इंग्लैंड में गृह युद्ध के क्या कारण थे? - inglaind mein grh yuddh ke kya kaaran the?

B.A.I, History II

प्रश्न 13 इंग्लैण्ड में हुए गृह युद्ध (1642-1649 ई.) के कारण बताइए। इस युद्ध में चार्ल्स प्रथम की पराजय के क्या कारण थे?
उत्तर-1625 ई. में जेम्स प्रथम की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र चार्ल्स प्रथम इंग्लैण्ड का शासक बना। संसद और राजा के मध्य चला आ रहा संघर्ष चार्ल्स प्रथम के काल (1625-1649 ई.) में भी जारी रहा। चाल्र्स प्रथम ने 1625 में 1629 ई. के मध्य तीन बार संसद की बैठकें बुलाई और तीनों बार संसद से उसके संघर्ष हुए तथा बिना किसी परिणाम पर पहुँचे ही संसद भंग कर दी गई। 1609 से 1640 ई. तक चार्ल्स प्रथम ने बिना संसद के ही शासन किया। वैधानिक इतिहास में इसे निरंकुश अथवा अनियन्त्रित शासनकाल कहा जाता है। परन्तु 160ई. में युद्धकालीन आर्थिक साधनों की पूर्ति हेतु चार्ल्स प्रथम ने लघु संसद का अधिवेशन बुलाया, परन्तु यह भंग कर दी गई। 

इसके पश्चात् चार्ल्स प्रथम ने पुनःसंसद की बैठक बुलाई, जो 'दीर्घ संसद' के नाम से विख्यात है। लघु संसद  और दीर्घ संसद के द्वारा चार्ल्स प्रथम अपनी स्थिति को सुदृढ़ करना चाहता है। किन्तु उसे अपने मन्तव्य में सफलता नहीं मिली। धार्मिक मतान्तरों में संसद दो भागों में विभाजित हो गई और देश में उपद्रव प्रारम्भ हो गए। 1642 से इंग्लैण्ड में गृह युद्ध प्रारम्भ हो गया, जो 1649 ई. तक चला। यह ग्रह युद्ध 2 भागों में हुआ । प्रथम ग्रह युद्ध 1642 से 1646 ई. तक चला और द्वितीय 1646-1649 ई. तक चलता रहा।

इंग्लैण्ड में हुए गृह युद्ध के कारण

1642 ई. की ग्रीष्म ऋतु से 1648 ई. के अन्त तक के काल में इंग्लैण्ड में हुआ गृह युद्ध एक धार्मिक एवं राजनीतिक संघर्ष था, जो 1649 ई. में चार्ल्स प्रथम की मृत्यु के उपरान्त ही बन्द हुआ। इस गृह युद्ध के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

(1) चार्ल्स 'प्रथम की निरंकुशता–

चार्ल्स प्रथम को राजा और संसद के मध्य अधिकारों के लिए संघर्ष अपने पिता से विरासत में प्राप्त हुआ था, जिसे उसने अपनी निरंकुश प्रवृत्ति के कारण विस्तृत रूप प्रदान कर दिया। वह एक स्वेच्छाचारी, अपव्ययी एवं लोभी राजा था। धन प्राप्त करने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार था। अपने पिता जेम्स प्रथम के समान राजा के दैवी अधिकारों का समर्थक होने के कारण उसे जनता तथा संसद द्वारा हस्तक्षेप पसन्द न था। उसका ग्यारह वर्ष का व्यक्तिगत शासन उसकी कठोरता और क्रूरता का स्पष्ट प्रमाण है, जिससे जनता उसकी विरोधी हो गई थी।

(2) चार्ल्स प्रथम की आर्थिक नीति–

गृह युद्ध का एक प्रमुख कारण चार्ल्स प्रथम की आर्थिक नीति थी। चार्ल्स प्रथम को फ्रांस व स्पेन के साथ चलने वाले युद्ध के लिए धन की अत्यधिक आवश्यकता थी। जब संसद ने धन की स्वीकृति नहीं दी, तो चार्ल्स प्रथम ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु धन प्राप्त करने के असंवैधानिक साधनों का सहारा लिया। उसने अनेक अवांछनीय कर लगाए, अपराधियों पर भारी जुर्माने किए, रिश्वत लेकर व्यापारियों को ठेके प्रदान किए तथा धनी व्यक्तियों से अनेक उपहार प्राप्त किए। उसने विभिन्न सम्पत्तियाँ बेचकर धन एकत्रित करना आरम्भ कर दिया। गलत साधनों से धन एकत्रित करने के कारण संसद उससे रुष्ट हो गई, क्योंकि कर लगाने का अधिकार संसद को प्राप्त था। चार्ल्स प्रथम ने बलपूर्वक संसद को दबाना चाहा, परिणामस्वरूप गृह युद्ध को बल मिला।

(3) चार्ल्स प्रथम की प्रशासनिक नीति— 

संसद ने राजा से एक अधिकार-पत्र (Petition of Right)पर हस्ताक्षर करवाए थे, जिसके अनुसार किसी व्यक्ति को  बिना कारण बताए बन्दी नहीं बनाया जा सकता था ,सैनिक गृहस्थों के घर में नहीं ठहर सकते थे। इसके अतिरिक्त शान्तिकाल में सैनिक कानून लागू नहीं किया जा सकता था। आगे चलकर चार्ल्स प्रथम ने अधिकार-पत्र की धाराओं का उल्लंघन करना प्रारम्भ कर दिया। इससे दोनों पक्षों के मध्य मतभेद बढ़ने लगा और गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई।

(4) चार्ल्स प्रथम की धार्मिक नीति—

संसद और चार्ल्स प्रथम के मध्य संघर्ष का एक प्रमुख कारण चाल्र्स प्रथम की धार्मिक असहिष्णता की नीति भी श्री । यद्यपि चार्ल्स प्रथम स्वयं ऐंग्लिकन चर्च का अनुयायी था, परन्त उसकी रानी तरीटा कैथोलिक धर्म की अनुयायी थी, जिसके कारण चार्ल्स प्रथम कैथोलिक कर्म के मानने वालों को विशेष सुविधाएँ देना चाहता था। किन्तु जनता उसकी इस विचारधारा की विरोधी थी। संसद में प्यूरिटन सदस्यों का बहुमत था। चार्ल्स प्रथम उनके द्वारा प्रस्तावित सुधारों को लागू नहीं करना चाहता था। धार्मिक नीति के कारण ही इंग्लैण्ड का स्कॉटलैण्ड से युद्ध भी हुआ तथा इंग्लैण्ड को अपमान सहन करना पड़ा।

(5) चार्ल्स प्रथम के मन्त्री-

चार्ल्स प्रथम के मन्त्री बकिंघम की हत्या के पश्चात अन्य मन्त्रियों वेण्टवर्थ और लॉड ने महत्त्व ग्रहण करना आरम्भ कर दिया था, परन्तु जनता उनकी क्रूरता और उत्पीड़क नीतियों के कारण उनसे घृणा करती थी। इनके कारण जनता को अत्यधिक कष्ट सहने पड़े। चार्ल्स प्रथम के ग्यारह वर्ष के व्यक्तिगत शासन में उन्होंने मनमाने तरीके से जनता का शोषण किया था, जिसके कारण जनता उनसे छुटकारा पाना चाहती थी। संसद द्वारा वेण्टवर्थ को फाँसी और लॉड के बन्दीकरण के पश्चात् चार्ल्स प्रथम संसद से बदले की भावना रखने लगा, जिससे स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण हो गई थी।

(6) सामाजिक कारण-

गृह युद्ध के विस्फोट के लिए कुछ सामाजिक कारण भी उत्तरदायी थे। संसद का नेतृत्व प्रमुख रूप से कर्मठ किसानों और साधारण व्यापारियों के हाथ में था, जबकि चार्ल्स प्रथम के समर्थक अधिकांशतः उच्च कोटि के व्यापारी अथवा जमींदार थे, जो आराम और विलासिता का जीवन व्यतीत कर रहे थे। 1590 ई. तक राजा और कुलीन वर्ग के स्वार्थ एक समान थे, किन्तु चार्ल्स प्रथम के शासनकाल में तनाव उत्पन्न होने लगा और दोनों के मध्य मधुर सम्बन्ध बनाए रखना कठिन हो गया। कुलीन तथा सामन्त वर्ग यह अनुभव करने लगे कि राजा व उसकी नीति उनकी प्रगति के मार्ग में बाधक है। राजा निरकुश राजतन्त्र का समर्थक था, किन्तु संसद राज्य के दैवी उत्पत्ति के सिद्धान्त विरुद्ध थी। अत: इंग्लैण्ड में गह युद्ध का वातावरण तैयार हो गया था।

 चार्ल्स प्रथम की पराजय के कारण

 इंग्लैण्ड के गृह युद्ध में चार्ल्स प्रथम की पराजय के निम्नलिखित निम्नलिखित कारण थे

(1) संसद की कशल सेना एवं योग्य सेनापतित्व-

चार्ल्स प्रथम की का सबसे प्रमुख कारण संसद के सैनिकों का योग्य एवं अनुभवी होना था। ने सैनिक पुनर्गठन करके स्थायी पेशेवर सेना का निर्माण किया। क्रॉमवेलकुशल तापति था तथा उसने अपने सैनिकों में अनुशासन, धार्मिक प्रवत्ति न राजनीतिक स्वतन्त्रता की भावना को जाग्रत किया। नौसेना भी संसद की सहायता कर रही थी। इसक-विपरीत चार्ल्स प्रथम के सैनिक न तो प्रशिक्षित थे और न ही अनुशासित। अत: संसद के विरुद्ध राजा की पराजय अनिवार्य थी।

(2) जनता के सहयोग की कमी-

गृह युद्ध में जनता का सहयोग एवं समर्थन संसद को प्राप्त था। चार्ल्स प्रथम अत्यधिक अलोकप्रिय था। उसके निरंकुश र सन एवं अत्याचारों के कारण जनता उसकी विरोधी हो गई थी। अत: जनता के सहयोग के अभाव में चार्ल्स प्रथम को असफलता प्राप्त हुई।

(3) चार्ल्स प्रथम के पास धनाभाव-

चार्ल्स प्रथम की आर्थिक दश अत्यधिक दयनीय थी। धनाभाव के कारण वह अपने सैनिकों के लिए पर्याप्त गोला-बारूद आदि की व्यवस्था नहीं कर सका।

(4) कुशल परामर्शदाताओं का अभाव-

चार्ल्स प्रथम के पास कुशल परामर्शदाताओं का अभाव था। बकिंघम, वेण्टवर्थ एवं लॉड की मृत्यु हो चुकी थी, जबकि संसद में पिम, क्रॉमवेल आदि योग्य व्यक्ति थे।

(5) स्कॉटलैण्ड से संसद को मदद-

गृह युद्ध के समय पिम के प्रयत्नों से स्कॉटलैण्ड की सेना ने संसद का समर्थन किया, जिससे संसद की स्थिति मजबूत हुई और चार्ल्स प्रथम पराजित हुआ।

(6) क्रॉमवेल का व्यक्तित्व-

चार्ल्स प्रथम की पराजय में क्रॉमवेल के व्यक्तित्व का विशेष योगदान था। उसने अद्भुत सैन्य संगठन और कुशल सैन्य संचालन द्वारा संसद की स्थिति को मजबूत किया।

उपर्युक्त सभी कारणों से इंग्लैण्ड के गृह युद्ध में चार्ल्स प्रथम को पराजय का मुंह देखना पड़ा।

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इंग्लैण्ड में गृह युद्ध के क्या कारण थे?

इंग्लैंड का गृहयुद्ध (1642-1651ई.) मूल कारण- इंग्लैंड की सरकार के स्िरूप को लेकर राजा और संसद के बीच मिभेद का होना। राजा संसद के हस्िक्षेप के बबना शासन करना चाहिा र्ा। पहले िो संसद राजा की तनरंकुश शक्ति को कम करना चाहिी र्ी लेककन बाद में उसने राजिंत्र को समाप्ि करने का तनणथय ललया।

इंग्लैंड में गृह युद्ध कितने साल तक चला था?

यह ग्रह युद्ध 2 भागों में हुआ । प्रथम ग्रह युद्ध 1642 से 1646 ई. तक चला और द्वितीय 1646-1649 ई. तक चलता रहा।

इंग्लैंड में गृह युद्ध कब हुआ था?

22 अगस्त 1642 – 3 सितंबर 1651अंग्रेज़ी गृहयुद्ध / अवधिnull

गृह युद्ध से आप क्या समझते हैं?

गृहयुद्ध एक ही राष्ट्र के अन्दर संगठित गुटों के बीच में होने वाले युद्ध को कहते हैं। कभी-कभी गृह युद्ध ऐसे भी दो देशों के युद्ध को कहा जाता है जो कभी एक ही देश के भाग रहे हों। गृहयुद्ध में लड़ने वाले गिरोहों के ध्येय भिन्न प्रकार के होते हैं