निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?
चालाक लोग धर्म और ईमान के नाम पर सामान्य लोगों को बहला फुसला कर उनका शोषण करते हैं तथा अपने स्वार्थ की पूर्ति करते हैं। वे धर्म के नाम पर दंगे फसाद कराते हैं, लोगों को दूसरे लोगों से लड़ाते हैं, लोगों की शक्ति का दुरूपयोग करते हैं। इस प्रकार धर्म की आड़ में एक व्यापार जैसा चल रहा है। इसे रोकना अतिआवश्यक है। इसके लिए लोगों को धर्म के अर्थ और तत्वों को सही तरह समझाना व उन्हें जागरूक करना आवश्यक है। लोगों को शिक्षित करके साहस और दृढ़ता से धर्म गुरूओं की पोल खोलनी चाहिए।
Concept: गद्य (Prose) (Class 9 B)
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धर्म और ईमान के नाम पर होने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोकना चाहिए?
इस प्रकार धर्म की आड़ में एक व्यापार जैसा चल रहा है। इसे रोकना अतिआवश्यक है। इसके लिए लोगों को धर्म के अर्थ और तत्वों को सही तरह समझाना व उन्हें जागरूक करना आवश्यक है। लोगों को शिक्षित करके साहस और दृढ़ता से धर्म गुरूओं की पोल खोलनी चाहिए।.
साधारण.
स्वार्थ.
दुरूपयोग.
नियंत्रित.
स्वाधीनता.
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या करना िाहहए?
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए हमें कुछ स्वार्थी लोगों के बहकावे में नहीं आना चाहिए।.
यहाँ आम के साथ नीम के भी पौधे लगाना।.
बाज़ार से फल के साथ सब्जियाँ भी लाना।.
सुमन के साथ काव्या भी आएगी।.
पूजा-पाठ के अलावा सदाचार भी सीखना चाहिए।.
किसानों की समस्याएँ अभी भी ज्यों की त्यों हैं।.
धर्म ईमान के नाम पर शोषण कौन करते है?
Answer: भारत के धर्म के कुछ महान लोग साधारण लोगों को भ्रमित कर देते हैं। वे अपना खेल, व्यापार शुरू कर देते हैं। वे अपने को ईश्वर की जगह रख देते हैं और लोगों को ईश्वर, आत्मा, धर्म, ईमान के नाम पर लड़ाते हैं, अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं तथा साधारण लोगों का दुरूपयोग कर शोषण करते हैं।
धर्म और ईमान के नाम पर क्या की जाती है?
Question 2: यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना भिड़ाना। उत्तर: लेखक ने धर्म के नाम पर बहकाए जाने को बुद्धि की मार बताया है। धर्म के नाम पर पहले तो लोगों की बुद्धि पर परदा डाल दिया जाता है।