हालदार साहब जिस कस्बे से गुजरते थे उसमें क्या था? - haaladaar saahab jis kasbe se gujarate the usamen kya tha?

Question Description
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हालदार साहब उस कस्बे से कब और क्यों गुजरना पड़ता था?

हालदार साहब कब और कहाँ-से क्यों गुजरते थे? उत्तर: हालदार साहब हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में एक कस्बे से गुजरते थे। जहाँ बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति लगी थी।

हालदार साहब जिस कसबे से गुज़रते थे उसकी क्या विशेषता थी?

Answer: हालदार साहब जिस कस्बे से गुजरते थे वह कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। वहाँ कुछ ही पक्के मकान थे| एक बाजार, लड़के-लड़कियों का एक-एक स्कूल, सीमेंट का छोटा-सा कारखाना, दो ओपन एअर सिनेमाघर के साथ-साथ एक नगरपालिका भी थी

हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का कौन सा प्रयास सराहनीय लग रहा था?

जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे, और अंत में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए । महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है वरना तो देश-भक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज़ होती जा रही है।

कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब क्या करते थे *?

कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को उस कस्बे के मुख्य बाज़ार के चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखने की आदत पड़ गई थी।