Show कौन थे बजरंगबली के गुरु ?ऐसा कहा जाता है कि बच्चे के जन्म से पहले गर्भ में ही बच्चा अपनी माता से संस्कार पाने लग जाता है। उसके बचपन का आधा समय माता की छाया में ही गुज़रता है। ये नहीं देखा तो क्या देखा(Video) जी हां, हनुमान से जुड़ी एक ऐसी बात है जो किसी को पता नहीं होगी कि भक्तों के कष्ट काटने वाले गुरुओं के गुरु कहे जाने वाले बजरंगबली का भी कोई गुरू था। शायद आप सबको नहीं पता होगा लेकिन बजरंगबली के जीवन में उनका एक गुरू था, जिनसे उन्होंने जीवन के कई सूत्र सीखें। एक बार माता ने हनुमान जी को राम अवतार की कथा सुनाना शुरु की। बालक हनुमान बड़े ध्यान से कथा सुनने लगे। इस तरह अपने बालक को देखकर माता को उनकी शिक्षा की चिंता सताने लग गई थी। देवी अंजनी और केसरी ने विचार किया कि क्यों न बजरंगी को किसी अच्छे गुरु के पास भेजा जाए। उनके विचार से बालक को सूर्य से अच्छे गुरु नहीं मिल सकते। कुछ समय बाद हर्ष उल्लास के साथ माता-पिता ने अपने प्रिय श्रीहनुमानजी का उपनयन-संस्कार कराया और उन्हें विद्यार्जन के लिए गुरु-चरणों की शरण में जाने की सलाह दी। माता अंजना ने प्रेम स्वर में से हनुमान को भगवान सूर्यदेव से शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा। हनुमान जी माता-पिता के श्रीचरणों में प्रणाम करके सूर्यदेव के पास चल पड़े। सुर्यदेव ने उनके आने का कारण पूछा तो हनुमान जी बोले मेरा यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न हो जाने पर माता ने मुझे आपके चरणों में विद्यार्जन के लिए भेजा है। आप कृपा पूर्वक मुझे ज्ञानदान कीजिए। सूर्यदेव ने कहा कि तुम तो मेरी स्थिति देखते ही हो। मैं तो किसी न किसी कारण से अपने रथ पर सवार दौड़ता रहता हूं। सूर्यदेव की बात सुनकर भगवान हनुमान ने कहा कि वेगपूर्वक चलता आपका रथ कहीं से भी मेरे अध्ययन को बाध्त नहीं कर सकेगा। मैं आपके सम्मुख रथ के वेग के साथ ही आगे बढ़ता रहेगा। श्रीहनुमानजी सूर्यदेव की ओर मुख करके उनके आगे-आगे स्वभाविक रूप में चल रहे थे। सूर्यदेव को ये देख हैरानी नहीं हुई क्योंकि वे जानते थे कि हनुमानजी खुद बुद्धिमान हैं लेकिन प्रथा के अनुसार गुरु द्वारा शिक्षा गृहण करना जरुरी है इसलिए सूर्यदेव ने कुछ ही दिनों में उन्हें कई विद्याएं सिखा दी जिससे वे विद्वान कहलाएं। इस छोटे से उपाय से कैसा भी confusion होगा दूर(video) और ये भी पढ़े
BTC$ 21350.85 Sat, Nov 05, 2022 02.37 AM UTC ETH$ 1651.06 Sat, Nov 05, 2022 02.37 AM UTC USDT$ 1 Sat, Nov 05, 2022 02.37 AM UTC BNB$ 354.96 Sat, Nov 05, 2022 02.37 AM UTC
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हनुमान जी के प्रथम गुरु कौन थे?सूर्य, नारद के अलावा एक मान्यता अनुसार हनुमानजी के गुरु मातंग ऋषि भी थे। मतंग ऋषि शबरी के गुरु भी थे। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हआ था। मतंग ऋषि के यहां माता दुर्गा के आशीर्वाद से जिस कन्या का जन्म हुआ था वह मातंगी देवी थी।
हनुमान जी की पत्नी का नाम क्या है?इन नौ विद्याओं में से पांच विद्याएं तो हनुमान जी ने सीख लीं लेकिन बाकी विद्याओं को सीखने के लिए विवाहित होना अनिवार्य था. इसी अनिवार्यता की वजह से सूर्य देवता ने अपनी पुत्री का विवाह हनुमान जी के साथ कर दिया. हनुमान जी से विवाह होने के बाद सुवर्चला सदा के लिए तपस्या में लीन हो गईं.
हनुमान जी के समान बलवान कौन था?दंगल के मैदान में हनुमानजी ने जैसे ही बाली के सामने अपना कदम रखा, ब्रह्माजी के वरदान के अनुसार, हनुमानजी की शक्ति का आधा हिस्सा बाली के शरीर में समाने लगा। इससे बाली के शरीर में उसे अपार शक्ति का अहसास होने लगा। उसे लगा जैसे ताकत का कोई समंदर शरीर में हिलोरे ले रहा हो।
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