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केप्लेर के तीनो नियमों का दो ग्रहीय कक्षाओं के माध्यम से प्रदर्शन खगोल विज्ञान में केप्लर के ग्रहीय गति के तीन नियम इस प्रकार हैं - सभी ग्रहों की कक्षा की कक्षा दीर्घवृत्ताकार होती है तथा सूर्य इस कक्षा के नाभिक (focus) पर होता है।
इन तीन नियमों की खोज जर्मनी के गणितज्ञ एवं खगोलविद योहानेस केप्लर (Johannes Kepler 1571–1632) ने की थी। और सौर मंडल के ग्रहों की गति के लिये वह इनका उपयोग करते थे। वास्तव में ये नियम किन्ही भी दो आकाशीय पिण्डों की गति का वर्णन करते हैं जो एक-दूसरे का चक्कर काटते हैं। केप्लर द्वारा उपयोग में लाए गए आंकडे[संपादित करें]केप्लर ने अपने तृतीय नियम के लिए निम्नलिखित सारणी में दर्शाए गए आंकड़ों का उपयोग किया था। केप्लर द्वारा प्रयुक्त आंकड़े (1618)
उपरोक्त पैटर्न को देखते हुए केप्लर ने लिखा:[1] "पहले मुझे लगा कि मैं स्वप्न देख रहा हूँ… लेकिन यह पूर्णतः असंदिग्ध और सुनिश्चित है कि दो ग्रहों के आवर्त काल के बीच जो अनुपात है वही अनुपात उनकी सूर्य से माध्य दूरियों के (3/2)वें घात के अनुपात के बराबर है। केप्लर द्वारा १६१९ में रचित Harmonies of the World से अनूदित नीचे की सारणि में उपरोक्त आंकड़ों के आधुनिक अनुमानित मान दिए गए हैं: आधुनिक आंकड़े (Wolfram Alpha Knowledgebase 2018)
सन्दर्भ[संपादित करें]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
ग्रहों की गति संबंधी केप्लर के नियमकेप्लर ने सौर परिवार में सूर्य के
चारों ओर परिक्रमा करने वाले ग्रहों की गति संबंधी निम्नलिखित तीन नियम दिए, जो निम्न प्रकार से हैं। 1. प्रथम नियम (कक्षाओं का नियम)प्रत्येक ग्रह सूर्य के परितः दीर्घ वृत्ताकार पथ पर गति करते हैं तथा सूर्य उस दीर्घ वृत्त के किसी एक फोकस पर होता है। विभिन्न ग्रहों की कक्षाएं भिन्न-भिन्न होती हैं। यह केप्लर का प्रथम नियम है इसे कक्षाओं का नियम (law of orbits) भी कहते हैं। 2. द्वितीय नियम (क्षेत्रीय चाल का नियम)किसी ग्रह को सूर्य से मिलाने वाली रेखा बराबर समय अंतरालों में बराबर क्षेत्रफल पार करती है। अर्थात प्रत्येक ग्रह की क्षेत्रीय चाल नियत रहती है इसे केप्लर का द्वितीय नियम कहते हैं। एवं इसे क्षेत्रीय चाल का नियम (law of areal velocity) भी कहते हैं। अतः चित्र द्वारा स्पष्ट होता है। कि जब ग्रह, सूर्य के नजदीक होता है तो उसकी चाल अधिकतम होती है। और जब ग्रह, सूर्य से दूर चला जाता है तो ग्रह की चाल न्यूनतम होती है। प्रस्तुत चित्र में ग्रह की कक्षा को ही दर्शाया गया है। यदि कोई ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हुए एक निश्चित समयांतराल में कक्षा के बिंदु A से B बिंदु तक जाता है एवं उतनी ही समयांतराल में बिंदु C से D बिंदु तक जाता है तब इस नियम के
अनुसार 3. तृतीय नियम (परिक्रमण काल का नियम)सूर्य के परितः किसी भी ग्रह का परिक्रमण काल का वर्ग उस ग्रह की दीर्घवृत्ताकार कक्षा के अर्द्ध दीर्घ अक्ष की तृतीय घात के
अनुक्रमानुपाती होता है। इसे केप्लर का तृतीय नियम कहते हैं। तथा इसे परिक्रमण काल का नियम (law of periods) भी कहते हैं। केप्लर के नियम से न्यूटन के निष्कर्षकेप्लर के दूसरे नियम के अनुसार, किसी ग्रह का क्षेत्रफलीय वेग नियत रहता है तब दीर्घ वृत्ताकार कक्षा में ग्रह का वेग नियत होगा। अतः ग्रह पर केंद्र (सूर्य)
की ओर एक अभिकेंद्र बल F लगता है तो पढ़ें… 11वीं भौतिक नोट्स | 11th class physics notes in Hindi इस प्रकार केप्लर के नियम से न्यूटन ने तीन निष्कर्ष निकाले
इस प्रकार हम देखते हैं कि केप्लर के नियम से न्यूटन ने तीन निष्कर्ष
निकाले। आशा करते हैं कि यह अध्याय आपको पसंद आया होगा। अगर आपका कोई इस अध्याय संबंधित प्रश्न है तो हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। केप्लर के नियम प्रश्न उत्तर1. केप्लर के कितने नियम हैं?Ans. तीन 2. केप्लर के नियम से न्यूटन में कितने निष्कर्ष निकाले?Ans. तीन 3. केप्लर के प्रथम नियम को कहा जाता है?Ans. कक्षाओं का नियम ग्रहों के गति के केप्लर नियम क्या है?ग्रह को सूर्य से जोड़ने वाली रेखा समान समयान्तराल में समान क्षेत्रफल तय करती है। ग्रह द्वारा सूर्य की परिक्रमा के कक्षीय अवधि का वर्ग, अर्ध-दीर्घ-अक्ष (semi-major axis) के घन के समानुपाती होता है। किसी ग्रह की कक्षीय अवधि का वर्ग उसकी कक्षा के अर्ध-प्रमुख अक्ष के घन के सीधे आनुपातिक है।
केप्लर का दूसरा नियम किसका परिणाम है?Solution : केप्लर का द्वितीय नियम कोणीय संवेग संरक्षण का परिणाम होता है।
ग्रहों की गति से संबंधित केप्लर का तृतीय नियम क्या है?तृतीय नियम (परिक्रमण काल का नियम)
सूर्य के परितः किसी भी ग्रह का परिक्रमण काल का वर्ग उस ग्रह की दीर्घवृत्ताकार कक्षा के अर्द्ध दीर्घ अक्ष की तृतीय घात के अनुक्रमानुपाती होता है। इसे केप्लर का तृतीय नियम कहते हैं। तथा इसे परिक्रमण काल का नियम (law of periods) भी कहते हैं।
4 ग्रहों की गति के केप्लर नियम क्या हैं केप्लर के तृतीय नियम से गुरुत्वाकर्षण बल का परिकलन कीजिए?चूँकि ग्रह लगभग वृत्ताकार पथ पर चल रहा है, अतः ग्रह पर केन्द्र ( सूर्य ) की ओर एक अभिकेंद्रीय बल F लगता है : <br> `F=(mv^(2))/(r )` <br> जहाँ M ग्रह का द्रव्यमान है, v ग्रह का रेखीय चाल है तथा r वृत्ताकार कक्षा की त्रिज्या है।
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