कोयला आधारित विद्युत केंद्रों से प्रदूषण से संबंधित चिंताओं तथा बड़े पैमाने पर राख के निपटान, जोकि भारत के विद्युत उत्पादन का मुख्य आधार है, को पर्यावरणीय रूप से सतत् विद्युत विकास प्रोत्साहित करने की कार्यनीतियों के माध्यम से समाधान किया जा रहा है। Show
वनरोपण के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड कम करने के लिए वनरोपण और पर्यावरणीय उपाय करने के लिए पंजीकृत सोसायटी के रूप में एनटीपीसी और अन्य केंद्रीय विद्युत क्षेत्र उपक्रम संयुक्त रूप से एक स्पेशल पर्पज व्हीकल स्थापना की जा रही है। सोसायटी के लक्ष्य इस प्रकार होंगे:
फ्लाई एश उपयोग की कार्य योजना सभी कोयला आधारित विद्युत केंद्र प्रति वर्ष 90 मिलियन टन के लगभग फ्लाई एश का उत्पादन करते हैं। टीआईएफएसी का फ्लाई एश मिशन ने सीमेंट के उत्पादन, ब्रिक्स, पेवमेंट सामग्री, फ्लोर टाइल्स, वॉल पैनल्स आदि और कृषि, सड़क निर्माण, सड़क भराई और खानों की पुन:भराई में फ्लाई एश के उपयोग के लिए कई उपयोगी अनुशंसाएं की हैं। राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में जांच के दौरान पाया गया कि फ्लाई एश परंपरागत उत्पादों की तलना में उत्तम और टिकाऊ है। विद्युत मंत्रालय सड़क और पुलों के निर्माण में देश में विकसित किए जा रहे सरकारी भवनों के निर्माण, अनिवार्य फ्लाई एश उत्पादों का उपयोग करने के लिए कदम उठा रहा है, फ्लाई एश उत्पादों के उत्पादन और संवर्धन शुरू करने के लिए बाजार तंत्र की सहायता शुरू करने में राजस्व प्रोत्साहन देने के लिए कदम उठाता है। कोयला आधारित केंद्रों के पर्यावरणीय निष्पादन में सुधार के लिए पहलें
पर्यावरण से बढ़ने वाली संबंधित चिंताओं का समाधान करने और पर्यावरणीय निष्पादन में सुधार लाने के लिए टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट (टेरी) की सेवाएं सीडीएम पर विद्युत मंत्रालय को परामर्शी सेवाएं प्रदान करने के लिए लगाया गया है। विचारार्थ शर्तों मे परियोजना गठन सहित प्रत्येक परियोजना के लिए बेस लाइन सर्वे, सीडीएम पक्षों के साथ बिक्रेता, नियमित राज्यों के काउंटर चार्ट सीडीएम पार्टियों की पहचान, कार्बन डाइ ऑक्साइड निगरानी की लागत और कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन कमी का सत्यापन और परियोजना कार्यान्वयन का अवलोकन करना शामिल है। आईएसओ 14001 राष्ट्र के सतत् विकास के लिए नवंबर, 1975 में स्थापित राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) के कुल उत्पादन की 26% अंशदान 21,749 मेगावाट (भारत में संस्थापित क्षमता का 19%) की संस्थापित क्षमता के साथ भारत की सबसे बड़ी यूटिलिटी है। एनटीपीसी ने अपनी क्षमता को दोगुना करने की योजना बनाई है। एनटीपीसी ने हाल ही में हाइड्रो क्षेत्र में बदलाव और वितरण, आरएण्डएम आदि के लिए एक संयुक्त उद्यम कंपनी का गठन किया है। पर्यावरण प्रबंध कंपनी में एक उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है और हरित ऊर्जा का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए कई नीतियों का गठन किया गया है। ध्वनि पर्यावरणीय प्रबंध प्रणाली और प्रयासों के अनुसरण के माध्यम से एनटीपीसी के 18 केंद्रों को आईएसओ 14001 प्रमाण पत्र का प्रमाणन किया गया है। एक जिम्मेदार कारपोरेट सिटीजन के रूप में एनटीपीसी सीएसआर के संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक कॉम्पैक्ट का सदस्य है। कंपनी पर्यावरण और प्रकृति के साथ वैश्विक मानकों और संपूर्ण तालमेल से भविष्य में केंद्रित और बल देते हुए विद्युत का उत्पादन करेगी। पर्यावरण के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?पर्यावरण संरक्षण क्यों जरूरी है? पर्यावरण- चारों ओर का आवरण।. इधर-उधर न थूकें।. खुले सड़क किनारे पेशाब न करें, शौचालय का उपयोग करें।. खुद को और अपने आसपास को साफ रखने की कोशिश करें।. सड़क पर कचरा न फेंके, डस्ट बिन का इस्तेमाल करें।. स्वस्थ भोजन खाएं।. खाली पेट पानी पीएं।. सार्वजनिक रूप से धूम्रपान छोड़ें।. हमें अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?कचरे को फैलने से रोकें और दूसरों को भी इसे रोकने के लिए प्रोत्साहित करें। रासायनिक उर्वरकों और किटनाशकों के उपयोग से बचे और जैविक पदार्थों का उपयोग करें। वाहनों से निकलने वाले घुएं को कम करे, ये हमारे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुचाते है। जंगलों को बचाएं और पेड़ लगाएं क्योंकि ये पर्यावरण के लिए फेफड़ों जैसा काम करते है।
1 पर्यावरण के संरक्षण के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरीके क्या हैं?पर्यावरण को बचाने के लिए सबसे पहले हमें पानी को प्रदूषित होने से बचाना होगा। कारखानों, सीवरेज और घरों की नालियों से निकले पानी को नदियों और समुद्र में जाने से रोकना होगा। वनों को नष्ट होने से बचाना होगा और लोगों को पौधारोपण के लिए प्रेरित करना होगा। प्लास्टिक की सामग्री और थैलियों के उपयोग को रोकना होगा।
पर्यावरण सुरक्षा के लिए कौन कौन से कार्य किए जा सकते हैं?कोयला आधारित विद्युत केंद्रों से प्रदूषण से संबंधित चिंताओं तथा बड़े पैमाने पर राख के निपटान, जोकि भारत के विद्युत उत्पादन का मुख्य आधार है, को पर्यावरणीय रूप से सतत् विद्युत विकास प्रोत्साहित करने की कार्यनीतियों के माध्यम से समाधान किया जा रहा है।
|