‘भगवान के डाकिए’ कविता से क्या संदेश मिलता है? Show ‘भगवान के डाकिए’ कविता से यह संदेश मिलता है कि हमें संसार में मिलजुलकर रहना चाहिए। अपने जीवन काल में हमें ऐसे कार्य करने चाहिए जिनकी सुगंध पूरे विश्व में फैल जाए। 1061 Views डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू www.) तथा पक्षी और बादल-इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। “चट्टियों की अनूठी दुनिया” पाठ का सहयोग ले सकते हैं। 1349 Views किन पंक्तियों का भाव है- पक्षी और बादल, 946 Views किन पंक्तियों का भाव है- हम तो केवल यह आँकते हैं 776 Views कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए। पक्षी व बादल देशों की सीमा रेखाओं को नहीं मानते। वे ईश्वर का विश्व--बंधुत्व का संदश सभी को समान रूप से बाँटते हैं। पक्षी के पंखों द्वारा फूलों की सुगंध दूर-दूर के देशों तक जाती है और बादल एक देश के पानी से बनकर दूसरे देश में बरसते हैं अर्थात् ये दोनों न कोई बंधन अपने पर रखते हैं और न किसी बंधन को मानते हैं। जबकि मनुष्य इस विश्व-बंधुत्व की भावना को समझ नहीं पाते और अपनी ही बनाई सीमा रेखाओं में बंद रहते हैं। इसीलिए कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए माना है। 2643 Views पक्षी और बाबल द्वारा लाई गई चिट्टियों को कौन-कौन पढ पाते हैं? सोचकर लिखिए। पक्षी और बादलों द्वारा लाई गई चिट्ठियों को पेड़, पौधे, नदियाँ, झरने, पानी और पहाड़ यानी प्रकृति के सभी रूप पढ़ लेते हैं। 858 Views प्रकृति के डाकिए हमें क्या संदेश देते हैं *?ये एकता, मेल, सद्भावना का संदेश देते हैं। नदियाँ समान भाव से सभी लोगों में अपने जल को बाँटती है। वह कभी भेदभाव नहीं करती।
भगवान के डाकिए कविता से हमें क्या संदेश मिलती है?प्रश्न 4: भगवान के डाकिए कविता से आपको क्या संदेश मिलता है? उत्तर: इस कविता से यह संदेश मिलता है कि हमें अपने स्वार्थ, अपने-पराए की भावना को छोड़कर सबके साथ समानता तथा प्रेम का व्यवहार करना चाहिए जिससे हमारे कार्यों की महक चारों ओर फैल जाए।
भगवान के डाकिए का मूल भाव क्या है?'भगवान के डाकिए' कविता विश्व-बंधुत्व अर्थात् सभी देशों के लोगों को परस्पर मिलजुलकर रहना चाहिए इस बात की ओर संकेत करती है। जिस प्रकार प्रकृति अपने खजानों को लुटाने में किसी से भेदभाव नहीं करती ऐसे ही मनुष्य को भी किसी प्रकार का वर्ग या जातीय भेदभाव नहीं करना चाहिए। यही इस कविता का मूलभाव है।
भगवान के डाकिए द्वारा लाई गई छुट्टियों में निहित संदेश का मनुष्य क्या करता है?भगवान का यहीं संदेश ये हम तक पहुँचाते हैं कि जिस तरह से एक पक्षी व बादल दूसरे देश में जाकर भेदभाव नहीं करते (कि ये हमारा मित्र है यहाँ जाओ, ये हमारा शत्रु है यहाँ मत जाओं) हमें भी इनकी तरह आचरण करना चाहिए और मिल जुलकर रहना चाहिए। भगवान का यही सन्देश पक्षी और बादल हम तक पहुंचाते हैं इसलिए ये भगवान के डाकिये हैं।
|