हवलदार साहब को कौन सी बात बुरी लगी? - havaladaar saahab ko kaun see baat buree lagee?


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हवलदार साहब को कौन सी बात बुरी लगी? - havaladaar saahab ko kaun see baat buree lagee?

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वार्षिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्न उनके आदर्श उतर

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हालदार साहब को यह सब कुछ विचित...

लिखित उत्तर

Solution : हालदार साहब ने जब पहली बार चौराहे पर नेताजी की मूर्ति लगी देखी तो उन्हें वह बड़ी ही कौतूहल भरी चीज लगी। नेताजी के नाम पर संगमरमर के चश्मे की जगह पर मानवीय चश्मा देखकर और भी कौतूहल वाला लगा। चश्मे को प्रायः बदलते देखकर भी उन्हें काफी कौतूहल हुआ।

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हवलदार साहब को कौन सी बात बुरी लगी? - havaladaar saahab ko kaun see baat buree lagee?

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हालदार साहब को कौन सी बात?

हालदार साहब स्वयं देशभक्त थे Page 3 और नेताजी जैसे देशभक्त के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी । यही सब सोचकर हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे। मूर्ति पर लगे सरकंडे का चश्मा इस बात का प्रतीक है कि आज भी देश की आने वाली पीढ़ी के मन में देशभक्तों के लि ए सम्मान की भावना है।

हवलदार ने पान वाले से क्या पूछा?

क्या कैप्टन चश्मे वाला नेता जी का साथी है या आजाद हिंद फौज का भूतपूर्व सिपाही? तब पान वाले ने चश्मे वाले का मजाक उड़ाते हुए कहा, नहीं साहब, वह लंगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है, पागल, वह देखो वह आ रहा है। आप उसी से बात कर लो।

हवलदार साहब को क्या अच्छा नहीं लगा?

हालदार साहब को क्या अच्छा नहीं लगा था? हालदार साहब को यह अच्छा नहीं लगा कि पान वाला एक देशभक्त व्यक्ति का यह कहकर मजाक उड़ाए कि वह लंगडा क्या जाएगा फौज में। “बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िन्दगी सब कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”

हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो गए?

उत्तर - हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक हो उठे क्योंकि नेताजी की मूर्ति को छोटे बच्चों के द्वारा पहनाया जाना इस बात का सबूत है कि हमारे देश के बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी महापुरुषों व शहीदों का सम्मान करते हैं । घर गृहस्थी जवान - जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती हैं और अपने लिए बिकने के मौके ढूंढ़ती है ।