धातु और अधातु कैसे अभिक्रिया करते हैं? - dhaatu aur adhaatu kaise abhikriya karate hain?

Class 10 Science Chapter 3 धातु एवं अधातु इस अध्याय में हमलोग धातु एवं आधातु, उसके भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म, उसकी प्राप्ति, धातुओं की परिष्करण, एवं उनका संक्षारण आदि के बारे में जानेंगे।

पाठ्यपुस्तक NCERT
कक्षा कक्षा-10
विषय विज्ञान
अध्याय अध्याय 3
प्रकरण धातु एवं अधातु

परिचय (Introduction):

  • प्रकृति में पाए जाने वाले वे शुद्ध पदार्थ, जो न तो अपने से सरल पदार्थों में विभक्त हो सकते हैं और न ही अन्य सरल पदार्थों के योग से बनाये जा सकते हैं, तत्व कहलाते हैं।
  • पृथ्वी पर अबतक लगभग 110 से अधिक तत्वों की जानकारी हो चुकी है। इनमें से दो-तिहाई धातु हैं।  
  • पृथ्वी पर सर्वाधिक मात्र में पाए जाने वाला तत्व ऑक्सीजन (49.9%) है।
  • तत्वों को उनके गुणधर्मों के आधार पर धातु एवं अधातु में वर्गीकृत किया जाता है।

धातु (Metal):

धातु-तत्व, विद्युत तथा ऊष्मा का सुचालक होता है। ठोस अवस्था में ये आघातवर्द्धनीय (Malleable) और तन्य (Ductile) होते हैं।

उदाहरण– सोना (Au), चांदी (Ag), लोहा (Fe), एल्युमिनियम (Al), ताँबा (Cu) आदि

अधातु (Non-metal):

अधातु-तत्व, प्रायः विद्युत तथा ऊष्मा का कुचालक होता है।

उदाहरण– हाइड्रोजन (H), नाइट्रोजन (N), सल्फर (S), ऑक्सीजन (O) आदि

अब तक 22 तत्व अधातु की श्रेणी में आते हैं। इनमें 11 अधातुएँ गैसीय, एक अधातु द्रव (ब्रोमीन) एवं 10 अधातुएँ ठोस रूप में पाई जाती है।

Class 10 Science Chapter 3 धातु एवं अधातु

धातुओं एवं अधातुओं के भौतिक गुणधर्म:

धातुओं एवं अधातुओं के रासायनिक गुणधर्म:

(a) ऑक्सीजन (O2 ) के साथ अभिक्रिया:

(i) धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके धातु ऑक्साइड बनती हैं।

धातु + ऑक्सीजन ⟶ धातु ऑक्साइड

2Cu + O2 ⟶ 2CuO (कॉपर ऑक्साइड)

4Al + 3O2 ⟶ 2Al2 O3 (ऐलुमिनियम ऑक्साइड)

2Mg + O2 ⟶ 2MgO (मैग्नीशियम ऑक्साइड)

धातु ऑक्साइड क्षारीय (Basic) गुण के होते हैं। इनमें से कुछ जल में घुलकर क्षार (Alkalis) प्रदान करते हैं।  

Na2O (s) + H2O (I) ⟶ 2NaOH (aq.)

K2O (s) + H2O (I) ⟶ 2 KOH (aq.) 

धातुएँ ऑक्सीजन के साथ अलग-अलग तरह अभिक्रिया दिखती हैं।

  • सोडियम (Na) और पोटैशियम (K) जैसे धातु खुले हवा में आकस्मिक आग पकड़ लेती हैं जिसे रोकने के लिए इन्हें केरोसिन तेल में डुबो कर रखा जाता है।
  • मैग्नीशियम (Mg), ऐलुमिनियम (Al), जिंक (Zn), लेड (Pb) हवा के साथ धीरे अभिक्रिया करते हैं। इन धातुओं पर ऑक्साइड की परत चढ़ जाती है।
  • आयरन (Fe) हवा में गर्म करने पर प्रज्वलित नहीं होता लेकिन ज्वाला में लौह चूर्ण डालने पर वे तेजी से जलने लगते हैं।
  • Cu भी प्रज्वलित नहीं होता लेकिन उस पर काले रंग के कॉपर ऑक्साइड की परत चढ़ जाती है।
  • Ag (चाँदी) Au (सोना) ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया नहीं करते।

उभयधर्मी आक्साइड (Amphoteric Oxide):वे धातु ऑक्साइड जो अम्ल तथा क्षार दोनों से अभिक्रिया करते हैं और लवण और जल उत्पन्न करते हैं।

Al2O3 + 6HCl ⟶ 2AlCl3 + H2O

Al2O3 + 2NaOH ⟶ 2NaAlO3 + H2O

(b) जल (H2 O) के साथ अभिक्रिया:

धातुएँ जल (H2O) के साथ अभिक्रिया करके धातु ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस बनती हैं। तथा घुलनशील धातु ऑक्साइड जल में घुल कर धातु हाइड्रॉक्साइड बनाते हैं  

धातु + जल ⟶ धातु ऑक्साइड + हाइड्रोजन

धातु ऑक्साइड + जल ⟶ धातु हाइड्रोक्साइड

2Na + H2O ⟶ 2NaOH + H2

Ca + H2O ⟶ Ca(OH)2 + H2

Mg + 2H2O ⟶ Mg(OH)2 + H2

2Al + 3H2O ⟶ Al2O3 + 3H2

3Fe + 4H2O ⟶ Fe3O4 + 4H2

  • सोडियम (Na), पोटैशियम (K) एवं कैल्सियम (Ca) धातुएँ ठंडे जल के साथ भी अभिक्रिया करती है।
  • मैग्नीशियम (Mg), आईरन (Fe) एवं जिंक (Zn) धातुएँ ठंडे जल के साथ अभिक्रिया न कर भाप के साथ अभिक्रिया करती है।
  • कॉपर (Cu) मरकरी (Hg), टीन (Sn), सिल्वर (Ag) और गोल्ड (Au) जैसी धातुएँ जल के साथ अभिक्रिया नही करती है।
  • ताँबा (Cu) धातु उपयोग गर्म जल की टंकी के निर्माण में किया जाता है क्योंकि कॉपर जल के साथ अभिक्रिया नही करती है।

(c) अम्ल के साथ अभिक्रिया:

धातुएँ प्रायः अम्लों के साथ अभिक्रिया करके लवण तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं।

अम्लों के साथ धातु की अभिक्रिया का वेग धातु के विद्युत धनात्मक गुण या उसकी क्रियाशीलता पर निर्भर करता है।  

अधिक विद्युत धनात्मक धातु कम विद्युत धनात्मक धातु की अपेक्षा अम्लों के साथ तेजी से अभिक्रिया करती है।

धातु + तनु अम्ल ⟶ लवण + हाइड्रोजन गैस

Fe + 2HCl ⟶ FeCl2 + H2

Mg + 2HCl ⟶ MgCl2 + H2

Zn + 2HCl ⟶ ZnCl2 + H2

2Al + 6HCl ⟶ 2AlCl3 + 3H2

Cu, Ag, Hg तनु अम्लों क साथ अभिक्रिया नहीं करते।

(d) लवणों के साथ अभिक्रिया:

धातु (क) + लवण विलयन (ख) ⟶ लवण विलयन (क) + धातु (ख)

Zn + CuSO4 ⟶ ZnSO4 + Cu ↓

Fe + CuSO4 ⟶ FeSO4 + Cu  ↓

Cu + 2AgNO3 Cu(NO3)2 + 2Ag ↓

अधिक अभिक्रियाशील धातुएँ अपने से कम क्रियाशील धातुओं को उनके यौगिक के विलयन से विस्थापित करती है। यह धातुओं की सक्रियता श्रेणी पर आधारित है।

सक्रियता श्रेणी (The Reactivity Series):

वह सूची जिसमे धातुओं को क्रियाशीलता के अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया गया है।

धातुओं और अधातुओं के बीच अभिक्रियाएँ:

तत्वों की अभिक्रियाशीलता संयोजकता कोश को पूर्ण करने की प्रवृति के रूप में समझी जा सकती है।

धातु के परमाणु अपने संयोजकता कोश से इलेक्ट्रान त्याग करते हैं और धनायन बनाते हैं। अधातु के परमाणु संयोजकता कोश में इलेक्ट्रान ग्रहण कर ऋणायन बनाते हैं।

उदाहरण:

NaCl का निर्माण

आयनिक यौगिक:

विपरीत आवेशित आयन एक दूसरे को आकर्षित करते हैं तथा मजबूत स्थिर वैद्युत बल में बांधकर आयनिक यौगिक बनाते हैं।

आयनिक यौगिक के गुणधर्म:

(1) भौतिक प्रकृति: ये ठोस व कुछ कठोर होते हैं। ये सामान्यतः भंगुर होते हैं।

(2) गलनांक एवं क्वथनांक: आयनिक यौगिकों का गलनांक एवं क्वथनांक बहुत अधिक होता है।

(3) घुलनशीलता: आयनिक यौगिक प्रायः जल में घुलनशील व केरोसिन, पेट्रोल जैसे विलायकों में अविलेय होते हैं।

(4) विद्युत चालकता: आयनिक यौगिक जलीय विलयन में और गलित रूप में विद्युत का चालन करते हैं। ये ठोस रूप में विद्युत का चालन नहीं करते हैं।

धातुओं की प्राप्ति (Occurrence of Metals):

धातुओं का निष्कर्षण (Extraction of Metals):

खनिज (Minerals):

पृथ्वी में प्राकृतिक रूप में उपस्थित तत्वों एवं यौगिकों को खनिज कहते हैं। जैसे – सोडियम क्लोराइड (NaCl), कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3), जिंक सल्फाइड (ZnS), आइरन सल्फाइड (Fe2S3) आदि

अयस्क (Ores):

वे खनिज जिनमे धातु अधिक मात्रा में पाई जाती है और उसे निकालना लाभकारी होता है, उसे अयस्क कहते हैं। जैसे – बॉक्साइट (Al2O3 . 2H2O) और मिट्टी (Al2O3  . 2SiO2 . 2H2O) दोनों ऐलुमिनियम के खनिज हैं। इनमें बॉक्साइट से ही ऐलुमिनियम धातु सरलता से एवं अपेक्षाकृत कम खर्च में प्राप्त हो सकती है। इसलिए बॉक्साइट ही ऐलुमिनियम का अयस्क है।

सभी अयस्क खनिज होते हैं, किन्तु सभी खनिज अयस्क नही होते है।

कुछ मुख्य परिभाषाएँ:

(a) गैंग (Gangue): पृथ्वी की परत से प्राप्त खनिज अयस्कों में रेत, कंकड़ या मिट्टी आदि जैसी कई अशुद्धियाँ पाई जाती हैं, जिन्हें गैंग (gangue) कहा जाता है।

(b) भर्जन (Roasting): सल्फाइड अयस्कों को वायु की उपस्थिति में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में बदल जाता है। इस प्रक्रिया को भर्जन कहते हैं।

(c) निस्तापन (Calcination): कार्बोनेट अयस्क को सीमित वायु में अधिक ताप पर गर्म करने से यह ऑक्साइड में बदल जाता है। इस प्रक्रिया को निस्तापन कहा जाता है।

(d) अपचयन (Reduction): धातु ऑक्साइड से कार्बन जैसे अपचायक का उपयोग कर धातु प्राप्त की जा सकती है।

धातुओं की परिष्करण (Refining of Metals):

✍ धातुओं से अपद्रव को हटाने के लिए सबसे अधिक उपयोगी विधि विद्युत अपघटनी परिष्करण (Electrolytic refining) है।

✍ कॉपर, जिंक, टीन, निकेल, सिल्वर, गोल्ड आदि जैसी अनेक धातुओं का परिष्करण विद्युत अपघटन द्वारा किया जाता है।

तांबे का विद्युत अपघटनी परिष्करण विधि (Electrolytic refining process of Copper):

ऐनोड पर ⟶ अशुद्ध तांबा

कैथोड पर ⟶ शुद्ध तांबा

विलयन ⟶ CuSO4 + तनु सुल्फ्यूरिक अम्ल (सूक्ष्म मात्रा में)

✍ विद्युत अपघट्य से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब ऐनोड से अशुद्ध तांबा विद्युत अपघट्य में घुल जाती है।उतनी ही मात्र में शुद्ध तांबा विद्युत अपघट्य से कैथोड पर निक्षेपित हो जाती है।

✍ अविलेय अशुद्धियाँ ऐनोड तली पर निक्षेपित होती है, जिसे ऐनोड पंक कहते है।

✍ धातुएँ अपने आस-पास अम्ल, आद्रता एवं वायु आदि के संपर्क में आने से संक्षारित हो जाती है। इस परिघटना को संक्षारण कहते हैं।

संक्षारण (Corrosion):

(1) सिल्वर (Silver): वायु में उपस्थित सल्फर के साथ अभिक्रिया कर सिल्वर सल्फाइड बनाता है जिसके कारण वस्तु काली हो जाती है।

(2.) कॉपर (Cupper): कॉपर आर्द्र कार्बन डाइआक्साइड के साथ अभिक्रिया करके हरे रंग का कॉपर कार्बोनेट बनाता है,

(3) लोहा (Iron):आर्द्र वायु में लोहे पर भूरे रंग के पदार्थ की परत चढ़ जाती है, जिसे जंग कहते हैं।

संक्षारण से सुरक्षा (Prevention of Corrosion):

✍ लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता हैं।

✍ पैंट करके, तेल लगाकर, ग्रीज लगाकर, यशदलेपन करके, क्रोमियम लेपन द्वारा, ऐनोडीकरण या मिश्रधातु बनाकर।

यशदलेपन (Galvanisation): लोहे एवं इस्पात को जंग से सुरक्षित रखने के लिए उनपर जस्ते (Zinc) की पतली परत चढ़ाई जाती हैं, इसे यशदलेपन कहते हैं।

क्रोमियम लेपन (Chrome-plating): किसी धातु का संक्षारण रोकने की लिए उस धातु की सतह पर टीन (Sn), निकेल (Ni), क्रोमियम (Cr), ताँबा (Cu), आदि धातु की परत चढ़ना क्रोमलेपन या क्रोमियम लेपन कहलाता है।

ऐनोडीकरण (Anodising): ऐलुमिनियम धातु को खुली हवा में छोड़ देने से उसकी सतह पर उसके ऑक्साइड की एक परत बैठ जाती है जिससे ऐलुमिनियम धातु का संक्षारण रुक जाता है। ऐलुमिनियम का ऐनोडीकरण कर उसके परत को और अधिक मोटा किया जाता है।

मिश्रधातु (Alloy):

✍ दो या दो से अधिक धातु या एक धातु एवं एक अधातु के समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं।

✍ लोहा सूक्ष्म मात्रा में (0.05%) कार्बन के मिश्रण के साथ कठोर और प्रबल हो जाता हैं।

✍ इस्पात (Steel) = लोहा + निकेल और क्रोमियम

मिश्रधातु बनावट उपयोग
1. पीतल (Brass)   Cu (80%) + Zn (20%)   बरतन, नलियाँ एवं कारतूस बनाने में
2. कांसा (Bronze)   3. सोल्डर (Solder)   Cu (90%) + Sn (10%)   Pb (50%) + Sn (50%)   मूर्तियाँ, सिक्के,जहाज, मशीन आदि के निर्माण में   धातुओं एवं विद्युत तारों को जोड़ने में
4. ड्यूरालुमिन (Duralumin) Al (95%) + Cu (3%) + Mn (1%) + Mg (0.5%) + Si (0.5%)   वायुयान के ढांचे, रसोईघर के समान, स्वचालित वाहनों के पार्ट्स के निर्माण में

धातु और अधातु कैसे अभिक्रिया करती है?

2022-23 धातु एवं अधातु चाकू से आसानी से काटा जा सकता है। ऊष्मा की कुचालक होती है । लगभग सभी धातुएँ ऑक्सीजन के साथ मिलकर संगत धातु के ऑक्साइड बनाती हैंधातु + ऑक्सीजन → धातु ऑक्साइड उदाहरण के लिए, जब कॉपर को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है तो यह ऑक्सीजन के साथ मिलकर काले रंग का कॉपर (II) ऑक्साइड बनाता है।

धातु और अधातु में क्या अंतर है?

धातुएँ सामान्यत: ऊष्मा एवं विद्युत की सुचालक होती हैं। अधातुएँ विद्युत की कुचालक, अपवाद-ग्रेफाइट (कार्बन का अपररूप) होती है।

कुल कितने धातु है?

धातु और अधातु । आवर्त सारणी मे कुल 118 तत्‍वो मे से 91 तत्‍व धातु है जबकि 27 तत्‍व अधातु है ।

धातु कैसे होते हैं?

धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैंधातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं

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