क्योंकि इसमें खास तरीके से भाप को लिक्विड में कन्वर्ट किया जाता है. इस प्रोसेस में पहले मिथाइल निकलता है और उसके बाद इथाइल निकलता है.
ऐसे में इसकी जानकारी होना काफी आवश्यक है और ये पता होना चाहिए कि इथाइल आदि को कैसे अलग करना है और कैसे एल्कोहॉल बनाना है. इसमें मिथाइल को अलग करना जरूरी होता है, क्योंकि शरीर के लिए काफी नुकसानदायक होता है. आम तौर पर गुड़, पानी, यूरिया आदि के जरिए कच्ची शराब बनाई जाती है. इसमें कई ऐसे कैमिकल का इस्तेमाल किए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक होते हैं. लंबे समय तक इसे रखने से इसमें कई बार कीड़े आदि भी चले जाते हैं, जो भी जहरीली शराब का कारण बनते हैं. सीधे भाषा में कहें तो इसमें मिथाइल का ध्यान रखना आवश्यक होता है, क्योंकि ये शरीर के लिए खतरनाक होता है.
बता दें कि इन्हें सड़ाने के लिए ऑक्सीटॉक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें नौसादर, बेसरमबेल की पत्ती और यूरिया भी मिलाया जाता है. ये शरीर के लिए काफी खतरनाक होती है. जब इसमें जब यूरिया, ऑक्सीटॉक्सिन, बेसरमबेल की पत्ती वगैरह मिलाकर फर्मेंटेशन यानी किणवन कराया जाता है, तो इन रसायनों के मिलने से शराब (एथिल एल्कोहॉल) की बजाय मेथिल एल्कोहॉल बन जाता है. यह मेथिल एल्कोहॉल ही शराब को जहरीला बनाने का कारण होता है.
क्या इसमें जहर मिलाया जाता है?
ऐसा नहीं है कि इसमें जहर मिलाया जाता है, लेकिन यह एक तरह से मेथिल एल्कोहॉल होती है और यह शरीर में जाकर फार्मेल्डिहाइड या फार्मिक एसिड नामक जहर बन जाता है. यह शराब पीने वालों के दिमाग पर सीधा असर करता है. इसलिए यह एक तरह से जहर का ही काम करती है और इसलिए इसे जहरीली शराब कहा जाता है. मेथिल अल्कोहल के शरीर में जाते ही केमिकल रिएक्शन तेज होता है. इससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं.